Aakashe tarak lingam mantra in hindi

  1. Lingashtakam Lyrics in Hindi
  2. जाने भगवान् श्री राम के विशेष मंत्र
  3. Lord Rama Mantras and Chants that are highly effective
  4. लिङ्गाष्टकम्


Download: Aakashe tarak lingam mantra in hindi
Size: 40.54 MB

Lingashtakam Lyrics in Hindi

WhatsApp Telegram Facebook Twitter LinkedIn Lingashtakam is an eight verse stotram dedicated to the worship of lord shiva in his “Linga” form. It is also popular with its starting verse “Brahma Murari Surarchita Lingam”. It is believed that reciting Lingastakam gives you mental peace. It is also said that with regular chanting of Lingashtakam with utmost devotion, one can attain moksha and reach Shivaloka. Get Lingashtakam Lyrics in Hindi pdf here and chant with devotion for the grace of Lord Shiva. लिंगाष्टकम एक अष्टक (आठ छंदों वाला भजन) है, जिसका उच्चारण भगवान शिव की पूजा करते समय किया जाता है। लिंगस्तकम भगवान शिव की पूजा के लिए “लिंग” के रूप में समर्पित है। लिंगाष्टक भजन के बार-बार पढ़ने से मन की शांति मिलती है और धीरे-धीरे बुरी और बुरी आदतें दूर हो जाती हैं। बुजुर्गों का मानना ​​है कि कोई भी भक्ति के साथ लिंगशक्तक स्तोत्र का पाठ करके शिवलोक पहुंच सकता है। Lingashtakam in Hindi – लिंगाष्टकम् ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं निर्मलभासित शोभित लिंगम् | जन्मज दुःख विनाशक लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ‖ 1 ‖ देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं कामदहन करुणाकर लिंगम् | रावण दर्प विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ‖ 2 ‖ सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् | सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ‖ 3 ‖ कनक महामणि भूषित लिंगं फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् | दक्षसुयज्ञ विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ‖ 4 ‖ कुंकुम चंदन लेपित लिंगं पंकज हार सुशोभित लिंगम् | संचित पाप विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ‖ 5 ‖ देवगणार्चित सेवित लिंगं भावै-र्भक्तिभिरेव च लि...

जाने भगवान् श्री राम के विशेष मंत्र

मान्यता है कि भगवान राम के नाम का जाप करने मात्र से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइये जाने भगवान राम से जुड़े कुछ विशेष मंत्र (sita ram mantra in hindi) – Bhagwan Ram Mantra in Hindi तारक मंत्र – Ram tarak mantra (Ram ji ka maha mantra) तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिख दिया है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं, उन सब में सर्वाधिक श्री फल देने वाला नाम राम का ही है। यह नाम सबसे सरल, सुरक्षित तथा निश्चित रुप से लक्ष्य की प्राप्ति करवाने वाला है। मंत्र जप के लिए आयु, स्थान, परिस्थिति, काल, जात-पात आदि किसी भी बाहरी आडम्बर का बंधन नहीं है। किसी क्षण, किसी भी स्थान पर इसे जप सकते हैं। जब मन सहज रूप में लगे, तब ही मंत्र जप कर लें। तारक मंत्र ‘श्री’ से प्रारंभ होता है। ‘श्री’ को सीता अथवा शक्ति का प्रतीक माना गया है। राम शब्द ‘रा’ अर्थात् र-कार और ‘म’ मकार से मिल कर बना है। ‘रा’ अर्थात् र-कार और ‘म’ मकार से मिल कर बना है। ‘रा’ अग्नि स्वरुप है। यह हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है। ‘म’ जल तत्व का द्योतक है। जल आत्मा की जीवात्मा पर विजय का कारक है। इस प्रकार पूरे तारक मंत्र –‘श्री राम, जय राम, जय जय राम’ का सार निकलता है – शक्ति से परमात्मा पर विजय। योग शास्त्र में देखा जाए तो ‘रा’ वर्ण को सौर ऊर्जा का कारक माना गया है। यह हमारी रीढ़-रज्जू के दाईं ओर स्थित पिंगला नाड़ी में स्थित है। यहां से यह शरीर में पौरुष ऊर्जा का संचार करता है। ‘मा’ वर्ण को चन्द्र ऊर्जा कारक अर्थात स्त्री लिंग माना गया है। यह रीढ़-रज्जू के बांई ओर स्थित इड़ा नाड़ी में प्रवाहित होता है। इसीलिए कहा गया है कि श्वास और निश्वास में निरंतर र-कार ‘रा’ और म-कार ‘म’ का उच्चारण करते रहने से दोनों नाड़ियों में प्रवाहि...

Lord Rama Mantras and Chants that are highly effective

1. Rama Moola Mantra ॐ श्री रामाय नमः॥ Om Shri Ramaya Namah॥ 2. श्री राम जय राम जय जय राम॥ Shri Rama Jaya Rama Jaya Jaya Rama॥ 3. Rama Gayatri Mantra ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥ Om Dasharathaye Vidmahe Sitavallabhaya Dhimahi, Tanno Rama Prachodayat॥ 4. Rama Meditation Mantra ॐ आपदामपहर्तारम् दाताराम् सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो-भूयो नमाम्यहम्॥ Om Apadamapahartaram Dataram Sarvasampadam। Lokabhiramam Shriramam Bhuyo-Bhuyo Namamyaham॥

लिङ्गाष्टकम्

Read in English ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥ कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् । सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥ देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् । दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥ अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् । अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥ सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् । परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥ लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ। शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥