2023 में होलिका दहन कब है

  1. Holika Dahan Shubh Muhurat 2023: होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2023, तिथि, पौराणिक कथा और महत्व
  2. Holika Dahan 2023: इस दिन भूलकर भी ना पहने इस रंग के कपड़े, वरना घर में होगा नाकारात्मक ऊर्जा का वास
  3. Holika Dahan 2023 Puja Shubh Muhurt, Holi 2023 Date And Story
  4. होलिका दहन 7 मार्च 2023 की तारीख व मुहूर्त ‣ Om Asttro / ॐ एस्ट्रो


Download: 2023 में होलिका दहन कब है
Size: 48.32 MB

Holika Dahan Shubh Muhurat 2023: होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2023, तिथि, पौराणिक कथा और महत्व

• साल 2023 में होलिका दहन 07 मार्च, मंगलवार को किया जाएगा। • हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ - 06 मार्च 2023, सोमवार, शाम 04 बजकर 17 मिनट • फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि समापन- 07 मार्च 2023, मंगलवार, शाम 06 बजकर 09 मिनट पर • होलिका दहन का शुभ मुहूर्त -7 मार्च, मंगलवार, सायं 06:31 से रात्रि 08:58 तक • होलिका दहन की अवधि - 02 घंटे 27 मिनट इसे जरूर पढ़ें: रंग वाली होली की तिथि 2023 (Rang Wali Holi 2023 Date) होलिका दहन के अगले दिन यानी कि 08 मार्च 2023, बुधवार को रंग खेलने वाली होली मनाई जाएगी। इस पर्व का जश्न लोग एक दूसरे को रंग लगाकर और गले मिलकर मनाते हैं। होली की पौराणिक कथा (Holika Dahan 2023 Katha) होली की पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था वो घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर समझने लगा। हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में ईश्वर के नाम लेने की मनाही लगा दी लेकिन उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला था। एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। लेकिन ईश्वर की कृपा से आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया। तब से ही ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में होलिका दहन किया जाने लगा। होलिका दहन का महत्व (Holika Dahan 2023 Mahatva) ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन (होलिका दहन के दिन न करें ये काम) की लपटें हमारे शरीर और मन के लिए बहुत लाभकारी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे कई शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं और बुराइयों का नाश होता है। होलिका दहन की अग्नि नकारात्मकता का नाश करती है वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी लपटों से व...

Holika Dahan 2023: इस दिन भूलकर भी ना पहने इस रंग के कपड़े, वरना घर में होगा नाकारात्मक ऊर्जा का वास

• • Holika Dahan 2023: इस दिन भूलकर भी ना पहने इस रंग के कपड़े, वरना घर में होगा नाकारात्मक ऊर्जा का वास होली के त्योहार में बस अब 2 ही दिन बाकि हैं, इस साल 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी, होली दहन को लेकर कई तरह कि मान्यता है कि घर परिवार की बुरी शक्तियों का होलिका दहन की अग्नि में अंत हो जाता हैं। Photo source - Google Holika Dahan 2023: खुशियों और रंगों से भरा त्योहार होली जल्द ही आने ही वाला हैं, होली के त्योहार में बस अब 2 ही दिन बाकि हैं, इस साल 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी, होली दहन को लेकर कई तरह कि मान्यता है कि घर परिवार की बुरी शक्तियों का होलिका दहन की अग्नि में अंत हो जाता हैं, लेकिन इस दिन कई नियमों का पालन करना जरूरी होता है, होलिका दहन से जुड़े वे नियम क्या हैं? किस रंग के वस्त्र धारण न करें- ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार होलिका दहन के दिन काले और सफेद रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। माना जाता हैं, कि इन रंगों के वस्त्रों पर नकारात्मक ऊर्जा जल्दी आकर्षित होती हैं, ऐसे में होलिका दहन के समय उन शक्तियों का अंत होने के बजाय वे सफेद- काले रंग की तरफ आकर्षित होती हैं। दान करना न भूलें- मान्यता है कि होलिका दहन के समय पूजा करते हुए अपना मुंह हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना होता हैं, इतना ही नहीं होलिका दहन के बाद अपनी शक्ति अनुसार जरूरतमंदों या गरीबों को दान भी करना चाहिए, ऐसा करने से देवी-देवताओं की कृपा आपके घर परिवार पर बनी रहती हैं। तामसिक चीजों से रहें दूर- हिन्दु धर्म में पूजा या अन्य किसी धार्मिक कार्यों में साफ-सफाई और पवित्र ता का विशेष ध्यान रखा जाता हैं, धार्मिक व...

Holika Dahan 2023 Puja Shubh Muhurt, Holi 2023 Date And Story

Holika Dahan 2023 Shubh Muhurt: प्रेम, प्यार और रंगों का त्योहार होली (Holi 2023) आने वाला है. इसको लेकर अभी से तैयारियां जोरों-शोरों से की जा रही है. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे दूर कर एक दूसरे को गले से लगा लेते हैं और गुलाल, अबीर लगाते हैं. होली का त्योहार फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है. इस साल होली का त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा और इससे एक दिन पहले यानी सात मार्च को होलिका दहन होगा. हमारे देश में होलिका दहन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इससे एक पौराणिक कथा जुड़ी है. कहते हैं कि एक समय हिरणकश्यप नाम का असुर था. वो चाहता था कि सब लोग उसे भगवान मानें, लेकिन उसका पुत्र भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. जो हिरणकश्यप को पसंद नहीं था. असुर की बहन होलिका को वरदान था कि वो अग्नि में नहीं जल सकती. हिरणकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की इच्छा से होलिका को प्रह्लाद के साथ अग्निकुंड में बैठने को कहा लेकिन प्रह्लाद की भक्ति में इतना असर था कि उस अग्नि में होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया. तभी से हर साल होली से पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार 7 मार्च को शाम 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक का है. मतलब होलिका दहन के 2 घंटे 27 मिनट का समय है. इसके साथ ही भद्रा काल का मुहूर्त 6 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 48 मिनट से शुरु होगा और 7 मार्च 2023 को सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इसके बाद ही होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त शुरू होगा. होलिका दहन के लिए पूजा के लिए सबसे प...

होलिका दहन 7 मार्च 2023 की तारीख व मुहूर्त ‣ Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

आइए जानते हैं कि 2023 में होलिका दहन कब है व होलिका दहन 2023 की तारीख व मुहूर्त। होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए – 1. पहला, उस दिन “भद्रा” न हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है। 2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए। होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है। होलिका दहन की पौराणिक कथा पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत — होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश ...