आशा का वेतन

  1. मध्यप्रदेश: आशा कार्यकर्ताओं की लड़ाई के पीछे नियमित वेतन और स्थायी कर्मचारी के रूप में मान्यता दिये जाने की मांग
  2. आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों का बढ़ेगा वेतन? संसद में उठी 15 हजार और 10 हजार रुपये मानदेय करने की मांग...
  3. यूपी: छह माह से वेतन न मिलने से नाराज़ आशा कार्यकर्ताओं ने की अनिश्चितकालीन हड़ताल
  4. आशा वर्करों को आशा पे एप से मिलेगा वेतन, प्रोफॉर्मा भरने की जरूरत नहीं रहेगी
  5. Salary of 65000 Asha workers can be increased by Rs 2000 per month in maharashtra
  6. हरियाणा में आंगनवाड़ी
  7. नौकरी 24 घंटे की, पगार दिहाड़ी मजदूर से भी कम; काम गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने से लेकर लोगों को अस्पताल पहुंचाने का
  8. आशा वर्करों को आशा पे एप से मिलेगा वेतन, प्रोफॉर्मा भरने की जरूरत नहीं रहेगी
  9. नौकरी 24 घंटे की, पगार दिहाड़ी मजदूर से भी कम; काम गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने से लेकर लोगों को अस्पताल पहुंचाने का
  10. मध्यप्रदेश: आशा कार्यकर्ताओं की लड़ाई के पीछे नियमित वेतन और स्थायी कर्मचारी के रूप में मान्यता दिये जाने की मांग


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मध्यप्रदेश: आशा कार्यकर्ताओं की लड़ाई के पीछे नियमित वेतन और स्थायी कर्मचारी के रूप में मान्यता दिये जाने की मांग

आशा कार्यकर्ता दैनिक आधार पर जो कुछ करती हैं,उसे लेकर मध्य प्रदेश (MP) के आशा उषा आशा सहयोगी एकता यूनियन की सहायक महासचिव पूजा कनौजिया बताती हैं, “हम 24 घंटे ड्यूटी पर ही होते हैं ! हमें हर समय तैयार रहना होता है,क्योंकि किसी गर्भवती महिला को दिन में कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती है। हम अपनी ड्यूटी पूरी लगन से करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी गर्भवती महिला को हमारी वजह से कोई समस्या न हो। हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हमारी मौजूदगी में ही उनका इलाज किया जाये और वह बच्चे को भी जन्म दे।” वह आगे कहती हैं, "सरकार डेटा संग्रह के अपने सभी कार्य हमसे ही करवाती है। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जैसे ही हमें आदेश मिले, हम उसे पूरा कर दें, लेकिन सरकार की दिलचस्पी न तो हमें स्थायी श्रमिकों के रूप में मान्यता देने में है और न ही हमें न्यूनतम वेतन देने में है। ” 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत स्थापित मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ASHA) स्वास्थ्य और इसके सामाजिक निर्धारकों पर सामाजिक जागरूकता पैदा करने को लेकर लोगों के भीतर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में कार्य करती हैं। वे स्थानीय स्वास्थ्य योजना और मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी किये जाने के लिहाज़ से उस समुदाय को संगठित करती हैं। अगर सीधे शब्दों में कहा जाये, तो आशा कार्यकर्ता समुदाय और स्वास्थ्य प्रणाली के बीच एक कड़ी का काम करती हैं। ये मां एवं शिशु के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को सर्वेक्षण करने, लोगों के बीच कोविड-19 लक्षणों वाले लोगों का पता लगाने और परीक्षण करने और उन्हें परामर्श देने का काम...

आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों का बढ़ेगा वेतन? संसद में उठी 15 हजार और 10 हजार रुपये मानदेय करने की मांग...

• • India Hindi • आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों का बढ़ेगा वेतन? संसद में उठी 15 हजार और 10 हजार रुपये मानदेय करने की मांग... आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों का बढ़ेगा वेतन? संसद में उठी 15 हजार और 10 हजार रुपये मानदेय करने की मांग... Anganwadi and Asha workers Salary: राज्यसभा में बीजू जनता दल (BJD) के एक सांसद ने आंगनवाड़ी (Anganwadi) और आशा कर्मियों (Asha Workers) के मानदेय में वृद्धि करने की सरकार से मांग की. Anganwadi Recruitment 2021: Class 4th, 9th Pass Candidates Can Get Job Without Exam; Know Application Date, Eligibility, Vacancy & Other Details Anganwadi and Asha workers Salary: राज्यसभा में बीजू जनता दल (BJD) के एक सदस्य ने आंगनवाड़ी (Anganwadi) और आशा कर्मियों (Asha Workers) के मानदेय में वृद्धि करने की मांग करते हुए बुधवार को कहा कि इन्होंने कोविड-19 महामारी (Coronavirus Pandemic) के दौरान भी निरंतर कार्य किया है. बीजद के सुभाष चंद्र सिंह ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोरोना वायरस (Covid-19) महामारी के दौरान लगातार सुरक्षित दूरी बनाने, हाथ धोते रहने और मास्क पहनने का परामर्श दिया जा रहा है. इस दौरान आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लगातार काम किया है. सिंह ने कहा, ‘यह विडंबना ही है कि संकट के समय में भी अथक परिश्रम करने वाली आंगनवाड़ी कर्मियों को मात्र 4,500 रुपये और आशा कर्मियों को केवल 2,500 रुपये का मानदेय मिलता है जो महंगाई और उनकी सेवाओं को देखते हुए बहुत ही कम है.’ Also Read: • • • बीजद सदस्य ने कहा कि ओडिशा में राज्य सरकार ने इन कर्मियों को कुछ राहत दी है लेकिन यह राहत पर्याप्त नहीं कही जा सकती. उन्होंने सरकार से मांग की कि आंग...

यूपी: छह माह से वेतन न मिलने से नाराज़ आशा कार्यकर्ताओं ने की अनिश्चितकालीन हड़ताल

लखनऊ : छह महीने से वेतन न मिलने से नाराज़ आशा कार्यकर्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में 15 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। बकाया वेतन की मांग करने के साथ साथ वे वेतन बढ़ाकर 21,000 रुपये करने और सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देने की मांग कर रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुशीनगर , महराजगंज , देवरिया , गोरखपुर और बस्ती में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों ( सीएचसी ) पर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और जिलाधिकारियों को अपनी दस मांगों का एक ज्ञापन सौंपा जिसमें उन्होंने समस्याओं को उजागर किया है। आशा कार्यकर्ता मीरा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि , " उन्होंने आश्वासन दिया है कि 30 सितंबर तक बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। यदि नहीं हुआ तो हम फिर से राज्य - व्यापी आंदोलन शुरू करेंगे और इस बार जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं तब तक हम काम का बहिष्कार करेंगे। " कुशीनगर ज़िले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( सीएचसी ) के बाहर बैठी सैकड़ों साथियों के साथ राजकुमारी देवी , मीरा और अनु देवी ने कहा कि पिछले छह महीने से एक पैसा नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है। इस प्रदर्शन में शामिल आशा कार्यकर्ता अनु देवी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि " हम भीषण गर्मी में घर - घर जाते हैं। हम में से कुछ बीमार भी पड़ जाते हैं लेकिन हम अपना काम जारी रखते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि अगर हम वापस बैठते हैं तो कई लोग परेशान होंगे। हमें मार्च के बाद से हमारा वेतन नहीं मिला है। " उन्होंने आगे कहा कि परिवार के रोज़मर्रा के ख़र्च के लिए ज़ेवर गिरवी रखने पड़े थे। आशा कार्यकर्ताओं के लिए 21,000 रुपये मासिक वेतन की मांग करते हुए ...

आशा वर्करों को आशा पे एप से मिलेगा वेतन, प्रोफॉर्मा भरने की जरूरत नहीं रहेगी

आशा वर्करों को मासिक वेतन लेने के लिए फार्म भरने की जरूरत नहीं रहेगी। इनको आशा एप के माध्यम से वेतन मिल सकेगा। इसको प्ले स्टोर से स्मार्ट मोबाइल में डाउनलोड करना है। सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया का कहना है कि सरकार की योजना है। एप को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पंचकूला से लांच किया था। इससे आशा वर्करों मासिक वेतन एप के माध्यम से जारी हो सकेगा। स्वास्थ्य विभाग की आशा वर्करों को अब वेतन के लिए दो पेज का प्रोफॉर्मा भरने की जरूरत नहीं रहेगी। अब उन्हें वेतन आशा पे एप के माध्यम से मिल जाएगा। आशा जो जानकारी प्रोफॉर्मा पर दे रही थी, ये जानकारी एप के जरिए शेयर करनी होगी। ये विभागीय निर्देश जारी हुए हैं। पेपर लैस की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने कदम उठाया है। नई व्यवस्था से वर्करों को फायदा होगा। इससे उन्हें समय से वेतन मिल जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के यहां चक्कर नहीं लगाने होंगे। अभी तक वेतन के लिए आशा को विभागीय अधिकारियों के चक्कर लगाने होते थे। उसके बाद भी कभी अधिकारी तो क्लर्क अनुपस्थित मिलते थे। एप के जरिए वेतन मिलने से इस दिक्कत से निजात मिल जाएगी। आशा वर्करों को हर महीने वेतन के लिए पहले दो पेज का प्रोफॉर्मा भरना पड़ रहा था। इस फार्म को भरने के बाद उसे लेकर अपने एरिया के जिला स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में जाना पड़ता था। फिर उसे प्रोफॉर्मा लेकर अपने इलाके में बने स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में जाना पड़ता था। फिर उस प्रोफॉर्मा को एएनएम, डॉक्टर वेरिफाई करते थे। इसके लिए भी एक नहीं कई चक्कर लगाने पड़ते थे। जब उक्त लोग प्रोफॉर्मा वेरिफाई कर देते थे तब जाकर आशा वर्करों को वेतन मिलता था लेकिन अब इस प्रक्रिया से गुजरने की कोई जरूरत नहीं रहेगी। एप पर देनी होगी प्रो...

Salary of 65000 Asha workers can be increased by Rs 2000 per month in maharashtra

स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याणा विभाग के एक अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा से बुधवार को कहा, '' राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने उनकी वेतन वृद्धि के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है, जिस पर मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की जाएगी। अगर प्रस्ताव पारित हो गया तो आशा कर्मियों के मासिक वेतन में दो हजार रुपए की वृद्धि होगी। कोविड-19 संकट के दौरान आशा कर्मियों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी का काम सौंपा गया है। राज्य सरकार अब उन्हें उनके काम के लिए प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है। Product Terms and Conditions • These Terms and Conditions (“T&C”), as amended from time to time are the complete and exclusive statements of understanding between HT Media Limited (“HTML”) & the Users and shall enroll for availing the Services on (hereinafter referred to as the “BOARD RESULTS” • Board Result ( • EDUCATION SERVICES”“ • Students of Class 10th and 12th can have quick and easy access to their results and other college and entrance exam related information using this website. • Students can get access through their phone, tablet, laptop or any other online service provider. These results can be accessed only in the territory of India. • Individual Registration: User shall create an account either for himself/herself or for the prospective student. • Any attempt by the user to use the results in any inappropriate cause is a violation of Criminal and Civil Laws and should such an attempt be made, HTML reserves its right to seek damages from any such User to the fullest extent as permi...

हरियाणा में आंगनवाड़ी

Manohar Lal Khattar: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में सरकार की तरफ से जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया है। आंगनवाड़ी, आशा वर्कर का वेतन सबसे अधिक हरियाणा में दिया जाता है। हमने BPL का लेवल 120000 से बढ़ाकर 180000 किया है। हम डिजिटलाइजेशन का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। सीएम खट्टर ने कहा कि हम कंप्यूटर को आवश्यक करने जा रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग एक स्वयात्त संस्था है। अधिकारियों व कर्मचारियों की भर्ती करने की प्रक्रिया संस्था अपने स्तर पर ही तय करती है, इसमें सरकार किसी प्रकार का दखल नहीं करती है। मुख्यमंत्री सोमवार को हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्न काल के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर एचपीएससी की ओर से भर्ती प्रक्रिया में किसी प्रकार की पारदर्शिता से संबंधित कोई बात आती है, तो राज्य सरकार एचपीएससी को आदेश दे सकती है। परंतु भर्ती प्रक्रिया से संबंधित सरकार किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। इससे पहले सीएम मनोहर लाल ने कहा कि कोरोना महामारी तथा लॉकडाउन के दौरान शराब चोरी की जांच के लिए गठित एसईटी की रिपोर्ट के आधार पर दो और कमेटियों का गठन किया गया था। इसके अलावा, विजिलेंस को भी जांच करने के आदेश दिए गए थे, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी है। रिपोर्ट आने पर राज्य सरकार द्वारा उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। शराब चोरी के मामले में राज्य सरकार ने निरंतर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की है और आगे भी गलत कार्य करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा।

नौकरी 24 घंटे की, पगार दिहाड़ी मजदूर से भी कम; काम गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने से लेकर लोगों को अस्पताल पहुंचाने का

• केंद्र सरकार से इन्हें हर महीने 2 हजार मानदेय मिलता है, इसके अलावा राज्यों ने अलग से मानदेय तय किया है, केरल में 7500, तेलंगाना में 6000 और कर्नाटक में 5000 रु है • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के सितंबर 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में आशा कर्मियों की कुल संख्या करीब 10 लाख 31 हजार 751 है आशा दीदी, यानी सरकारी हेल्थ सिस्टम की सबसे मजबूत सिपाही। केंद्र सरकार और राज्य की स्वास्थ्य योजनाओं को देशभर के गांव में लागू करवाने वाली बहादुर औरतें और कोरोना वॉरियर्स। ये सभी नाम और सम्मान समय-समय पर उन आशा वर्कर्स को मिलते रहे हैं जो देशभर में काम कर रही हैं। इनके सहारे ही सरकारी हेल्थ सिस्टम का एक बड़ा हिस्सा गांवों तक पहुंच पाता है। इस कोरोना काल में आशा वर्करों की जिम्मेदारी बढ़ी है। उनका काम बढ़ा है, लेकिन इन सब के बावजूद भी उन्हें अपनी मांगों को लेकर दो दिनों की हड़ताल करनी पड़ी। वो भी देशव्यापी। 7 अगस्त से लेकर 9 अगस्त तक देशभर की आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर रहीं। सवाल उठता है कि आखिर इन आशा वर्कर्स की ऐसी कौन सी मांग है जिसे सरकार मान नहीं रही और जिसके चलते उन्हें कोरोना के बीच दो दिन की हड़ताल करनी पड़ी? इस सवाल के जवाब में मध्यप्रदेश आशा उषा सहयोगी एकता यूनियन की महासचिव और खुद एक आशा वर्कर के तौर पर काम कर रहीं ममता राठौर कहती हैं, 'हम इज्जत से जीने का अधिकार मांग रहे हैं। हम हर वो काम करते हैं जो हमें दिया जाता है। सर्वे करने से लेकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने तक। अभी कोरोना है तो गांव में घर-घर जा कर आशा बहनें ही सर्वे कर रही हैं। कहने को तो हमें सबसे अहम बताया जाता है, लेकिन मानदेय के अलाव कुछ नहीं मिला आज तक।' फिलहाल देशभर में सक्रिय आशा वर्कर्स को केंद्...

आशा वर्करों को आशा पे एप से मिलेगा वेतन, प्रोफॉर्मा भरने की जरूरत नहीं रहेगी

आशा वर्करों को मासिक वेतन लेने के लिए फार्म भरने की जरूरत नहीं रहेगी। इनको आशा एप के माध्यम से वेतन मिल सकेगा। इसको प्ले स्टोर से स्मार्ट मोबाइल में डाउनलोड करना है। सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया का कहना है कि सरकार की योजना है। एप को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पंचकूला से लांच किया था। इससे आशा वर्करों मासिक वेतन एप के माध्यम से जारी हो सकेगा। स्वास्थ्य विभाग की आशा वर्करों को अब वेतन के लिए दो पेज का प्रोफॉर्मा भरने की जरूरत नहीं रहेगी। अब उन्हें वेतन आशा पे एप के माध्यम से मिल जाएगा। आशा जो जानकारी प्रोफॉर्मा पर दे रही थी, ये जानकारी एप के जरिए शेयर करनी होगी। ये विभागीय निर्देश जारी हुए हैं। पेपर लैस की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने कदम उठाया है। नई व्यवस्था से वर्करों को फायदा होगा। इससे उन्हें समय से वेतन मिल जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के यहां चक्कर नहीं लगाने होंगे। अभी तक वेतन के लिए आशा को विभागीय अधिकारियों के चक्कर लगाने होते थे। उसके बाद भी कभी अधिकारी तो क्लर्क अनुपस्थित मिलते थे। एप के जरिए वेतन मिलने से इस दिक्कत से निजात मिल जाएगी। आशा वर्करों को हर महीने वेतन के लिए पहले दो पेज का प्रोफॉर्मा भरना पड़ रहा था। इस फार्म को भरने के बाद उसे लेकर अपने एरिया के जिला स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में जाना पड़ता था। फिर उसे प्रोफॉर्मा लेकर अपने इलाके में बने स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में जाना पड़ता था। फिर उस प्रोफॉर्मा को एएनएम, डॉक्टर वेरिफाई करते थे। इसके लिए भी एक नहीं कई चक्कर लगाने पड़ते थे। जब उक्त लोग प्रोफॉर्मा वेरिफाई कर देते थे तब जाकर आशा वर्करों को वेतन मिलता था लेकिन अब इस प्रक्रिया से गुजरने की कोई जरूरत नहीं रहेगी। एप पर देनी होगी प्रो...

नौकरी 24 घंटे की, पगार दिहाड़ी मजदूर से भी कम; काम गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने से लेकर लोगों को अस्पताल पहुंचाने का

• केंद्र सरकार से इन्हें हर महीने 2 हजार मानदेय मिलता है, इसके अलावा राज्यों ने अलग से मानदेय तय किया है, केरल में 7500, तेलंगाना में 6000 और कर्नाटक में 5000 रु है • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के सितंबर 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में आशा कर्मियों की कुल संख्या करीब 10 लाख 31 हजार 751 है आशा दीदी, यानी सरकारी हेल्थ सिस्टम की सबसे मजबूत सिपाही। केंद्र सरकार और राज्य की स्वास्थ्य योजनाओं को देशभर के गांव में लागू करवाने वाली बहादुर औरतें और कोरोना वॉरियर्स। ये सभी नाम और सम्मान समय-समय पर उन आशा वर्कर्स को मिलते रहे हैं जो देशभर में काम कर रही हैं। इनके सहारे ही सरकारी हेल्थ सिस्टम का एक बड़ा हिस्सा गांवों तक पहुंच पाता है। इस कोरोना काल में आशा वर्करों की जिम्मेदारी बढ़ी है। उनका काम बढ़ा है, लेकिन इन सब के बावजूद भी उन्हें अपनी मांगों को लेकर दो दिनों की हड़ताल करनी पड़ी। वो भी देशव्यापी। 7 अगस्त से लेकर 9 अगस्त तक देशभर की आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर रहीं। सवाल उठता है कि आखिर इन आशा वर्कर्स की ऐसी कौन सी मांग है जिसे सरकार मान नहीं रही और जिसके चलते उन्हें कोरोना के बीच दो दिन की हड़ताल करनी पड़ी? इस सवाल के जवाब में मध्यप्रदेश आशा उषा सहयोगी एकता यूनियन की महासचिव और खुद एक आशा वर्कर के तौर पर काम कर रहीं ममता राठौर कहती हैं, 'हम इज्जत से जीने का अधिकार मांग रहे हैं। हम हर वो काम करते हैं जो हमें दिया जाता है। सर्वे करने से लेकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने तक। अभी कोरोना है तो गांव में घर-घर जा कर आशा बहनें ही सर्वे कर रही हैं। कहने को तो हमें सबसे अहम बताया जाता है, लेकिन मानदेय के अलाव कुछ नहीं मिला आज तक।' फिलहाल देशभर में सक्रिय आशा वर्कर्स को केंद्...

मध्यप्रदेश: आशा कार्यकर्ताओं की लड़ाई के पीछे नियमित वेतन और स्थायी कर्मचारी के रूप में मान्यता दिये जाने की मांग

आशा कार्यकर्ता दैनिक आधार पर जो कुछ करती हैं,उसे लेकर मध्य प्रदेश (MP) के आशा उषा आशा सहयोगी एकता यूनियन की सहायक महासचिव पूजा कनौजिया बताती हैं, “हम 24 घंटे ड्यूटी पर ही होते हैं ! हमें हर समय तैयार रहना होता है,क्योंकि किसी गर्भवती महिला को दिन में कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती है। हम अपनी ड्यूटी पूरी लगन से करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी गर्भवती महिला को हमारी वजह से कोई समस्या न हो। हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हमारी मौजूदगी में ही उनका इलाज किया जाये और वह बच्चे को भी जन्म दे।” वह आगे कहती हैं, "सरकार डेटा संग्रह के अपने सभी कार्य हमसे ही करवाती है। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जैसे ही हमें आदेश मिले, हम उसे पूरा कर दें, लेकिन सरकार की दिलचस्पी न तो हमें स्थायी श्रमिकों के रूप में मान्यता देने में है और न ही हमें न्यूनतम वेतन देने में है। ” 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत स्थापित मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ASHA) स्वास्थ्य और इसके सामाजिक निर्धारकों पर सामाजिक जागरूकता पैदा करने को लेकर लोगों के भीतर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में कार्य करती हैं। वे स्थानीय स्वास्थ्य योजना और मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी किये जाने के लिहाज़ से उस समुदाय को संगठित करती हैं। अगर सीधे शब्दों में कहा जाये, तो आशा कार्यकर्ता समुदाय और स्वास्थ्य प्रणाली के बीच एक कड़ी का काम करती हैं। ये मां एवं शिशु के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को सर्वेक्षण करने, लोगों के बीच कोविड-19 लक्षणों वाले लोगों का पता लगाने और परीक्षण करने और उन्हें परामर्श देने का काम...