आम का पर्यायवाची संस्कृत में

  1. Paryayvachi Shabd In Sanskrit । संस्कृत के पर्यायवाची शब्द । Synonym words in Sanskrit । संस्कृत में पर्यायवाची शब्द । Sanskrit ke Paryayvachi Shabd ।
  2. आम को संस्कृत में क्या कहते हैं
  3. संस्कृत शब्दकोश
  4. Paryayvachi Shabd In Sanskrit


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Paryayvachi Shabd In Sanskrit । संस्कृत के पर्यायवाची शब्द । Synonym words in Sanskrit । संस्कृत में पर्यायवाची शब्द । Sanskrit ke Paryayvachi Shabd ।

Paryayvachi Shabd In Sanskrit । संस्कृत के पर्यायवाची शब्द । Synonym words in Sanskrit । संस्कृत में पर्यायवाची शब्द । Sanskrit ke Paryayvachi Shabd । Paryayvachi Shabd In Sanskrit । संस्कृत के पर्यायवाची शब्द । Synonym words in Sanskrit । संस्कृत में पर्यायवाची शब्द । Sanskrit ke Paryayvachi Shabd । संस्कृत के पर्यायवाची शब्द । Synonyms of Sanskrit . Synonym words in Sanskrit जिन शब्दों का एक जैसा अर्थ हो, उन्हे पर्यायवाची शब्द कहते हैं। पर्यायवची को समानार्थक अथवा पर्यायपद भी कहते हैं। संस्कृत के प्रमुख पर्यायवाची शब्द निम्न हैं- शब्द पर्यायवाची अग्नि:- अग्नि:, वैश्वानर:, वह्नि:, जातवेदा:, ज्वलन:, बर्हि:, शुष्मा, कृष्णवर्त्मा, कृशानु:, पावक:, अनल:, रोहिताश्व:, वायुसख:, दहन:, हव्यवाहन:, सप्तार्चि:, चित्रभानु:, शुचि:। अश्रु- नेत्राम्बु:, रोदनम्, अश्रु, अस्त्रम्, वाष्पम् अनुज:- जघन्यज:, कनिष्ठ:, अवरज:, यवीय:। असुर:- दैत्य:, दैतेय:, दनुज:, इन्द्रारि:, दानव:, शुक्रशिष्य:, दितिसुत:, पूर्वदेव:, सुरद्विष:। अज्ञानम्- अज्ञानम्, अविद्या, अहंमति:। अन्धकार:- ध्वान्तम्, तिमिरम्, तमिस्रम्, तमस् (तम:) अस्थि- कीकसम्, कुल्यम्, अस्थि -। अधर:- ओष्ठ:, रदनच्छद:, दशनवाससी, दशनवास: - अगस्त्य:- अगस्त्य:, मैत्रावरुणि:, कुम्भसम्भव:। अमृतम्- त्रिदशाहार:, सुधा, पीयूषम्, अमिय। अश्व:- घोटक:, वीति:, तुरग:, तुरङ्ग:, वाजी, वाह:, अर्वा, गन्धर्व:, हय: सैन्धव:, सद्रि:। अधम:- निकृष्ट:, प्रतिकृष्ट:, अर्वा, याप्या:, अवम्, कुपूय:, कुत्सित:, अवद्य:, खेट:, गर्ह्य:, अणका:। अङ्गणम्- चत्वरम्, अजिरम् अन्ध:- दृष्टिहीन:, अचक्षु:। अद्भूतम्- आश्चर्यम्, विस्मय:, चित्रम्। अन्त:पुरम्- अवरोधनम्, अवरोध:, शुद्धान्त:। अश्विनौ- ...

आम को संस्कृत में क्या कहते हैं

क्या आपको पता है कि आम को संस्कृत में क्या कहते हैं, आम के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते हैं तो चिन्ता न कीजिये। जी हां, हम आपको यहाँ बता रहे हैं कि संस्कृत में आम को क्या कहते हैं। What is the word for mango in Sanskrit भारत की नम्बर वन फ्री में संस्कृत सिखाने वाली वेबसाइट SanskritExam. Com में आपका स्वागत है। आज का सवाल बेंगलुरु से मीनाक्षी देवराय के द्वारा पूछा गया है। यदि आपका भी कोई सवाल हो तो आप बेझिझक नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं। सवाल- सर आपको व SanskritExam. Com टीम को मेरा नमस्कार। मुझे आम फलों में सबसे ज्यादा पसंद है। सर मैं यह जानना चाहती हूँ कि आम को संस्कृत में क्या कहते हैं? जवाब- मिनाक्षी जी, आपका व आपके सवाल का स्वागत है। हम आपको आपके सवाल का जवाब आगे दे रहे हैं। इसके अलावा आम के नाम से जुड़ी संस्कृत में बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें भी यहाँ बताई जा रही हैं। आइये जानते हैं.... Aam Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain इन्हें भी देखें 👇👇 • • • • • आम को संस्कृत में क्या कहते हैं? आम एक हिन्दी भाषा में प्रयोग किया जाने वाला शब्द है। हालांकि आम शब्द संस्कृत का ही अपभ्रंश रूप है। संस्कृत में आम को "आम्रम्" या आम्रफलम् कहते हैं। आपको पता होगा कि संस्कृत भाषा संसार की सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत में एक शब्द के हजारों वैज्ञानिक शब्द होते हैं। आम के संस्कृत में बहुत से पर्यायवाची शब्द भी हैं। जिसके बारे में आगे बताया जा रहा है.... आम के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते हैं आम के लिए तो आपने संस्कृत में नाम जान लिया है। आइये, अब आम के पेड़ का संस्कृत नाम जानते हैं। आम के पेड़ को संस्कृत में= आम्रवृक्षः या आम्रतरुः कहते हैं। आगे हम आपको- आम व आम के पेड़ का संस्कृत में वाक्य ...

विक्षनरी:संस्कृत

मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ • स—अव्य॰—-—-—के साथ, मिला कर, के साथ-साथ, संयुक्त होकर, युक्त, सहित सपुत्र, संभार्य, सतृष्ण, सधन, सरोषम्, सकोपम्, सहरि आदि • स—अव्य॰—-—-—समान, सदृश, सधर्मन् ‘समान प्रकृति का’,इसी प्रकार सजाति, सवर्ण • स—अव्य॰—-—-—वही, सोदर, सपक्ष, सपिंड, सनाभि आदि • स—पुं॰—-—-—साँप • स—पुं॰—-—-—वायु, हवा • स—पुं॰—-—-—पक्षी • स—पुं॰—-—-—‘षड्ज’ नामक संगीत स्वर का संक्षिप्त • स—पुं॰—-—-—शिव का नाम • स—पुं॰—-—-—विष्णु का नाम • संयः—पुं॰—-—सम् + यम् + ड—कंकाल, पंजर • संयत्—स्त्री॰—-—सम् + यम् + क्विप्—युद्ध, संग्राम, लड़ाई • संयद्वरः—पुं॰—संयत्-वरः—-—राजा, राजकुमार • संयत—भू॰ क॰ कृ॰—-—सम् + यम् + क्त—रोका हुआ, दबाया हुआ, वश में किया हुआ • संयत—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—जकड़ा हुआ, एक स्थान पर बाँधा हुआ • संयत—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बेड़ियों से जकड़ा हुआ • संयत—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बन्दी, कैदी, कारावासी • संयत—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उद्यत, तैयार • संयत—भू॰ क॰ कृ॰—-—-—व्यवस्थित • संयताञ्जलि—वि॰—संयत-अञ्जलि—-—जिसने विनम्र प्रार्थना के लिए हाथ जोड़े हुए हैं • संयतात्मन्—वि॰—संयत-आत्मन्—-—जिसने मन को वश में कर लिया है, नियंत्रितमना, आत्मनिग्रही • संयताहार—वि॰—संयत-आहार—-—मिताहारी • संयतोपस्कर—वि॰—संयत-उपस्कर—-—जिसका घर सुव्यवस्थित हो, जिसके घर का सामान सब क्रमपूर्वक रक्खा हो • संयतचेतस—वि॰—संयत-चेतस—-—मन को नियन्त्रण में रखने वाला • संयतमनस्—वि॰—संयत-मनस्—-—मन को नियन्त्रण में रखने वाला • संयतप्राण—वि॰—संयत-प्राण—-—जिसका श्वास नियंत्रित किया हुआ हैं, प्राणायाम का अभ्यास करने वाला • संयतवाच्—वि॰—संयत-वाच्—-—मूक, मौन रहने वाला, मितभाषी • संयत्त—वि॰—-—सम् + यत् +क्त—सन्नद्ध, तत्...

संस्कृत शब्दकोश

सबसे पहले शब्द-संकलन भारत में बने। भारत की यह शानदार परंपरा वेदों जितनी—कम से कम पाँच हजार वर्ष—पुरानी है। प्रजापति कश्यप का निघण्टु संसार का प्राचीनतम शब्द संकलन है। इस में १८०० वैदिक शब्दों को इकट्ठा किया गया है। निघंटु पर महर्षि यास्क की व्याख्या 'निरुक्त' संसार का पहला शब्दार्थ कोश (डिक्शनरी) एवं विश्वकोश (ऐनसाइक्लोपीडिया) है। इस महान शृंखला की सशक्त कड़ी है छठी या सातवीं सदी में लिखा अमरसिंह कृत 'नामलिंगानुशासन' या 'त्रिकांड' जिसे सारा संसार 'अमरकोश' के नाम से जानता है। अमरकोश को विश्व का सर्वप्रथम समान्तर कोश (थेसेरस) कहा जा सकता है। . 38 संबंधों: निरुक्त वैदिक साहित्य के शब्द-व्युत्पत्ति (etymology) का विवेचन है। यह हिन्दू धर्म के छः वेदांगों में से एक है - इसका अर्थ: व्याख्या, व्युत्पत्ति सम्बन्धी व्याख्या। इसमें मुख्यतः वेदों में आये हुए शब्दों की पुरानी व्युत्पत्ति का विवेचन है। निरुक्त में शब्दों के अर्थ निकालने के लिये छोटे-छोटे सूत्र दिये हुए हैं। इसके साथ ही इसमें कठिन एवं कम प्रयुक्त वैदिक शब्दों का संकलन (glossary) भी है। परम्परागत रूप से संस्कृत के प्राचीन वैयाकरण (grammarian) यास्क को इसका जनक माना जाता है। वैदिक शब्दों के दुरूह अर्थ को स्पष्ट करना ही निरुक्त का प्रयोजन है। ऋग्वेदभाष्य भूमिका में सायण ने कहा है अर्थावबोधे निरपेक्षतया पदजातं यत्रोक्तं तन्निरुक्तम् अर्थात् अर्थ की जानकारी की दृष्टि से स्वतंत्ररूप से जहाँ पदों का संग्रह किया जाता है वही निरुक्त है। शिक्षा प्रभृत्ति छह वेदांगों में निरुक्त की गणना है। पाणिनि शिक्षा में "निरुक्त श्रोत्रमुचयते" इस वाक्य से निरुक्त को वेद का कान बतलाया है। यद्यपि इस शिक्षा में निरुक्त का क्रमप्राप्त चतुर्थ स्थान...

Paryayvachi Shabd In Sanskrit

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