आचार्य रामचंद्र शुक्ल

  1. [ PDF ] आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय
  2. क्रोध निबंध का सारांश लिखिए – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
  3. रामचन्द्र शुक्ल
  4. आचार्य रामचंद शुक्ल का साहित्यिक परिचय: इतिहास दृष्टि, आलोचना पद्धति और रचनाएँ
  5. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी


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[ PDF ] आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय

इस आर्टिकल में हम आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय बिल्कुल विस्तार से देखेंगे। यह जीवन परिचय उन विद्यार्थियों के लिये काफी उपयोगी है जो, इस समय कक्षा 10 या 12 में पढ़ रहे है। क्योकी बोर्ड के परीक्षा में हिन्दी के प्रश्न पत्र में जीवन परिचय लिखने का प्रश्न भी सामिल रहता है, जिसमें आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का भी जीवन परिचय पुछा जा सकता है। ऐसे में यदि आप इनके जीवन परिचय को अच्छे से पढ़ें रहेंगे तो, आपको इससे परिक्षा में काफी मदद मिलेगी और आप हिन्दी के विषय में अच्छे अंक भी प्राप्त कर पायेंगे। इस जीवनी के हम आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के जीवन से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझेंगे जो आपके बोर्ड के परीक्षा में पुछे जा सकते है जैसे की, रामचन्द्र शुक्ल का जन्म कब और कहां हुआ था, आचार्य रामचंद्र शुक्ल की माता-पिता का नाम क्या था, आचार्य रामचंद्र शुक्ल की भाषा शैली, आचार्य रामचंद्र शुक्ल किस युग के लेखक थे, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की कृतियाँ, आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का साहित्य में स्थान और आचार्य रामचंद्र शुक्ल की मृत्यु कब और कहां हुई आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर बिल्कुल विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। इसलिए आप इस लेख को ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े। आपको बता दे की रामचंद्र शुक्ल की यह जीवनी न केवल बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये ही सहायक है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षा एवं सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिये भी यह जीवनी काफी उपयोगी है क्योकी बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में रामचंद्र शुक्ल के जीवन से जुड़े प्रश्न पुछे जाते है, तो अगर आप भी उन छात्रों में से है, जो इस समय किसी कंपीटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा है। तो इस जीवनी को आप पुरा जरुर पढ़...

क्रोध निबंध का सारांश लिखिए – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

क्रोध निबंधआचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी द्वारा लिखा गया है। इस निबन्ध में आचार्य शुक्ल ने क्रोध की उत्पत्ति, क्रोध की आवश्यकता, क्रोध का स्वरूप, क्रोध का लक्ष्य, क्रोध और चिड़चिड़ापन आदि की विवेचना की है। क्रोध निबंध का सारांश क्रोध के जन्म के सम्बन्ध में निबन्धकार का कथन है कि क्रोध का जन्म चेतन के अनुमान से उत्पन्न होता है जिस प्रकार एक नन्हा बालक जब अपनी माता को पहचानने लगता है कि इसी से मुझे दूध मिलता है, भूखा होने पर वह उसे देखकर रोने लगता है। उसके इस रोने में क्रोध का आभास मिलने लगता है। लेखक का मत है कि क्रोध सर्वथा निरर्थक नहीं होता, समाज में उसकी आवश्यकता सदा से रही है। यदि क्रोध न होता तो मनुष्य दूसरों के कष्टों से अपना बचाव न कर पाता। किसी दुष्ट के दो-चार प्रहार तो सहे जा सकते हैं, किन्तु सदैव के लिए उन प्रहारों को समाप्त करने के लिए व्यक्ति में क्रोध का होना नितान्त आवश्यक होता है। अन्यथा दुष्ट की दुष्टता पर काबू पाना कठिन हो जायेगा। जहाँ तक दुष्टों के हृदय परिवर्तन कर देने का प्रश्न है, वहाँ हृदय-परिवर्तन कर देने का प्रयत्न एक अच्छा प्रयत्न है, किन्तु दुष्ट में दया, सद्बुद्धि और गुणों को जन्म देने और विकसित करने में अधिक समय लगता है और छोटे-छोटे कामों के लिए कोई इतना समय देना नहीं चाहता। इसलिए दुष्ट के दमन के लिए तात्कालिक उपाय फलप्रद प्रमाणित होता है। क्रोध अधिकतर प्रतिकार के रूप में होता है। किन्तु अनेक बार प्रतिकार के साथ क्रोध में हमारी सुरक्षा भावना भी सम्मिलित होती है। अतएव समाज के लिए क्रोध एक दुर्गुण होते हुए भी एक उपयोगी विकार होता है। क्रोध के सम्बन्ध में यह भी कहा जाता है कि वह अन्धा होता है। क्रोध करने वाला क्रोध के आलम्बन की ओर ही देखता है, अपनी ओर न...

रामचन्द्र शुक्ल

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 कृतियाँ • 2.1 मौलिक कृतियाँ • 2.2 अनूदित कृतियाँ • 2.3 सम्पादित कृतियाँ • 3 भाषा • 4 शैली • 5 साहित्य में स्थान • 5.1 नोट • 6 इन्हें भी देखें • 7 सन्दर्भ • 8 बाहरी कड़ियाँ जीवन परिचय [ ] रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 1884 ईस्वी में उत्तर प्रदेश [ अध्ययन के प्रति लग्नशीलता शुक्ल में बाल्यकाल से ही थी। किंतु इसके लिए उन्हें अनुकूल वातावरण न मिल सका। मिर्जापुर के लंदन मिशन स्कूल से 1901 में स्कूल फाइनल परीक्षा (FA) उत्तीर्ण की। उनके पिता की इच्छा थी कि शुक्ल कचहरी में जाकर दफ्तर का काम सीखें, किंतु शुक्ल उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे। पिता जी ने उन्हें वकालत पढ़ने के लिए 1903 से 1908 तक आनन्द कादम्बिनी के सहायक संपादक का कार्य किया। 1904 से 1908 तक लंदन मिशन स्कूल में ड्राइंग के अध्यापक रहे। इसी समय से उनके लेख पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगे और धीरे-धीरे उनकी विद्वता का यश चारों ओर फैल गया। उनकी योग्यता से प्रभावित होकर 1908 में काशी शब्दसागर की उपयोगिता और सर्वांगपूर्णता का अधिकांश श्रेय रामचंद्र शुक्ल को प्राप्त है। वे 2 फरवरी 1941 को हृदय की गति रुक जाने से शुक्ल का देहांत हो गया। कृतियाँ [ ] इस अनुभाग में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (मई 2023) स्रोत खोजें: · · · · शुक्ल की कृतियाँ तीन प्रकार की हैं: मौलिक कृतियाँ [ ] तीन प्रकार की हैं-- आलोचनात्मक ग्रंथ निबन्धात्मक ग्रन्थ उनके निबन्ध मित्रता, अध्ययन आदि निबन्ध सामान्य विषयों पर लिखे गये निबन्ध हैं। मित्रता निबन्ध जीवनोपयोगी विषय पर लिखा गया उच्चकोटि का निबन्ध है जिसमें शुक्लजी की लेखन शैली गत विशेषतायें झलकती हैं। क्रोध निबन्ध में उन्होंने सामाजिक जीवन मे...

आचार्य रामचंद शुक्ल का साहित्यिक परिचय: इतिहास दृष्टि, आलोचना पद्धति और रचनाएँ

हिंदीआलोचनाकेवास्तविकप्रवर्त्तनकाश्रेयशुक्लजीकोहीजाताहै। उ न्होंनेआलोचनाकेलिएसैद्धांतिकमानदंडोंकोबनाया, उसकासमुचितविनियोगअपनीव्यावहारिकसमीक्षामेंभीकी।इसमेंकहींभीकोईविरोधाभासनहींदिखायीदेता।कबीर, जायसीऔरतुलसीविषयकउनकीआलोचनइसबातकेप्रमाणहैं। अंग्रेजोंएवंअन्यपाश्चात्यविद्वानोंद्वाराउनकीअपनीभाषामेंलिखितहिंदीसाहित्यकेकुछइतिहासग्रंथउससमयअवश्यउपलब्धथे।स्वयंहिंदीमेंइतिहासकेनामपरउपलब्धग्रंथ‘वचनिका’और‘वार्त्ता’केरूपमेंथेयाकविवृत्तसंग्रहकेरूपमेंलिखेगएथे। उन्होंनेहिंदी-साहित्यकेयुगोंकाविभाजनभीकियाऔरनामकरणभी।यद्यपिउनकेइसप्रयत्नकीकुछसीमाएँभीहैंतथापिउन्होंनेइसप्रकारकानामयायुग-विभाजनप्रस्तुतनहींकरपाएहैंयद्यपिविवादअवश्यकरतेरहेहैं।इसीसेउनकेसहित्येतिहासलेखनकेमहत्त्वकापताभीचलताहै। रामचंद्रशुक्लकाजीवनपरिचय आचार्यरामचंद्रशुक्लकाजन्मउत्तरप्रदेशकेएकगाँव‘अगौना’मेंसन 1884 ई. मेंहुआथा।जोव्यक्तिएम.ए. कीपरीक्षापासनहींकरसका, उसनेऐसीआलोचनाएँलिखींऔरसमीक्षाकेऐसेमानदंडप्रस्तुतकिएकिउसकोसमझनेमेंदिग्गजोंकामाथाभीचक्करखाजाताहै। शुक्लजीनेआजीविकाकेलिएहेडक्लर्ककाकामभीकियाऔरड्राइंगशिक्षकभीबने।लेकिनउनकीप्रतिभाकोवास्तविकउत्कर्षतबप्राप्तहुआजबकाशीनागरीप्रचारिणीसभीनेउन्हें‘हिंदीशब्दसागर’केसम्पादनकेलिएनिमंत्रितकिया।यहभीएकमानककार्यहै।शुक्लजीने‘नागरीप्रचारिणीपत्रिका’काभीसम्पादनकियाथा। आचार्यरामचंद्रशुक्लकीआलोचनापद्धति शुक्लजीकीआलोचना-दृष्टिमेंभारतीयएवंपाश्चात्यआलोचनादृष्टियोंकारासायनिकसमावेशमिलताहै।कभी-कभीइन्हेंपृथककरनाकठिनहोजाताहै।शुक्लजीनेअनेकभारतीयऔरप्श्चात्यमीमांसकोंकोउद्धतअथवासंदर्भितकियाहै। ऐसेमीमांसकोंसेआजकेतथाकथितप्रकांडविद्वानभीअपरिचितहैं।उनकीकाव्य-चिंतनविषयकजागरूकताअद्वितीयहै।सामान्यशब्दोंमेंशुक्लजीकीआलोचनादृष्टिको...

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी, जन्म, जीवन परिचय, चरित्र चित्रण, जीवनी, निबंध, बाल्यकाल, यौनावस्था, प्रेम, विवाह, रचनाएँ, विशेषताएं, मृत्यु। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी:आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म, जीवन परिचय, चरित्र चित्रण, जीवनी, निबंध, बाल्यकाल, यौनावस्था, प्रेम, विवाह, रचनाएँ, कृतियाँ, हिंदी क्षेत्र में शुक्ल जी का योगदान, साहित्यिक-परिचय, भारतेन्दु मंडल का हिस्सा, भाषा शैली, मृत्यु, विशेषताएं, आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। आचार्य रामचन्द्र शुक्लपरिवारक परिचय: राम चंद्र शुक्ल का विवाह सावित्री देवी से हुआ था और उनके दो बेटे, केशव चंद्र और गोकुल चंद्र, और तीन बेटियां, दुर्गावती, विद्या और कमला थीं। वह एक चित्रकार थे और उन्होंने अपना घर खुद डिजाइन किया था, जो 1941 में उनकी मृत्यु के समय अधूरा था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी-Ramchandra Shukla biography in Hindi आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी-चरित्र चित्रण आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जीवन परिचय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 4 अक्टूबर, 1884 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता का नाम पं॰ चंद्रबली शुक्ल आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के माता का नाम निवासी शुक्ला आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की मृत्यु 2 फरवरी, 1941 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जाति/धर्म ब्राह्मण / हिंदू आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के अगोना नामक गांव आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का मृत्यु का स्थान उत्तर प्रदेश का वाराणसी जिला आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का मृत्यु का कारण दिल का दौरा के कारण आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का उम्र (मृत्यु के वक्त) 56 साल 3 महीने 22 दिन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रमुख रचनाएँ रसमीमांसा, चिंतामणि, विचारवीथी, त्रिवेणी, मित्र...