अंतः अस्ति प्रारंभः full mantra

  1. Pranay Kumar
  2. स्वस्तिक मंत्र
  3. स्वस्तिक मंत्र


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Pranay Kumar

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स्वस्तिक मंत्र

विवरण पुरातन स्वस्तिक का अर्थ सामान्यतय: स्वस्तिक शब्द को "सु" एवं "अस्ति" का मिश्रण योग माना जाता है। यहाँ "सु" का अर्थ है- 'शुभ' और "अस्ति" का 'होना'। स्वस्ति मंत्र ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्ध-श्रवा-हा स्वस्ति न-ह पूषा विश्व-वेदा-हा । स्वस्ति न-ह ताक्षर्‌यो अरिष्ट-नेमि-हि स्वस्ति नो बृहस्पति-हि-दधातु ॥ अन्य जानकारी विषय सूची • 1 मंत्र का महत्त्व • 2 मंगल-शुभ की कामना • 3 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ • 5 संबंधित लेख मंत्र का महत्त्व • गृहनिर्माण के समय स्वस्तिक मंत्र बोला जाता है। मकान की नींव में • यात्रा के आरंभ में स्वस्तिक मंत्र बोला जाता था। इससे यात्रा सफल और सुरक्षित होती थी। मार्ग में हिंसक पशु या चोर और डाकू नहीं मिलते थे। व्यापार में लाभ होता था, अच्छे मौसम के लिए भी यह मंत्र जपा जाता था, जिससे दिन और रात्रि सुखद हों, स्वास्थ्य लाभ हो तथा खेती को कोई हानि न हो। • पुत्रजन्म पर स्वस्तिक मंत्र बहुत आवश्यक माने जाते थे। इससे बच्चा स्वस्थ रहता था, उसकी आयु बढ़ती थी और उसमें शुभ गुणों का समावेश होता था। इसके अलावा भूत, पिशाच तथा रोग उसके पास नहीं आ सकते थे। मंगल-शुभ की कामना स्वस्तिक मंत्र में चार बार स्वस्ति शब्द आता है, जिसका मतलब होता है कि इसमें भी चार बार मंगल और शुभ की कामना से

स्वस्तिक मंत्र

विवरण पुरातन स्वस्तिक का अर्थ सामान्यतय: स्वस्तिक शब्द को "सु" एवं "अस्ति" का मिश्रण योग माना जाता है। यहाँ "सु" का अर्थ है- 'शुभ' और "अस्ति" का 'होना'। स्वस्ति मंत्र ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्ध-श्रवा-हा स्वस्ति न-ह पूषा विश्व-वेदा-हा । स्वस्ति न-ह ताक्षर्‌यो अरिष्ट-नेमि-हि स्वस्ति नो बृहस्पति-हि-दधातु ॥ अन्य जानकारी विषय सूची • 1 मंत्र का महत्त्व • 2 मंगल-शुभ की कामना • 3 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ • 5 संबंधित लेख मंत्र का महत्त्व • गृहनिर्माण के समय स्वस्तिक मंत्र बोला जाता है। मकान की नींव में • यात्रा के आरंभ में स्वस्तिक मंत्र बोला जाता था। इससे यात्रा सफल और सुरक्षित होती थी। मार्ग में हिंसक पशु या चोर और डाकू नहीं मिलते थे। व्यापार में लाभ होता था, अच्छे मौसम के लिए भी यह मंत्र जपा जाता था, जिससे दिन और रात्रि सुखद हों, स्वास्थ्य लाभ हो तथा खेती को कोई हानि न हो। • पुत्रजन्म पर स्वस्तिक मंत्र बहुत आवश्यक माने जाते थे। इससे बच्चा स्वस्थ रहता था, उसकी आयु बढ़ती थी और उसमें शुभ गुणों का समावेश होता था। इसके अलावा भूत, पिशाच तथा रोग उसके पास नहीं आ सकते थे। मंगल-शुभ की कामना स्वस्तिक मंत्र में चार बार स्वस्ति शब्द आता है, जिसका मतलब होता है कि इसमें भी चार बार मंगल और शुभ की कामना से