Abhajya sankhya ki paribhasha

  1. Sangya In Hindi / संज्ञा
  2. संज्ञा की परिभाषा, भेद, उदाहरण Noun in Hindi
  3. Sangya ki Paribhasha (परिभाषा और भेद)
  4. संख्या पद्धति की परिभाषा


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Sangya In Hindi / संज्ञा

15.4 Sangya ke udaharan? Sangya Kise Kahate Hain ? संज्ञा एक ऐसा शब्द होता है जो किसी विशिष्ट चीज़ के नाम या चीज़ों के समूह का नाम, जैसे कि जीवित प्राणी, वस्तुएं, स्थान, कार्य, गुण, अस्तित्व की स्थिति या किसी प्रकार का विचार के रूप में कार्य करता है। संज्ञा की परिभाषा / Sangya Ki Paribhasha In Hindi Sangya In Hindi संज्ञा एक ऐसा शब्द होता है जो किसी विशिष्ट चीज़ के नाम या चीज़ों के समूह का नाम, जैसे कि जीवित प्राणी, वस्तुएं, स्थान, कार्य, गुण, अस्तित्व की स्थिति या किसी प्रकार का विचार के रूप में कार्य करता है। सरल शब्दों में समझा जाए तो किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नामो को ही ‘संज्ञा’ कहा जाता है। जैसे- पशु (जाति), व्यथा (भाव), सुंदरता (गुण), रमेश (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)। हालाँकि, संज्ञा एक अर्थ संबंधी श्रेणी नहीं है, इसलिए इसे इसके अर्थ के संदर्भ में वर्गकृत नहीं किया जा सकता है। संज्ञा के उदाहरण / Sangya Ke Udaharan 1. ‘ रमेश‘ खाना खा रहा है = रमेश व्यक्ति का नाम है। 2. ‘ अमरुद‘ में मिठास है = अमरूद फल का नाम है। 3. ‘ घोडा‘ दौड़ रहा है = घोड़ा एक पशु का नाम है। 4. ‘ दिल्ली‘ भारत की राजधानी है = दिल्ली एक स्थान का नाम है। ऊपर दिए गए वाक्यों में रमेश, अमरुद, घोडा, दिल्ली यह सभी संज्ञा है। संज्ञा के भेद / Sangya Ke Bhed In Hindi Sangya In Hindi एक संज्ञा जिससे किसी जाति, प्राणी या किसी विशिष्ट वस्तु के जाति का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है। जैसे- लड़का, लडकी, घोड़ा, फूल, मनुष्य, वृक्ष, मोटर साइकिल, कार, टीवी, पहाड़, तालाब, गॉंव आदि। ऊपर दिए सभी शब्दों में किसी जाति, प्राणी या समूह के जाति का बोध होता है। इसलिए यह ...

संज्ञा की परिभाषा, भेद, उदाहरण Noun in Hindi

संज्ञा की परिभाषा: (Sangya ki Paribhasha in Hindi) संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है – नाम। किसी व्यक्ति , गुण, प्राणी, एवं जाति, स्थान , वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। यदि हम अपने आस पास दृष्टि डालें तो अनेक पदार्थ नज़र आते हैं। इन सभी पदार्थों के अलग अलग नाम होते हैं। व्याकरणिक दृष्टिकोण से इन नामों को ही संज्ञा कहते हैं। निम्न वाक्यों पर ध्यान दें :- 1. राम पुस्तक पढता है। 2. आगरा में ताजमहल है। 3. गुलाब का फूल सुन्दर होता है। 4. पक्षियों का झुण्ड आकाश में उड़ रहा है। 5. सोने का भाव आसमान छू रहा है। Advertisement उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द किसी व्यक्ति , वस्तु, स्थान , भाव, समूह, धातुओं का संकेत करते हैं। अतः संज्ञा को इस रूप में परिभाषित किया जा सकता है : “ किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव के नामो को संज्ञा कहते हैं।” जैसे : राम, मोहन, आगरा, विद्यालय, पुस्तक, मेज, सुंदरता, बुढ़ापा, झुण्ड, सेना, सोना, लोहा इत्यादि। संज्ञा के उदाहरण Sangya ke Udaharan, Sangya examples in Hindi रमेश परीक्षा में प्रथम आया था। इसलिए वह दौड़ता हुआ स्कूल से घर पहुंचा, इस बात से वह बहुत खुश था। उसने यह बात अपने माता- पिता को बताई। यह समाचार सुन वह इतने आनंदित हुए कि उन्होंने उसे गले लगा लिया। Advertisement 5. द्रव्यवाचक संज्ञा Material Noun in Hindi 1. जातिवाचक संज्ञा क्या होती है :- (Common Noun Paribhasha in Hindi) जिस संज्ञा शब्द से संसार के समस्त व्यक्तियों, वस्तुओं, और प्राणियों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं , जैसे- मनुष्य, औरत, शहर,नदी, क़िताब, पर्वत इत्यादि। “मनुष्य ” कहने से संसार के समस्त व्यक्ति हमारे आंखों के सामने खड़े हो जाते हैं। क़िताब शब्द सं...

Sangya ki Paribhasha (परिभाषा और भेद)

Sangya ki Paribhasha (संज्ञा की परिभाषा) किसी व्यक्ति, वस्तू, स्थान, और गुण के नाम को संज्ञा कहते है, जैसे – जानवर (जाति), सुन्दरता (गुण), चिन्ता(भाव), भवेश(व्यक्ति), राजस्थान(स्थान), एंव खेलना(क्रिया) आदि। संज्ञा के पांच भेद होते है। • व्यक्तिवाचक संज्ञा • भाववाचक संज्ञा • जातिवाचक संज्ञा • समुदाय या समूहवाचक संज्ञा • द्रव्यवाचक संज्ञा संज्ञा के भेदों की परिभाषा इस प्रकार है – व्यक्तिवाचक संज्ञा(Sangya) जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, या स्थान, का बोध करते हो उसे हम व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते है। जैसे – भवेश(व्यक्ति), मुंबई(स्थान), साईकिल(वस्तु) आदि। व्यक्ति वाचक संज्ञा के उदहारण :- • सचिन तेंदुलकर क्रिकेट खेलते है। • सुशांत सिंह राजपूत एक अच्छा कलाकार था। • भावेश पैसे कैसे कमाता है। • राम ने महाभारत पढ़ी है। • मैं भारत में रहता हूँ। ये सभी शब्द – सचिन तेंदुलकर, सुशांत सिंह राजपूत, भावेश, राम, भारत संज्ञा है कयोकी ये किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, या स्थान के नाम का बोध करते है। भाववाचक संज्ञा(Sangya) जो शब्द किसी चीज या पदार्थ की अवस्था, दशा या भाव का बोध करते हो उन्हें भाव वाचक संज्ञा कहते है। जैसे – बुडापा, मिठास, थकान, आदि। भाववाचक संज्ञा के उदहारण :- • आज में बहुत थकान महसूस कर रहा हु। • तुम इस बार परीक्षा में सफल हो जाओगे। यहाँ पर थकान का भाव और सफल होने का भाव परकत हो रहा है तो यहाँ पर भाववाचक संज्ञा है। जातिवाचक संज्ञा (Sangya) जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, और स्थान की सम्पूर्ण जाति का बोध कराते हो उन्हें जाति वाचक संज्ञा कहते है। जैसे – मोबाइल(वस्तु), गाँव(स्थान), जानवर(प्राणी) आदि। जातिवाचक संज्ञा के उदहारण :- • पक्षी अंडे देते है। • हिरन घास खाते है। • बच्चे बहुत भोले होत...

संख्या पद्धति की परिभाषा

संख्या पद्धति की परिभाषा – संख्या पद्धति की परिभाषा – संख्याओ को उनके लिखने, पढने और नामकरण के लिए बने सुव्यवस्थित नियमो के संकलन को संख्या पद्धति कहते है। इसके लिए अनेक प्रकार के निश्चित चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। जिन प्रतिको को विभिन्न तरीको से लिख करके अनगिनत संख्याये बनायीं जा सकती है। कुछ मुख्य संख्या पद्धति निम्नलिखित है – 1. दशमलव संख्या प्रणाली Decimal number system 2. आष्टा धारी संख्या प्रणाली Octal number system 3. द्विआधारी संख्या प्रणाली Binary number system 4. हेक्साडेसिमल संख्या प्रणाली Hexadecimal number system PDF download के लिए क्लिक करे ….. दशमलव संख्या प्रणाली की पारिभाषा – इस संख्या प्रणाली में 0 से लेकर 9 तक कुल 10 संख्याएं होते हैं। अतः इसका बेस 10 होता है। और इन्हें दशमलव संख्या प्रणाली कहा जाता है। यह संख्या प्रणाली सबसे है अधिक प्रयोग में लायी जाती है। इस प्रणाली में 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9। प्राकृतिक संख्या – इन संख्याओ को धन पूर्णांक या प्राकृत संख्या भी कहा जाता है। इसमें 1,2,3 से लेकर अनन्त तक की संख्या आती है। 0 को प्राकृत संख्या नहीं मन जाता है। इनको N या I+ से भी दिखाया जाता है। उदाहरण – 1,2,3,4,5,…………..अनन्त। पूर्ण संख्याये – 0 को मिलाकर सभी धन पूर्णाकों को पूर्ण संख्या कहते है। जैसे – 0,1,2,3,…………अनन्त तक पूर्ण संख्या है। ऋण पूर्णांक – ऋणात्मक पूर्णांको को ही ऋण पूर्णांक कहा जाता है। इनके आगे ऋण का चिन्ह लगाया जाता है। ऋण पूर्णांक को I- से दिखाया जाता है। जैसे – अनन्त………,-4,-3,-2,-1। पूर्णांक की परिभाषा – सभी ऋण पूर्णांक, 0 और धन पूर्णांको के पूरे समूह को पूर्णांक कहा जाता है। इन्हें I से दिखाया जाता है। पूर्णांक के उदाहरण – अनन्त, ……,-3...