About rani laxmi bai in hindi

  1. रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय हिंदी में, इतिहास, वीरगति, शिक्षा, संघर्ष
  2. रानी लक्ष्मीबाई पर 10 लाइन निबंध
  3. जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी:सुभद्राकुमारी चौहान
  4. Rani Laxmi Bai History in Hindi
  5. Rani Lakshmibai Biography in Hindi
  6. रानी लक्ष्मीबाई जीवनी
  7. झाँसी की रानी स्टोरी और इतिहास


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रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय हिंदी में, इतिहास, वीरगति, शिक्षा, संघर्ष

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी एक नज़र में नाम मणिकर्णिका उपनाम मनु, रानी लक्ष्मीबाई, छबीली पिता का नाम मोरेपंत तांबे माता का नाम भागीरथी सापरे जन्म 19 नवंबर 1828 जन्मस्थान वारणसी, भारत पदवी रानी विवाह सन 1842 पति का नाम महाराज गंगाधर राव नेवालकर पुत्र का नाम दामोदर राव, आनंद राव उपलब्धियां युद्ध कला में निपुण मृत्यु 17-18 जून 1858 (29वर्ष) मृत्यु स्थल ग्वालियर, भारत रानी लक्ष्मी बाई कौन थी? रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी स्त्री थी, जिन्होंने ब्रिटिश राज्य के खिलाफ और भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेकों युद्ध किए। जिस समय में सभी राज्य अपने-अपने राज्यों को ब्रिटिश के अधीन कर रहे थे, उस समय में महारानी लक्ष्मीबाई ने अपनी झांसी को किसी को भी देने से साफ इनकार कर दिया था और झांसी को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्रत कराने के लिए लड़ाई लड़ने लगी। रानी लक्ष्मी बाई एक बहुत ही साहसी स्त्री थी। रानी लक्ष्मीबाई लोगों के प्रति बहुत ही उदार दिल वाली थी। गरीब और आम जनता के लोगों के लिए रानी लक्ष्मीबाई के दिल में एक अलग ही स्थान था। वह उन लोगों के प्रति बहुत ही उदार थी, जो बहुत ही गरीब या फिर लाचार होते थे। रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने का मकसद सिर्फ और सिर्फ गरीब लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाना था। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने संपूर्ण जीवन में किसी के भी अधीन रहकर जीना नहीं चाहा। वह चाहती थी कि वह खुद के भविष्य का निर्धारण स्वयं से करें और उन्होंने ठीक ऐसा ही किया। महारानी लक्ष्मी बाई के साथ स्वतंत्रता संग्राम में न केवल वह थी, परंतु उनके साथ उनके सेनापति चाचा और उनके पिता भी थे। रानी लक्ष्मी बाई का जन्म रानी लक्ष्मीबाई का ...

रानी लक्ष्मीबाई पर 10 लाइन निबंध

रानी लक्ष्मीबाई पर 10 लाइन निबंध – 10 Lines on Rani Lakshmi Bai In Hindi रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना थी जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए अंग्रेज सेना का डटकर मुकाबला किया और अन्तः वीरगति को प्राप्त हुई ! रानी लक्ष्मीबाई को एक बहादुर और निडर स्त्री के रूप में पहचाना जाता है ! दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम Rani Lakshmi Bai Par 10 Line Nibandh शेयर कर रहे है , उम्मीद करते है यह आपको निबंध प्रतियोगिता और exams में आपको काफी हेल्प करेगा ! तो आइये शुरू करते है 10 Lines on Rani Lakshmi Bai In Hindi रानी लक्ष्मीबाई पर 10 लाइन निबंध – 10 Lines on Rani Lakshmi Bai In Hindi • रानी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था , जिन्हें हम झाँसी की रानी के नाम से जानते है ! • रानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में 19 नवम्बर 1835 में हुआ ! • इनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था ! • रानी लक्ष्मीबाई में बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा था , जिसके चलते उन्होंने घुड़सवारी , तलवारबाजी और तीरंदाजी को बचपन में ही सीख लिया था ! • वह बचपन से ही अंग्रेजो द्वारा भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों को देखती थी और अंग्रेजो को भारत से खदेड़ना चाहती थी ! • रानी लक्ष्मीबाई का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ , जिसके बाद उन्हें झाँसी की रानी कहाँ जाने लगा ! • रानी लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव को शादी के बाद एक पत्र रत्न की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्यवश उनके पुत्र की 4 महीने बाद ही मृत्यु हो गई ! • लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव की शादी के लगभग दो साल बाद 21 नवम्बर 1853 को गंगाधर राव का निधन हो गया ! • अपने पति की मृत्यु के बाद लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य की ब...

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी:सुभद्राकुमारी चौहान

बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़। महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में, राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में, सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में। चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियारी छाई, किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई, तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई, रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई। निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ ब...

Rani Laxmi Bai History in Hindi

Rani Laxmi Bai History in Hindi | रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का इतिहास लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) का जन्म 1828 में वाराणासी के एक मराठी परिवार में हुआ था | उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था और लोग प्यार से उन्हें मनु कहकर पुकारते थे | उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था | उनके माता पिता महराष्ट्र से आये थे | मनु जब चार वर्ष की थी तभी उसकी माता की मृत्यु हो गयी थी | उनके पिता बिठूर जिले के पेशवा के दरबार में काम करते थे | पेशवा ने मनु को अपनी बेटी की तरह पाला | पेशवा उन्हें छबीली कहकर पुकारते थे | उनकी शिक्षा घर पर ही हुयी थी और उन्होंने बचपन में ही निशानेबाजी , घुडसवारी और तलवारबाजी सीख ली थी | मणिकर्णिका से बनी रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) मणिकर्णिका की शादी मई 1842 में झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर से हुयी थी | उनकी शादी के बाद से ही उनको हिन्दू देवी लक्ष्मी के नाम पर लक्ष्मीबाई (Laxmi Bai )कहकर पुकारा जाने लगा | रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai ) ने 1851 में एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा लेकिन दुर्भाग्यवश केवल चार महीनों में उसकी मृत्यु हो गयी | रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai ) पुत्रशोक में कई दिनों तक दुखी रही फिर महाराजा ने अपने चचेरे भाई के पुत्र आंनद राव को गोद ले लिया जिसका नाम बाद में बदलकर दामोदर राव रखा गया | उसके नामकरण से एक दिन पूर्व ही दामोदर राव की मृत्यु हो गयी | रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai ) पहले पुत्र का शोक उभरा भी नही था ओर दूसरा दुःख आ गया लेकिन लक्ष्मीबाई ने हिम्मत रखी | अंग्रेजो से हुआ उत्तराधिकारी को लेकर विवाद महाराजा की मृत्यु के बाद तत्कालीन गर्वनर जनरल ने दामोदर राव को उत्तराधिकारी बनाने से मन...

Rani Lakshmibai Biography in Hindi

Rani Lakshmibai Biography in Hindi – 1957 के स्वतन्त्रा संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में हुआ था। बचपन में इनका नाम मणिकर्णिका था, मगर प्यार से लोग इनको मनु के नाम से पुकारते थे। इनके पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था, और माँ का नाम भागीरथीबाई था। इनके पिता मराठा बाजीराव की सेवा में थे, माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान एवं धार्मिक महिला थी। जब मनु चार की थी, तो इनकी माता का मृत्यु हो गयी थी, घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था, जिसकी वजह से इनके पिता इनको बाजीराव के दरबार में ले गये थे, जहाँ इनके चंचल एवं सुन्दर स्वाभाव ने सभी का मन मोह लिया था। काफी दिनों तक लक्ष्मीबाई (मनु) बाजीराव के दरबार में ही रही, उसके बाद यह झाँसी आयी थी। बाजीराव के दरबार में लोग मनु को “छबीली” कहकर बुलाने लगे थे। रानी लक्ष्मी बाई बचपन से ही शास्त्रों की शिक्षा ले ली थी। समय के साथ रानी लक्ष्मी बाई बड़ी होती गयी, वर्ष 1842 में इनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ, जिसके बाद इनको लोग झाँसी की रानी के नाम से जानने लगे। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया दुर्भाग्य बस चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। Rani Lakshmibai Biography in Hindi – संछिप्त परिचय • वास्तविक नाम – राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव • बचपन का नाम – मणिकर्णिका • प्यार से बुलाने वाला नाम – मनु, छबीली • पिता का नाम – श...

रानी लक्ष्मीबाई जीवनी

नाम :राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव जन्म : 19 नवम्बर, 1835 वाराणसी पिता : श्री. मोरोपन्त माता : भागीरथी पती : राजा गंगाधरराव के साथ आरंभिक जीवन : लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में 19 नवम्बर 1835 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से उसे मनु कहा जाता था। मनु की माँ का नाम भागीरथीबाई तथा पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था। मोरोपन्त एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान एवं धार्मिक महिला थीं। मनु जब चार वर्ष की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले गये जहाँ चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया। लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्रों की शिक्षा भी ली। सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दियापर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया। मनु का विवाह सन् 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ बड़े ही धूम-धाम से सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। इस प्रकार काशी की कन्या मनु, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन गई। 1851 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई क...

झाँसी की रानी स्टोरी और इतिहास

3.7/5 - (70 votes) रानी लक्ष्मी बाई जिन्हें हम ‘झाँसी की रानी’ के नाम से जानते हैं, जो भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम (1857) के समय की सबसे बहादुर वीरांगना थी। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई एक ऐसी योधा थी जिन्होंने अंगेजो की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे और आखिरी दम तक उनसे लड़ती रही। हमारे देश में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वीरता की कहानियां सुनाई जाती हैं। रानी लक्ष्मी बाई इतनी बहादुर थी कि वो मरने के बाद भी अंग्रेजो के हाथ नहीं आई थी। झांसी की रानी की 29 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से लड़ते हुए रणभूमि में उनकी मौत हुई थी। इस आर्टिकल में हम आपको झाँसी की रानी की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमे आप जानेंगे रानी लक्ष्मी बाई के बारे में जानकारी, झाँसी की रानी स्टोरी, झांसी की रानी का इतिहास, झांसी की रानी की मौत कैसे हुई जैसी मुख बातों को। • • • • • • • • • • • • 1. रानी लक्ष्मी बाई के बारे में जानकारी – Jhansi Ki Rani Lakshmi Bai Ke Baare Mein Jankari • जन्म मणिकर्णिका ताम्बे (मनु)19 नवंबर 1828 वाराणसी, भारत • निधन 18 जून 1858 (आयु 29 वर्ष) • ग्वालियर, ग्वालियर राज्य, भारत के पास कोताह की सराय • पिता मोरोपंत शिव तांबे माँ भागीरथी सप्रे • शासनकाल 1853-1857 • पति झांसी नरेश महाराज गंगाधर राव नयालकर • बच्चे दामोदर राव, आनंद राव (गोद लिया हुआ)। 2. झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बचपन – Jhansi Ki Rani Story In Hindi लक्ष्मी बाई बहादुरी, देशभक्ति और सम्मान का प्रतीक हैं उनका जन्म 19 नवंबर 1828 में वाराणसी में एक मराठी परिवार में हुआ था। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का असली नाम मणिकर्णिका था लेकिन उन्हें प्यार से मनु भी कहा जाता था। रानी लक्ष्मी बाई के पिता मोरोपंत ताम्...