ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्वशर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः

  1. दशाक्षररुद्र मन्त्र विधानम् – Vadicjagat
  2. Bagalamukhi Peetambara: अघोर मंत्र, अघोर तंत्र और अघोरी (ओघड)


Download: ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्वशर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः
Size: 39.68 MB

दशाक्षररुद्र मन्त्र विधानम् – Vadicjagat

॥ अथ दशाक्षररुद्र मन्त्र विधानम् ॥ रुद्रयाग व विशिष्ट साधना में विविध ऋचाओं से न्यास किये जाते है । मन्त्र – ॐ नमो भगवते रुद्राय। विनियोगः – ॐ अस्य श्री रुद्रमन्त्रस्य बोधायन ऋषिः, पंक्ति छन्दः, रुद्रो देवता ममाभिष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ऋषिन्यासः- ॐ बोधायनर्षये नमः शिरसि, पंक्ति छन्दसे नमः मुखे, रुद्र देवतायै नमः हृदि, विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे । ॥ न्यासः ॥ ॐ या ते रुद्र शिवा तनूरघोरापापकाशिनी । तयानस्तन्वा शंतमया गिरिशंताभिचाकशीहि ॥ इति शिखायां ॥ १ ॥ ॐ अस्मिन्महत्यर्णवेऽतरिक्षे भवा अधि । तेषा ᳬ सहस्रयोजने०। इति शिरसि ॥ २ ॥ सहस्राणि सहस्रशोबाह्वोस्तव हेतयः । तासामीशानो भगवः पराचीना मुखाकृधि ॥ इति ललाटे ॥ ३ ॥ ॐ ह ᳬ सः शुचिषद्वसुरंतरिक्षसद्धोता वेदिषदतिथि-र्दुरोणसत् । नृषद्वरसदृतसद्वयोम सदब्जा गोजा ऋतजा अद्रिजा ऋतं बृहत् ॥ इतिभ्रुवोर्मध्ये ॥ ४ ॥ ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ नेत्रयो: ॥ ५ ॥ नमः स्रुत्याय च पथ्याय च नमः काट्याय च नीप्याय च नमः कुल्याय च नमो नादेयाय च वैशंताय च ॥ कर्णयोः ॥ ६ ॥ मानस्तोके तनये मानऽआयुषिमानो गोषुमानो अश्वेषुरीरिषः । मानोवीरान् रुद्रभामिनो वधीर्हविष्मंतः सदमित्वा हवामहे ॥ नासिकयोः ॥ ७ ॥ ॐ अवतत्य धनुष्ट्व ᳬ सहस्राक्षशतेषुधे । निशीर्यशल्यानांमुखोशिवो नः सुमनाभव ॥ इतिमुखे ॥ ८ ॥ नीलग्रीवाः शितिकण्ठाः शर्वा अधः क्षमाचराः । तेषा ᳬ सहस्त्र योजने० ॥ इतिकण्ठे ॥ ९ ॥ ॐ नीलग्रीवाः शितिकण्ठा दिव ᳬ रुद्रा उपश्रिता तेषांᳬसहस्र ॥ इत्युपकण्ठे ॥ १० ॥ नमस्ते आयुधायानातताय धृष्णवे । उभाभ्यामुतते नमो बाहुभ्यां तवधन्वने ॥ इतिस्कंधे ॥ ११ ॥ यातेहेतिर्मीढुष्टम हस्ते बभूवते धनुः । तया ऽस्मान्विश्वतस्त्वमयक्ष...

Bagalamukhi Peetambara: अघोर मंत्र, अघोर तंत्र और अघोरी (ओघड)

शैव संप्रदाय में साधना की एक रहस्यमयी शाखा है *अघोरपंथ.* अघोरी की कल्पना की जाए तो... श्मशान में तंत्र क्रिया करने वाले किसी ऐसे साधु की तस्वीर मन में उभरती है, - जिसकी वेशभूषा डरावनी होती है. अघोरियों के वेश में कोई ढोंगी आपको ठग सकता है, लेकिन अघोरियों की सच्ची #पहचान यही है, कि वे किसी से कुछ मांगते नहीं है और बड़ी बात यह कि तब ही वे दिखाई देते हैं जबकि वे पहले से नियुक्त #श्मशान जा रहे हो या वहां से निकल रहे हों. दूसरा वे #कुंभ_मेले में नजर आते हैं. अघोर पंथ, अघोर मत या अघोरियों का संप्रदाय, हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है. इसका पालन करने वालों को‘अघोरी’ कहते हैं. इसके प्रवर्त्तक स्वयं अघोरनाथ शिव माने जाते हैं. रुद्र की मूर्ति को श्वेताश्वतरोपनिषद (३-५) में अघोरा वा मंगलमयी कहा गया है और उनका अघोर मंत्र भी प्रसिद्ध है. #विदेशों में भी , विशेषकर #ईरान में, भी ऐसे पुराने मतों का पता चलता है तथा पश्चिम के कुछ विद्वानों ने उनकी चर्चा भी की है. हिंदू धर्म का एक #रहस्यमयी_संप्रदाय है. इस संप्रदाय को मानने वालों को अघोरी कहते हैं. अघोर पंथ की उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित प्रमाण तो नहीं मिलता है, लेकिन इन्हें #कपालिक संप्रदाय के समकक्ष ही माना जाता है. कपालिक संप्रदाय को मानने वाले भी अघोरियों की तरह शैव संप्रदाय के अनुयायी होते हैं. ये लोग मानव खोपड़ियों को भोजन के पात्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिस कारण इन्हें कपालिक कहा जाता है. अघोरी को कुछ लोग #ओघड़ भी कहते हैं. अघोरियों को डरावना या खतरनाक साधु समझा जाता है लेकिन अघोर का अर्थ है "अ+घोर" यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो..., जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो. कहते हैं कि सरल बनना बड़ा ही कठिन होता है. सरल बनने...