आंवला नवमी की कहानी

  1. आंवला नवमी व्रत कथा
  2. आंवला नवमी की कथा,पूजा और विधि
  3. Amla Navami Vrat 2022: Must Read This Fast Story On Amla Navami, All The Troubles Will Go Away
  4. Amla Navami
  5. आंवला नवमी
  6. आंवला नवमी की यह पौराणिक कथा आपको कहीं नहीं मिलेगी
  7. Amla Navami (Amla Naumi)
  8. Amla Navami Vrat Katha
  9. Amla Navami Vrat 2022: Must Read This Fast Story On Amla Navami, All The Troubles Will Go Away
  10. Amla Navami


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आंवला नवमी व्रत कथा

आंवला नवमी व्रत कथा | Amla Navami Vrat Katha हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप आंवला नवमी व्रत कथा | Amla Navami Vrat Katha हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं आंवला नवमी व्रत कथा | Amla Navami Vrat Katha के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी (Amla Navami 2022) या अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष (Amla Tree Puja) की पूजा करने का विधान है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय रहता है और इसी दिन श्री कृष्ण ने कंस के विरुद्ध वृंदावन में घूमकर जनमत तैयार किया था। मान्यता है कि इस दिन दान आदि करने से पुण्य का फल इस जन्म में तो मिलता ही है, अगले जन्म में भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करते समय परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना करनी चाहिए। अक्षय (आंवला) नवमी की व्रत कथा | Akshay Navami Ki Kahani | Amla Navami ki Katha अक्षय नवमी के संबंध में कथा है कि दक्षिण में स्थित विष्णुकांची राज्य के राजा जयसेन के इकलौते पुत्र का नाम मुकुंद देव था। एक बार राजकुमार मुकुंद देव जंगल में शिकार खेलने गए। तभी उनकी नजर व्यापारी कनकाधिप की पुत्री किशोरी के अतीव सौंदर्य पर पड़ी। वे उस पर मोहित हो गए। मुकुंद देव ने उससे विवाह करने की इच्छा प्रकट की। इस पर किशोरी ने कहा कि मेरे भाग्य में पति का सुख लिखा ही नहीं है। राज ज्योतिषी ने कहा है कि मेरे विवाह मं...

आंवला नवमी की कथा,पूजा और विधि

Amla Navami – कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन आंवला नवमी मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अक्षय फल देने वाला होता है। अर्थात् उसके शुभ फल में कभी कमी नहीं आती। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य जन्म-जन्मान्तर तक खत्म नहीं होते हैं। इस दिन किए गये शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा आदि का पुण्य कई जन्मों तक प्राप्त होता है। विषय में अंकित • • • • • • • • • • आंवला नवमी की पूजा और विधि | Amla Navami Puja Vidhi. आंवला नवमी के दिन देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, तथा आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने की परंपरा प्रारंभ हुई है। शास्त्रोनुसार एक बार देवी लक्ष्मी जी पृथ्वी का भ्रमण करने आईं, रास्ते में उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की कामना की। लक्ष्मी माँ ने माना कि विष्णु और शिव को एक साथ कैसे पूजा जा सकता है। तब उन्होंने महसूस किया कि तुलसी और बेल की गुणवत्ता के साथ आंवले के पेड़ में भी पाई जाती है। तुलसी जी को भगवान विष्णु से प्रेम है और भगवान शिव जी को बेल पत्र से बहुत प्रेम है कहते है यदि भगवान शिव को सिर्फ एक बेलपत्र लेकर मन से उनकी भक्ति और शिवाष्टक पाठ करो तो भगवान स्वयं भक्त के पास दौड़े चले आते है | आंवला नवमी के दिन ही भगवान कृष्ण ने वृन्दावन गोकुल छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था यह व्रत संतान और परिवार की सुख और शांति के लिए रखा जाता है कथनानुसार इसी दिन से वृंदावन की परिक्रमा भी प्रारंभ होती है। आंवला नवमी का व्रत संतान और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत पति-पत्नी साथ में रखें और माता लक्ष्मी जी की आरती पूजन करें तो उन्हें इसका दोगुना शुभ फल ...

Amla Navami Vrat 2022: Must Read This Fast Story On Amla Navami, All The Troubles Will Go Away

Amla Navami Vrat 2022: आंवला नवमी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा दूर होंगे सभी कष्ट आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा के साथ-साथ दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व रहता है. कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय या आंवला नवमी के नाम से मनाया जाता है. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण और अन्नदान आदि करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को द्वापर युग की शुरुआत का समय भी माना जाता है. एक युग के आरंभ होने की ये तिथि अत्यंत पवित्र होती है. जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है आंवला नवमी के दिन दान और धर्म का अधिक महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से वर्तमान के साथ-साथ अगले जन्म में भी पुण्य मिलता है. शास्त्रों के अनुसार आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत पूजा का पाठ करने के साथ ही इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए. आंवला नवमी कहानी हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत महत्व है. क्योंकि इस महीने में कई बड़े व्रत पर्व आते हैं. इसी प्रकार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला पूजन का दिन होता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की विधिवत पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस आंवले के पेड़ में श्री हरि विष्णु का वास होता है. इसलिए अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों इसके साथ ही परिवार पेड़ के नीचे बैठकर सात्विक भोजन करता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंव...

Amla Navami

Amla Navami Amla Navami- अक्षय नवमी भी कहा जाता है। पूरे उत्तर व मध्य भारत में इस नवमी का खास महत्व है। महिलाएं संतान प्राप्ति और उसकी मंगलकामना के लिए यह व्रत पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। आइए आंवला Amla Navami- आंवला नवमी पूजा करने की विधि महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है। Amla Navami- आंवला नवमी की कहानी एक राजा था, उसका प्रण था वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवलया राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे बहू ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं, इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जायेगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए। बेटे की बात सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ और राजा रानी महल छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। राजा-रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण कुछ खाया नहीं। और पढ़ें:- • जब भूखे प्यासे सात दिन हो गए तब भगवान ने सोचा कि यदि मैने इसका प्रण नहीं रखा और इसका सत नहीं रखा तो विश्वास चला जाएगा। इसलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग-बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए। सुबह राजा रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दुगना राज्य बसा हुआ है। राजा, रानी से कहने लगे रानी देख कह...

आंवला नवमी

Read in English आंवला नवमी कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। आंवला नवमी की पूजा संपन्न करने पर, भक्त को अक्षय फल की प्राप्ति होती है, अतः अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य जन्म-जन्मान्तर तक खत्म नहीं होते हैं। इस दिन किए गये शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा आदि का पुण्य कई जन्मों तक प्राप्त होता है। आंवला नवमी की पूजा उत्तर भारत में अधिकता से की जाती है। इस दिन, आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाया जाता है तथा परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर उस भोजन को ग्रहण करते हैं। महिलाएँ इस पूजा का पालन बच्चों की खुशी पाने और उन्हें अच्छी तरह से करने के लिए करती हैं। आइए जानें! आंवला नवमी पूजा की कहानी और पूजा की विधि। संबंधित अन्य नाम अक्षय नवमी, अनला नवमी, आंला नवमी सुरुआत तिथि कार्तिक शुक्ल नवमी उत्सव विधि व्रत, भजन, कीर्तन आंवला नवमी के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, तथा आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने की परंपरा शुरू हुई है। इस संदर्भ में एक कहानी है कि.. एक बार देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करने आईं। रास्ते में उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की कामना की। लक्ष्मी माँ ने माना कि विष्णु और शिव को एक साथ कैसे पूजा जा सकता है। तब उन्होंने महसूस किया कि तुलसी और बेल की गुणवत्ता एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाई जाती है। तुलसी को भगवान विष्णु से प्रेम है और भगवान शिव को बेल पत्र से। माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर आंवले के पेड़ की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन तैयार किया और उसे श्री विष्ण...

आंवला नवमी की यह पौराणिक कथा आपको कहीं नहीं मिलेगी

आंवला नवमी अथवा आंवल्या राजा की कथा- एक राजा था, उसका प्रण था वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवलया राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे बहू ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं, इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जाएगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए। बेटे की बात सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ और राजा-रानी महल छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। राजा-रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण कुछ खाया नहीं। जब भूखे प्यासे सात दिन हो गए तब भगवान ने सोचा कि यदि मैंने इसका प्रण नहीं रखा और इसका सत नहीं रखा तो विश्वास चला जाएगा। इसलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग-बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए। सुबह राजा-रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दोगुना राज्य बसा हुआ है। राजा, रानी से कहने लगे- रानी देख कहते हैं, सत मत छोड़े। 'सूरमा सत छोड़या पत जाए, सत की छोड़ी लक्ष्मी फेर मिलेगी आए।' आओ नहा धोकर आंवले दान करें और भोजन करें। राजा-रानी ने आंवले दान करके खाना खाया और खुशी-खुशी जंगल में रहने लगे। उधर आंवला देवता का अपमान करने व माता-पिता से बुरा व्यवहार करने के कारण बहू बेटे के बुरे दिन आ गए। राज्य दुश्मनों ने छीन लिया, दाने-दाने को मोहताज हो गए और काम ढूंढते हुए अपने पिताजी के राज्य में आ पहुंचे। उनके हालात इतने बिगड़े हुए थे कि पिता ने उन्हें बिना पहचाने हुए काम पर रख लिया। बेटे बहू सोच भी नहीं सकते कि उनके माता-पिता इतने बड़े राज्य के मालिक भी हो सकते है, सो उन्होंने भी अपने माता-पिता को नहीं पहचाना। एक दिन बहू ने सास के बाल गूंथते समय उनकी पीठ पर मस्सा देखा। उसे यह सोचकर रोना...

Amla Navami (Amla Naumi)

Amla Navami / Amla Naumi आंवला नवमी / आँवला नौमी कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवला नवमी का त्यौहार मनाया जाता हैं। इसे आंवला नौमी, अक्षय नवमी और कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा व परिक्रमा की जाती हैं। हिंदु मान्यता के अनुसार आँवले के वृक्ष की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के आंसू से हुई थी और इसके अंदर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों का वास हैं। इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता हैं। आँवला नवमी का विधि-विधान से पूजन करने से जातक को आरोग्य की प्राप्ति होती है और उसकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। Amla Navami Ka Mahatmya (Mahatva) आँवला नवमी का महात्म्य (महत्व) पौराणिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले आँवला नवमी पर देवी लक्ष्मी ने आँवले के वृक्ष की पूजा की थी और उसके नीचे भगवान विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया था। इसके विषय में जो एक पौराणिक कथा है, उसके अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी भ्रमण करने की इच्छा से धरती लोक पर आई। धरती पर आकर उनके मन में इच्छा हुयी कि वो भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा करें। किंतु दोनों की पूजा एक साथ करना कैसे सम्भव हो? वो यही सोच रही थी। तभी उनके मन में विचार आया की भगवान शिव को बेल बहुत प्रिय है और भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय हैं, और आँवले में इन दोनों कि गुण उपस्थित हैं। अर्थात यह दोनों को ही प्रिय हैं। यही विचार करके उन्होने आँवले के वृक्ष को भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की। उनकी इस पूजा से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों प्रसन्न हुये और उनके समक्ष प्रकट हुये। देवी लक्ष्मी ने उनको आँवले के वृक्ष के नीचे ही भोजन कराया और फिर स्वयं भोजन किया। तभी से आँवले के वृक्ष की प...

Amla Navami Vrat Katha

Amla Navami Vrat Katha– आंवला नवमी की व्रत कथा: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आमला (आंवला) नवमी (आंवला वृक्ष की पूजा परिक्रमा), आरोग्य नवमी, अक्षय नवमी, कूष्मांड नवमी के नाम से जाना जाता है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन सहपरिवार आंवले के पेड़ की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जो कोई आंवले के पेड़ का पूजन परिवार सहित करता है उसे आरोग्य जीवन और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया तप, जप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करता है। आंवला नवमी की पूजा के दौरान इससे जुड़ी इस कथा को जरूर पढ़ना या सुनना चाहिए। तभी इस पूजा का अक्षय फल भक्तों को प्राप्त होता है। कहा जाता है कि अगर इस दिन कोई भी शुभ काम किया जाए तो उससे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान आंवला नवमी की कथा भी सुनी जाती है। आइए पढ़ते हैं आंवला नवमी की कथा। आंवला नवमी की कहानी व्रत के समय कही और सुनी जाती है। किसी भी व्रत को रखने के दौरान हमें उस व्रत की कहानी और उसके महत्व का ज्ञान होना जरुरी होता है। तो आइए आज आप भी जानें अक्षय नवमी की व्रत कथा के बारे में। A mla Navami Vrat Katha आंवला नवमी की पूजा विधि | Amla Navami ki Puja kaise karein महिलाओं को इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके आंवले के पेड़ के पास जाना चाहिए और उसके आस-पास सफाई करके पेड़ की जड़ में साफ पानी चढ़ाना चाहिए। इसके बाद पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया हुआ थोड़ा दूध और वो मिट्टी सिर पर लगानी चाहिए। पूजन सामग्रियों से पेड़ की पूजा करें और...

Amla Navami Vrat 2022: Must Read This Fast Story On Amla Navami, All The Troubles Will Go Away

Amla Navami Vrat 2022: आंवला नवमी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा दूर होंगे सभी कष्ट आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा के साथ-साथ दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व रहता है. कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय या आंवला नवमी के नाम से मनाया जाता है. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण और अन्नदान आदि करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को द्वापर युग की शुरुआत का समय भी माना जाता है. एक युग के आरंभ होने की ये तिथि अत्यंत पवित्र होती है. जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है आंवला नवमी के दिन दान और धर्म का अधिक महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से वर्तमान के साथ-साथ अगले जन्म में भी पुण्य मिलता है. शास्त्रों के अनुसार आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत पूजा का पाठ करने के साथ ही इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए. आंवला नवमी कहानी हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत महत्व है. क्योंकि इस महीने में कई बड़े व्रत पर्व आते हैं. इसी प्रकार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला पूजन का दिन होता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की विधिवत पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस आंवले के पेड़ में श्री हरि विष्णु का वास होता है. इसलिए अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों इसके साथ ही परिवार पेड़ के नीचे बैठकर सात्विक भोजन करता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंव...

Amla Navami

Amla Navami Amla Navami- अक्षय नवमी भी कहा जाता है। पूरे उत्तर व मध्य भारत में इस नवमी का खास महत्व है। महिलाएं संतान प्राप्ति और उसकी मंगलकामना के लिए यह व्रत पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। आइए आंवला Amla Navami- आंवला नवमी पूजा करने की विधि महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है। Amla Navami- आंवला नवमी की कहानी एक राजा था, उसका प्रण था वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवलया राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे बहू ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं, इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जायेगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए। बेटे की बात सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ और राजा रानी महल छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। राजा-रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण कुछ खाया नहीं। और पढ़ें:- • जब भूखे प्यासे सात दिन हो गए तब भगवान ने सोचा कि यदि मैने इसका प्रण नहीं रखा और इसका सत नहीं रखा तो विश्वास चला जाएगा। इसलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग-बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए। सुबह राजा रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दुगना राज्य बसा हुआ है। राजा, रानी से कहने लगे रानी देख कह...