Adhishoshan avn avshoshan mein antar bataen

  1. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
  2. सामाजिक विज्ञान (Samajik Vigyan)
  3. साबुन और अपमार्जक में अंतर/Difference between soap and detergent
  4. शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए। shukranu janan avn and janan mein antar spasht kijiye Answer :... MP
  5. वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के घरेलू उपाय
  6. जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, तुलना तथा समानता
  7. जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, तुलना तथा समानता
  8. साबुन और अपमार्जक में अंतर/Difference between soap and detergent
  9. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
  10. शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए। shukranu janan avn and janan mein antar spasht kijiye Answer :... MP


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भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

विषय सूची • 1 संस्कृति की विशेषताएँ • 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 3 बाहरी कड़ियाँ • 4 संबंधित लेख भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- प्राचीनता - निरन्तरता - भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि हज़ारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है, जबकि लचीलापन एवं सहिष्णुता - भारतीय संस्कृति की सहिष्णु प्रकृति ने उसे दीर्घ आयु और स्थायित्व प्रदान किया है। संसार की किसी भी संस्कृति में शायद ही इतनी सहनशीलता हो, जितनी भारतीय संस्कृति में पाई जाती है। भारतीय ग्रहणशीलता - भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता एवं उदारता के कारण उसमें एक ग्रहणशीलता प्रवृत्ति को विकसित होने का अवसर मिला। वस्तुत: जिस संस्कृति में लोकतन्त्र एवं स्थायित्व के आधार व्यापक हों, उस संस्कृति में ग्रहणशीलता की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से ही उत्पन्न हो जाती है। हमारी संस्कृति में यहाँ के मूल निवासियों ने समन्वय की प्रक्रिया के साथ ही बाहर से आने वाले भारत में इस्लामी संस्कृति का आगमन भी अरबों, तुर्कों और आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का समन्वय - भारतीय संस्कृति में आश्रम - व्यवस्था के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों का विशिष्ट स्थान रहा है। वस्तुत: इन पुरुषार्थों ने ही भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता के साथ भौतिकता का एक अदभुत समन्वय कर दिया। हमारी संस्कृति में जीवन के ऐहिक और पारलौकिक दोनों पहलुओं से धर्म को सम्बद्ध किया गया था। धर्म उन सिद्धान्तों, तत्त्वों और जीवन प्रणाली को कहते हैं, जिससे मानव जाति परमात्मा प्रदत्त शक्तियों के विकास से अपना लौकिक जीवन सुखी बना सके तथा मृत्यु के पश्चात् जीवात्मा शान्ति का अनुभव कर सके। शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है, ...

सामाजिक विज्ञान (Samajik Vigyan)

Samajik Vigyan- समाज के विषय मे अध्ययन सामाज की जानकारी एकत्रित करना ही सामाजिक अध्ययन कहलाता है, परन्तु सामाजिक विज्ञान एक विषय बन चुका है, जिससे अंतरगर्त सामाज की कई प्रणालीया आती है। आसान भाषा मे समझे तो, समाज के विषय मे सुव्यवस्थिति व सुसंगठित ज्ञान अर्जित करना ही सामाजिक अध्ययन या विज्ञान कहलाता है। सामाजिक विज्ञान को विस्तार से जानने से पहले, हमे ये जानना होगा की, समाज किसे कहते है। Samajik Vigyan समाज क्या है – Samaj kya hai लोगो के समूह को समाज कहते । अर्थात लोगो से मिलकर बने किसी बडे समूह जिससे सभी लोग एक दुसरे के हित मे कार्य करते हो, एक साथ मिलजुल कर रहते हो, , उन्हे समाज कहते है। दरअसल हमे ये समझना होगा की समाज, एक से अधिक लोगो के समूदाय को कहते है। लेकिन एक सम्पूर्ण और अच्छे समाज की पहचान ये है की, लोग एक दुसरे की भलाई करे, सभी साथ व मिलजुल कर रहे, एक दुसरे का सम्मान करे, इत्यादि कई चीजो से अच्छे समाज की पहचान है। किसी समाज को भलिभाति जानने के लिये हमे उनकी, विविधता, आजीविका, सरकार, इत्यादि विषयो को जानना जरुरी है। Samajik Vigyan 700 से अधिक लोगो ने पढा सामाजिक विज्ञान की साखा – Branch of Social Science सामाजिक विज्ञान के कई अन्य शाखाये है, जिसके अंतरगत हम समाज के बारे मे गहराई से जानते है, सामाजिक विज्ञान एक ऐसा विषय है, जिसके अध्ययन से हम समाज के अच्छाई, बुराई, समाज मे हो रहे अच्छे व बुरे बदलाव को समझकर अपने विचार प्रकट कर सकते है। Samajik Vigyan राजनिती विज्ञान राजनितीशास्त्र मे हम समाज, पंचायतीराज, प्रशासन व सरकार के बारे मे अध्ययन करते है। अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र के अंतरगर्त हम वस्तुयो के उत्पादन, वितरण,विनिमय इत्यादि का अध्ययन किया जाता है। शिक्षाशास्त्र...

साबुन और अपमार्जक में अंतर/Difference between soap and detergent

साबुन और अपमार्जक में अंतर 4,Sabun aur apmarjak mein antar bataen,sabun avn apmarjak mein antar likhiye koi 4,साबुन एवं अपमार्जक में कोई चार अंतर लिखिए,Sabun aur apmarjak mein koi char antar,5 difference between soap and detergent,difference between soap and detergent in points class 10,soaps and detergents class 12,difference between soaps and detergents class 10,example of soap and detergent,soaps and detergents difference,sabun or apmarjak me antar, दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम साबुन और अपमार्जक में क्या अंतर होता है तथा इसके कुछ महत्वपूर्ण अंतर जो आपके परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं वह हम देखेंगे और साथ ही साथ हम जानेंगे की साबुन और अपमार्जक में क्या अंतर होता है इसके साथ ही साथ हम जानेंगे कि साबुन किसे कहते हैं कोमा अपमार्जक किसे कहते हैं और साबुन और अपमार्जक क्या होते हैं? साबुन- 1. यह नहाने के काम में आता है। 2. इस प्रकार के साबुन अच्छी तरह के तेल एवं वसा से बनाए जाते हैं। 3. सावन में हानिकारक क्षार नहीं मिलाए जाते। 4. यह चल में घुसने में समय लेता है। 5. साबुन लंबी श्रंखला वाले कार्बोलिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। 6. साबुन भलाई के काम के लिए उपयुक्त नहीं होता है, जब जल कठोर होता है। 7. साबुन जैव निम्नीकरणीय होते हैं। 8. साबुन में मंद निर्मलन क्रिया होती है। 9. यह त्वचा के लिए हानिप्रद है। 10. यह उन्हीं कपड़ों के साथ अधिक व्यवहारिक नहीं होते। अपमार्जक- 1. अपमार्जक कपड़े धुलने के काम में आते हैं। 2. अपमार्जक सस्ते तेल एवं वसा से बनाए जाते हैं। 3. अपमार्जक में हानिकारक क्षार मिलाए जाते हैं। 4. अपमार्जक जल में तीव्रता से घुलते हैं। 5. अपमार्जक लंबी श्रंखला वाले अ...

शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए। shukranu janan avn and janan mein antar spasht kijiye Answer :... MP

Q.47: शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए। उत्तर : शुक्राणु जनन अंडाणु जनन (1) शुक्राणु जनन वृषण में होने वाली क्रिया है। (2) इसके एक प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से 4 शुक्राणु बनते हैं। (3) इसमें ध्रुवीय काय नहीं बनते। (4) इसमें अपेक्षाकृत कम समय लगता है। (1) यह अंडाशयों में होने वाली क्रिया है। (2) इसमें एक प्राथमिक असाइट से एक अंडाणु बनता है। (3) इसमें ध्रुवीय काय बनते हैं। (4) इसमें ज्यादा समय लगता है।

वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के घरेलू उपाय

Virya Ko Jaldi Girne Se Rokne Ke Upay आमतौर पर यौन समस्याएं महिला और पुरुष दोनों को होती है, लेकिन वीर्य जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है जो पुरुषों में बहुत सामान्य है। अक्सर पाया गया है कि ज्यादातर पुरुष जोश में जल्दी वीर्य गिरने की समस्या से परेशान रहते हैं। चूंकि जल्दी स्खलित हो जाने से पत्नी या पार्टनर को बेहतर शारीरिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए यह समस्या पुरुषों की मर्दानगी पर भी सवाल उठाती है। अगर आप भी जल्दी स्खलित हो जाते हैं तो इस लेख में हम आपको वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। विषय सूची 1. 2. 3. • • • • • • • वीर्य का जल्दी गिरना या शीघ्रपतन क्या है – What Is Premature Ejaculation in Hindi वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है आप अपने साथी के साथ संभोग करते समय एक मिनट से भी कम समय में या बहुत जल्दी स्खलित हो जाते हैं और अपने साथी को यौन संतुष्टि प्रदान नहीं कर पाते और वह सेक्स का आनंद नहीं ले पाती है। जल्दी स्खलित होने की समस्या काफी शर्मनाक मानी जाती है और यह शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है। (और पढ़े – वीर्य के जल्दी बाहर निकलने के कारण – Causes of Premature Ejaculation in Hindi वास्तव में सेक्स के दौरान वीर्य बाहर निकलने का कोई सटीक समय नहीं है और अब तक जल्दी स्खलन होने का वास्तविक कारण भी ज्ञात नहीं हो पाया है। लेकिन सेक्सोलॉजिस्ट मानते हैं कि यह पुरुषों के मस्तिष्क से जुड़ा होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी पुरुष के मस्तिष्क में सेरोटोनिन (serotonin) नामक रसायन का स्तर कम है तो उसे सेक्स के दौरान जल्दी वीर्य बाहर आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह समस्या अन्...

जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, तुलना तथा समानता

आज जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, तुलना तथा समानता लेकर आए हुए हैं| जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर समझने से पहले हमें यह समझना होगा कि कोशिका किसे कहते हैं कोशिका कितने प्रकार की होती हैं जंतु कोशिका किसे कहते हैं तथा पादप कोशिका किसे कहते हैं। इसके बाद हम जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में समानता जंतु कोशिका और पादप कोशिका में तुलना का अध्ययन करेंगे। 5 जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में तुलना, जंतु कोशिका और पादप कोशिका में समानता (Difference between Plant Cell and Animal Cell) कोशिका किसे कहते हैं ? जीवों के उनके जैविक क्रियाओं में आकार प्रदान करने वाली मूलभूत इकाई को कोशिका कहा जाता है। उसका जीवन की सबसे छोटी कार्यात्मक और संरचनात्मक इकाई है। कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1665 ईसवी में की थी इन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कार्क के एक पतले टुकड़े में मधुमक्खी के छत्ते के समान संरचना देखी। जिसे इन्होंने कोशिका का नाम दिया। रॉबर्ट हुक कोकोशिका विज्ञान का जनककहा जाता है तथा कोशिका के अध्ययन को साइटोलॉजी कहा जाता है। पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर बताइए,जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर,जंतु कोशिका और पादप कोशिका में समानता • कोशिका विज्ञान के जनक(Father of Cytology) – रॉबर्ट हुक (Robert Hook) • आधुनिक कोशिका विज्ञान के जनक(Father of Modern Cytology) – स्वान सन (Swan Son) • भारतीय कोशिका विज्ञान के जनक( Father of Indian Cytology) – ऐ. के. शर्मा (A.K. Sharma) कोशिका के प्रकार कोशिकाओं के प्रकार के अंतर्गत अगर हम बात करें तो मुख्य रूप से दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। 1....

जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, तुलना तथा समानता

आज जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, तुलना तथा समानता लेकर आए हुए हैं| जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर समझने से पहले हमें यह समझना होगा कि कोशिका किसे कहते हैं कोशिका कितने प्रकार की होती हैं जंतु कोशिका किसे कहते हैं तथा पादप कोशिका किसे कहते हैं। इसके बाद हम जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में समानता जंतु कोशिका और पादप कोशिका में तुलना का अध्ययन करेंगे। 5 जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर, जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में तुलना, जंतु कोशिका और पादप कोशिका में समानता (Difference between Plant Cell and Animal Cell) कोशिका किसे कहते हैं ? जीवों के उनके जैविक क्रियाओं में आकार प्रदान करने वाली मूलभूत इकाई को कोशिका कहा जाता है। उसका जीवन की सबसे छोटी कार्यात्मक और संरचनात्मक इकाई है। कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1665 ईसवी में की थी इन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कार्क के एक पतले टुकड़े में मधुमक्खी के छत्ते के समान संरचना देखी। जिसे इन्होंने कोशिका का नाम दिया। रॉबर्ट हुक कोकोशिका विज्ञान का जनककहा जाता है तथा कोशिका के अध्ययन को साइटोलॉजी कहा जाता है। पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर बताइए,जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर,जंतु कोशिका और पादप कोशिका में समानता • कोशिका विज्ञान के जनक(Father of Cytology) – रॉबर्ट हुक (Robert Hook) • आधुनिक कोशिका विज्ञान के जनक(Father of Modern Cytology) – स्वान सन (Swan Son) • भारतीय कोशिका विज्ञान के जनक( Father of Indian Cytology) – ऐ. के. शर्मा (A.K. Sharma) कोशिका के प्रकार कोशिकाओं के प्रकार के अंतर्गत अगर हम बात करें तो मुख्य रूप से दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। 1....

साबुन और अपमार्जक में अंतर/Difference between soap and detergent

साबुन और अपमार्जक में अंतर 4,Sabun aur apmarjak mein antar bataen,sabun avn apmarjak mein antar likhiye koi 4,साबुन एवं अपमार्जक में कोई चार अंतर लिखिए,Sabun aur apmarjak mein koi char antar,5 difference between soap and detergent,difference between soap and detergent in points class 10,soaps and detergents class 12,difference between soaps and detergents class 10,example of soap and detergent,soaps and detergents difference,sabun or apmarjak me antar, दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम साबुन और अपमार्जक में क्या अंतर होता है तथा इसके कुछ महत्वपूर्ण अंतर जो आपके परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं वह हम देखेंगे और साथ ही साथ हम जानेंगे की साबुन और अपमार्जक में क्या अंतर होता है इसके साथ ही साथ हम जानेंगे कि साबुन किसे कहते हैं कोमा अपमार्जक किसे कहते हैं और साबुन और अपमार्जक क्या होते हैं? साबुन- 1. यह नहाने के काम में आता है। 2. इस प्रकार के साबुन अच्छी तरह के तेल एवं वसा से बनाए जाते हैं। 3. सावन में हानिकारक क्षार नहीं मिलाए जाते। 4. यह चल में घुसने में समय लेता है। 5. साबुन लंबी श्रंखला वाले कार्बोलिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। 6. साबुन भलाई के काम के लिए उपयुक्त नहीं होता है, जब जल कठोर होता है। 7. साबुन जैव निम्नीकरणीय होते हैं। 8. साबुन में मंद निर्मलन क्रिया होती है। 9. यह त्वचा के लिए हानिप्रद है। 10. यह उन्हीं कपड़ों के साथ अधिक व्यवहारिक नहीं होते। अपमार्जक- 1. अपमार्जक कपड़े धुलने के काम में आते हैं। 2. अपमार्जक सस्ते तेल एवं वसा से बनाए जाते हैं। 3. अपमार्जक में हानिकारक क्षार मिलाए जाते हैं। 4. अपमार्जक जल में तीव्रता से घुलते हैं। 5. अपमार्जक लंबी श्रंखला वाले अ...

भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

विषय सूची • 1 संस्कृति की विशेषताएँ • 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 3 बाहरी कड़ियाँ • 4 संबंधित लेख भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- प्राचीनता - निरन्तरता - भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि हज़ारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है, जबकि लचीलापन एवं सहिष्णुता - भारतीय संस्कृति की सहिष्णु प्रकृति ने उसे दीर्घ आयु और स्थायित्व प्रदान किया है। संसार की किसी भी संस्कृति में शायद ही इतनी सहनशीलता हो, जितनी भारतीय संस्कृति में पाई जाती है। भारतीय ग्रहणशीलता - भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता एवं उदारता के कारण उसमें एक ग्रहणशीलता प्रवृत्ति को विकसित होने का अवसर मिला। वस्तुत: जिस संस्कृति में लोकतन्त्र एवं स्थायित्व के आधार व्यापक हों, उस संस्कृति में ग्रहणशीलता की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से ही उत्पन्न हो जाती है। हमारी संस्कृति में यहाँ के मूल निवासियों ने समन्वय की प्रक्रिया के साथ ही बाहर से आने वाले भारत में इस्लामी संस्कृति का आगमन भी अरबों, तुर्कों और आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का समन्वय - भारतीय संस्कृति में आश्रम - व्यवस्था के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों का विशिष्ट स्थान रहा है। वस्तुत: इन पुरुषार्थों ने ही भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता के साथ भौतिकता का एक अदभुत समन्वय कर दिया। हमारी संस्कृति में जीवन के ऐहिक और पारलौकिक दोनों पहलुओं से धर्म को सम्बद्ध किया गया था। धर्म उन सिद्धान्तों, तत्त्वों और जीवन प्रणाली को कहते हैं, जिससे मानव जाति परमात्मा प्रदत्त शक्तियों के विकास से अपना लौकिक जीवन सुखी बना सके तथा मृत्यु के पश्चात् जीवात्मा शान्ति का अनुभव कर सके। शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है, ...

शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए। shukranu janan avn and janan mein antar spasht kijiye Answer :... MP

Q.47: शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए। उत्तर : शुक्राणु जनन अंडाणु जनन (1) शुक्राणु जनन वृषण में होने वाली क्रिया है। (2) इसके एक प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से 4 शुक्राणु बनते हैं। (3) इसमें ध्रुवीय काय नहीं बनते। (4) इसमें अपेक्षाकृत कम समय लगता है। (1) यह अंडाशयों में होने वाली क्रिया है। (2) इसमें एक प्राथमिक असाइट से एक अंडाणु बनता है। (3) इसमें ध्रुवीय काय बनते हैं। (4) इसमें ज्यादा समय लगता है।