Aarkmidij ka siddhant in hindi

  1. मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत, Maslow Hierarchy Of Needs Theory In Hindi » Hindikeguru
  2. एमिल दुर्खीम का सामाजिक सिद्धांत , एमिल दर्खाइम की विचार पद्धति सिद्धांत emile durkheim in hindi
  3. मानव अधिकार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, सिद्धांत
  4. चोम्स्की का भाषा सिद्धान्त
  5. संगठन का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, महत्व एवं संगठनकर्ता के कार्य


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मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत, Maslow Hierarchy Of Needs Theory In Hindi » Hindikeguru

1.4 ५. आत्मासिद्धि की आवश्यकता: मैस्लो का जीवन परिचय: मैस्लो का पूरा नाम अब्राहम हेरोल्ड मैस्लो था। जिनका जन्म 1 अप्रैल 1908 ईस्वी को ब्रुकलिन न्यूयॉर्क में हुआ था। माता-पिता से पैदा हुए 7 बच्चों में से सबसे बड़ा मैस्लो ही था। वे सभी यहूदी प्रवासी थे उनके लिए सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद कर रहे थे। मैस्लो अपनी शैक्षणिक सफलता के लिए कड़ी मेहनत की। जिसका परिणाम यह हुआ कि वे कई किताबों को पढ़ लिया। मैस्लो ने 1951 से 1969 तक ब्रांडीस में मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किए हैं। वहीं उनकी मुलाकात कर्ट गोल्डस्टीन से हुई। गोल्डस्टीन द्वारा लिखित पुस्तक ‘ द ऑर्गनाइजम थ्योरी ऑफ मोटिवेशन’ 1934 में कहा कि “अगर देखा जाए तो वास्तव में केवल एक ही प्रमुख मानवी प्रेरक होता है जिसे हम आत्मानुभूति या आत्मासिद्धि कहते है बाकी सब प्रथामिक तथा समाजिक प्रेरक होता है” इसी सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए मैस्लो ने मैस्लो द्वारा लिखित पुस्तक ‘ motivation and personality’ और ‘ A theory of human motivation’ यह दो प्रसिद्ध इनकी पुस्तकें हैं। मैस्लो अपने अंतिम वर्ष कैलिफोर्निया में अर्ध्द सेवानिवृत्त में बिताया। कैलिफोर्निया में ही मैस्लो 8 जून 1970 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।maslow hierarchy of needs theory in hindi इसे भी पढ़ें: मैस्लो के अभिप्रेरणा सिद्धांत को और भी अन्य नामों से जाना जाता है- • पदानुक्रमित आवश्यकताओं का सिद्धांत • मांग आपूर्ति आवश्यकता का सिद्धांत • नाभिकीय आवश्यकता का सिद्धांत • मानवतावादी आवश्यकता का सिद्धांत • मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत • मैस्लो का पिरामिड सिद्धांत मैस्लो का सिद्धांत इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। इसे भी पढ़ें: मैस्लो का अभिप्रेर...

एमिल दुर्खीम का सामाजिक सिद्धांत , एमिल दर्खाइम की विचार पद्धति सिद्धांत emile durkheim in hindi

emile durkheim in hindi theory in sociology एमिल दुर्खीम का सामाजिक सिद्धांत , एमिल दर्खाइम की विचार पद्धति सिद्धांत जीवन परिचय क्या है ? एमिल दर्खाइम की विचार पद्धति समाजशास्त्र के लिए एक विशिष्ट पद्धति विकसित करने में एमिल दर्खाइम का महत्वपूर्ण योगदान है। अपनी कृतियों में विभिन्न प्रश्नों के सामाजिक पहलुओं पर उसने जोर दिया। वैयक्तिक या मनोवैज्ञानिक व्याख्या की जगह उसने सामाजिक और समाजशास्त्रीय व्याख्या का प्रयोग किया। निश्चित रूप से दर्खाइम ने समाजशास्त्र को अपनी अलग-सी पहचान दी। इस भाग में आइए हम देखें कि किस प्रकार दर्खाइम ने व्यक्ति और समाज के अंतर्सबंध को दर्शाया है। दर्खाइम के अनुसार “सामाजिक तथ्य‘‘ (social facts) समाजशास्त्र की विषयवस्तु है, इस पर भी हमने चर्चा की है। अंत में हमने दर्खाइम द्वारा प्रस्तुत “प्रकार्यात्मक विश्लेषण‘‘ (functional analysis) की व्याख्या की है। व्यक्ति और समाज दर्खाइम के अनुसार मानव-जाति शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति से तृप्त नहीं होती। मनुष्य की इच्छाएँ और अभिलाषाएँ अपार हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए सामाजिक नियम आवश्यक हैं। सामाजिक नियंत्रण के द्वारा ही व्यक्तिगत इच्छाओं को काबू में रखा जा सकता है। जब सामाजिक नियम टूट जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं तब व्यक्ति को नियंत्रित करने वाली शक्ति भी नष्ट हो जाती है। वे तमाम नीतियां और नियम जिनके सहारे जनसमूह अपना जीवन व्यतीत करते हैं, यदि निरर्थक हो जाते हैं तो इस स्थिति को दर्खाइम प्रतिमानहीनता (anomie) कहता है। लुविस कोजर (1971ः 133) मानता है कि दर्खाइम के समाजशास्त्र का प्रमुख सूत्र है – सामाजिक संतुलन और असंतुलन। दर्खाइम उन प्रक्रियाओं की व्याख्या करना चाहता है जो सामाजिक संतुलन या असंतुलन क...

मानव अधिकार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, सिद्धांत

मानव अधिकारों से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से हैं जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए है। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किए गए हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं। इसके अलावा ऐसे अधिकार जो अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किए गए हैं और देश के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं, को मानव अधिकार माना जाता है। मानव अधिकार शब्द हिन्दी का युग्म शब्द है जो दो शब्दो मानव + अधिकार से मिलकर बना है। मानव अधिकारों से आशय मानव के अधिकार से है। मानव अधिकार शब्द को पूर्णत: समझने के पूर्व हमें अधिकार शब्द को समझना होगा - हैराल्ड लास्की के अनुसार, ‘‘अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिसके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति पूर्ण आत्म-विकास की आशा नहीं कर सकता।’’ अधिकार वे सुविधाएँ है जो व्यक्ति को जीने के लिए, उसके व्यक्तित्व को पुष्पित और पल्लवित करने के लिए आवश्यक है। मानव अधिकार का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। इसकी परिधि के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के नागरिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों का समावेश है। अपनी व्यापक परिधि के कारण मानव अधिकार शब्द का प्रयोग भी अत्यंत व्यापक विचार-विमर्श का विषय बन गया है। आर.जे. विसेंट का मत है कि‘‘मानव अधिकार वे अधिकार है जो प्रत्येक व्यक्ति को मानव होने के कारण प्राप्त है। इन अधिकारों का आधार मानव स्वभाव में निहित है।’’ ए.ए. सईद के अनुसार, ‘‘मानव अधिकारों का सम्बन्ध व्यक्ति की गरिमा से है एवं आत्म-सम्मान का भाव जो व्यक्तिगत पहचान को रेखांकित करता है तथा मानव समाज को आगे बढाता है।’’ डेविड सेलवाई का विचार है कि‘‘मानव अधिकार सं...

चोम्स्की का भाषा सिद्धान्त

नोम चोम्स्की का भाषा सिद्धान्त Chomsky Theory चोम्स्की अमेरिका के मनोवैज्ञानिक थे। जिन्होंने चोम्स्की को भाषा विकास के जनक (Father of Language Development) के रूप में भी देखा जाता हैं और उन्हें आधुनिक भाषा विकास का जनक भी कहा जाता हैं। जिस कारण इन्हें भाषाविद या भाषा मनोवैज्ञानिक के रूप में भी देखा जाता हैं। यह एक व्यवहारवादी विचारक थे। चोम्स्की के अनुसार बालक में व्याकरण एवं भाषा को सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं। नोम चोम्स्की द्वारा इस सिद्धांत ( भाषा को अर्जन करने की ये क्षमता कुछ निश्चित समय तक होती है। बालक की भाषा अधिग्रहण क्षमता जो होती हैं वह शुरुआती 5 वर्ष तक प्रभावशील होती हैं। उसके पश्चात हमे किसी भाषा को सीखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। क्योंकि उसके पश्चात भाषा को सीखने की क्षमता कम होते रहती हैं। चोम्स्की के अनुसार बालक में भाषा अधिग्रहण यंत्र (LAD) होता हैं। जिसकी सहायता से वह किसी भाषा को तीव्र गति से सीख पाते हैं। यह यंत्र हमारे दिमाग का एक भाग होता हैं, जिसे निकाला या देखा नही जा सकता। यह प्राकृतिक क्षमता की देन होती हैं, सामान्य शब्दों में कहे तो इसे God Gift के रूप में देखा जा सकता हैं। चोम्स्की मानते हैं कि बालक में भाषा या व्याकरण को सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं, परंतु उस भाषा को सीखने की क्षमता को क्रियान्वयन रूप वातावरण द्वारा दिया जाता हैं। अर्थात भाषा को सीखने हेतु वातावरण और संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं। चोम्स्की सिद्धान्त की विशेषता |Features of Chomsky Theory ● जन्मजात क्षमता – चोम्स्की के अनुसार बालक बचपन से ही भाषा और व्याकरण को सीखने की क्षमता विकसित करके लाता हैं। यह सहमत अनुवांशिक और सार्वभौमिक होती हैं। ● पर्यावरण...

संगठन का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, महत्व एवं संगठनकर्ता के कार्य

संगठन का अर्थ (sangathan kya hai) sangathan meaning in hindi;जब कभी दो या से अधिक व्यक्ति किसी उपक्रम के साथ-साथ कार्य करते है, तो इन व्यक्तियों के मध्य कार्य को बांटने की आवश्यकता होती है। इसी का नाम "संगठन" है। अंग्रेजी भाषा के शब्द " Organizations " की उत्पत्ति " Organism " से हुई है, जिसका आश्य देह के ऐसे टुकड़ों से है, जो परस्पर इस प्रकार संबंधित है कि एक पूर्ण इकाई के रूप मे कार्य करते है। जिस तरह मावन शरीर की समस्त कार्यवाही का संचालन मानव मस्तिष्क द्वारा होता है, उसी प्रकार एक व्यावसायिक संस्था भी विभिन्न विभागों मे विभक्त होती है। जैसे-- क्रय, वित्त, कर्मचारी आदि विभाग। इस तरह " संगठन " वास्तव मे वह तंत्र है, जो लोगों मे एक साथ रहने की सामर्थ्य पैदा करता है। संगठन एक अत्यंत विस्तृत शब्द है, अतः इसकी कोई एक ऐसी परिभाषा देना कठिन है, जो सर्वमान्य हो। विभिन्न विद्वानों ने संगठन की विभिन्न परिभाषाएं दी है, इनमें से कुछ इस प्रकार है-- पो. हैन के अनुसार," किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिये उत्पादन के साधन को सर्वोत्तम ढंग से समायोजित करने के कार्य को संगठन कहा जाता है।" । जी. ई. मिलवाई के अनुसार," कार्य और कार्मचारी समुदाय का मधुर संबंध संगठन कहलता है।" प्रो. बाई के शब्दों मे," व्यावसायिक उपक्रम का सारा कार्य एक प्रकार का श्रम है। यह आय तथा धन प्राप्त करने के लिये किया गया मानसिक प्रयास है। यह अन्य प्रकार के श्रम से भिन्न श्रम है, क्योंकि इसमे विशेष विद्यमान रहते है।" लैस्बर्ग एवं स्प्रीगल के शब्दों मे," संगठन किसी उपक्रम के विभिन्न घटकों के बीच संरचनात्मक संबंध होता है।" मैक्फारलैण्ड के अनुसार," संगठन का आशय निर्दिष्ट व्यक्तियों के उस समूह से है जो उद्देश्यों की...