आबकारी विभाग क्या होता है

  1. MP Abkari Vibhag New Policy License For Liquor Party In Home ANN
  2. Why target of opening liquor shops in delhi incomplete even after implementation of old excise policy
  3. आबकारी विभाग में क्या क्या कानून है? » Aabkari Vibhag Mein Kya Kya Kanoon Hai
  4. Rajasthan Excise Department officials played game of figures revenue failed


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MP Abkari Vibhag New Policy License For Liquor Party In Home ANN

MP News: आबकारी विभाग अब घरों को बार के रूप में तब्दील करने का लाइसेंस देगा. घरों में शराब पार्टी करने के लिए महज 500 रुपये देने होंगे. आबकारी विभाग की नई नीति की आलोचना साधु-संतों और कांग्रेस ने की है. बता दें कि मध्य प्रदेश का आबकारी विभाग एक नई योजना शुरू करने जा रहा है. योजना के तहत अब घर और पार्कों में शराब पार्टी आयोजित की जा सकेगी. घर में शराब पार्टी करने के लए पांच सौ रुपए, पार्क में शराब पार्टी करने के लिए पांच हजार रुपए और रेस्टोरेंट में शराब पार्टी के लिए 10 हजार रुपये अदा कर लाइसेंस लेना होगा. लाइसेंस लेकर घर में बार चलाओ लाइसेंस के लिए आबकारी विभाग ने ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी है. आवेदन करने के बाद घर, पार्क या रेस्टोरेंट में शराब पार्टी करने की अनुमति मिल जाएगी. मध्य प्रदेश में आबकारी विभाग की नई नीति का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है. साधु संतों ने शिवराज सरकार से नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उनका कहना है कि एक तरफ शराबबंदी की बात कही जा रही है और दूसरी तरफ युवाओं को नशा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. उमा भारती के रुख का इंतजार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) ने नई नीति की आलोचना की है. प्रदेश कांग्रेस के महमंत्री रवि सक्सेना ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी लाइसेंस देकर घर में बार चलाने को बढ़ावा दे रही है. प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता प्रदेश में शराबबंदी के लिए लगातार अभियान चला रही हैं. पूर्व सीएम उमा भारती (Uma Bharti) के तीखे तेवर आए दिन बीजेपी सरकार की परेशानी बढ़ाते रहते हैं. राजधानी भोपाल में उमा भारती ने एक शराब की दुकान पर पत्थर दे मारा था. अब देखते हैं कि मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग की नई नीति पर उमा भार...

Why target of opening liquor shops in delhi incomplete even after implementation of old excise policy

दिल्ली में पुरानी आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों को खोलने का पूरा काम सरकारी के हाथ में है। आबकारी विभाग की निगरानी में दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम लिमिटेड, दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम, दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड व दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक स्टोर लिमिटेड शामिल हैं। नियम भी आड़े आ रहे :आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शराब की दुकानों को खेलने के लिए कई जरूरी नियमों का पालन करना पड़ा है। दुकान आवासीय क्षेत्र, स्कूल, कॉलेज और किसी धार्मिक प्रतिष्ठान के नजदीक नहीं होनी चाहिए, इसलिए कई क्षेत्रों में चारों निगमों को दुकानों को ढूंढने में दिक्कत हो रही है। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआइएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरी ने बताया कि दिल्ली में शराब का उत्पादन नहीं होता है, जिस कारण गर्मी में सप्लाई कम होती हैक्योंकि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत अन्य उत्पादक राज्यों में गर्मी में शराब की मांग बढ़ती है, इसलिए जिस भी राज्य में उत्पादन इकाई है वो पहले उस राज्य की मांग को पूरा करती है। उसके बाद ही बाहर सप्लाई भेजती है। आबकारी विभाग के सामने यह आ रही दिक्क्त शराब की दुकान खोलने में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं, जिनमें सबसे अहम परेशानी स्वीकृत व्यावसायिक जगह का न मिलना है। दिल्ली में काफी क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें स्वीकृत व्यावसायिक (नक्शा पास) दुकानें नहीं मिल पा रही हैं। अगर दुकानें हैं तो उनका किराया काफी ज्यादा है, जिसके चलते अंदेशा रहता है कि क्या उतनी बिक्री हो पाएगी। क्योंकि अब दिल्ली में शराब बिक्री पर किसी तरह की छूट नहीं है, जिस कारण से बिक्री भी निर्धारित होती है।

आबकारी विभाग में क्या क्या कानून है? » Aabkari Vibhag Mein Kya Kya Kanoon Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपकारी विभाग जैसा कि नाम से ही अपने-अपने राज्य में इसके लिए अलग अलग से कानून बने हुए सेंट्रल एक्साइज एक्ट के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह डिपार्टमेंट जमीन का सबसे बड़ा सूट होता है सरकार के लिए विकास में इस डिपार्टमेंट के दो ही सीट है या सबसे बड़ा टैक्स डिपार्टमेंट होता है या जो भी फोकट में ज्यादा करते हैं और यही इनकी सबसे बड़ा शौक होता है इनकी लाइसेंस के लिए काम करना इनको लाइसेंस देना दुकानों का आवंटन इस काम के अधिकार सांसद यह बहुत से और भी काम करता है जैसे मेजर गुड्स एंड सर्विस पर जो है वह टेक्स्ट भी कलेक्ट करता है जैसे जीएसटी अभी काम कर रहा है वैसे एक काम करता था एक्साइज डिपार्टमेंट के कानून के प्रोविजन के अकॉर्डिंग डिपार्टमेंट को कार्य करना पड़ता है धन्यवाद apkari vibhag jaisa ki naam se hi apne apne rajya me iske liye alag alag se kanoon bane hue central excise act ke naam se jana jata hai kyonki yah department jameen ka sabse bada suit hota hai sarkar ke liye vikas me is department ke do hi seat hai ya sabse bada tax department hota hai ya jo bhi fokat me zyada karte hain aur yahi inki sabse bada shauk hota hai inki license ke liye kaam karna inko license dena dukaano ka aawantan is kaam ke adhikaar saansad yah bahut se aur bhi kaam karta hai jaise major goods and service par jo hai vaah text bhi collect karta hai jaise gst abhi kaam kar raha hai waise ek kaam karta tha excise department ke kanoon ke provision ke according department ko karya karna ...

Rajasthan Excise Department officials played game of figures revenue failed

Jaipur News: राज्य सरकार के आला अफसर सरकार की ही आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं. आबकारी विभाग के अफसरों ने शराब निर्माता कंपनियों से एडवांस एक्साइज ड्यूटी के पेटे करीब 584 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा कर लिए, लेकिन फिर भी अफसर टारगेट पूरा नहीं कर सकें. रोचक बात यह है कि राजस्व लक्ष्य पूरा करने में 1,173 करोड़ रुपये से पिछड़ने पर भी विभाग के किसी अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं की गई. क्यों फेल हुए सरकार के अफसर, क्या अब वित्त विभाग करवाएगा? वित्त वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार ने आबकारी विभाग को 15 हजार करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य दिया था, चूंकि कोविड इफैक्ट खत्म हो चुका था. ऐसे में राज्य सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त थी, कि आबकारी विभाग इस राजस्व लक्ष्य को पूरा करने में सफल रहेगा. अप्रैल से जून की पहली तिमाही के आंकड़े वित्त विभाग के अफसरों को खुश करने वाले थे, लेकिन जुलाई की बारिश ने जैसे आबकारी विभाग के अफसरों के अरमानों पर भी पानी फेर दिया. राजस्व में एक साथ गिरावट दिखने लगी, जो कि मार्च 2023 तक भी नहीं सुधर सकी. आबकारी विभाग मार्च में भरकस प्रयासों के बावजूद भी केवल 13327 करोड़ रुपये तक ही पहुंच सका. हालांकि विभाग के राजस्व में गिरावट को देखते हुए वित्त विभाग ने भी छूट दी थी. आबकारी विभाग के राजस्व लक्ष्य को 15 हजार करोड़ से घटाकर 14500 करोड़ रुपये कम कर दिया था. 500 करोड़ की राहत दिए जाने के बावजूद भी आबकारी विभाग लक्ष्य हासिल करने में विफल रहा. यह हाल तो तब रहे जब आबकारी विभाग के अफसरों ने वित्त विभाग के आला अफसरों की आंखों में धूल झोंकने के भरसक प्रयास किए. राजस्व लक्ष्य पूरा दिखाने को खेल ! आबकारी विभाग के अफसरों ने राजस्व लक्ष्य पूरा दिखाने को खेल किया. शराब निर्मात...