ऋषिकेश में कितनी मस्जिद है

  1. ॠषिकेश
  2. ऋषिकेश में गंगा तट पर सपनों का आशियाना बनाना महंगा, जानें जमीन और फ्लैट्स के रेट
  3. दिल्ली से ऋषिकेश कितने घंटे का रास्ता है? – ElegantAnswer.com
  4. ऋषिकेश: इस शहर में बार
  5. Uttarakhand News: 12 महीने भरा रहता है ऋषिकेश का यह चमत्कारी कुंड, जानिए मान्यता
  6. ऋषिकेश में उत्तराखंड का भगवान गरुड़ का एकमात्र मंदिर, यहां मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति!


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ॠषिकेश

यह अनुभाग खाली है, अर्थात पर्याप्त रूप से विस्तृत नहीं है या अधूरा है। ऋषिकेश महान 'Kedarkhand' (वर्तमान में गढ़वाल) किंवदंतियों राज्य है कि भगवान राम तपस्या रावण, दानव लंका के राजा को मारने के लिए यहाँ का एक हिस्सा दिया गया है और अपने छोटे भाई लक्ष्मण, गंगा नदी को पार कर गयाएक बिंदु पर, जहाँ मौजूद 'लक्ष्मण Jhula' (लक्ष्मण झूला) पुल आज खड़ा है, एक जूट रस्सी पुल का उपयोग करते हुए. केदारखंड स्कंदपुराण के, भी इस बिंदु पर Indrakund के अस्तित्व का उल्लेख है. जूट की रस्सी पुल लोहे रस्सी झूला पुल से 1889 में बदल दिया गया था और के बाद यह 1924 बाढ़ में दूर धोया गया था, यह एक मजबूत वर्तमान पुल के द्वारा बदल दिया गया था। पवित्र गंगा नदी ऋषिकेश के माध्यम से बहती है. यहाँ यह है कि नदी हिमालय में शिवालिक पहाड़ों पत्तियों और उत्तरी भारत के मैदानों में बहती है. कई मंदिरों, नए रूप में अच्छी तरह से प्राचीन, ऋषिकेश में गंगा के किनारे पाया जा सकता है परिवहन [ ]

ऋषिकेश में गंगा तट पर सपनों का आशियाना बनाना महंगा, जानें जमीन और फ्लैट्स के रेट

ऋषिकेश. कलकल बहती गंगा (Ganga), सामने मणिपुर पर्वत और आसमान को चूमती नरेंद्र नगर की पहाड़ियों की तलहटी में बसा ऋषिकेश (Rishikesh) यूं तो ऋषि मुनियों की धरती के रूप में अपनी पहचान रखता है, लेकिन यहां के एडवेंचर स्पोर्ट्स और भारतीय योग ने पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया है. यही कारण है कि तीर्थ नगरी अब पर्यटन नगरी में तब्दील हो गई है. इसी वजह से देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक ऋषिकेश का रुख करने लगे हैं और इसका सीधा असर यहां की प्रॉपर्टी पर (Property) भी पड़ा है. करीब 10 किलोमीटर के दायरे में फैला ऋषिकेश धीरे-धीरे गांव को भी अपनी जद में लेने लगा है. एक लाख की आबादी वाला ऋषिकेश धीरे-धीरे नगर निगम बन गया है. यही नहीं, पहाड़ों से पलायन का असर सीधा ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्र में पड़ा है. साथ ही योग और आश्रम के लिए बड़ी संख्या में देशभर के संत ऋषिकेश में भूमि तलाशने लगे हैं. सुकून भरी जिंदगी और एजुकेशन हेल्थ और ट्रांसपोर्टेशन की सारी सुविधाएं ऋषिकेश में उपलब्ध हैं, जिसके चलते यहां पर अब मिडिल क्लास के लिए रहना संभव नहीं रहा है. ऋषिकेश में जमीन की कीमत आसमान छू रही है गौरतलब है कि उत्तराखंड में ऋषिकेश की भूमि रिकॉर्ड तोड़ कीमतों में बिक रही है. ऋषिकेश में प्रॉपर्टी के जानकार अनिल कुकरेती का कहना है कि जो जमीन 10 साल पहले चंद लाखों रुपये में मिल जाती थी, आज वह मेन ऋषिकेश शहर में एक लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपये प्रति गज के हिसाब से बिक रही है. यही नहीं, जहां इंटीरियर एरिया है वहां भी कीमत आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही हैं, जिसके पीछे ऋषिकेश में तेजी से महानगरों से आ रहे ग्राहक हैं, जो गंगा तट पर रहना चाहते हैं. जबकि स्वर्ग आश्रम, तपोवन और कौड़ियाला ऐसे एरिया है जहां जमीन ...

दिल्ली से ऋषिकेश कितने घंटे का रास्ता है? – ElegantAnswer.com

दिल्ली से ऋषिकेश कितने घंटे का रास्ता है? इसे सुनेंरोकेंनई दिल्ली से ऋषिकेश की दूरी 235 किमी है। रास्ता बहुत ही स्मूद है। दूसरे रूट से जाने पर तकरीबन 7 घंटे का समय लगता है। ऋषिकेश कौन से डिस्ट्रिक्ट में है? इसे सुनेंरोकेंऋषिकेश (संस्कृत : हृषीकेश) उत्तराखण्ड के देहरादून जिले का एक नगर, हिन्दू तीर्थस्थल, नगरनिगम तथा तहसील है। यह गढ़वाल हिमालय का प्रवेश्द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश, हरिद्वार से 25 किमी उत्तर में तथा देहरादून से 43 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। ऋषिकेश शहर को क्या कहा जाता है? इसे सुनेंरोकेंऋषिकेश को “सागों की जगह” के नाम से भी जाना जाता है, चंद्रबाथा और गंगा के संगम पर हरिद्वार से 24 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित एक आध्यात्मिक शहर है। यह माना जाता है कि “ऋषिकेश” के नाम से भगवान रावीय ऋषि द्वारा कठिन तंगों के उत्तर के रूप में प्रकट हुए थे और अब से इस जगह का नाम व्युत्पन्न हुआ है। ऋषिकेश का पुराना नाम क्या था? इसे सुनेंरोकेंकहा जाता है कि 9 वीं शताब्दी में, आदि शंकराचार्य ने इस भूमि का दौरा किया था। प्राचीन काल से, इस स्थान को आकाशीय निवास के रूप में जाना जाता है। ऋषिकेश पौराणिक केदारखंड (वर्तमान गढ़वाल) का एक हिस्सा रहा है। किंवदंती है कि भगवान राम ने लंका के राजा, असुर (दानव) रावण को मारने के लिए यहां तपस्या की थी। ऋषिकेश का सबसे बड़ा हॉस्पिटल कौन सा है? अस्पताल • एम्स ऋषिकेश, देहरादून वीरभद्र रोड शिवाजी नगर, बैराज के पास, स्तुरिदा कॉलोनी, ऋषिकेश • कोरोनेशन हॉस्पिटल, देहरादून डालनवाला, देहरादून, उत्तराखंड • दून चिकित्सालय, देहरादून न्यू रोड, रेस कोर्स ,देहरादून,उत्तराखंड • फोर्टिस अस्पताल, देहरादून • मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून • श्र...

ऋषिकेश: इस शहर में बार

यात्रा में कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहाँ कितनी ही बार जाओ अच्छा लगता है। वहाँ की गलियां, दुकानें और जगहें सब कुछ आपको पता होता है लेकिन फिर भी वहाँ जाकर अच्छा लगता है। ऋषिकेश मेरे लिए ऐसी ही एक जगह है। मैं ऋषिकेश इतनी बार जा चुका हूं कि कितनी बार गया हूं, ये मुझे खुद पता नहीं है। मैं 3 साल से उत्तराखंड नहीं गया था जिसका मुझे बुरा लगता है। कोरोना और फिर दूसरी वजहों से ऋषिकेश जाना हो ही नहीं पा रहा था। आखिरकार उत्तराखंड जाना तय हो गया और सबसे पहले पहुँचना था, ऋषिकेश। ऋषिकेश के ये 7 कैफे सिर्फ खाने के लिए ही नहीं आपके इंस्टाग्राम के लिए भी बेस्ट हैं ऐसे ही एक ही दिन मैं अपने एक दोस्त के साथ रात 9 बजे प्रयागराज जंक्शन से दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठ गया। खाना ट्रेन में चढ़ने से पहले ही खा लिया था इसलिए अब ट्रेन में अपनी सीट पकड़कर नींद की आगोश में जाना था। काफी देर तक मोबाइल चलाने के बाद नींद आ ही गई। सुबह जब नींद खुली तो ट्रेन फरीदाबाद पार कर चुकी थी। कुछ देर बाद हम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर थे। दिल्ली दिल्ली में हल्की-हल्की बारिश हो रही थी। हमें यहाँ से आईएसबीटी जाना था। मेट्रो स्टेशन के बाहर इतनी लंबी लाइन थी कि दिमाग ही चकरा गया। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर आईएसबीटी जाने वाले ई-रिक्शा पर बैठ गये। सुबह-सुबह दिल्ली में उतनी भीड़ नहीं होती। खाली सड़कों से गुजरते हुए कुछ देर में हम आईएसबीटी पहुँच गये। कुछ देर में हम ऋषिकेश जाने वाली रोडवेज बस में बैठे थे। मैं दिल्ली से उत्तराखंड ज्यादातर बस से ही गया हूं। कुछ देर बाद बस चल पड़ी। काफी देर तक हम दिल्ली में ही रहे और फिर उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गये। दिल्ली से पास होने की वजह से गाजियाबाद से लेकर कुछ शहर दिल्ली जैसे ही दिखाई दे...

Uttarakhand News: 12 महीने भरा रहता है ऋषिकेश का यह चमत्कारी कुंड, जानिए मान्यता

ऋषिकेश. उत्तराखंड के ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट के संगम पर बना ऋषि कुंड अद्भुत है. यह कुंड यमुना के जल से भरा हुआ है. इस दिव्य कुंड का जल न ही बढ़ता है और न घटता है. मान्यता है कि ऋषि कुंज की तपस्या से प्रसन्न होकर यमुना ने जल से इस कुंड को भर दिया था. तभी से यह कुंड समान स्तर पर बना हुआ है. यहां देश-विदेश से लोग इस चमत्कारी कुंड के दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर के प्रबंधक राहुल शर्मा ने बताया कि ऋषि कुंज की माता को दूर से जल भरकर लाना पड़ता था. यह देख ऋषि कुंज ने इस कुंड के पास बैठकर यमुना की तपस्या की. जिसके बाद यमुना ऋषि कुंज की तपस्या से प्रसन्न होकर इस कुंड में प्रकट हुईं और यह कुंड जल से भर दिया. इस दिव्य कुंड का जल न तो बढ़ता है और न ही घटता है. इसके साथ ही इसका जल कभी भी मटमैला यानि गंदा नहीं होता है. इसका एक ही रंग बना रहता है. कितनी भी बारिश-तूफान आए लेकिन इसका जलस्तर एक समान रहता है. भगवान राम ने ऋषि कुंड के पास किया था तप ऋषि कुंड के जल के भीतर मछलियां, कछुए और केकड़े रहते हैं, जिन्हें आटा खिलाना या पकड़ना प्रतिबंधित है. लेकिन इस कुंड में मिठाई डाल सकते हैं. इसके साथ कुंड के पास रघुनाथ भगवान का मंदिर भी स्थापित है. मान्यता है कि रावण के वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप के प्रायश्चित के लिए भगवान राम ने कुछ समय तक इस कुंड के पास तप किया था. इसके बाद वह तपस्या करने देवप्रयाग चले गए थे. यहां भी राम भक्त दूर-दूर से आकर रघुनाथ भगवान के दर्शन करते हैं. ऋषिकेश में कहां पर है चमत्कारी कुंड? सनातन काल से ही ऋषिकेश ऋषि-मुनियों की भूमि रही है. यही वजह है कि यहां अनेक पौराणिक स्थलों के दर्शन होते हैं. इन्हीं में से एक स्थान ऋषि कुंड भी इसमें शामिल है. यह चमत्कारी कुंड ऋषिकेश में त्रिवे...

ऋषिकेश में उत्तराखंड का भगवान गरुड़ का एकमात्र मंदिर, यहां मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति!

ऋषिकेश. उत्तराखंड के ऋषिकेश से लगभग दस किलोमीटर दूर और नीलकंठ महादेव मंदिर से लगभग 18 किलोमीटर पहले पौड़ी जिले में प्राचीन गरुड़ मंदिर है. इस स्थान को गरुड़ चट्टी भी कहा जाता है. भगवान गरुड़ के मंदिर में आने से व्यक्ति की कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष खत्म हो जाता है. मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक स्रोत के कुंड हैं, जिसमें तैरती रंग-बिरंगी मछलियां मंदिर की खूबसूरती को बढ़ाती हैं. उत्तराखंड में गरुड़ देव का यह एकमात्र मंदिर है. यहां उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. पुराणों के अनुसार, ऋषि कश्यप की दो पत्नी थीं, जिनका नाम विनीता और कदरू था. विनीता और कदरू आपस में बहनें थीं. विनीता के पुत्र गरुड़ और कदरू के पुत्र सर्प थे. एक दिन दोनों बहनों ने नदी के पार एक घोड़े को देखकर आपस में शर्त लगाई. विनीता के अनुसार उस घोड़े की पूंछ सफेद और कदरू के अनुसार काली थी. कदरू ने अपनी बहन विनीता से कहा कि अगर मैं जीत गई, तो तुम्हें मेरी दासी बनना पड़ेगा. सर्पों ने यह बात सुनी और घोड़े की पूंछ से लिपट गए, जिससे उसकी पूंछ काली दिखने लगी. गरुड़ की माता को दासता स्वीकार करनी पड़ी. यह देख गरुड़ ने अपनी माता को दासता से मुक्त करवाने के लिए कदरू के समक्ष प्रस्ताव रखा. जिसके बाद उसने शर्त रखी कि अगर गरुड़ स्वर्गलोक से अमृत कलश लाकर उसे देगा, तो उनकी माता को दासता से मुक्त कर दिया जाएगा. गरुड़ भगवान इंद्र के पास पहुंचे और उनसे विनती कर अमृत कलश धरतीलोक पर लाकर कदरू को दे दिया. यह देख भगवान विष्णु के प्रिय भक्त नारद ने एक माया रची और सर्पों के द्वारा एक यज्ञ करने की बात कही. नारद मुनि ने सर्पों से कहा कि यह यज्ञ करने से पहले नदी में स्नान करना जरूरी है. यह सुनकर सर्प अमृत कलश वहीं रख...