52 शक्ति पीठ कहाँ कहाँ है

  1. 52 शक्तिपीठ कौन कौन सी है? – ElegantAnswer.com
  2. माता के 52 शक्ति पीठ
  3. करवीर शक्ति पीठ का इतिहास
  4. 52 शक्तिपीठ कौन कौन से हैं? – ElegantAnswer.com
  5. 52 Shaktipeeth Ke Bare Me Janiye
  6. Navratri 2022:देवी के 52 शक्तिपीठों की पूरी लिस्ट यहां, जानें कहां
  7. कात्यायनी शक्ति पीठ का इतिहास
  8. 51 shakti peeth
  9. Kamagiri Kamakhya Shaktipeeth
  10. Navratri 2022:देवी के 52 शक्तिपीठों की पूरी लिस्ट यहां, जानें कहां


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52 शक्तिपीठ कौन कौन सी है? – ElegantAnswer.com

52 शक्तिपीठ कौन कौन सी है? माता के 52 शक्ति पीठ • हिंगलाज हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, जहाँ माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। • शर्कररे (करवीर) • सुगंधा- सुनंदा • कश्मीर- महामाया • ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका) • जालंधर- त्रिपुरमालिनी • वैद्यनाथ- जयदुर्गा • नेपाल- महामाया भारत में कुल कितने शक्तिपीठ है? इसे सुनेंरोकेंपवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्‍थानों पर स्थापित हैं. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है तो देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है, वहीं तन्त्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं. उत्तर प्रदेश में शक्ति पीठ कहाँ कहाँ है? इसे सुनेंरोकेंप्रयागराज में तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति ‘ललिता’ के हैं। माना जाता है कि माता की अंगुलियां ‘अक्षयवट’, ‘मीरापुर’ और ‘अलोपी’ स्थानों पर गिरी थीं। अक्षयवट किले में ‘कल्याणी-ललिता देवी मंदिर’ के समीप ही ‘ललितेश्वर महादेव’ का भी मंदिर है। 51 सिद्ध पीठ कौन कौन से हैं? माता के 51 शक्तिपीठ, जानें दर्शन करने कहां-कहां जाना होगा • 1 . हिंगलाज शक्तिपीठ कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है हिंगलाज शक्तिपीठ। • 2 . शर्कररे (करवीर) • 3 . सु्गंधा-सुनंदा • 4 . कश्मीर-महामाया • 5 . ज्वालामुखी-सिद्धिदा • 6 . जालंधर-त्रिपुरमालिनी • 7 . वैद्यनाथ- जयदुर्गा • 8 . नेपाल- महामाया उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कौन सा शक्तिपीठ स्थित है? इसे सुनेंरोकेंये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। प्रयाग शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्राचीन नाम ‘प्रयाग’) में स्थि...

माता के 52 शक्ति पीठ

देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में छब्बीस, शिवचरित्र में इक्यावन, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है तंत्रचूड़ामणि की तालिका। 1. हिंगला ज हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, जहाँ माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति- कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है और भैरव को भीमलोचन कहते हैं। 2. शर्कररे (करवीर) पाकिस्तान में कराची के सुक्कर स्टेशन के निकट स्थित है शर्कररे शक्तिपीठ, जहाँ माता की आँख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी और भैरव को क्रोधिश कहते हैं। 3. सुगंधा- सुनंद ा बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है माँ सुगंध, जहाँ माता की नासिका गिरी थी। इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव को त्र्यंबक कहते हैं। 4. कश्मीर- महामाय ा भारत के कश्मीर में पहलगाँव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं। 5. ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका) भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी, उसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) और भैरव को उन्मत्त कहते हैं। 6. जालंधर- त्रिपुरमालिन ी पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के निकट देवी तलाब जहाँ माता का बायाँ वक्ष (स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी और भैरव को भीषण कहते हैं। 7. वैद्यनाथ- जयदुर्ग ा झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहाँ माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं। 8. नेपाल- महामाय ा नेपाल में पशुप...

करवीर शक्ति पीठ का इतिहास

करवीर शक्ति पीठ का इतिहास जानकारी और रोचक तथ्य | Karveer Shakti Peetha History, information and interesting facts in Hindi, स्थान, महत्त्व भारतीय उपमहाद्वीप में माँ शक्ति के 51 शक्ति पीठों का वर्णन पुराणों और पौराणिक कथाओं में मिलता है| जब भगवान् शंकर, अपनी पत्नी सती के मृत शरीर को लेकर आकाश मार्ग में भटक रहे थे| तब भगवान् विष्णु ने माता सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए| इन्होने ऐसा केवल शंकर को माँ सती के स्मरण से निकालने के लिए किया| जहाँ जहाँ माता सती के आभूषण और शरीर के अंग गिरे, वहां एक अध्यात्मिक उर्जा श्रोत का निर्माण हुआ| यह क्षेत्र माता शक्ति के शक्ति पीठों के नाम से जाने जाते हैं| ऐसी ही एक जगह है, जहाँ माता सती का त्रिनेत्र गिरा था| यह क्षेत्र करवीर शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है| करवीर शक्ति पीठ का इतिहास क्रमांक Particular Detail 1. नाम करवीर शक्ति पीठ 2. अन्य नाम महालक्ष्मी मंदिर 3. स्थान महाद्वार रोड, बी वार्ड,कोल्हापुर, महाराष्ट्र 4. समय 6:00 am तो 12 am 4:30 am से 10:00 am 5. आरती का समय सुबह – 7 am, 6:30 pm (धुप आरती ) 7:30 pm, 10 pm (सैया आरती) 6. विशेष उत्सव विजयदशमी, दुर्गा पूजा नवरात्रि 7. नजदीक रेलवे स्टेशन सी.एस.एम्.टी टर्मिनल कोल्हापुर 8. नजदीक हवाई अड्डा कोल्हापुर एअरपोर्ट करवीर शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है यह शक्ति पीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर क्षेत्र में स्तिथ है| कोल्हापुर में महाद्वार रोड, बी वार्ड में यह मंदिर आपको देखने को मिल जाएगा| पाँच नदियों के संगम-पंचगंगा नदी तट पर स्थित कोल्हापुर प्राचीन मंदिरों की नगरी है। किस देवी को समर्पित है करवीर शक्ति पीठ पुरातन समय में कोल्हापुर स्थान ही करवीर के नाम से जाना जाता है| यहाँ विराजमान देवी स्वयंम लक्ष्म...

52 शक्तिपीठ कौन कौन से हैं? – ElegantAnswer.com

52 शक्तिपीठ कौन कौन से हैं? माता के 52 शक्ति पीठ • हिंगलाज हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, जहाँ माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। • शर्कररे (करवीर) • सुगंधा- सुनंदा • कश्मीर- महामाया • ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका) • जालंधर- त्रिपुरमालिनी • वैद्यनाथ- जयदुर्गा • नेपाल- महामाया माता के कितने शक्तिपीठ है? माता के 51 शक्तिपीठ, जानें दर्शन करने कहां-कहां जाना होगा • 1 . हिंगलाज शक्तिपीठ कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है हिंगलाज शक्तिपीठ। • 2 . शर्कररे (करवीर) • 3 . सु्गंधा-सुनंदा • 4 . कश्मीर-महामाया • 5 . ज्वालामुखी-सिद्धिदा • 6 . जालंधर-त्रिपुरमालिनी • 7 . वैद्यनाथ- जयदुर्गा • 8 . नेपाल- महामाया सिद्ध पीठ क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंविष्णु के चक्र से सती के शरीर के छिद्रण के दौरान जिन जिन स्थलों पर सती के शरीर के अंग गिरे वहां वहां देवी तीर्थों की स्थापना हुई। भगवन शिव ने स्वयं इन स्थलों में शक्ति की साधना की और भैरवों की स्थापना की। वहीं यह स्थल सिद्धि शक्ति पीठ कहलाए। पाकिस्तान में कितने शक्तिपीठ है? इसे सुनेंरोकेंदेवी पुराण (Devi-Bhagavata Purana) में जिन 51 शक्तिपीठों का जिक्र है, उनमें से 9 सती मंदिर विदेशों में हैं. एक शक्तिपीठ पाकिस्तान में है, जबकि देवी के बाकी 8 शक्तिपीठ बांग्लादेश, श्रीलंका और तिब्बत (Shakti peeth in Pakistan, Nepal, Bangladesh, Sri Lanka and Tibet ) में हैं. सती के अंग कहाँ कहाँ गिरे थे? इसे सुनेंरोकेंहिन्दू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गईं। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। जयंती देवी शक्ति पीठ भारत के मेघालय र...

52 Shaktipeeth Ke Bare Me Janiye

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Navratri 2022:देवी के 52 शक्तिपीठों की पूरी लिस्ट यहां, जानें कहां

देवी के प्रसिद्ध और पावन मंदिरों में 52 शक्तिपीठ शामिल हैं। वैसे तो 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं लेकिन तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। इन शक्तिपीठ के अस्तित्व में आने के पीछे एक खास वजह है। पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव की पहली पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था। इस पर एक बार राजा दक्ष में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भोलेनाथ ने उन्हें वहां जाने से मना किया था। राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया। पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके। वह माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे। ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। माता के शरीर के अंग और आभूषण 52 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए। माता सती के इन्हीं शक्तिपीठ के दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये जान लीजिए कि देवी के 52 शक्तिपीठ कहां कहां स्थित हैं और सभी शक्तिपीठ के क्या नाम हैं। माता के शक्तिपीठ • मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश - यहां माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी। यहां माता के विशालाक्षी और मणिकर्णी स्वरूप की पूजा होती है। • माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज - इलाहाबाद स्थित इस जगह पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। यहां माता ललिता के नाम से जानी जाती हैं। • रामगिरी, चि...

कात्यायनी शक्ति पीठ का इतिहास

कात्यायनी शक्ति पीठ का इतिहास सम्पूर्ण जानकरी और महत्वपूर्ण तथ्य | Katyayani Shakti Peetha History information, interesting facts in Hindi माँ शक्ति के 52 शक्ति पीठों में से दूसरा शक्ति पीठ, कात्यायनी शक्ति पीठ है| आइये संक्षित्प में जान लेते हैं कात्यायनी शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है, इसका इतिहास और महत्त्व क्या है| कात्यायनी शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है यह शक्ति पीठ वृन्दावन मथुरा में स्तिथ है| वृन्दावन रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर दूर भूतेश्वर महादेव मंदिर में कात्यायनी माता की प्रतिमा विराजमान है| जिस क्षेत्र में यह मंदिर बना हुआ है, वह राधा बाग़ के नाम से जाना जाता है| राधा बाग़ में कात्यायनी माता मंदिर के साथ साथ गुरु मंदिर, शंकराचार्य मंदिर, शिव मंदिर तथा सरस्वती मंदिर आते हैं| इस जगह गिरे थे माँ सती के केश माना जाता है इसी जगह माता सती के बाल (केश) गिरे थे| कहा जाता है यहाँ स्वयं पार्वती कात्यायनी के स्वरुप में विराजमान हैं| कब बना था कात्यायनी शक्ति पीठ इस मंदिर का निर्माण 1923 में योगिराज स्वामी केशवानंद ब्रह्मचारी ने करवाया था| यहाँ विराजमान माँ शक्ति की प्रतिमा उमा स्वरुप में हैं और भगवान् शिव भूतेश रूप में| यहाँ माँ पार्वती के हाथ में एक तलवार है जिसे उचवल चंद्रहास के नाम से जाना जाता है| इस मंदिर का क्या है महत्त्व माना जाता है, माँ कात्यायनी की यदि कुंवारे लड़के और लड़कियां यदि पूजा करें तो मन चाह जीवन साथी अवश्य मिलता है| कात्यायनी को भगवान् विष्णु के द्वारा रचित योगमाया का स्वरुप भी माना जाता है| इन्ही योगमाया ने नन्द और यशोदा के यहाँ जन्म लिया| माँ कात्यायनी शक्ति पीठ भवन का स्वरुप यह मंदिर बहुत भव्य है| मंदिर का बाहरी हिस्सा सफ़ेद मार्बल से बना हुआ है और पूरा मंदिर बड़े ब...

51 shakti peeth

• • • • • • • • • 51 shakti peeth with body parts in hindi 51 shakti peeth in hindi – इस आर्टिकल में हम आपको देवी माँ के 51 शक्ति पीठ के बारे में बताने वाले है. हिन्दू मान्यताओ के अनुसार, देवी माँ के ये 51 शक्ति पीठ देवी माँ सती के शरीर के भागों के प्रतीक है. ये भाग जहाँ जहाँ गिरे उन्हें शक्ति पीठ कहा गया. मानव जीवन काल में एक बार इन जगहों के दर्शन करना शुभ माना जाता है. भारत में शक्ति पीठ (shakti peethas in india) कितने है? अधिकांश देवी माँ सती के शक्ति पीठ भारत में स्थित है. भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, तिब्बत, बांग्लादेश और भूटान में शक्ति पीठ स्थित है. सात शक्ति पीठ बांग्लादेश में, तीन शक्ति पीठ पाकिस्तान, तीन शक्ति पीठ नेपाल और एक एक शक्ति पीठ श्री लंका और तिब्बत में स्थित है. हिन्दू धर्म में देवीय शक्ति को पुरे ब्रमांड में सबसे शक्तिमान माना जाता है. हिन्दू धर्म में सर्वाधिक त्योहार प्रचलित है. अधिकांश तीज त्योहार पर देवीय शक्ति की पूजा की जाती है. जैसे दुर्गा पूजा, काली पूजा, नवरात्र आदि. तो चलिए जानते है कि, माता सती के 51 शक्ति पीठ के पीछे की कहानी क्या है. क्यों इन्हें हिन्दू धर्म में इतना महत्व दिया जाता है. 51 शक्ति पीठ कैसे अस्तित्व में आए. माता सती के 51 शक्ति पीठ के पीछे की मान्यता पौराणिक मान्यताओ के अनुसार, ब्रह्मा के एक था. जिसका नाम पुत्र प्रजापति राजा दक्ष था. राजा दक्ष के एक पुत्री थी. जिसका नाम सती मिलता है. वह भगवान शिव के शोर्य के बारे किवदंतीया सुनकर बड़ी हुई थी. अब वह विवाह करने योग्य हो गई थी. भगवान शिव को अपना पति परमेश्वर बनाने की उसकी इच्छा थी. सती ने राज पाट महलो को त्याग कर जंगल में तपश्या करने लगी. माता सती ने शिवजी को पाने के ल...

Kamagiri Kamakhya Shaktipeeth

देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार कामाख्यादेवी शक्तिपीठ के बारे में जानकारी। कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। कामाख्‍या देवी की सवारी सर्प है। 51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या देवी शक्तिपीठ असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। कामाख्या से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। यह देवी माता सती का ही एक रूप है। How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद श्रावण माह आता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे माह की व्रत रखते हैं परंतु इस माह में सोमवार के दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है। आओ जानते हैं कि श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ, कितने सोमवार रहेंगे इस माह में? Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। कि...

Navratri 2022:देवी के 52 शक्तिपीठों की पूरी लिस्ट यहां, जानें कहां

देवी के प्रसिद्ध और पावन मंदिरों में 52 शक्तिपीठ शामिल हैं। वैसे तो 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं लेकिन तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। इन शक्तिपीठ के अस्तित्व में आने के पीछे एक खास वजह है। पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव की पहली पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था। इस पर एक बार राजा दक्ष में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भोलेनाथ ने उन्हें वहां जाने से मना किया था। राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया। पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके। वह माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे। ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। माता के शरीर के अंग और आभूषण 52 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए। माता सती के इन्हीं शक्तिपीठ के दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये जान लीजिए कि देवी के 52 शक्तिपीठ कहां कहां स्थित हैं और सभी शक्तिपीठ के क्या नाम हैं। माता के शक्तिपीठ • मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश - यहां माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी। यहां माता के विशालाक्षी और मणिकर्णी स्वरूप की पूजा होती है। • माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज - इलाहाबाद स्थित इस जगह पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। यहां माता ललिता के नाम से जानी जाती हैं। • रामगिरी, चि...