ऋषिकेश मुखर्जी

  1. Dharmendra got angry with Hrishikesh Mukherjee after he was not cast in Rajesh Khanna superhit film Anand
  2. गुड्डी (1971 फ़िल्म)
  3. Hrishikesh Mukherjee important Bollywood Hindi movies : Outlook Hindi
  4. Asrani का सालों बाद संघर्ष के दिनों का दर्द आया सामने, फिल्मों काम नहीं मिला तो कर दी थी पूर्व प्रधानमंत्री Indira Gandhi से शिकायत
  5. अभिमान (1973 फ़िल्म)
  6. ऋषिकेश मुखर्जी
  7. मनोरंजनाचे घेतले व्रत
  8. Hrishikesh Mukharjee Films Starring A K Hangal Abhimaan Guddi Bawarchee । Bollywood Legends: इस एक्टर दो फिल्मों में पहना वही कुर्ता तो तीसरी में मांगा नया, फिर मिला ऐसा जवाब...
  9. शशि कपूर ने छोड़ दी हाथ आई बड़ी फिल्म, 'काका' की खुल गई लॉटरी, गाने, डायलॉग, सीन सब बन गए ब्लॉकबस्टर


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Dharmendra got angry with Hrishikesh Mukherjee after he was not cast in Rajesh Khanna superhit film Anand

राजेश खन्ना की इस सुपरहिट फिल्म में काम करना चाहते थे धर्मेंद्र, कास्ट न किए जाने पर डायरेक्टर पर भड़क उठे थे एक्टर Dharmendra: बॉलीवुड के ही मैन कहे जाने वाले धर्मेंद्र अपने जमाने में काफी शरारती और गुस्सेल हुआ करते थे. बॉलीवुड गलियारों में उनके कई ऐसे किस्से हैं, जिनसे लोग आज भी अंजान है. ऐसा ही एक किस्सा फिल्म 'आनंद' से जुड़ा है. नई दिल्ली: Dharmendra: साल 1971 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'आनंद' रिलीज हुई थी. इस फिल्म में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में नजर आए थे. दोनों ही अभिनेताओं ने फिल्म में यादगार अभिनय किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म में धर्मेंद्र काम करना चाहते थे, लेकिन किसी कारण ऐसा हो न सका. जिसके बाद एक्टर काफी नाराज हो गए थे. धर्मेंद्र ने आनंद फिल्म के निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी के साथ कई फिल्मों में काम किया था. ऐसा कहा जाता है कि ऋषिकेश जब भी किसी नए प्रोजेक्ट पर काम करने के बारे में विचार तक करते थे तो सबसे पहले धर्मेंद्र पर चर्चा होती थी. ऐसे ही आनंद फिल्म की स्टोरी ऋषिकेश ने धर्मेंद्र को पहले सुनाई थी. धर्मेंद्र को इस फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई और उन्हें लगा कि इसमें वही बतौर हीरो नजर आने वाले हैं. धर्मेंद्र ने खुद इस किस्से के बारे में जानकारी दी थी. धर्मेंद्र को फिल्म में नहीं किया गया कास्ट धर्मेंद्र ने आगे बताया, 'कुछ वक्त बाद जब मुझे पता चला कि इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना को कास्ट किया गया है तो मेरे तो होश ही उड़ गए थे.' धर्मेंद्र का आया बहुत गुस्सा धर्मेंद्र के बताया था कि, 'जब यह खबर मुझे पता चली तो मुझे बहुत बुरा लगा और गुस्सा भी आया. मैंने निर्देशक को रात को फोन किया और कहा कि आप इस फिल्म के लिए तो मुझे कास्ट करने वाले ...

गुड्डी (1971 फ़िल्म)

अनुक्रम • 1 संक्षेप • 2 चरित्र • 3 मुख्य कलाकार • 4 दल • 5 संगीत • 6 रोचक तथ्य • 7 परिणाम • 7.1 बौक्स ऑफिस • 7.2 समीक्षाएँ • 8 नामांकन और पुरस्कार • 9 उल्लेख • 10 बाहरी कड़ियाँ संक्षेप [ ] कुसुम (बनाम गुड्डी) ( चरित्र [ ] मुख्य कलाकार [ ] • • • • • • • • • • • दल [ ] • निर्माता - • कथा - • पटकथा - • संवाद - • निर्माता - • सम्पादक - • छायांकन - • कला निर्देशक - • प्रबंधक निर्माता - • निर्माण प्रबंधक - • साझा निर्देशक - • सहायक निर्देशक - • सहायक कला निर्देशक - • सहायक कैमरामैन - • सहायक सम्पादक - • भूषा - • संगीत सहायक - संगीत [ ] • गीत "बोले रे पपीहरा" सभी गीत क्र॰ शीर्षक गायक अवधि 1. "बोले रे पपीहरा" वाणी जयराम 3:35 2. "हरी बिन कैसे जीउँ" वाणी जयराम 3:40 3. "हमको मन की शक्ति देना" वाणी जयराम व बृंद 4:30 रोचक तथ्य [ ] इस फ़िल्म में बंबई चलचित्र उधोग के 1960 दशक व 1970 के पूर्व दशक का निर्माणात्मक रूप दिखाया गया जिसमे समकालीन निम्न प्रमुख अभिनेता व अभिनेत्रियों को परदे पर दिखाया गया है: • • • • • • • • • • • • • • • परिणाम [ ] बौक्स ऑफिस [ ] समीक्षाएँ [ ] नामांकन और पुरस्कार [ ] वर्ष नामित कार्य पुरस्कार परिणाम 1972 नामित उल्लेख [ ]

Hrishikesh Mukherjee important Bollywood Hindi movies : Outlook Hindi

आज हिन्दी सिनेमा के सफल निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की जयंती है। उनका जन्म 30 सितंबर 1922 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने यूं तो गणित और रसायन विज्ञान की पढ़ाई की मगर उनका मन सिनेमा की दुनिया में ही रमा। 1945 में ऋषिकेश मुखर्जी ने न्यू थिएटर्स में बतौर कैमरामैन काम करना शुरू किया। बिमल रॉय से मुलाकात हुई और साल 1951 में मुंबई आने पर ऋषिकेश मुखर्जी बिमल रॉय के साथ एडिटिंग विभाग में काम करने लगे। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में उनकी कहानी के लिए जानी जाती हैं। उनकी जयंती के मौके पर उनकी फिल्मों पर एक नजर डालते हैं। आनंद (1971) ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म। राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में नजर आए। सलिल चौधरी का संगीत। गुलजार और योगेश के गीत। फिल्म में जीने के तरीके को खूबसूरत अंदाज में दिखाया गया है। हिन्दी सिनेमा की उत्कृष्ट फिल्मों में शामिल है आनंद। गोलमाल (1979) गोलमाल निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म है। फिल्म में मुख्य भूमिका अमोल पालेकर, उत्पल दत्त, बिंदिया गोस्वामी ने निभाई। आर डी बर्मन का संगीत। अमोल पालेकर ने डबल रोल निभाया। अमोल पालेकर और उत्पल दत्त की जुगलबंदी खूब पसंद की गई।फिल्म को कॉमेडी फिल्मों के श्रेणी में उच्च स्थान पर रखा जाता है। बावर्ची (1972) ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म। मुख्य भूमिका में जया बच्चन, राजेश खन्ना, ए के हंगल, असरानी, दुर्गा खोटे, हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय नजर आए। मदन मोहन का संगीत और कैफ़ी आज़मी के गीत। फिल्म बेहद कामायाब साबित हुई। रंग बिरंगी (1983) रंग बिरंगी निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म है। फिल्म हिंदी लेखक कमलेश्वर की कहानी पर आधारित है। फिल्म में मुख्य भूमिका फारुक शेख, उत्पल दत्त, दीप्ति नवल, अमोल पालेकर, परवीन बाबी ने निभा...

Asrani का सालों बाद संघर्ष के दिनों का दर्द आया सामने, फिल्मों काम नहीं मिला तो कर दी थी पूर्व प्रधानमंत्री Indira Gandhi से शिकायत

When Indira Gandhi Helped Asrani And His Actor Friends: अपनी बेमिसाल एक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग के लिए मशहूर अभिनेता आसरानी का पूरा नाम गोवर्धन असरानी है। असरानी फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे से एक्टिंग का कोर्स किया। फिर भी उन्हे दो सालों तक काम नहीं मिला। इसके बाद असरानी पुणे फिल्म संस्थान में पढ़ाने लगे और हर शुक्रवार को मुंबई आकर फिल्मों में काम ढूंढते। ये सिलसिला कई सालों तक चलता रहा, लेकिन असरानी को फिल्मों में काम नहीं मिला। असरानी ने अपने फिल्मी संघर्ष के बारे में कई बार बातें की हैं। हाल ही के दिए अपने एक इंटरव्यू में इस एक्टर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया है। असरानी के मुताबिक पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट का सर्टिफिकेट होने के बावजूद उन्हे फिल्म में काम नहीं मिल रहा था। उसी समय तात्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री रही इंदिरा गांधी पुणे फिल्म संस्थान आई। तब असरानी और उनके साथियों ने अपनी परेशानी उनसे बताई और कहा कि इस संस्थान का सर्टिफिकेट होने के बावजूद उन्हे फिल्मों में काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में इस प्रमाणपत्र का क्या फायदा है। कहते हैं इसके बाद इंदिरा गांधी मुंबई आई और उन्होने फिल्म निर्देशकों और निर्माताओं के साथ इस मसले पर बात की। इसके बाद पुणे फिल्म संस्थान से निकले बच्चों को फिल्मों में काम मिलने लगा। ये इंदिरा गांधी की अपील का असर था कि उन्हे भी कई सालों के संघर्ष के बाद फिल्मों में काम मिला। कॉमेडियन असरानी इस बारे में बताते हैं कि वो जब पुणे फिल्म संस्थान में थे, तब पता चला कि ऋषिकेश मुखर्जी यहां आ रहे हैं। वो जब आए, तब उनके साथ गुलजार और दूसरे लोग भी थे। ऋषि दा के आने से लगा कि असरानी को अब काम मिल जाएगा, लेकिन वो जया भादुड़ी को ढूंढ ...

अभिमान (1973 फ़िल्म)

अभिमान फ़िल्म का पोस्टर निर्देशक निर्माता लेखक ऋषिकेश मुखर्जी अभिनेता संगीतकार छायाकार संपादक प्रदर्शन तिथि(याँ) 27 जुलाई, 1973 समय सीमा 122 मिनट देश भाषा अभिमान 1973 में बनी हिन्दी भाषा की संगीतमय नाट्य फिल्म है। इसमें फिल्म ने उस समय प्रकाशित बॉलीवुड व्यापार पत्रिका के अनुसार बॉक्स ऑफिस पर औसत कारोबार किया। जया बच्चन ने अभिमान के लिए अनुक्रम • 1 संक्षेप • 2 मुख्य कलाकार • 3 दल • 4 संगीत • 5 नामांकन और पुरस्कार • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ संक्षेप [ ] सुबीर कुमार ( ऋषिकेश मुखर्जी के इस श्रेष्ठतम निर्देशन में गीत तेरे मेरे मिलन की ये रैना से अन्त में दोनों का भावनात्मक मिलन दिखाया गया है। मुख्य कलाकार [ ] • • • • • • • • दल [ ] • निर्देशक - • कथा - • पटकथा - • संवाद - • निर्माता - • संपादक - • छायांकन - • कला निर्देशक - • वेश एवं भूषा - • निर्माण प्रबंधक - • सहायक निर्देशक - • सहायक सम्पादक - • सहायक कला निर्देशक - • संगीत सहायक - • पार्श्वगायक - संगीत [ ] • गीत "तेरे मेरे मिलन की ये रैना" • गीत "मीत न मिलारे मनका" सभी गीत गाने क्र॰ शीर्षक गायन अवधि 1. "अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी" 4:25 2. "तेरी बिंदिया रे" 4:32 3. "तेरे मेरे मिलन की ये रैना" 5:49 4. "नदिया किनारे" 4:05 5. "पिया बिना पिया बिना" 4:12 6. "मीत न मिला रे मनका" 4:56 7. "लूटे कोई मन का नगर" 3:04 नामांकन और पुरस्कार [ ] वर्ष नामित कार्य पुरस्कार परिणाम १९७४ जीत जीत नामित सन्दर्भ [ ]

ऋषिकेश मुखर्जी

• कृपया उपयुक्त स्थानों पर • व्याकरण संबंधित त्रुटियों को सुधारें। • विकिलिंक जोड़ें। उचित स्थानों पर शब्दों के दोनो ओर [[ और ]] डालकर अन्य लेखों की कड़ियाँ जोड़ें। ऐसे शब्दों की कड़ियाँ न जोड़ें जो अधिकतर पाठक जानते हों, जैसे आम व्यवसायों के नाम और रोज़मर्रा की वस्तुएँ। अधिक जानकारी के लिये • भूमिका बाँधें लेख की • भागों को व्यवस्थित रूप से लगाएँ। • यदि उपयुक्त हो तो लेख में • इस सब के पश्चात यह टैग हटाएँ। ऋषिकेश मुखर्जी जन्म 30 सितंबर 1922 मृत्यु 27 अगस्त 2006 मृत्यु का कारण प्राकृतिक मृत्यु नागरिकता शिक्षा व्यवसाय धार्मिक मान्यता पुरस्कार ऋषिकेश/हृषिकेश मुखर्जी एक भारतीय फिल्मकार थे। हृषिकेश दा का अनुक्रम • 1 जीवन • 2 आरंभ • 3 व्यक्तिगत जीवन • 4 एक भारतीय छाप • 4.1 खासियत • 5 प्रमुख फिल्में • 5.1 बतौर निर्देशक • 5.2 अन्य निर्माण भूमिका • 6 टीवी धारावाहिक • 7 बाहरी कड़ियाँ जीवन [ ] ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म ३० सितम्बर १९२२ को कोलकाता मेंं हुआ था और उनकी मृत्यु २७ अगस्त सन २००६ को मुम्बई में हुई थी। उन्होंंने विज्ञान विषय से पढ़ाई की थी और कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंंने अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई रसायन शास्त्र मेंं पूरी की थी और कुछ समय तक अध्यापक के रूप मे भी काम किया था। आरंभ [ ] 'आनंद' और 'मिली' जैसी फ़िल्मों से भारतीय सिनेमा जगत को एक नया मुकाम देने वाले हृषिकेश मुखर्जी ने फ़िल्म 'दो बीघा ज़मीन' में बतौर सहायक निर्देशक के रूप में १९५३ में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। हृषिकेश मुखर्जी की सबसे बाद में बनी फ़िल्म थी, 'झूठ बोले कौवा काटे' जो १९९८ में रिलीज़ हुई थी। व्यक्तिगत जीवन [ ] ऋषिकेश मुखर्जी विवाहित थे और उनकी ३ पुत्रियाँ और २ पुत्र हैंं। उनकी पत्नी की मृत्यु ३० साल...

मनोरंजनाचे घेतले व्रत

हिंदी चित्रपटसृष्टी मोठी करण्यात ज्या अनेक गुणी बंगाली कलावंतांचा सिंहाचा वाटा आहे त्यातलंच एक उत्तुंग व्यक्तिमत्व म्हणजे ऋषिकेश मुखर्जी. मी त्यांचा पहिला बघितलेला चित्रपट म्हणजे गोलमाल. मग आनंद, नरम गरम, रंग बिरंगी वगैरे चित्रपट बघण्यात आले. लहानपणी ज्याला त्यावेळी दूरदर्शन संच उर्फ टी.व्ही. म्हणत आणि कालांतराने ज्याचा इडीयट बॉक्स झाला तो नुकताच घरी आलेला होता. त्यावेळेला रविवारी संध्याकाळी दूरदर्शनवर लागणारा हिंदी सिनेमा हे मुख्य आकर्षण होतं. सिनेमा बघायचा, हसायचं किंवा रडायचं, नट-नट्यांच कौतुक करायचं एवढंच त्या काळी समजत होतं. दिग्दर्शक, निर्माते, संगीतकार वगैरे शब्द डोक्यावरून जायचे. सिनेमा या माध्यमाची जाण आल्यावर जेष्ठांच्या सल्ल्याने जरा डोळसपणे चित्रपट पाहू लागलो आणि पुन्हा नव्याने जेव्हा हे चित्रपट पाहिले तेव्हा उत्सुकता चाळवली गेली की अतिशय साध्या साध्या गोष्टी इतक्या मनोरंजक पद्धतीने सादर करणारा हा 'दिग्दर्शक' आहे तरी कोण? अर्थातच मग चित्रपट बघण्याची सुरवात श्रेयनामावली नीट बघण्यापासून झाली आणि या जादूगाराचे नाव समजलं. मूळचे कलकत्त्याचे असलेल्या मुखर्जी यांनी सुरवातीला पोटापाण्याच्या सोयीसाठी काही काळ प्राध्यापकी केली. पण चित्रपटक्षेत्रात नाव कमवायची इच्छा त्यांना स्वस्थ बसू देईना. आजच्यासारखेच त्याकाळीही अनेक तरूण आवड आहे, गती आहे म्हणून या बेभरवशाच्या आणि तूलनेने स्थिरता नसलेल्या धंद्यात उडी मारत तशी त्यांनीही मारली ती बी. एन. सरकार यांच्या कलकत्ता मधल्याच न्यु थियेटर्स मध्ये कॅमेरामनची नोकरी पत्करुन. काही काळ कॅमेरामन म्हणून काम केल्यावर त्यांनी त्याच ठिकाणी संपादनकौशल्य आत्मसात केलं, ते कैंचीदा म्हणून ओळखल्या जाणार्‍या त्या काळच्या प्रख्यात सिनेसंपादक सुबोध ...

Hrishikesh Mukharjee Films Starring A K Hangal Abhimaan Guddi Bawarchee । Bollywood Legends: इस एक्टर दो फिल्मों में पहना वही कुर्ता तो तीसरी में मांगा नया, फिर मिला ऐसा जवाब...

Hrishikesh Mukherjee: ऋषिकेश मुखर्जी हिंदी फिल्मों के नायाब निर्देशक हैं. उनके सिनेमा की सादगी पर दर्शक ही नहीं, सितारे भी मरते थे. हर कोई उनके साथ काम करना चाहता था. लेकिन उनकी फिल्म में काम करने की अपनी शर्तें होती थीं. जिन्हें सबको मानना पड़ता. एक बार ए.के. हंगल ने उनकी फिल्म में नए कुर्ते की डिमांड कर दी, जानिए फिर क्या जवाब मिला. A.K. Hangal Films: फिल्मों का माहौल ऐसा होता है, जहां स्टार्स की तूती बोलती है. स्टार्स के नखरे उठा उठाकर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर गंजे हो जाते हैं. लेकिन इंडस्ट्री में एक डायरेक्टर ऐसे भी थे जिनकी शर्तों और उसूलों के अनुसार स्टार्स को चलना पड़ता था. सभी उस डायरेक्टर की सारी बातें मानते थे. यह डायरेक्टर थे, ऋषिकेश मुखर्जी. उनकी फिल्में हल्के-फुल्के अंदाज में लोगों का मनोरंजन करती थीं. उनकी फिल्मों में लोगों की आम जिंदगी की कहानियां होती थी. लेकिन उनका कद इतना बड़ा था कि बड़े-बड़े स्टार्स उनके साथ काम करना चाहते थे और उनकी सारी बातों को सर आंखों पर लेते थे. ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम करने के कुछ नियम कायदे थे. हीरो-हीरोइन को अपना स्टारडम शूटिंग के समय सैट से बाहर छोड़कर आना होता था. ऋषिकेश दा को शूटिंग पर देर से आने वाले लोग पसंद नहीं थे. एक्टर के शूटिंग पर देर से आने पर वह उस दिन की शूटिंग ही कैंसिल कर देते थे. उनकी फिल्में कम बजट की होती थी. उन्हें फिल्मों में फालतू पैसा लगाना पसंद नहीं था. अपनी किसी फिल्म में इस्तेमाल की गई चीज को वह फेंकते नहीं थे बल्कि गोडाउन में संभालकर रखते थे. फिल्म ओवरबजट न हो, इसका ध्यान रखते थे. साथ ही हीरो-हीरोइन की ड्रेसेस पर भी ज्यादा पैसा खर्चा करने में वह विश्वास नहीं करते थे. कई बार तो कलाकार सीन की जरूरत के हिसाब से अप...

शशि कपूर ने छोड़ दी हाथ आई बड़ी फिल्म, 'काका' की खुल गई लॉटरी, गाने, डायलॉग, सीन सब बन गए ब्लॉकबस्टर

मुंबई. ‘बाबू मोशाय’ जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए’. भारतीय सिनेमा जगत की बेहतरीन फिल्म ‘आनंद’ (Anand) का यह डायलॉग इसकी जान है. साथ ही यह जिंदगी के फलसफे को बेहद आसानी से बयां कर देता है. ऋषिकेश मुखर्जी (Hrishikesh Mukherjee) की यह फिल्म इतने अच्छे से गढ़ी गई थी कि ना सिर्फ उस दौर में बल्कि आज भी इसे सिनेमा की बेहतरीन कृति माना जाता है. फिल्म में राजेश खन्ना ने शानदार एक्टिंग की थी और हर दर्शक उनके किरदार से जुड़ गया था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी यह फिल्म पहले ‘काका’ को नहीं मिली थी. उनसे पहले इंडस्ट्री के खूबसूरत अभिनेता को इस फिल्म का प्रस्ताव दिया था लेकिन उनके इनकार ने राजेश खन्ना की किस्मत चमका दी. 12 मार्च 1971 को ऋषिकेश मुखर्जी फिल्म ‘आनंद’ लेकर आए थे. फिल्म को बिमल दत्ता, गुलजार, डीएन मुखर्जी, ऋषिकेश मुखर्जी और बिरेन त्रिपाठी ने मिलकर लिखा था. फिल्म में राजेश खन्ना के अलावा अमिताभ बच्चन, सुमिता सान्याल और रमेश देव मुख्य भूमिका में थे. राजेश और अमिताभ की साथ में यह पहली फिल्म थी, इसके बाद दोनों ने फिल्म ‘नमक हराम’ में साथ में काम किया था. फिल्म को सिने जगत की बेहतरीन फिल्मों में शुमार किया जाता है. यूं मिला राजेश खन्ना को मौका… शुरुआती स्तर पर जब इस फिल्म की प्लानिंग हो रही थी तो ऋषिकेश मुखर्जी शोमैन राज कपूर के साथ यह फिल्म करना चाहते थे. लेकिन चूंकि उनकी तबीयत काफी खराब थी और उन्हें ठीक हुए कुछ ही समय हुआ था इसलिए वे राज कपूर के पास नहीं गए. ऐसे में उनकी पहली चॉइस उनके भाई शशि कपूर थे. शशि ने जब फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी तो उन्हें कहानी कुछ खास पसंद नहीं आई और उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके बाद फिल्म को लेकर ऋषि दा राजेश खन्ना के पास गए और उन्होंने इ...