2023 पूर्णिमा तिथियां

  1. 2023 Purnima Dates
  2. Jyeshtha Purnima 2023:ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे कई शुभ योग, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
  3. Buddha Purnima 2023:बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा का महत्व और स्नान
  4. many auspicious yoga on jyestha purnima do these measures to please goddess lakshmi rjl
  5. जानिए श्रावण पूर्णिमा 2023 व्रत की तिथि, पूजा विधि और पावन कथा


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2023 Purnima Dates

By December 12, 2022 Know 2023 Purnima Dates 2023 Purnima Dates What is the meaning of Purnima? Purnima (Sanskrit: पूर्णिमा) is a sanskrit word which is known as Full Moon in English. It refers to the day(Tithi) when the Full Moon is 1st present. It occurs every month of the year. There are 13 Purnima in 2023. It marks the division in each month between the two lunar fortnights (paksha), The first one is known as Shukla Paksha (the bright two weeks before Purnima) and the secod one is known as Krishna Paksha (the dark two-week period after it) The Moon is aligned exactly in a straight line, called a syzygy, with the Sun and Earth. Purnima (Full moon) is considered the third of the four primary phases of the Moon; the other three phases are new moon, first quarter moon, and third quarter moon. The full moon shows 100% illumination, causes high tides, and can concur with lunar eclipses. Significance of Purnima(Full Moon). According to Puranas, Purnima(Full Moon) day is associated with birth, rebirth, creation, and manifestation. On this auspicious day, the moon completes its one cycle around the earth which symbolizes the end of a chapter in one’s life and the beginning of a new chapter. What happens on Purnima(Full Moon)? On Purnima (Full Moon), devotees mostly worship Purnima fasting starts at sunrise and ends with the sighting of the moon. Benefits of Fasting on Purnima It induces positive energy in the body and tranquilizes the mind and emotions. A number of studies reve...

Jyeshtha Purnima 2023:ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे कई शुभ योग, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Jyeshtha Purnima 2023 Date: हिंदू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। ये तिथियां पूजा-पाठ और जप-तप के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इस समय ज्येष्ठ माह चल रहा है और ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। इस तिथि को जेठ पूर्णिमा या जेठ पूर्णमासी भी कहा जाता है। ये दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके व्रत एवं दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है। इस बार की ज्येष्ठ पूर्णिमा बेहद खास मानी जा रही है। ऐसे में यदि इस कुछ आसान उपाय कर लिए जाएं तो मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। चलिए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे संयोग और उपाय के बारे में... ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 तिथि इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 3 जून, शनिवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 4 जून रविवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 3 जून से ज्येष्ठ पूर्णिमा लग रही है और 4 जून को सुबह खत्म हो रही है, इसलिए 3 जून को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा और अगले दिन 4 जून रविवार को स्नान- दान किया जाएगा।

Buddha Purnima 2023:बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा का महत्व और स्नान

Buddha Purnima 2023: बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा का महत्व और स्नान-दान का फल विस्तार Buddha Purnima 2023: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में वैशाख माह को श्री नारायण की भक्ति के लिए उत्तम मास माना गया है। इसके चलते हज़ारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान,दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है। इसी दिन भगवान बुद्ध की जयंती और निर्वाण दिवस भी बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म मानने वाले आते हैं। बोधि वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। तीन तिथियों का धार्मिक महत्व स्कन्द पुराण के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में उत्तम सिद्ध किया है। अतः यह मास भगवान विष्णु को अति प्रिय है। वैशाख के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियां 'पुष्करणी ' कही गयी हैं। इनमें स्नान,दान-पुण्य करने से पूरे माह स्नान का फल मिल जाता है। पूर्व काल में वैशाख मास की एकादशी तिथि को अमृत प्रकट हुआ, द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की,त्रयोदशी को श्री हरी ने देवताओं को सुधापान कराया तथा चतुर्दशी को देवविरोधी दैत्यों का संहार किया और वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया। अतः सभी देवताओं ने प्रसन्न होकर इन तीन तिथियों को वर दिया -'वैशाख मास की ये तीन शुभ तिथिया...

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Jyeshtha Purnima 2023: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर कई शुभ योग, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय हिंदू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है.ये तिथियां पूजा-पाठ और जप-तप के लिए महत्वपूर्ण होती हैं. इस समय ज्येष्ठ माह चल रहा है और ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है. Jyeshtha Purnima 2023: हिंदू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है.ये तिथियां पूजा-पाठ और जप-तप के लिए महत्वपूर्ण होती हैं. इस समय ज्येष्ठ माह चल रहा है और ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है. इस तिथि को जेठ पूर्णिमा या जेठ पूर्णमासी भी कहा जाता है. ये दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके व्रत एवं दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है. इस बार की ज्येष्ठ पूर्णिमा बेहद खास मानी जा रही है. ऐसे में यदि कुछ आसान उपाय कर लिए जाएं तो मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। चलिए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे संयोग और उपाय के बारे में .. इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 3 जून, शनिवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से हो रही है. ये तिथि अगले दिन 4 जून रविवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 3 जून से ज्येष्ठ पूर्णिमा लग रही है और 4 जून को सुबह खत्म हो रही है, इसलिए 3 जून को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा और अगले दिन 4 जून रविवार को स्नान- दान किया जाएगा.

जानिए श्रावण पूर्णिमा 2023 व्रत की तिथि, पूजा विधि और पावन कथा

हिंदू धर्म में श्रावण पूर्णिमा महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो श्रावण मास की पूर्णिमा कहीं जाती हैं। हिंदू धर्म के लोग इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखते हैं। इसके अलावा, यह पूर्णिमा ज्योतिष में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इस दिन लोग चंद्रमा की पूजा करते है, जो ज्योतिष के अनुसार जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्धि और सफलता के लिए महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता हैं। साथ ही श्रावण पूर्णिमा 2023 में 31 अगस्त यानि गुरुवार के दिन धूम-धाम से मनाई जाएगी। श्रावण पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त व तिथि श्रावण पूर्णिमा 2023 31 अगस्त 2023, गुरुवार तिथि प्रारम्भ 30 अगस्त 12ः28 तिथि समाप्त 31 अगस्त 08ः35 यह भी पढ़ें- श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत क्यों रखा जाता हैं? हिंदू धर्म के अनुसार यह दिन काफी पवित्र माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान होता हैं। साथ ही श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से जातक को कई लाभ भी प्राप्त होते हैं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करके विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता हैं, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं। श्रावण पूर्णिमा को व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और उनके जीवन में खुशहाली आती है। इस दिन व्रत रखने से जातक को बुद्धि, स्वस्थ शरीर और लंबी आयु मिलती है। इसके अलावा, श्रावण पूर्णिमा को राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भाई-बहन के रिश्ते में मजबूती आती हैं। यह भी पढ़ें: पूर्णिमा तिथि पर इस विधि करें भगवान ...