120 पत्ती

  1. सनाय का पौधा, सनाय की पत्ती, फायदे, लाभ, उपयोग, औषधीय गुण और नुकसान
  2. रबी फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रभावी शाकनाशी
  3. फास्टिंग ब्लड शुगर 120 mg/dL को कर गया है पार, इस बेशकीमती काले फल के साथ


Download: 120 पत्ती
Size: 3.44 MB

सनाय का पौधा, सनाय की पत्ती, फायदे, लाभ, उपयोग, औषधीय गुण और नुकसान

• • • यौन स्वास्थ्य • • • • • • • महिला स्वास्थ्य • • • • • • • त्वचा की समस्या • • • • बालों की समस्या • • • • • पुरानी बीमारी • • • • • • • • • • • • • • बीमारी • यौन स्वास्थ्य • पॉडकास्ट • अस्पताल खोजें • डॉक्टर खोजें • हेल्थ टी.वी. • वेब स्टोरीज • • इलाज • • • • • • • • • • योग और फिटनेस • • • • • • महिला • • • • • • अन्य विषय • • • • • • • • • सनाय का पौधा और पत्तियां दुनिया के तमाम देशों में औषधीय लाभ के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले पौधों में से एक है- सनाय का पौधा। सनाय को सेना के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा फूलों से युक्त होता है और दाल और फलियों के परिवार से ताल्लुक रखता है। इस औषधीय पौधे की 50 से ज्यादा प्रजातियों की खेती दुनियाभर में की जाती है। इस पौधे की जंगली प्रजातियां तो 350 के आसपास हैं। इस चमत्कारी पौधे के वैसे तो कई हिस्सों को प्रयोग में लाया जाता है जिसमें सनाय की पत्तियों को विशेष लाभदायक माना जाता है। सनाय के पौधे के बारे में सामान्य जानकारी • वैज्ञानिक नाम: वैसे तोदुनिया भर में सनाय की अलग-अलग प्रजातियों के पौधों को प्रयोग में लाया जाता है। लेकिन औषधीय उपयोगों के आधार पर जिन 4 प्रकार के सनाय पौधों को सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है वे हैं: • कैसिया एंगुस्टिफोलिया: टिनेवली सेना या भारतीय सनाय • कैसिया एलेक्जेंड्रिना: सेना एलेक्जेंड्रिना • सेना टोरा • कैसिया ओसिडेंटैलिस • फैमिली: फबेसियाए • सामान्य नाम: सेना, निला अवुराई, अवुरी, मारकंडिका, सेनाई • संस्कृत नाम: स्वर्णपत्री। • प्रयोग में लाए जाने वाले हिस्से: पत्तियां, फली और फूल • भौगोलिक वितरण: यह पौधा भारत के कई हिस्सों में उगता है। दुनिया भर के कई अन्य हिस्सों, विशेषकर उत्तरी अफ्रीका में भी य...

रबी फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रभावी शाकनाशी

हमारे देश में रबी अर्थात शीत ऋतु में मुख्य रूप से गेहूं, जौ, राई-सरसों, अलसी,चना, मटर,मसूर, गन्ना आदि फसलों की खेती की जाती हैं। फसलोत्पादन को प्रभावित करने वाले वातावरणीय कारकों यथा वर्षा जल, तापक्रम, आद्रता, प्रकाश आदि के अलावा जैविक कारकों जैसे कीट, रोग व खरपतवार प्रकोप से फसल उपज का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है । इन सभी फसल नाशकों में से खरपतवारों द्वारा फसल को सर्वाधिक नुकसान होता है । रवि फसलों में खरपतवार की रोकथाम | Rabi crops weed control in hindi रबी फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेतु कारगर शाकनाशी खरपतवारों के प्रकोप से दलहनी फसलों में 75 से 90 प्रतिशत, तिलहन फसलों में 25 से 35 प्रतिशत तथा गेहूं व जौ आदि खाद्यान्न फसलों में 10 से 60 प्रतिशत तक पैदावार घट जाती है। सही समय पर खरपतवार नियंत्रित कर लिया जावे तो हमारे खाद्यान्न के लगभग एक तिहाई हिस्से को नष्ट होने से बचा कर देश की खाद्यान्न सुरक्षा को अधिक मजबूत किया जा सकता है । खेत में खरपतवार फसल के साथ पोषक तत्वों, हवा, पानी और प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते है जिससे फसल उपज की मात्रा एवं गुणवत्ता में गिरावट हो जाती है । प्रभावशाली ढ़ंग से खरपतवार नियंत्रण के लिए हमें खरपतवारों का ज्ञान होना अति आवश्यक है । रबी फसलों के साथ उगने वाले प्रमुख खरपतवारों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है – 1.चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारः बथुआ (चिनोपोडियम एल्बम), कृष्णनील (एनागेलिस आरवेंसिस), जंगली पालक (रूमेक्स डेन्टाटस), हिरनखुरी(कन्वावुलस आर्वेंसिस), सफ़ेद सेंजी (मेलीलोटस एल्बा), पीली सेंजी (मेलीलोटस इंडिका) जंगली रिजका (मेडीकागो डेन्टीकुलाटा), अकरा-अकरी (विसिया प्रजाति), जंगली गाजर (फ्यूमेरिया पारविफ़्लोरा), चटरी-मटरी (लेथाइरस अफाका),सत...

फास्टिंग ब्लड शुगर 120 mg/dL को कर गया है पार, इस बेशकीमती काले फल के साथ

जामुन के पत्ते को सुबह-सुबह चबाने से ब्लड शुगर अचानक बढ़ने का जोखिम कम हो जाएगा. जामुन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है और यह एंटी-डायबेटिक होता है. Jamun Leaves Control Blood Sugar: जब हमारा जीवन शिथिल हो जाता है. हम कम मेहनत करते हैं और ज्यादा अनाप-शनाप खाते हैं तब डायबिटीज की बीमारी होती है. दरअसल, जब हम कुछ खाते हैं तो इसमें कार्बोहाइड्रैट रहता है. कार्बोहाइड्रैट यानी मीठी चीजें यानी शुगर. पेट में कार्बोहाइड्रैट पचाकर ग्लूकोज बन जाता है. ग्लूकोज से ऊर्जा बनती है जिसका हम सभी कामों में इस्तेमाल करते हैं. जब खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है तो डायबिटीज की बीमारी होती है. सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि ब्लड शुगर बढ़ता ही क्यों है. खून में जब भी ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है तो पैनक्रियाज नाम की एक ग्रंथि से इंसुलिन हार्मोन निकलता है. यह इंसुलिन ग्लूकोज की मात्रा को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है. जब ग्लूकोज कोशिकाओं तक पहुंच जाता है तो इसका इस्तेमाल शरीर में ऊर्जा बनाने में होता है. टाइप 2 डायबिटीज में ग्लूकोज कोशिकाओं तक पहुंचता ही नहीं और यह खून में जमा होने लगता है. इससे शरीर की सभी नसों तक इसका असर होता है. आयुर्वेद में कई चीजों से इंसुलिन को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. पर अब इन्हीं औषधीय चीजों को विज्ञान भी साबित करने लगा है. रिसर्च में सामने आई यह बात एनसीबीआई यानी अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन ने भारत में पाए जाने वाले जामुन के औषधीय गुणों पर रिसर्च की है. इस रिसर्च में जामुन में कमाल के एंटी-डायबेटिक गुण पाया गया है. रिसर्च के मुताबिक जामुन ही नहीं, जामुन के पत्ते और जामुन की गुठलियां भी हर तरह के मेटाबोलिक डिजीज में इस्तेमाल किया जा सकता है. ...