आर्य समाज के संस्थापक कौन थे

  1. आर्य समाज और उसके सिद्धान्त
  2. [Solved] आर्य समाज के संस्थापक कौन थे?
  3. आर्य समाज के संस्थापक कौन थे
  4. आर्य वंश के संस्थापक कौन थे? – ElegantAnswer.com
  5. आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती
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  10. आर्य समाज के संस्थापक कौन थे


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आर्य समाज और उसके सिद्धान्त

आर्य समाज और उसके सिद्धान्त तथा नियम सबसे पहले बम्बई में गठित किये गये। इसकी स्थापना 10 अप्रैल 1875 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी विरजानन्द की प्रेरणा से बम्बई में की थी। 1877 ई. इसका मुख्यालय बम्बई से स्थानान्तरित करके लाहौर बनाया गया। जिसके कारण यह आन्दोलन उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय हुआ। इस समाज का मुख्य उद्देश्य भारत को धार्मिक, सामाजिक व राष्ट्रीय रूप से एक करना तथा वैदिक धर्म को पुनः शुद्ध रूप में स्थापित करना था। इसके लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने “पुनः वेदों की ओर लौटो”का नारा दिया। आर्य समाज ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, दहेज प्रथा, बहु विवाह, जाति व्यवस्था, छुआछूत, विधवा को हेय मानना आदि सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। धार्मिक क्षेत्र में इस समाज ने मूर्ति पूजा, बहुदेववाद, अवतारवाद, पशुबलि, श्राद्ध, मंत्र तंत्र तथा झूठे कर्मकाण्ड को स्वीकार नहीं किया। किन्तु इसने कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था को स्वीकार किया। आर्य समाज के कार्य का सबसे अधिक प्रभाव विद्या, सामाजिक सुधार तथा सेवा के क्षेत्र में देखने को मिला। इस समाज ने स्त्री पुरुष समानता, सभी मनुष्यों ने भ्रातृत्वभाव, जातियों के बीच न्यायपूर्ण निष्पक्षता, प्रेम तथा दान की भावना, शिक्षा तथा ज्ञान के प्रसार आदि के साथ स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया। आर्य समाज ने “शुद्धि आन्दोलन” भी चलाया। जिसके अंतर्गत उन लोगों को हिन्दू धर्म में वापस लाया गया। जिन्होंने किसी कारण वश अन्य धर्म ग्रहण कर लिया था। इस समाज का प्रचार पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में प्रमुख रूप से हुआ। आर्य समाज के संस्थापक आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती थे। इनका जन्म 12 फरवरी 1824 में गुजरात के टंकारा नामक स्...

[Solved] आर्य समाज के संस्थापक कौन थे?

सही उत्तर विकल्प 1 अर्थात् स्वामी दयानंद सरस्वती है। • "आर्य समाज" सुधार आधुनिक हिंदू धर्म के लिए सबसे अच्छे आंदोलनों में से एक था। • इसकी स्थापना दयानंद सरस्वती ने 1875 ईस्वीमें की थी। • जिसका मुख्य उद्देश्य "वेदों को पुनः स्थापित करना" था। • दयानंद सरस्वती ने "बैक टू वेद" का नारा दिया। • दयानंद सरस्वती ने मूर्तिपूजा, जाति प्रथा, छुआछूत आदि जैसी कुप्रथाओं की आलोचना की थी।

आर्य समाज के संस्थापक कौन थे

Ans: स्वामी दयानंद सरस्वती स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी। उन्होंने वेदों का अनुवाद किया और सत्यार्थ प्रकाश, वेद भाष्य भूमिका और वेद भाष्य नामक तीन पुस्तकें लिखीं। उन्होंने “वेदों की ओर लौट चलो” का नारा दिया। दयानंद आंग्ल वैदिक (D.A.V) स्कूल उनके दर्शन और शिक्षाओं के आधार पर स्थापित किए गए थे।

आर्य वंश के संस्थापक कौन थे? – ElegantAnswer.com

इसे सुनेंरोकेंवाल्मीकी रामायण में समदृष्टि रखने वाले और सज्जनता से पूर्ण श्रीरामचन्द्रजी को स्थान-स्थान पर ‘आर्य’ व ‘आर्यपुत्र’ कहा गया है। विदुरनीति में धार्मिक को, चाणक्यनीति में गुणीजन को, महाभारत में श्रेष्ठबुद्धि वाले को तथा गीता में वीर को ‘आर्य’ कहा गया है। आर्य संस्कृति क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंसिन्धु संस्कृति के अवसान के उपरान्त भारत में वैदिक संस्कृति की स्थापना हुई। कालानुक्रमिक दृष्टि से देखें तो सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन के बाद पश्चिमोत्तर भारत में एक ग्रामीण संस्कृति का जन्म हुआ जिसे वैदिक संस्कृति कहा गया। चूंकि इस संस्कृति के प्रवर्तक आर्य थे इसलिए इसे कभी कभी आर्य संस्कृति भी कहा जाता है। आर्य कौन सी कास्ट है? इसे सुनेंरोकेंआर्य किसी जाति का नहीं बल्कि एक विशेष विचारधारा को मानने वाले का समूह था जिसमें श्‍वेत, पित, रक्त, श्याम और अश्‍वेत रंग के सभी लोग शामिल थे। अर्थात : आर्य शब्द का प्रयोग महाकुल, कुलीन, सभ्य, सज्जन, साधु आदि के लिए पाया जाता है। भारत की सबसे प्राचीन जाति कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंनीग्रिटो : ) :- ये यहाँ की सबसे प्राचीन प्रजाति है। भारत में इस प्रजाति की कुछ जनजातियां दक्षिण भारत में निवास करती है। उत्तर-पूर्वी भारत की नागा जनजातियों में नीग्रिटो प्रजाति शामिल है। भारत के मूल निवासी कौन है? इसे सुनेंरोकेंमूलनिवासी तो प्रत्येक देश के सभी नागरिक होते हैं। ईसाई, पारसी, यहूदी, आर्य-क्षत्रिय-शूद्र, अछूत, दलित, ओबीसी, घुमन्तु, विमुक्त, आदिवासी, हूँण, कुषाण, शक, मंगोल, मुगल, आर्य-ब्राह्मण और वैश्यों सहित सभी के वंशज जो भारत के नागरिक हैं, आज कानूनी तौर पर भारत के मूलनिवासी हैं, लेकिन भारत के मूलवासी नहीं हैं। आर्यावर्त किसका प्राचीन नाम है? इस...

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती

Dayananda Saraswati स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र जिला राजकोट, गुजरात में सन् 1824 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया था। उन्होंने वेदों के प्रकांड विद्वान स्वामी विरजानंद जी से शिक्षा ग्रहण की थी। दयानंद सरस्वती को भी उनसे कई बार दंड मिला, मगर वह दृढ़ निश्चयी थे अत: पूरी शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प किए, डटे रहे। एक दिन दंडी स्वामी को क्रोध आया और उन्होंने अपने हाथ के सहारे ली हुई छड़ी से दयानंद की खूब पिटाई करते हुए उसकी खूब भर्त्सना कर दी। मूर्ख, नालायक, धूर्त... पता नहीं क्या-क्या कह कहते चले गए। दंडी स्वामी ने दयानंद का हाथ झटकते हुए कहा- 'पहले तो मूर्खता करता है, फिर चमचागिरी। यह मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं।' पाठशाला के सब विद्यार्थियों ने यह दृश्य देखा। उनमें एक नयनसुख था, जो गुरुजी का सबसे चहेता विद्यार्थी था। नयनसुख को दयानंद से सहानुभूति हो आई, वह उठा और गुरुजी के पास गया तथा बड़े ही संयम से बोला- 'गुरुजी! यह तो आप भी जानते हैं कि दयानंद मेधावी छात्र है, परिश्रम भी बहुत करता है।' दंडी स्वामी को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। अब उन्होंने दयानंद को अपने करीब बुलाया। उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले- 'भविष्य में हम तुम्हारा पूरा ध्यान रखेंगे और तुम्हें पूरा सम्मान देंगे।' जैसे ही छुट्टी हुई, दयानंद ने नयनसुख के पास जाकर कहा- 'मेरी सिफारिश करके तुमने अच्‍छा नहीं किया, गुरुजी तो हमारे हितैषी हैं। दंड देते हैं तो हमारी भलाई के लिए ही। हम कहीं बिगड़ न जाएं, उनको यही चिंता रहती है।' आर्य समाज की स्थापना के साथ ही भारत में डूब चुकी वैदिक परंपराओं को पुनर्स्थापित करके व...

[Solved] आर्य समाज के संस्थापक कौन थे?

सही उत्तर विकल्प 1 अर्थात् स्वामी दयानंद सरस्वती है। • "आर्य समाज" सुधार आधुनिक हिंदू धर्म के लिए सबसे अच्छे आंदोलनों में से एक था। • इसकी स्थापना दयानंद सरस्वती ने 1875 ईस्वीमें की थी। • जिसका मुख्य उद्देश्य "वेदों को पुनः स्थापित करना" था। • दयानंद सरस्वती ने "बैक टू वेद" का नारा दिया। • दयानंद सरस्वती ने मूर्तिपूजा, जाति प्रथा, छुआछूत आदि जैसी कुप्रथाओं की आलोचना की थी।

आर्य समाज और उसके सिद्धान्त

आर्य समाज और उसके सिद्धान्त तथा नियम सबसे पहले बम्बई में गठित किये गये। इसकी स्थापना 10 अप्रैल 1875 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी विरजानन्द की प्रेरणा से बम्बई में की थी। 1877 ई. इसका मुख्यालय बम्बई से स्थानान्तरित करके लाहौर बनाया गया। जिसके कारण यह आन्दोलन उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय हुआ। इस समाज का मुख्य उद्देश्य भारत को धार्मिक, सामाजिक व राष्ट्रीय रूप से एक करना तथा वैदिक धर्म को पुनः शुद्ध रूप में स्थापित करना था। इसके लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने “पुनः वेदों की ओर लौटो”का नारा दिया। आर्य समाज ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, दहेज प्रथा, बहु विवाह, जाति व्यवस्था, छुआछूत, विधवा को हेय मानना आदि सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। धार्मिक क्षेत्र में इस समाज ने मूर्ति पूजा, बहुदेववाद, अवतारवाद, पशुबलि, श्राद्ध, मंत्र तंत्र तथा झूठे कर्मकाण्ड को स्वीकार नहीं किया। किन्तु इसने कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था को स्वीकार किया। आर्य समाज के कार्य का सबसे अधिक प्रभाव विद्या, सामाजिक सुधार तथा सेवा के क्षेत्र में देखने को मिला। इस समाज ने स्त्री पुरुष समानता, सभी मनुष्यों ने भ्रातृत्वभाव, जातियों के बीच न्यायपूर्ण निष्पक्षता, प्रेम तथा दान की भावना, शिक्षा तथा ज्ञान के प्रसार आदि के साथ स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया। आर्य समाज ने “शुद्धि आन्दोलन” भी चलाया। जिसके अंतर्गत उन लोगों को हिन्दू धर्म में वापस लाया गया। जिन्होंने किसी कारण वश अन्य धर्म ग्रहण कर लिया था। इस समाज का प्रचार पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में प्रमुख रूप से हुआ। आर्य समाज के संस्थापक आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती थे। इनका जन्म 12 फरवरी 1824 में गुजरात के टंकारा नामक स्...

आर्य वंश के संस्थापक कौन थे? – ElegantAnswer.com

इसे सुनेंरोकेंवाल्मीकी रामायण में समदृष्टि रखने वाले और सज्जनता से पूर्ण श्रीरामचन्द्रजी को स्थान-स्थान पर ‘आर्य’ व ‘आर्यपुत्र’ कहा गया है। विदुरनीति में धार्मिक को, चाणक्यनीति में गुणीजन को, महाभारत में श्रेष्ठबुद्धि वाले को तथा गीता में वीर को ‘आर्य’ कहा गया है। आर्य संस्कृति क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंसिन्धु संस्कृति के अवसान के उपरान्त भारत में वैदिक संस्कृति की स्थापना हुई। कालानुक्रमिक दृष्टि से देखें तो सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन के बाद पश्चिमोत्तर भारत में एक ग्रामीण संस्कृति का जन्म हुआ जिसे वैदिक संस्कृति कहा गया। चूंकि इस संस्कृति के प्रवर्तक आर्य थे इसलिए इसे कभी कभी आर्य संस्कृति भी कहा जाता है। आर्य कौन सी कास्ट है? इसे सुनेंरोकेंआर्य किसी जाति का नहीं बल्कि एक विशेष विचारधारा को मानने वाले का समूह था जिसमें श्‍वेत, पित, रक्त, श्याम और अश्‍वेत रंग के सभी लोग शामिल थे। अर्थात : आर्य शब्द का प्रयोग महाकुल, कुलीन, सभ्य, सज्जन, साधु आदि के लिए पाया जाता है। भारत की सबसे प्राचीन जाति कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंनीग्रिटो : ) :- ये यहाँ की सबसे प्राचीन प्रजाति है। भारत में इस प्रजाति की कुछ जनजातियां दक्षिण भारत में निवास करती है। उत्तर-पूर्वी भारत की नागा जनजातियों में नीग्रिटो प्रजाति शामिल है। भारत के मूल निवासी कौन है? इसे सुनेंरोकेंमूलनिवासी तो प्रत्येक देश के सभी नागरिक होते हैं। ईसाई, पारसी, यहूदी, आर्य-क्षत्रिय-शूद्र, अछूत, दलित, ओबीसी, घुमन्तु, विमुक्त, आदिवासी, हूँण, कुषाण, शक, मंगोल, मुगल, आर्य-ब्राह्मण और वैश्यों सहित सभी के वंशज जो भारत के नागरिक हैं, आज कानूनी तौर पर भारत के मूलनिवासी हैं, लेकिन भारत के मूलवासी नहीं हैं। आर्यावर्त किसका प्राचीन नाम है? इस...

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती

Dayananda Saraswati स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र जिला राजकोट, गुजरात में सन् 1824 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया था। उन्होंने वेदों के प्रकांड विद्वान स्वामी विरजानंद जी से शिक्षा ग्रहण की थी। दयानंद सरस्वती को भी उनसे कई बार दंड मिला, मगर वह दृढ़ निश्चयी थे अत: पूरी शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प किए, डटे रहे। एक दिन दंडी स्वामी को क्रोध आया और उन्होंने अपने हाथ के सहारे ली हुई छड़ी से दयानंद की खूब पिटाई करते हुए उसकी खूब भर्त्सना कर दी। मूर्ख, नालायक, धूर्त... पता नहीं क्या-क्या कह कहते चले गए। दंडी स्वामी ने दयानंद का हाथ झटकते हुए कहा- 'पहले तो मूर्खता करता है, फिर चमचागिरी। यह मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं।' पाठशाला के सब विद्यार्थियों ने यह दृश्य देखा। उनमें एक नयनसुख था, जो गुरुजी का सबसे चहेता विद्यार्थी था। नयनसुख को दयानंद से सहानुभूति हो आई, वह उठा और गुरुजी के पास गया तथा बड़े ही संयम से बोला- 'गुरुजी! यह तो आप भी जानते हैं कि दयानंद मेधावी छात्र है, परिश्रम भी बहुत करता है।' दंडी स्वामी को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। अब उन्होंने दयानंद को अपने करीब बुलाया। उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले- 'भविष्य में हम तुम्हारा पूरा ध्यान रखेंगे और तुम्हें पूरा सम्मान देंगे।' जैसे ही छुट्टी हुई, दयानंद ने नयनसुख के पास जाकर कहा- 'मेरी सिफारिश करके तुमने अच्‍छा नहीं किया, गुरुजी तो हमारे हितैषी हैं। दंड देते हैं तो हमारी भलाई के लिए ही। हम कहीं बिगड़ न जाएं, उनको यही चिंता रहती है।' आर्य समाज की स्थापना के साथ ही भारत में डूब चुकी वैदिक परंपराओं को पुनर्स्थापित करके व...

आर्य समाज के संस्थापक कौन थे

Ans: स्वामी दयानंद सरस्वती स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी। उन्होंने वेदों का अनुवाद किया और सत्यार्थ प्रकाश, वेद भाष्य भूमिका और वेद भाष्य नामक तीन पुस्तकें लिखीं। उन्होंने “वेदों की ओर लौट चलो” का नारा दिया। दयानंद आंग्ल वैदिक (D.A.V) स्कूल उनके दर्शन और शिक्षाओं के आधार पर स्थापित किए गए थे।