3 month baby ko sardi ka ilaj

  1. 6 से 7 महीने के बच्चों के लिए घरेलू उपचार
  2. शिशुओं और बच्चों के दस्त(डायरिया) का इलाज
  3. बच्चों को भूख न लगने के 7 कारण व बढ़ाने के नुस्खे


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6 से 7 महीने के बच्चों के लिए घरेलू उपचार

6 महीने तक के शिशुओं में सर्दी व जुकाम को ठीक करने के लिए घरेलू उपचार नवजात शिशुओं में सर्दी व जुकाम एक आम बीमारी होती है। कई बार यह बीमारी मां से बच्चे में पहुंचती है तो कई बार यह मौसमी बदलाव के कारण होता है। जुकाम ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो अधिकांशत नासिका को प्रभावित करता है। सर्दी व जुकाम को ठीक करने के लिए कुछ जरुरी सुझाव नीचे दिए जा रहे हैं: स्तनपान: शिशुओं में हर बीमारी का इलाज करने के लिए मां का दूध सबसे अच्छा उपचार माना गया है। ठंड और खांसी से परेशान रहने वाले बच्चों को मां का दूध पिलाने से सर्दी और खांसी से राहत मिलती है। मां का दूध हर समस्या का समाधान कर सकता है। ब्रेस्ट मिल्क: शिशु की नाक में कुछ बूंदे ब्रेस्ट मिल्क की डालने से बच्चों को लगने वाली ठंड तेजी से कम करने में मदद मिलती है। खारा पानी: खारा पानी या नमकीन पानी बच्चों में होने वाली सर्दी के इलाज के रामबाण उपाय है। इसे घर पर भी बना सकते हैं, लेकिन इसे बाजार से खरीदने की सलाह दी जाती है। इसमें नमक और पानी का उचित अनुपात होता है। ऐसे में इस पानी की दो बूंदे बच्चे की नाक में डालने से बंद नाक खुल जाती है और बच्चे की नाक की सफाई करने में भी मदद मिलती है। पंप के साथ नाक सक्शन: सकशन पंप शिशुओं के नाक की साफई के लिए उपयोग की जाती है। दरअसल तौलिया की मदद से बच्चे की नाक साफ करने से नवजात शिशु की नरम नाक पर रैश बन सकते हैं। जबकि सक्शन पंप का उपयोग बेहद सुरक्षित होता है। लहसुन और अजवाइन फ्यूम्स: लहसुन में मौजूद एंटी बैक्टीरिया गुण इसे बेहद शक्तिशाली दवा बनाते हैं। जबकि अजवाइन (कैरम बीजों), वायरस और बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करती है। सर्दी के मौसम अजवाइन, लौंग और 2-3 कली लहसुन को...

शिशुओं और बच्चों के दस्त(डायरिया) का इलाज

Image: Shutterstock बच्चे जल्द संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना है। सर्दी-जुकाम के साथ-साथ बच्चों में दस्त भी एक आम समस्या है। नवजात शिशुओं का मल पतला ही निकलता है, लेकिन दस्त के दौरान यह पानी की तरह निकले लगता है। बच्चों में अक्सर डायरिया की वजह वायरस और बैक्टीरिया होता है। वैसे दस्त ज्यादा दिनों तक नहीं रहता, लेकिन यह शरीर से बड़ी मात्रा में तरल निकाल देता है और शरीर को पूरी तरह कमजोर कर देता है मॉमजंक्शन के इस लेख में जानिए बच्चों में दस्त की समस्या, इसके कारण और इससे निजात पाने के विभिन्न तरीकों के बारे में। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि डायरिया होता क्या है? • • • • • • • • क्या है डायरिया? एक दिन में तीन या इससे अधिक बार पानी की तरह पतला मल आने की समस्या को दस्त कहा जाता है। यह आमतौर पर एक या दो दिन तक रहता है, लेकिन यह अधिक समय तक रह सकता है। अधिक समय तक चलने वाला दस्त (क्रानिक डायरिया) गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। क्रानिक डायरिया कम से कम चार सप्ताह तक रह सकता है और यह किसी क्रानिक बीमारी का लक्षण हो सकता है शिशुओं में दस्त के लक्षण | Baccho Me Dairiya Ke Lakshan आम डायरिया की तुलना में क्रानिक डायरिया ज्यादा घातक होते हैं और ये बच्चे में विभिन्न लक्षण पैदा कर सकते हैं • मल का पानी की तरह निकलना। • गंभीर स्थिति में मल के साथ खून भी निकल सकता है। • अनियंत्रित मल। • मतली या उल्टी। • पेट के नीचे दर्द या क्रैंप। • डिहाइड्रेशन। शिशुओं में दस्त के कारण शिशुओं में दस्त की मुख्य वजह वायरस और बैक्टीरिया होता है, लेकिन दस्त की अन्य वजह भी हो सकती हैं। नीचे जानिए शिशुओं में डायरिया के विभिन्न कारणों के बारे में : 1. पे...

बच्चों को भूख न लगने के 7 कारण व बढ़ाने के नुस्खे

शिशु की बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनके खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। वहीं, बच्चे स्वभाव से चंचल होते हैं, जिस कारण खाने-पीने में आनाकानी करते हैं। जब भी बच्चों को कुछ खिलाने की कोशिश की जाए, तो वो भूख न होने की बात कह कर खाने से बचते हैं। अगर शिशु पेट भर कर खाना नहीं खा रहा, तो इसके पीछे साधारण से लेकर कुछ गंभीर कारण हो सकते हैं। इन कारणों और इस समस्या से जुड़े उपाय के बारे में आप मॉमजंक्शन के इस लेख में पढ़ेंगे। साथ ही, इस लेख में हम बच्चों की भूख बढ़ाने के कुछ टिप्स भी बताएंगे। बच्चों को भूख न लगना का मतलब क्या है? भूख न लगने का मतलब होता है कि बच्चा का अपनी मर्जी से या किसी अन्य कारण से पर्याप्त मात्रा में भोजन ग्रहण नहीं कर रहा है। इन अन्य कारणों के बारे में आगे लेख में विस्तार से बताया गया है। बच्चे के ठीक तरह से भोजन न करने से उसमें पोषक तत्वों की कमी होती है और विकास दर धीमी होने लगती है दो से पांच साल तक के बच्चों को भूख न लगना या कम लगना आम समस्या है। इस उम्र के लगभग 25 से 35 प्रतिशत बच्चों को उनके माता-पिता पिकी ईटर्स (खाने में नखरे करने वाले) कहते हैं। ऐसे बच्चे खाना खाने से मना करने लगते हैं। फिर धीरे-धीरे बच्चे की खाने के प्रति रुचि कम होने लगती है और उसका कुछ भी खाने को मन नहीं करता आगे हम आपको यह बताने वाले हैं कि उम्र के अनुसार बच्चे की डाइट कितनी होनी चाहिए। बच्चों के लिए कितनी मात्रा में भोजन पर्याप्त है? लगभग छह महीने तक बच्चा सिर्फ मां के दूध का सेवन करता है। छह महीने के बाद बच्चे को ठोस आहार दिया जा सकता है। नीचे जानिए कि छह महीने से तीन साल तक के बच्चों के लिए कितना आहार पर्याप्त है, इसे हमने उम्र के अनुसार तीन भाग में बांटा है : 6 से 12 महीने के बच्चे 1...

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