आर्य समाज की स्थापना कब हुई

  1. आर्य समाज की स्थापना किसने और कब की थी
  2. आर्य समाज की स्थापना कब हुई?
  3. आर्य
  4. आर्य समाज की स्थापना कब हुई?
  5. Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki
  6. आर्य महिला समाज की स्थापना कब हुई थी ? When was Arya Mahila Samaj founded ?
  7. Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki
  8. आर्य महिला समाज की स्थापना कब हुई थी ? When was Arya Mahila Samaj founded ?
  9. आर्य
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आर्य समाज की स्थापना किसने और कब की थी

आर्य समाज की स्थापना किसने और कब की थी | arya samaj ki sthapna kisne aur kab ki thi –हिन्दू धर्म दुनिया के प्राचीन धर्मो में से एक है. समय-समय पर अनेक दुष्ट आत्माओ ने हिन्दू धर्म को नुकसान पहुचाने की कोशिश की है. लेकिन कोई इसमें सफल नहीं हो पाया है. आज भी हिन्दू धर्म अपने आदर्शो और संस्कारो के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. इसके पीछे उन महान लोगो की मेहनत और परिश्रम है. जिन्होंने हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए संघर्ष किया है. अनुक्रम • • • • • • आर्य समाज की स्थापना किसने और कब की थी | arya samaj ki sthapna kisne aur kab ki thi आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी. तथा यह एक हिंदू सुधार आंदोलन है. स्वामी दयानंद सरस्वती को आर्य समाज की स्थापना की प्रेरणा मथुरा के स्वामी विरजानन्द से प्राप्त हुई थी. आर्य समाज को मानने वाले लोग वैदिक परंपराओं में विश्वास करते है. तथा आर्य समाज के लोग मूर्ति पूजन, अवतारवाद, अंधविश्वास और कर्मकाण्ड को पूरी तरीके से नकारते हैं, आर्य समाज के लोग जातिवाद और छुआछुत जैसी सामाजिक बीमारी का विरोध करते हैं. आर्य समाज स्त्रियों और शुद्रो को वेद का अध्ययन करने और यज्ञ करने का अधिकार देता है. स्वानी दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखित सत्यार्थ प्रकाश नामक आर्य समाज का प्रमुख पतित्र और मान्य ग्रन्थ है. इस समाज का आदर्श वाक्य “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” है. जिसका हिंदी अनुवाद ‘पुरे विश्व को आर्य बनाते चलते चलो” है. सार्क का मुख्यालय कहा है | सार्क का पूरा नाम क्या है | सार्क में कितने सदस्य है आर्य समाज का इतिहास 10 अप्रैल 1875 में वर्तमान मुंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना की थी. इसकी स्थापना से पहले भी स्वामी जी के द्व...

आर्य समाज की स्थापना कब हुई?

हिंदू धर्म के अंतर्गत अनेक तरह के पंथ आते हैं, इसके अलावा अनेक तरह के सुधार आंदोलन भी हो चुके हैं। इसी तरह का एक सुधार आंदोलन आर्य समाज नाम से हुआ है। बता दें कि हमारे सनातन धर्म का इतिहास शताब्दियों पुराना है। हजारों वर्षों पुराने साक्षी आज भी सनातन धर्म से संबंधित मिलते हैं। समय-समय पर अनेक सारे लोगों ने हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की हिम्मत की है, लेकिन वे इस काम में कभी सफल नहीं हो पाए हैं। हालांकि हिंदू धर्म को भी समय-समय पर काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हिंदू धर्म को जागृत रखने के लिए, संस्कार, आदर्श, रिती रिवाज और हिंदू धर्म की महत्वकांक्षी को हमेशा जीवित रखने के लिए समय-समय पर अनेक तरह सुधार आंदोलन किए गए हैं।‌ इन सभी हिंदू सुधार आंदोलन में आर्य समाज हिंदू सुधार आंदोलन में शामिल है। इस हिंदू सुधार आंदोलन को आर्य समाज का नाम दिया गया, जो वर्तमान समय में संपूर्ण भारत में प्रचलित है। आर्य समाज का नाम तो आपने सुना ही होगा, इसे हिंदू धर्म के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है। आर्य समाज की स्थापना कब हुई? हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना गुलाम भारत में सन 1875 को की गई थी। उस समय भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। विशेष रूप से उस समय हिंदू धर्म को निशाना बनाया जा रहा था। शताब्दियों से चले आ रहे हिंदू धर्म पर लांछन लगाया जा रहा था। हिंदू धर्म को नष्ट किया जा रहा था। उसी समय हिंदू धर्म की रक्षा एवं संरक्षण के लिए हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की गई। वैदिक परंपराओं में विश्वास रखने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की थी। हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापन...

आर्य

आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ 'आदर्श', 'अच्छे हृदय वाला', 'आस्तिक', 'अच्छे गुणों वाला' आदि है। इसका उपयोग प्राचीन दस्यु और आर्य शब्द का इस्तमाल एक विशेषण के रुप मे किया जाता था। 'आर्य' का अर्थ होता है 'आदर्श', 'अच्छे ह्रदय वाला', 'आस्तिक', 'अच्छे गुणों वाला' जो कोई भी हिंद-आर्य भाषा बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। आर्य लोगो का निवास स्थान अखण्ड भारत तथा भूटान, इंडोनेशिया...था उसे ही आर्यवर्त कहा गया हैं। आर्यवर्त अखण्ड भारत का धार्मिक और संस्कृतिक नाम हैं। इसी प्रकार 'दस्यु' शब्द का अर्थ था 'राक्षस' या 'दैत्य' जिसका अर्थ है 'राक्षसी प्रवृत्ति' वाला जैसे कि बलात्कारी, हत्यारा, मांस भक्षी, 'दुराचारी' 'नास्तिक' आदि यह एक 'अवगुण' का सूचक था। मुख्य लेख: आर्य प्रजाति की आदिभूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषावैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: भाषा और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलनेवाले के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। भाषावैज्ञानिक साक्ष्यों की अपूर्णता और अनिश्चितता के कारण यह आदिभूमि कभी मध्य एशिया, कभी पामीर-कश्मीर, रही है। जबकि भारत से बाहर गए आर्यन के निशान कभी आस्ट्रिया-हंगरी, कभी जर्मनी, कभी स्वीडन-नार्वे और आज दक्षिण रूस के घास के मैदानों में ढूँढ़ी जाती है। भाषा और प्रजाति अनिवार्य रूप से अभिन्न नहीं। आज आर्यों की विविध शाखाओं के बहूद्भव (पॉलिजेनिक) होने का सिद्धांत भी प्रचलित होता जा रहा है जिसके अनुसार यह आवश्यक नहीं कि आर्य-भाषा-परिवार की सभी जातियाँ एक ही मानववंश की रही हों। भाषा का ग्रहण तो संपर्क और प्...

आर्य समाज की स्थापना कब हुई?

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Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki

विषयसूची • • • • • • • • आर्य समाज के बारे में कुछ जानकारी- भारत की आजादी से पहले यहां कई बुराइयां थीं जो अनादि काल से चली आ रही थीं और बदलते समय के अनुसार उन्हें खत्म करना जरूरी था। उन बुराइयों को सामाजिक रूप से फैलाया गया था और कुछ बुराइयों का संबंध महिलाओं से था। आर्य समाज की स्थापना किसने की थी? पहले आपको बता दें कि आर्य समाज एक हिंदू सुधार आंदोलन था, जिसे हिंदू धर्म में सुधार के लिए शुरू किया गया था। आर्य समाज 10 अप्रैल 1875 साल वर्तमान मुंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा स्थापित की गयी थी। लेकिन यह आर्य समाज अधिक समय तक नहीं चल सका और स्वामी के बिहारी छोड़ने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो गया। उसके तीन साल बाद स्वामी जी ने बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानंद सरस्वती को आर्य समाज की स्थापना के लिए मथुरा के स्वामी बिरजानंद से प्रेरित किया गया था। आर्य समाज के लोग वैदिक परंपराओं में विश्वास करते थे। और इसके अलावा आर्य समाज के लोग मूर्ति पूजा, अवतार, अंधविश्वास और कर्मकांडों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, आर्य समाज के लोग जातिवाद और छुआछूत जैसी सामाजिक बीमारी का विरोध करते थे। अहा ईश्वर का सर्वोतम और निज नाम “ओम है। आर्य समाज के अनुसार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति की अवधि चार अरब 32 करोड़ वर्ष है। और उनके वैदिक राष्ट्र में मांस, शराब, बीड़ी, सिगरेट, चाय, मिर्च-मसाले का कोई स्थान नहीं है। आर्य समाज महिलाओं और शूद्रों को वेदों का अध्ययन करने और यज्ञ करने का अधिकार देता है। सत्यार्थ प्रकाश, स्वानी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित, आर्य समाज के मुख्य लेखक और स्वीकृत पाठ हैं, इस समाज का आदर्श वाक्य “क्रावंतो विश्वमार्यम” है। आर्य शब्द का अर्थ क्या है? आर्य समाज का ...

आर्य महिला समाज की स्थापना कब हुई थी ? When was Arya Mahila Samaj founded ?

आर्य महिला समाज की स्थापना कब हुई थी? आर्य महिला समाज की स्थापना 30 नवंबर, 1882 को पुणे में हुई थी । इसकी स्थापना पंडिता रमाबाई ने महिलाओं को एक सम्मानित जीवन जीने के लिए सशक्त और शिक्षित बनाने के उद्देश्य से की थी । पंडिता रमाबाई सरस्वती एक महिला अधिकार और शिक्षा कार्यकर्ता, और एक समाज सुधारक थीं । उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए, विशेषकर बाल और विधवा शिक्षा के लिए संघर्ष किया । उन्होंने पुणे में शारदा सदन नामक बाल विधवाओं के लिए एक स्कूल की भी स्थापना की, जिसे एम.जी. रानाडे सहित कई सुधारकों का समर्थन था । समाज सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पंडिता रमाबाई को 1919...

Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki

विषयसूची • • • • • • • • आर्य समाज के बारे में कुछ जानकारी- भारत की आजादी से पहले यहां कई बुराइयां थीं जो अनादि काल से चली आ रही थीं और बदलते समय के अनुसार उन्हें खत्म करना जरूरी था। उन बुराइयों को सामाजिक रूप से फैलाया गया था और कुछ बुराइयों का संबंध महिलाओं से था। आर्य समाज की स्थापना किसने की थी? पहले आपको बता दें कि आर्य समाज एक हिंदू सुधार आंदोलन था, जिसे हिंदू धर्म में सुधार के लिए शुरू किया गया था। आर्य समाज 10 अप्रैल 1875 साल वर्तमान मुंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा स्थापित की गयी थी। लेकिन यह आर्य समाज अधिक समय तक नहीं चल सका और स्वामी के बिहारी छोड़ने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो गया। उसके तीन साल बाद स्वामी जी ने बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानंद सरस्वती को आर्य समाज की स्थापना के लिए मथुरा के स्वामी बिरजानंद से प्रेरित किया गया था। आर्य समाज के लोग वैदिक परंपराओं में विश्वास करते थे। और इसके अलावा आर्य समाज के लोग मूर्ति पूजा, अवतार, अंधविश्वास और कर्मकांडों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, आर्य समाज के लोग जातिवाद और छुआछूत जैसी सामाजिक बीमारी का विरोध करते थे। अहा ईश्वर का सर्वोतम और निज नाम “ओम है। आर्य समाज के अनुसार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति की अवधि चार अरब 32 करोड़ वर्ष है। और उनके वैदिक राष्ट्र में मांस, शराब, बीड़ी, सिगरेट, चाय, मिर्च-मसाले का कोई स्थान नहीं है। आर्य समाज महिलाओं और शूद्रों को वेदों का अध्ययन करने और यज्ञ करने का अधिकार देता है। सत्यार्थ प्रकाश, स्वानी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित, आर्य समाज के मुख्य लेखक और स्वीकृत पाठ हैं, इस समाज का आदर्श वाक्य “क्रावंतो विश्वमार्यम” है। आर्य शब्द का अर्थ क्या है? आर्य समाज का ...

आर्य महिला समाज की स्थापना कब हुई थी ? When was Arya Mahila Samaj founded ?

आर्य महिला समाज की स्थापना कब हुई थी? आर्य महिला समाज की स्थापना 30 नवंबर, 1882 को पुणे में हुई थी । इसकी स्थापना पंडिता रमाबाई ने महिलाओं को एक सम्मानित जीवन जीने के लिए सशक्त और शिक्षित बनाने के उद्देश्य से की थी । पंडिता रमाबाई सरस्वती एक महिला अधिकार और शिक्षा कार्यकर्ता, और एक समाज सुधारक थीं । उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए, विशेषकर बाल और विधवा शिक्षा के लिए संघर्ष किया । उन्होंने पुणे में शारदा सदन नामक बाल विधवाओं के लिए एक स्कूल की भी स्थापना की, जिसे एम.जी. रानाडे सहित कई सुधारकों का समर्थन था । समाज सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पंडिता रमाबाई को 1919...

आर्य

आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ 'आदर्श', 'अच्छे हृदय वाला', 'आस्तिक', 'अच्छे गुणों वाला' आदि है। इसका उपयोग प्राचीन दस्यु और आर्य शब्द का इस्तमाल एक विशेषण के रुप मे किया जाता था। 'आर्य' का अर्थ होता है 'आदर्श', 'अच्छे ह्रदय वाला', 'आस्तिक', 'अच्छे गुणों वाला' जो कोई भी हिंद-आर्य भाषा बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। आर्य लोगो का निवास स्थान अखण्ड भारत तथा भूटान, इंडोनेशिया...था उसे ही आर्यवर्त कहा गया हैं। आर्यवर्त अखण्ड भारत का धार्मिक और संस्कृतिक नाम हैं। इसी प्रकार 'दस्यु' शब्द का अर्थ था 'राक्षस' या 'दैत्य' जिसका अर्थ है 'राक्षसी प्रवृत्ति' वाला जैसे कि बलात्कारी, हत्यारा, मांस भक्षी, 'दुराचारी' 'नास्तिक' आदि यह एक 'अवगुण' का सूचक था। मुख्य लेख: आर्य प्रजाति की आदिभूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषावैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: भाषा और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलनेवाले के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। भाषावैज्ञानिक साक्ष्यों की अपूर्णता और अनिश्चितता के कारण यह आदिभूमि कभी मध्य एशिया, कभी पामीर-कश्मीर, रही है। जबकि भारत से बाहर गए आर्यन के निशान कभी आस्ट्रिया-हंगरी, कभी जर्मनी, कभी स्वीडन-नार्वे और आज दक्षिण रूस के घास के मैदानों में ढूँढ़ी जाती है। भाषा और प्रजाति अनिवार्य रूप से अभिन्न नहीं। आज आर्यों की विविध शाखाओं के बहूद्भव (पॉलिजेनिक) होने का सिद्धांत भी प्रचलित होता जा रहा है जिसके अनुसार यह आवश्यक नहीं कि आर्य-भाषा-परिवार की सभी जातियाँ एक ही मानववंश की रही हों। भाषा का ग्रहण तो संपर्क और प्...

आर्य समाज की स्थापना कब हुई?

हिंदू धर्म के अंतर्गत अनेक तरह के पंथ आते हैं, इसके अलावा अनेक तरह के सुधार आंदोलन भी हो चुके हैं। इसी तरह का एक सुधार आंदोलन आर्य समाज नाम से हुआ है। बता दें कि हमारे सनातन धर्म का इतिहास शताब्दियों पुराना है। हजारों वर्षों पुराने साक्षी आज भी सनातन धर्म से संबंधित मिलते हैं। समय-समय पर अनेक सारे लोगों ने हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की हिम्मत की है, लेकिन वे इस काम में कभी सफल नहीं हो पाए हैं। हालांकि हिंदू धर्म को भी समय-समय पर काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हिंदू धर्म को जागृत रखने के लिए, संस्कार, आदर्श, रिती रिवाज और हिंदू धर्म की महत्वकांक्षी को हमेशा जीवित रखने के लिए समय-समय पर अनेक तरह सुधार आंदोलन किए गए हैं।‌ इन सभी हिंदू सुधार आंदोलन में आर्य समाज हिंदू सुधार आंदोलन में शामिल है। इस हिंदू सुधार आंदोलन को आर्य समाज का नाम दिया गया, जो वर्तमान समय में संपूर्ण भारत में प्रचलित है। आर्य समाज का नाम तो आपने सुना ही होगा, इसे हिंदू धर्म के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है। आर्य समाज की स्थापना कब हुई? हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना गुलाम भारत में सन 1875 को की गई थी। उस समय भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। विशेष रूप से उस समय हिंदू धर्म को निशाना बनाया जा रहा था। शताब्दियों से चले आ रहे हिंदू धर्म पर लांछन लगाया जा रहा था। हिंदू धर्म को नष्ट किया जा रहा था। उसी समय हिंदू धर्म की रक्षा एवं संरक्षण के लिए हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की गई। वैदिक परंपराओं में विश्वास रखने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की थी। हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापन...