About jhansi rani lakshmi bai in hindi

  1. झाँसी की रानी स्टोरी और इतिहास
  2. हिन्दी निबंध : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
  3. Rani Lakshmi Bai’s Glorious Legacy: Fearless Indian Women Today Feel Proud When Called ‘Jhansi ki Rani’
  4. Manikarnika: The Queen of Jhansi
  5. Manikarnika: The Queen of Jhansi (2019)
  6. 10 Lines On Jhasi Ki Rani Lakshmibai In Hindi And English Language
  7. Jhansi ki Rani in Hindi
  8. रानी लक्ष्मीबाई जीवनी
  9. Jhansi


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झाँसी की रानी स्टोरी और इतिहास

3.7/5 - (70 votes) रानी लक्ष्मी बाई जिन्हें हम ‘झाँसी की रानी’ के नाम से जानते हैं, जो भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम (1857) के समय की सबसे बहादुर वीरांगना थी। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई एक ऐसी योधा थी जिन्होंने अंगेजो की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे और आखिरी दम तक उनसे लड़ती रही। हमारे देश में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वीरता की कहानियां सुनाई जाती हैं। रानी लक्ष्मी बाई इतनी बहादुर थी कि वो मरने के बाद भी अंग्रेजो के हाथ नहीं आई थी। झांसी की रानी की 29 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से लड़ते हुए रणभूमि में उनकी मौत हुई थी। इस आर्टिकल में हम आपको झाँसी की रानी की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमे आप जानेंगे रानी लक्ष्मी बाई के बारे में जानकारी, झाँसी की रानी स्टोरी, झांसी की रानी का इतिहास, झांसी की रानी की मौत कैसे हुई जैसी मुख बातों को। • • • • • • • • • • • • 1. रानी लक्ष्मी बाई के बारे में जानकारी – Jhansi Ki Rani Lakshmi Bai Ke Baare Mein Jankari • जन्म मणिकर्णिका ताम्बे (मनु)19 नवंबर 1828 वाराणसी, भारत • निधन 18 जून 1858 (आयु 29 वर्ष) • ग्वालियर, ग्वालियर राज्य, भारत के पास कोताह की सराय • पिता मोरोपंत शिव तांबे माँ भागीरथी सप्रे • शासनकाल 1853-1857 • पति झांसी नरेश महाराज गंगाधर राव नयालकर • बच्चे दामोदर राव, आनंद राव (गोद लिया हुआ)। 2. झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बचपन – Jhansi Ki Rani Story In Hindi लक्ष्मी बाई बहादुरी, देशभक्ति और सम्मान का प्रतीक हैं उनका जन्म 19 नवंबर 1828 में वाराणसी में एक मराठी परिवार में हुआ था। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का असली नाम मणिकर्णिका था लेकिन उन्हें प्यार से मनु भी कहा जाता था। रानी लक्ष्मी बाई के पिता मोरोपंत ताम्...

हिन्दी निबंध : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं। वे कभी आपत्तियों से नहीं घबराई, कभी कोई प्रलोभन उन्हें अपने कर्तव्य पालन से विमुख नहीं कर सका। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सदैव आत्मविश्वास से भरी रहीं। महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में मनुबाई नाम से बुलाया जाता था। रानी लक्ष्मीबाई का विवाह सन्‌ 1850 में गंगाधर राव से हुआ जोकि सन्‌ 1838 से झांसी के राजा थे। जिस समय लक्ष्मीबाई का विवाह उनसे हुआ तब गंगाधर राव पहले से विधुर थे। सन्‌ 1851 में लक्ष्मीबाई को पुत्र पैदा हुआ लेकिन चार माह बाद ही उसका निधन हो गया। रानी लक्ष्मीबाई के पति को इस बात का गहरा सदमा लगा और 21 नवंबर 1853 को उनका निधन हो गया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंगरेजी सरकार को सूचना दे दी थी। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद शुरु हुआ रानी लक्ष्मीबाई के जीवन में संघर्ष, लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांसी को अंगरेजी राज्य में मिलाने की घोषणा कर दी। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई झांसी अग्रेजों की होने देना नहीं चाहती थी, उन्होंने विद्रोह कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने सात दिन तक वीरतापूर्वक झांसी की सुरक्षा की और अपनी छोटी-सी सशस्त्र सेना से अंगरेजों का बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी ने खुलेरूप से शत्रु का सामना किया और युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया। वे अकेले ही अपनी पीठ के पीछे दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंग...

Rani Lakshmi Bai’s Glorious Legacy: Fearless Indian Women Today Feel Proud When Called ‘Jhansi ki Rani’

It is time to remember a beautiful 23-year-old woman who was pure in conduct and had powerful organisational and combat skills that few possessed. Filled with patriotism and pride for her country, it was Bharat’s fortune to have her as a daughter and a queen. Maharani Lakshmi Bai, the fearless queen of Jhansi, was one of the leading figures of the 1857 War of Independence. Rani Lakshmi Bai’s spirited fight against the enemy of her country left an indelible mark on Indian history. She is an inspiration for the women of Bharat. Nearly 163 years after the First War of Independence, fearless Indian women feel proud when called ‘Jhansi ki Rani’. In Varanasi, on November 19, 1835, Moropant Tambe and his wife Bhagirathi Bai were blessed with a daughter who would be a blazing sword in the hands of Bharat Mata. She was named Manikarnika; Manu was her nickname. Her mother died when she was four years old. Her father worked for Peshwa Baji Rao II of Bithoor district. The Peshwa called her “Chabili” because of her spirited demeanour. It was in the company of Prince Nana Sahib and Tatya Tope that she was trained in shooting, horsemanship, fencing and mallakhamba besides reading and writing. These were the lessons she was destined to use to defend Bharat. She was more independent than other children her age. The Queen of Jhansi In 1842, “Chabili” was married to Maharaj Gangadhar Rao Baba Sahib of Jhansi, and became the queen of Jhansi, popularly known as Rani Lakshmi Bai of Jhansi. She ...

Manikarnika: The Queen of Jhansi

Running time 150 minutes Country India Language Hindi Budget ₹99–125 crore Box office est. ₹132.95 crore Manikarnika: The Queen of Jhansi is a 2019 Indian Manikarnika: The Queen of Jhansi was released on 3700 screens in 50 countries worldwide on 25 January 2019. The film opened to positive critical response. Plot [ ] In 1828, Manikarnika is born in the The rebellions from the Cast [ ] • • • • • Richard Keep as • • • Anil George as Pir Ali • • • • • R. Bhakti Klein as • Katelyn Rodrigues as Little Manikarnika • • Priya Gamre as Sundar • • • • • Rajiv Kachroo as Gul Mohamad • Nihar Pandya as Rao Saheb Peshwa • • • • Production [ ] The outdoor locations of the film were Jaipur, Jodhpur, Alsisar (Jhunjhunu) & Bikaner in Rajasthan and Narmada Ghat, Ahilya Fort in Madhya Pradesh. Besides these, the film was shot at studios in Hyderabad & Mumbai. Sukant Panigrahy, Sriram Iyengar and Sujeet Sawant are production designers of the film. Sujeet and Sriram have also done production designing for Principal photography was completed in October 2018. N. T. R., Ranaut took over, making her directorial debut. Both Krish and Ranaut received directorial credit. Soundtrack [ ] Manikarnika: The Queen of Jhansi No. Title Singer(s) Length 1. "Bharat" 4:00 2. "Vijayi Bhava" Shankar Mahadevan 4:23 3. "Bolo Kab Pratikar Karoge" 3:16 4. "Rajaji" Pratibha Singh Baghel, Ravi Mishra 5:17 5. " Shankar Mahadevan 2:45 6. "Tak Taki" Pratibha Singh Baghel 4:17 7. "Dankila" 3:44 8. "Bharat" (ft Shankar Mahad...

Manikarnika: The Queen of Jhansi (2019)

Story of Rani Lakshmibai, one of the leading figures of the Indian Rebellion of 1857, and her resistance to the British Rule. Story of Rani Lakshmibai, one of the leading figures of the Indian Rebellion of 1857, and her resistance to the British Rule. Story of Rani Lakshmibai, one of the leading figures of the Indian Rebellion of 1857, and her resistance to the British Rule.

10 Lines On Jhasi Ki Rani Lakshmibai In Hindi And English Language

नमस्ते दोस्तों आज हम झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर 10 पंक्तियाँ (लाइन) हिंदी और इंग्लिश में ( 10 Lines On Jhansi Rani Lakshmibai In Hindi And English Language ) लिखेंगे दोस्तों यह 10 पॉइंट (K।ds) class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के School और College के विद्यार्थियों के लिए लिखे गए है। हमारी Webs।te पर आप बड़े निबंध भी पढ़ सकते है। इस 10 Lines का वीडियो नीचे दिया गया है। वेबसाइट के सभी लेखो के विडियो देखने के लिए हमारे YouTube Channel पर जाये। आपसे निवेदन है की हमारे Channel को Subscribe करें। रानी लक्ष्मीबाई बहुत ही महान और शक्तिशाली महिला थी । इनकी वीरता का उदहारण शायद ही मिले । इनकी वीरता को अंग्रेजो ने भी माना । लक्ष्मीबाई से जीतने में अंग्रेजो के भी पसीने छुट गये । लक्ष्मीबाई का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है और उनकी वीरता और उनका देशभक्ति गीत तो हमने सब ने बचपन में सुने है। ऐसे महान देश भक्त को मेरा कोटि कोटि प्रणाम । आज हम रानी लक्ष्मीबाई पर 10 पंक्तियाँ लिखकर उनकी वीरता को के बारे में जानेगें तो चलिए शुरु करते है । 10 Lines On Rani Lakshmibai In Hindi • रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को बनारस के एक मराठी ब्राह्मण कुल में हुआ। • रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था, मगर सब उन्हें प्रेम से मनु पुकारते थे। • रानी लक्ष्मी बाई की माता का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। • रानी लक्ष्मी बाई बचपन में मित्रो के साथ तीरंदाजी जैसे खेल खेलती थी और अपने अचूक निशानों से गाँव के लोगो को आश्चर्य चकित कर देती थी। • सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी राज्य की रानी बन गयी । • सन् 1851 में रानी ...

Jhansi ki Rani in Hindi

रानी लक्ष्मीबाई | Jhansi Ki Rani in Hindi Jhansi Ki Rani in Hindi: देश की आजादी की लड़ाई में कई वीर एवं वीरांगनाओं अपने प्राणों की आहुति तक देने से भी नही हिचके. इन्होंने न सिर्फ देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि खुद के स्वाभिमान को भी प्राथमिकता दिया. इन्ही कुछ वीरांगनाओ में से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई है. इसके शौर्य और पराक्रम से प्रभावित होकर एक कवि ने कहा है कि चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाली एक प्रमुख वीरांगना थी महारानी लक्ष्मी बाई. रानी लक्ष्मी बाई का जीवन अनेक लोगो के लिए प्रेरणादायक रहा. महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़े कुछ तथ्य . • नाम – लक्ष्मीबाई उर्फ मणिकर्णिका • जन्म – 19 नवंबर 1828 • जन्म स्थल – वाराणसी, उत्तरप्रदेश • मृत्यु – 18 जून 1858 • पिता – श्री मोरोपंत • माता – भागीरथी सापरे • पति – राजा गंगाधर राव प्रारंभिक जीवन | Rani Laxmibai Early Life Jhansi Ki Rani in Hindi: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी जिले के भदैनी गाँव मे हुआ था. इन्हें बचपन मे मनु नाम से पुकारा जाता था, लेकिन इसके बचपन का नाम मणिकर्णिका था. इनके पिता मोरोपंत तांबे थे, जो पिता एक मराठी परिवार से थे. ये मराठा बाजीराव के सेवा में भी कार्यरत रहते थे. इनकी माँ का देहांत इनके जन्म के 4 साल बाद ही हो गया था. इसलिए माँ का सुख ज्यादा नही मिला. इनकी माँ के देहांत के बाद इनकी देखरेख करने वाला कोई नही था, इसलिए इनके पिता ने यह निर्धारित किया कि वो लक्ष्मीबाई को भी बाजीराव के दरबार मे ले जाएंगे, और फिर उन्होंने ऐसा ही किया. मणिकर्णिका बचपन मे बहुत चंचल और मनकोहक छवि वाली थी. इसी वजह वो बह...

रानी लक्ष्मीबाई जीवनी

नाम :राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव जन्म : 19 नवम्बर, 1835 वाराणसी पिता : श्री. मोरोपन्त माता : भागीरथी पती : राजा गंगाधरराव के साथ आरंभिक जीवन : लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में 19 नवम्बर 1835 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से उसे मनु कहा जाता था। मनु की माँ का नाम भागीरथीबाई तथा पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था। मोरोपन्त एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान एवं धार्मिक महिला थीं। मनु जब चार वर्ष की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले गये जहाँ चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया। लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्रों की शिक्षा भी ली। सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दियापर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया। मनु का विवाह सन् 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ बड़े ही धूम-धाम से सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। इस प्रकार काशी की कन्या मनु, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन गई। 1851 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई क...

Jhansi

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