1929 ki arthik mandi ka sabse bura asar kis desh par pada

  1. चाय
  2. भारत में कोरोनावायरस के बारे में: जरूरी जानकारी
  3. 1929 की महामंदी का वर्णन करें? » 1929 Ki Mahamandi Ka Varnan Karen
  4. आर्थिक मंदी (Economic Recession) क्या है
  5. विश्वव्यापी आर्थिक संकट (सन् 1929


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चाय

vivaran chay ek mahattvapoorn pey padarth hai aur sansar ke adhikaansh log ise pasand karate haian. chay mulayam evan nayi patti, band vanaspatik kali adi se taiyar ki jati hai. itihas chay ke paudhe ka utpadan tainin ki matra chay ki tazi pattiyoan mean tainin ki matra 25.1% payi jati hai, jabaki sansadhit pattiyoan mean tainin ki matra 13.3% tak hoti hai. krishi chay ko mukhy utpadan rajy pramukh niryatak desh vishesh any janakari vishv mean chay ke utpadan mean bahari k diyaan chay ( Tea) ek mahattvapoorn pey padarth hai aur sansar ke adhikaansh log ise pasand karate haian. chay mulayam evan nayi patti, band vanaspatik kali adi se taiyar ki jati hai. chay mean mukhyatah kaifin ka aansh paya jata hai. isaki tazi pattiyoan mean tainin ki matra 25.1% payi jati hai, jabaki sansadhit pattiyoan mean tainin ki matra 13.3% tak hoti hai. sarvottam chay kaliyoan se banayi jati hai. chay ki kheti mean 'lal kitt' tatha ' itihas chay ke paudhe ka utpadan bharat mean pahali bar sanh 1834 mean aangrez sarakar dvara parikshan ke roop mean vyaparik paimane par kiya gaya tha. yadyapi jangali avastha mean yah bhaugolik dashaean chay ki kheti ke lie jin bhaugolik dashaoan ka dhyan rakha jata hai, vah is prakar haian-[[chitr:Tea-Factory-4.jpg|thumb|left|250px|karakhane mean rakhi sookhi chay, tapaman chay chhaya priy paudha hai, jo halki chhaya mean b di tivragati se badhata hai. isake lie masik tapaman 22° se 34° ke bich upayukt mane ge haian. jab uchchatam tapaman 28° seantigred se niche ...

भारत में कोरोनावायरस के बारे में: जरूरी जानकारी

नोवेल कोरोनावायरस क्या है ? नोवेल कोरोनावायरस, यह कोरोना वायरस का नया नस्ल है| सबसे पहले वुहान, चीन में पता लगने वाले नोवेल कोरोनावायरस से होने वाली बीमारी को कोरोनावायरस डिजीज (COVID-19/कोविड - 19) कहते हैं | CO कोरोना के लिए, VI - वायरस के लिए और D - डिजीज के लिए है | पहले इस बीमारी को ‘2019 नोवेल कोरोनावायरस’ या ‘2019-nCoV.’ के नाम से जाना जाता था | COVID-19/कोविड - 19 वायरस, Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) से जुड़ा हुआ एक नया वायरस है| COVID-19/कोविड - 19 वायरस किस तरह फैलता है? यह वायरस किसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से सांस के कणों/बूंदों के सीधे संपर्क में आने से या वायरस से संक्रमित सतह को छूने से फैलता है | COVID-19/कोविड - 19 वायरस कुछ घंटों तक अपनी सतह पर जीवित रहता है लेकिन इसे किसी साधारण निस्संक्रामक से ख़त्म किया जा सकता है | कोरोनावायरस के लक्षण क्या हैं? इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, जल्दी-जल्दी सांस लेना आदि हो सकता है | अधिक गंभीर मामलों में निमोनिया या सांस की तकलीफ आदि हो सकते हैं | और गंभीर लेकिन कम मामलों में इससे जान भी जा सकती है | इसके लक्षण फ्लू (इन्फ्लुएंजा) या सामान्य सर्दी-जुकाम से मिलते जुलते हैं, जिनकी सम्भावना COVID-19/कोविड - 19 की अपेक्षा अधिक है | इसलिए इसमें टेस्ट करना ज़रूरी है जिससे किसी को COVID-19/कोविड - 19 होने पर पता चल सके | ये जानना महत्वपूर्ण है कि इससे बचाव के वही सामान्य तरीके हैं - बार-बार हाथ धोना और सांस लेने सम्बन्धी सावधानियां (खांसते या छींकते समय टिश्यू या कोहनी को मोड़ कर अपना मुंह और नाक ढक लें और इस्तेमाल के बाद टिश्यू को किसी बंद कूड़ेदान में फ़ेंक दें) | इसके संक्रमण के खतरे से हम किस तरह बच सकते हैं?...

1929 की महामंदी का वर्णन करें? » 1929 Ki Mahamandi Ka Varnan Karen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। 1929 की महामंदी के बारे में गर्म बात करें देखिए 1929 में विश्व में गंभीर स्थिति महामंत्री ने जन्म लिया यहां महामंत्री 1933 तक बनी रही इस विश्वव्यापी महामंदी की घटना ने परंपरा वादी मान्यता को चूर-चूर कर दिया इस महामंदी के कारण अमेरिका के देशों में निर्गत और रोजगार के स्तरों पर भारी गिरावट आई इसका प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर पड़ा बाजार में वस्तुओं की मांग में भारी गिरावट के कारण कई कारखाने बंद हो गए तथा श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया था संयुक्त राज्य अमेरिका 1930 से 1933 तक बेरोजगारी की दर 3% से बढ़कर 25% हो गई थी इस अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में समस्त निर्गत में लगभग 33% की गिरावट आई थी मंदिर की ऐसी गंभीर स्थिति अर्थशास्त्रियों को व्यष्टि के स्थान पर समस्ती स्तर पर सोचने को बाध्य कर दिया इन परिस्थितियों में जे एम केंस की पुस्तक रोजगार ब्याज और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत 1936 में प्रकाशित हुई जिससे समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्धार हुआ 1929 ki mahamandi ke bare mein garam baat kare dekhiye 1929 mein vishwa mein gambhir sthiti mahamantri ne janam liya yahan mahamantri 1933 tak bani rahi is vishvavyapi mahamandi ki ghatna ne parampara wadi manyata ko chur chur kar diya is mahamandi ke karan america ke deshon mein nirgat aur rojgar ke staron par bhari giraavat I iska prabhav duniya ke anya deshon par pada bazaar mein vastuon ki maang mein bhari giraavat ke karan kai karkhane band ho gaye tatha shramiko ko kaam se nikaal diya gaya tha sanyuk...

आर्थिक मंदी (Economic Recession) क्या है

जब वस्तुओं की बिक्री नहीं होती है तो, इसका पूरा प्रभाव उत्पादित करने वाली कंपनियों पर पड़ता है क्योंकि, मंदी की वजह से उन कंपनियों को भारी नुकसान चुकाना पड़ जाता है | यहाँ पर आपको आर्थिक मंदी क्या होती है, कारण, प्रभाव के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है | प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है आर्थिक मंदी क्या है? Table of Contents • • • • आर्थिक मंदी ऐसी स्थिति होती है, जब लोगों के पास अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए पैसों की कमी हो जाती है, जिससे वह अपनी जरूरत मंद चीजों की भी खरीदारी नहीं कर पाते है और वो अपनी जरूरतों को पैसों की अनुसार कम करनी की कोशिश करते है, तो इसका सीधा प्रभाव उत्पादित कंपनियों पर दिखाई देने लगता है क्योंकि, लोगों द्वारा खरीद दारी कम करने से उत्पादित माल की बिक्री भी कम हो जाती है, जिससे कम्पनी को कम लाभ प्राप्त होता है, इसलिए कम्पनी भी अपने लाभ को देखते हुए कर्मचारियों को रखती है जिससे बड़ी- बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों की बड़ी मात्रा में छंटनी की जाती है, कंपनियों में छंटनी होने की वजह से लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाते है, जिसका सीधा असर उनके परिवार पड़ता है क्योंकिं, उनके पास खाने की कमी हो जाती है | इससे वो परिवार कुपोषण का शिकार हो जाते है, और देश में अन्य कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है | विश्व आर्थिक मंदी क्या है? अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर वस्तुओ और सेवाओ के उत्पादन में गिरावट हो और साथ ही में सकल घरेलू उत्पाद कम से कम तीन महीने डाउन ग्रोथ में पहुंच जाता है, तो ऐसी स्थिति को ही विश्व आर्थिक मन्दी का रूप दे दिया जाता है, जिसे विश्व आर्थिक मंदी कहते है | इसका प्रभाव दुनिया भर के देशो पर दिखाई देता है, जिससे...

विश्वव्यापी आर्थिक संकट (सन् 1929

बीसवीं सदी का विश्व विश्वव्यापी आर्थिक संकट (सन् 1929-32) प्रथम विश्व युद्ध के आर्थिक परिणामों से स्पष्ट झलकता है कि युद्ध के उपरान्त विजेता और विजित दोनों ही देशों की आर्थिक अवस्था दयनीय हो गई थी। युद्ध में दोनों पक्षों को ही अपार धन खर्च करना पड़ा था। हाँ , यह अवश्य था कि विजेता अपनी आर्थिक अवस्था में सुधार जल्दी कर सकते थे। जबकि पराजित देशों का भविष्य अन्धकारमय प्रतीत हो रहा था। विकास कार्य सभी जगह ठप्प हो गये थे। विजेता देश पराजित राष्ट्रों से क्षतिपूर्ति वसूल करके अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयत्न कर रहे थे। परन्तु उन्हें भी आशानुकूल सफलता नहीं मिल रही थी। इसका कारण यह था कि परास्त देश जर्मनी के पास क्षतिपूर्ति देने के लिये कुछ बचा नहीं था। विजेता राष्ट्रों ने उसके प्राकृतिक साधनों पर भी अधिकार कर लिया था। युद्ध के समय यूरोपीय औद्योगिक विकास को बड़ा धक्का लगा। अत: विकसित देश भी कुछ निर्यात नहीं कर पा रहे थे। अत: धीरे-धीरे यूरोप की आर्थिक अवस्था बड़ी दयनीय हो गई थी। आर्थिक मन्दी का प्रभाव धनाढ्य देश अमेरिका पर भी पड़ा। उसने अन्य देशों को ऋण देना बन्द कर दिया तो ऋणी देशों ने ऋण चुकाना बन्द कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि सारे विश्व में बेकारी व भुखमरी फैलनी लगी। प्रशासन अस्त-व्यस्त होने लगा। विश्व के राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री विचलित हो उठे। इस समस्या के कारणों पर विचार करने लगे। विश्वव्यापी आर्थिक संकट (सन् 1929-32) आर्थिक संकट के कारण ( Causes of Economic Depression) इस विश्वव्यापी आर्थिक संकट के निम्नलिखित कारण थे- विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियाँ (Circumstances of the World War)- आर्थिक मन्दी का महत्वपूर्ण कारण विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियाँ थीं। इससे पूर...