आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में

  1. जीवनी महान लोगो की हिंदी में (Biography of Great People in Hindi)
  2. कणाद, आर्यभट्ट, नागार्जुन,ब्रह्मगुप्त, रामानुजन, न्यूटन का जीवन परिचय –
  3. टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय
  4. आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में: About Aryabhatta in Hindi
  5. Aryabhata Biography in Hindi
  6. Bhaskaracharya In Hindi भास्कराचार्य की जीवनी व योगदान
  7. Aryabhata Biography in Hindi
  8. आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में: About Aryabhatta in Hindi
  9. टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय
  10. कणाद, आर्यभट्ट, नागार्जुन,ब्रह्मगुप्त, रामानुजन, न्यूटन का जीवन परिचय –


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जीवनी महान लोगो की हिंदी में (Biography of Great People in Hindi)

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कणाद, आर्यभट्ट, नागार्जुन,ब्रह्मगुप्त, रामानुजन, न्यूटन का जीवन परिचय –

विज्ञानिको का जीवन परिचय 1. महर्षि कणाद का जीवन परिचय: • इनका काल ईसा से 600 वर्ष पूर्व के आसपास माना जाता है। उनका जन्म प्रयाग के पास प्रभाव ग्राम में कश्यप ऋषि के गोत्र में हुआ था। • महर्षि कणाद का वैश्लेषिक दर्शन, वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन अणु विज्ञानियों में महर्षि कणाद का नाम अग्रणी है। इन्हें परमाणुवाद का प्रथम प्रवक्ता और व्याख्याकार कह सकते हैं। इन्होंने ‘वैशेषिक सूत्र’ नामक ग्रंथ की रचना की । • इनके अनुसार प्रकृति अणुमय है, तथा इसके समस्त पदार्थ अणुओं से ही बने हैं। ये स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते। न ही इन्द्रियों से इनका पता लगाया जा सकता है। • महर्षि ने अणुकों को “मूलकणानम” नाम दिया। वह आज मोलीक्यूल शब्द से जाना जाता हैं । Tag- आर्यभट्ट का जीवन परिचय 2. आर्यभट्ट का जीवन परिचय: • आर्यभट्ट का जन्म प्राचीन कुसुमापुर अर्थात पटना बिहार भारत में ई. सन् 476 में हुआ था। इनकी ख्याति प्राचीन काल में गणित, बीज गणित, खगोल विद्या आदि के क्षेत्र में है । • आर्यभट्ट ने मात्र 23 वर्ष में आर्यभट्रीयम ग्रन्थ की रचना की थी । इनका विषय गणित व ज्योतिष दोनों हैं । आर्यभटीयम में कुल 121 श्लोक हैं । इसे विषयानुसार चार खण्डों मे बांटा गया है, गीतिकापाद, गणितपाद, काल क्रियापाद और गोलापाद इस कृति में वर्गमूल, घनमूल, ज्या आदि का विवरण है । • सबसे पहले आर्यभट्ट ने ही त्रिकोणमिति व बीजगणित को प्रारंभ किया । अक्षरों के द्वारा प्रकट करने की रीति आर्यभट्ट ने ही पहले प्रारंभ की। उन्होंने पाई (TT) का मान 3. 1416 बताया था, जो आधुनिक गणना के निकट है । गोलपाद (आर्यभटीयम) में खगोल विज्ञान का वर्णन हैं। आर्यभट्ट ने चपटी और स्थिर पृथ्वी के सिद्धांत को नकार कर कहा था कि पृथ्वी...

टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय

इसमें आप पढ़ेंगे। • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • भारत में आर्यभट्ट, ब्रहमगुप्त, रामानुजन और डी. आर. कापरेकर, नीना गुप्ता जैसे कई महान गणितज्ञ हुए। जिन्होंने अपने कार्य से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपना नाम किया। थोड़ा सा कल्पना कीजिये अगर भारत के गणितज्ञ आर्यभट्ट दुनियाँ को शून्य का ज्ञान नहीं दिया होता तब क्या होता। हम कालकुलेशन कैसे करते। इस लेख में भारत के टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय और उनके योगदान का जिक्र किया गया है। अगर आप किसी एक भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय के बारें में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है। इसमें कुछ प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ का नाम जन्म तिथि जन्म स्थान शिक्षा खोज गणित में योगदान संबंधित जानकारी दी गई है। आशा है की भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय शीर्षक वाला यह लेख आपको जरूर पसंद आएगा। टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय – Famous Mathematicians of India in Hindi 1. आर्यभट्ट (Aryabhata) भारतीय के गणितज्ञ सूची में आर्यभट्ट का नाम सर्वोपरि है। दुनियाँ को शून्य संख्या से परिचय करने वाला प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ आर्यभट्ट को माना जाता है। उन्होंने ही विश्व को शून्य का ज्ञान दिया। आर्यभट्ट को प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ-खगोलविद माना जाता है। भारत इस गणितज्ञ विद्वान ने गणित के साथ साथ खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। इन्होंने बीजगणित, त्रिकोणमिति, भिन्न, द्विघात समीकरण और अंकगणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके द्वारा रचित ग्रंथ आर्यभटीय आज भी गणित के छात्र के लिए अत्यंत उपयोगी ग्रंथ है। भारत सरकार ने इनके सम्मान में भारत के प्रथम उपग्रह का नाम ‘आर्यभट’ र...

आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में: About Aryabhatta in Hindi

About Aryabhatta | आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था | आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में आर्यभट्ट (आर्यभट्ट प्रथम) शास्त्रीय युग के एक गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। गुप्त काल में उन्होंने 23 वर्ष की उम्र से कई सिद्धांतों का निर्माण करना शुरू कर दिया था। उन्हें ‘ पाई (π) की खोज, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण और चंद्रमा पर प्रकाश के प्रतिबिंब’ जैसे उल्लेखनीय विचारों के लिए इतिहास में जाना जाता है। कालांतर में वराहमिहिर और भास्कराचार्य जैसे खगोशास्त्री और गणितज्ञ इनसे प्रभावित हुए थे। उन्होंने आर्यभटीय और आर्यभट्ट सिद्धांत जैसी कृतियां भी लिखी जिसमें उनके जन्म स्थान और अन्य सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है। इस आर्टिकल में हम आपको आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था, आर्यभट्ट के बारे में (About Aryabhatt) और आर्यभट्ट का जीवन परिचय और आर्यभट्ट के प्रमुख सिद्धांत के बारे में बताएंगे। Table of Contents • • • • • • • आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था? आर्यभट्ट (आर्यभट्ट प्रथम) का जन्म 398 शक संवत 398 में कुसुमपुर के एक भट्ट (ब्राह्मण समुदाय) परिवार में हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले वर्तमान बिहार की राजधानी पटना को कुसुमपुर के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे पाटलिपुत्र के नाम से भी जाना जाने लगा। हालांकि उनका जन्म कुसुमपुर दक्षिण में हुआ था इस बात की पुष्टि की जा चुकी है। उन्होंने अपने जन्म स्थान एवं जन्म के बारे में आर्यभटीय ग्रंथ में लिखा है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था, बाद में वह कुसुमपुर चले गए और यहीं पर उन्होंने अपने सारे सिद्धांतों की रचना की। आर्यभट्ट का जन्म किस स्थान पर हुआ था? आर्यभट्ट के जन्म के वर्ष की जानकारी तो अर्यभटीय ग्रंथ में दी गई है ...

Aryabhata Biography in Hindi

Aryabhata Biography in Hindi Aryabhata Biography in Hindi | गणितज्ञ और खगोलविद आर्यभट्ट का जीवनी Aryabhata आर्यभट्ट भारत के पहले सबसे बड़े गणितज्ञ और ज्योतिषी थे जिन्होंने नक्षत्र ज्ञान , ग्रहों की स्तिथिके ज्ञान , मास ज्ञान और अधिक ज्ञान के बारे में बताया था | उनके कम को उन्होंने 499 ईस्वी में आर्यभट्टीय और आर्य सिद्धांत में समाहित किया है | समय विभाजन का आधुनिक सिद्धांत भी इन्होने ही प्रतिपादित किया था जिसमे एक मास को तीस दिवस , एक दिवस को साठ नाडी और एक नाडी को साठ विनाडी में बराबर बांटा गया था | आइये आपको आर्यभट की जीवनी से रूबरू करवाते है | Birth and Birth Place of Aryabhata आर्यभट का जन्म एवं जन्म स्थान आज से 1500 वर्ष पूर्व प्राचीन भारत में ज्ञान विज्ञान का मुख्य केंद्र वर्तमान पटना माना जाता था जिसे उस समय में कुसुमपुर कहा जाता था | कुसुमपुर के अलावा उज्जयिनी भी दूसरा महत्वूर्ण ज्ञान विज्ञानं केंद्र था जहा पर गुप्त वंश का शाषन हुआ करता था | गुप्त वंश के शाषन में कई महान ज्योतिषियों का जन्म हुआ था जिससे पुरे उपमहाद्वीप में ज्ञान विज्ञान की उन्नति हो रही थी | उनके काल को भारत का स्वर्णिम काल माना जाता है क्योंकि उस समय में युद्ध कम और विकास ज्यादा हुआ था | कालिदास ,सुबंधु ,भारवि और दंडी जैसे विद्वान और आर्यभट ,वराहमिहिर ,भास्कराचार्य एवं ब्रह्मगुप्त जैसे महाज्ञानी इस काल में पैदा हुए थे | भारत में गणित और विज्ञान का विकास वैदिक काल से ही हो गया था लेकिन गुप्त काल में ये ओर अधिक उचाइयो तक पहुच गया था | उस समय में इतिहास लेखन की परम्परा नही थी जिसके कारण आर्यभट के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कम ही जानकारी है जो केवल उनके लिखे लेखो से मिलती है | Aryabhata आर्यभट का जन्म 1...

Bhaskaracharya In Hindi भास्कराचार्य की जीवनी व योगदान

यह आर्टिकल Bhaskaracharya In Hindi भास्कराचार्य की जीवनी (Bhaskaracharya Biography In Hindi) और उनके योगदान पर है। भास्कराचार्य भारत के महान विद्वान ज्योतिषी और गणितज्ञ थे। इनको भास्कर द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। खगोल, ज्योतिष और गणित में इनका महान योगदान है। तो आइए, भास्कराचार्य की जीवनी और योगदान को जानने का प्रयास करते है। Contents • • • भास्कराचार्य की जीवनी Bhaskaracharya In Hindi गणितज्ञ भास्कराचार्य ( Bhaskaracharya) का जन्म महाराष्ट्र राज्य का परभानी इलाका माना जाता है। उनका जन्म शताब्दी वर्ष 1114 माना जाता है। उनके पिता का नाम महेश्वर भट्ट था जिनको वेदों और शास्त्रों का ज्ञान था। भास्कराचार्य जी को शुरुआती शिक्षा का ज्ञान अपने पिता से ही मिला था। भास्कराचार्य की कर्मभूमि उज्जैन मानी जाती है क्योंकि इतिहास में यह भी आता है कि वो उज्जैन की वेधशाला के प्रमुख भी थे। भास्कराचार्य ने महान ग्रँथ सिद्धांत शिरोमणि और योगदान Siddhanta Siromani In Hindi – भास्कराचार्य (Bhaskaracharya) को उनके लिखे महान ग्रँथ सिद्धांत शिरोमणि ( Siddhanta Siromani) से जाना जाता है। जब उन्होंने इस पुस्तक को लिखा था तब उनकी उम्र केवल 36 वर्ष थी। भास्कराचार्य जी ने ग्रँथ को सँस्कृत भाषा में लिखा था। इस पुस्तक में गणित और ज्योतिष के बारे में बताया गया है। सिद्धांत शिरोमणि में मुख्यतः चार भाग लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित, गोलाध्याय है। प्रत्येक भाग एक पुस्तक की तरह है जिसमे कई अध्याय है। लीलावती खण्ड में उन्होंने अपनी पुत्री लीलावती को सम्बोधित करते हुए ग्रहों की चाल और गणित की व्याख्या की थी। उन्होंने चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण की व्याख्या करते हुए लिखा की जब चन्द्रमा सूर्य को ढक लेता है तो सू...

Aryabhata Biography in Hindi

Aryabhata Biography in Hindi Aryabhata Biography in Hindi | गणितज्ञ और खगोलविद आर्यभट्ट का जीवनी Aryabhata आर्यभट्ट भारत के पहले सबसे बड़े गणितज्ञ और ज्योतिषी थे जिन्होंने नक्षत्र ज्ञान , ग्रहों की स्तिथिके ज्ञान , मास ज्ञान और अधिक ज्ञान के बारे में बताया था | उनके कम को उन्होंने 499 ईस्वी में आर्यभट्टीय और आर्य सिद्धांत में समाहित किया है | समय विभाजन का आधुनिक सिद्धांत भी इन्होने ही प्रतिपादित किया था जिसमे एक मास को तीस दिवस , एक दिवस को साठ नाडी और एक नाडी को साठ विनाडी में बराबर बांटा गया था | आइये आपको आर्यभट की जीवनी से रूबरू करवाते है | Birth and Birth Place of Aryabhata आर्यभट का जन्म एवं जन्म स्थान आज से 1500 वर्ष पूर्व प्राचीन भारत में ज्ञान विज्ञान का मुख्य केंद्र वर्तमान पटना माना जाता था जिसे उस समय में कुसुमपुर कहा जाता था | कुसुमपुर के अलावा उज्जयिनी भी दूसरा महत्वूर्ण ज्ञान विज्ञानं केंद्र था जहा पर गुप्त वंश का शाषन हुआ करता था | गुप्त वंश के शाषन में कई महान ज्योतिषियों का जन्म हुआ था जिससे पुरे उपमहाद्वीप में ज्ञान विज्ञान की उन्नति हो रही थी | उनके काल को भारत का स्वर्णिम काल माना जाता है क्योंकि उस समय में युद्ध कम और विकास ज्यादा हुआ था | कालिदास ,सुबंधु ,भारवि और दंडी जैसे विद्वान और आर्यभट ,वराहमिहिर ,भास्कराचार्य एवं ब्रह्मगुप्त जैसे महाज्ञानी इस काल में पैदा हुए थे | भारत में गणित और विज्ञान का विकास वैदिक काल से ही हो गया था लेकिन गुप्त काल में ये ओर अधिक उचाइयो तक पहुच गया था | उस समय में इतिहास लेखन की परम्परा नही थी जिसके कारण आर्यभट के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कम ही जानकारी है जो केवल उनके लिखे लेखो से मिलती है | Aryabhata आर्यभट का जन्म 1...

आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में: About Aryabhatta in Hindi

About Aryabhatta | आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था | आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में आर्यभट्ट (आर्यभट्ट प्रथम) शास्त्रीय युग के एक गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। गुप्त काल में उन्होंने 23 वर्ष की उम्र से कई सिद्धांतों का निर्माण करना शुरू कर दिया था। उन्हें ‘ पाई (π) की खोज, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण और चंद्रमा पर प्रकाश के प्रतिबिंब’ जैसे उल्लेखनीय विचारों के लिए इतिहास में जाना जाता है। कालांतर में वराहमिहिर और भास्कराचार्य जैसे खगोशास्त्री और गणितज्ञ इनसे प्रभावित हुए थे। उन्होंने आर्यभटीय और आर्यभट्ट सिद्धांत जैसी कृतियां भी लिखी जिसमें उनके जन्म स्थान और अन्य सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है। इस आर्टिकल में हम आपको आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था, आर्यभट्ट के बारे में (About Aryabhatt) और आर्यभट्ट का जीवन परिचय और आर्यभट्ट के प्रमुख सिद्धांत के बारे में बताएंगे। Table of Contents • • • • • • • आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था? आर्यभट्ट (आर्यभट्ट प्रथम) का जन्म 398 शक संवत 398 में कुसुमपुर के एक भट्ट (ब्राह्मण समुदाय) परिवार में हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले वर्तमान बिहार की राजधानी पटना को कुसुमपुर के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे पाटलिपुत्र के नाम से भी जाना जाने लगा। हालांकि उनका जन्म कुसुमपुर दक्षिण में हुआ था इस बात की पुष्टि की जा चुकी है। उन्होंने अपने जन्म स्थान एवं जन्म के बारे में आर्यभटीय ग्रंथ में लिखा है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था, बाद में वह कुसुमपुर चले गए और यहीं पर उन्होंने अपने सारे सिद्धांतों की रचना की। आर्यभट्ट का जन्म किस स्थान पर हुआ था? आर्यभट्ट के जन्म के वर्ष की जानकारी तो अर्यभटीय ग्रंथ में दी गई है ...

टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय

इसमें आप पढ़ेंगे। • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • भारत में आर्यभट्ट, ब्रहमगुप्त, रामानुजन और डी. आर. कापरेकर, नीना गुप्ता जैसे कई महान गणितज्ञ हुए। जिन्होंने अपने कार्य से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपना नाम किया। थोड़ा सा कल्पना कीजिये अगर भारत के गणितज्ञ आर्यभट्ट दुनियाँ को शून्य का ज्ञान नहीं दिया होता तब क्या होता। हम कालकुलेशन कैसे करते। इस लेख में भारत के टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय और उनके योगदान का जिक्र किया गया है। अगर आप किसी एक भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय के बारें में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है। इसमें कुछ प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ का नाम जन्म तिथि जन्म स्थान शिक्षा खोज गणित में योगदान संबंधित जानकारी दी गई है। आशा है की भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय शीर्षक वाला यह लेख आपको जरूर पसंद आएगा। टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय – Famous Mathematicians of India in Hindi 1. आर्यभट्ट (Aryabhata) भारतीय के गणितज्ञ सूची में आर्यभट्ट का नाम सर्वोपरि है। दुनियाँ को शून्य संख्या से परिचय करने वाला प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ आर्यभट्ट को माना जाता है। उन्होंने ही विश्व को शून्य का ज्ञान दिया। आर्यभट्ट को प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ-खगोलविद माना जाता है। भारत इस गणितज्ञ विद्वान ने गणित के साथ साथ खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। इन्होंने बीजगणित, त्रिकोणमिति, भिन्न, द्विघात समीकरण और अंकगणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके द्वारा रचित ग्रंथ आर्यभटीय आज भी गणित के छात्र के लिए अत्यंत उपयोगी ग्रंथ है। भारत सरकार ने इनके सम्मान में भारत के प्रथम उपग्रह का नाम ‘आर्यभट’ र...

कणाद, आर्यभट्ट, नागार्जुन,ब्रह्मगुप्त, रामानुजन, न्यूटन का जीवन परिचय –

विज्ञानिको का जीवन परिचय 1. महर्षि कणाद का जीवन परिचय: • इनका काल ईसा से 600 वर्ष पूर्व के आसपास माना जाता है। उनका जन्म प्रयाग के पास प्रभाव ग्राम में कश्यप ऋषि के गोत्र में हुआ था। • महर्षि कणाद का वैश्लेषिक दर्शन, वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन अणु विज्ञानियों में महर्षि कणाद का नाम अग्रणी है। इन्हें परमाणुवाद का प्रथम प्रवक्ता और व्याख्याकार कह सकते हैं। इन्होंने ‘वैशेषिक सूत्र’ नामक ग्रंथ की रचना की । • इनके अनुसार प्रकृति अणुमय है, तथा इसके समस्त पदार्थ अणुओं से ही बने हैं। ये स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते। न ही इन्द्रियों से इनका पता लगाया जा सकता है। • महर्षि ने अणुकों को “मूलकणानम” नाम दिया। वह आज मोलीक्यूल शब्द से जाना जाता हैं । Tag- आर्यभट्ट का जीवन परिचय 2. आर्यभट्ट का जीवन परिचय: • आर्यभट्ट का जन्म प्राचीन कुसुमापुर अर्थात पटना बिहार भारत में ई. सन् 476 में हुआ था। इनकी ख्याति प्राचीन काल में गणित, बीज गणित, खगोल विद्या आदि के क्षेत्र में है । • आर्यभट्ट ने मात्र 23 वर्ष में आर्यभट्रीयम ग्रन्थ की रचना की थी । इनका विषय गणित व ज्योतिष दोनों हैं । आर्यभटीयम में कुल 121 श्लोक हैं । इसे विषयानुसार चार खण्डों मे बांटा गया है, गीतिकापाद, गणितपाद, काल क्रियापाद और गोलापाद इस कृति में वर्गमूल, घनमूल, ज्या आदि का विवरण है । • सबसे पहले आर्यभट्ट ने ही त्रिकोणमिति व बीजगणित को प्रारंभ किया । अक्षरों के द्वारा प्रकट करने की रीति आर्यभट्ट ने ही पहले प्रारंभ की। उन्होंने पाई (TT) का मान 3. 1416 बताया था, जो आधुनिक गणना के निकट है । गोलपाद (आर्यभटीयम) में खगोल विज्ञान का वर्णन हैं। आर्यभट्ट ने चपटी और स्थिर पृथ्वी के सिद्धांत को नकार कर कहा था कि पृथ्वी...