अद्वैतवाद सिद्धांत के प्रवतर्क निम्न में कौन से आचार्य हैं?

  1. भक्ति आंदोलन GK Questions SET 1
  2. साधन चतुष्टय
  3. अद्वैतवाद के प्रवर्तक कौन थे? » Adwaitvad Ke Pravartak Kaun The
  4. अद्वैतवाद का दर्शन क्या है?
  5. बाल विकास के सिद्धांत
  6. महान दृष्टा अद्वैतवाद : केवल एक ही सत्ता, ब्रह्म सत्ता
  7. UGC NET Hindi old Question Paper Quiz 41
  8. History Questions in Hindi MCQs


Download: अद्वैतवाद सिद्धांत के प्रवतर्क निम्न में कौन से आचार्य हैं?
Size: 38.54 MB

भक्ति आंदोलन GK Questions SET 1

Religious Movements in 15th - 16th Centuries I. Bhakti Movement [15वीं-16वीं सदी के धार्मिक आंदोलन I. भक्ति आंदोलन] is very important topic of Medieval Indian History (मध्यकालीन भारतीय इतिहास) in the exam point of view. We are going to share the set of 20 Multiple Choice Questions in this post. Complete the all practice set of this topic that are provided by Super Pathshala. GK questions of this post "भक्ति आंदोलन GK Questions SET 1" are very helpful for various government exams e.g. UPSC, SSC, Railway, Banking, State PSC, CDS, NDA, SSC CGL, SSC CHSL, Patwari, Samvida, Police, SI, CTET, TET, Army, MAT, CLAT, NIFT, IBPS PO, IBPS Clerk, CET, Vyapam etc. General Knowledge or Samanya Gyan is very important section to crack any exam. In this section we are providing GK in Hindiand GK Questions in Englishin another section. These Online Quizcontain the previous year asked questions in various govt exams, so practice these Online GK Test in Hindiat least one set of each subject daily. Get also all other subjects GK Questions and Answers in MCQ format from Super Pathshala. Complete Chapter wise/Topic wise Objective GK in Hindi [ Ans: मगहर / वाराणसी Q8. निम्नलिखित में से कौन-सा/से वाक्य दक्षिण भारत के भक्ति आंदोलन के संदर्भ में सत्य है/ हैं? 1. इसका नेतृत्व कई लोकप्रिय संतों द्वारा किया गया था। 2. इसके समर्थक संस्कृत में बोलते एवं लिखते थे। 3. इसने जाति व्यवस्था का विरोध किया था। 4. इसके प्रचार-प्रसार में महिलाएँ सक्रिय रूप से भाग नहीं लेती थी कूट :

साधन चतुष्टय

जैसाकिनामसेहीस्पष्टहै, उपरोक्तकाआशयचारसाधनोंकेसमूहसेहै. येकौनसेसाधनहैंजोमनुष्यकोबन्धनसेमुक्तकरतेहैं-इसेआचार्यशंकरनेस्वरचितग्रंथ 'विवेक-चूड़ामणि' मेंबतायाहै. ऐसेआत्मचिंतकजोस्वयंकोबंधनसेमुक्तकरनेकाप्रयत्नकररहेहों, केलिएयेलाभदायकहोसकताहै. येसबोंकाअनुभवहैकिकोईबन्धनपसंदनहींकरता. कुछबंधनऐसेहोतेहैंजोसहजहींदीखजातेहैंतोकुछचिंतनकरनेपरमालूमपड़तेहैंकिअरेयेबंधनतोजबरदस्तहैजोछूटेनछूटरहाहै. ऐसेतोव्यक्तिजन्मलेनेकेसाथहीनानाप्रकारकेबन्धनोंसेबंधजाताहैकिन्तुजबजानबूझकरऐसेकर्ममेंलिप्तहोजायजोकाम, क्रोधऔरलोभसेप्रेरितहोतोउसबन्धनकाकहनाहींक्या! उसकाअनुभवप्रायःतुरंतहींहोनेलगताहैऔरविकलताबढ़तीजातीहै. अस्तु. 1. पहलासाधन स्वयंकोबन्धनसेमुक्तकरनेकापहलासाधनहै- "नित्यानित्यवस्तुविवेक" आचार्यनेइसेइसतरहपरिभाषितकियाहै-' ब्रह्मसत्यहैऔरजगतमिथ्याहै' ऐसाजोनिश्चयहैयहीनित्यानित्यवस्तुविवेककहलाताहै. साधारणशब्दोंमेंहमेंउसवस्तुमेंहीअपना आश्रययाविश्रामकीखोजकरनाचाहियेजो 'कल' भीथा 'आज' भीहैऔर 'कल' भीरहेगा. अर्थात्जो "नित्य" हैउसीसेअपनीएकताजोड़नीचाहिये. क्याकोईबतासकताहैजोसंसारमेंऐसाक्याहैजोनित्यहै; जबस्वयंसंसारहीनित्यनहींहैतोसंसारकीवस्तुओंकेनित्यहोनेकागुमानकैसा! एकसर्वशक्तिमानईश्वरकोछोड़किसेनित्यमानाजाय, इसेहींतोज्ञानीब्रह्मकहतेहैंजोअनिर्वचनीयहै. 2. दूसरासाधन दूसरासाधनहै वैराग्य. वैराग्यकिसेकहेंगे? अनित्यपदार्थोंकेप्रतिभोगाकर्षणकीसमाप्तिहींवैराग्यहै. आचार्यशंकरकहतेहैं- दर्शनऔरश्रवणादिकेद्वारादेहसेलेकरब्रह्मलोकपर्यंतसम्पूर्णअनित्यभोग्यपदार्थोंमेंजोघृणाबुद्धिहैवही 'वैराग्य'है. 3. तीसरासाधन तीसरासाधनहैषट्सम्पत्तिकाअर्जन. आचार्यनेशम, दम, उपरति, तितिक्षा, श्रद्धा, समाधानकोछःसम्पत्तिबतायाहै. जोस्वयंकोबन्धनसेमुक्तकरनाचाहताहोवहइनसम्...

अद्वैतवाद के प्रवर्तक कौन थे? » Adwaitvad Ke Pravartak Kaun The

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। अद्वैतवाद सनातन दर्शन विधान के सबसे प्रभावशाली मतों में से एक है अद्वैत मत के अनुसार जीव और ब्रह्म की भिन्नता का कारण माया है जिसे अविद्या भी कहते हैं इसके प्रवर्तक हैं आदि शंकराचार्य adwaitvad sanatan darshan vidhan ke sabse prabhavshali maton mein se ek hai advait mat ke anusaar jeev aur Brahma ki bhinnata ka karan maya hai jise avidya bhi kehte hain iske pravartak hain aadi shankaracharya अद्वैतवाद सनातन दर्शन विधान के सबसे प्रभावशाली मतों में से एक है अद्वैत मत के अनुसार जीव औ

अद्वैतवाद का दर्शन क्या है?

अद्वैतवाद और यहूदी-मसीही विश्वास परिभाषा अद्वैतवाद एक सिद्धांत या शिक्षा है जो किसी क्षेत्र में भेद या द्वैत के अस्तित्व को नकारता है। उदाहरण के लिए, यह पदार्थ और मन, या ईश्वर और संसार के बीच के विभाजन को अस्वीकार करता है। यह विश्वास है कि सब एक है – सर्वेश्वरवाद का एक रूप। इस दर्शन में, कोई मौलिक विभाजन नहीं हैं, बल्कि कानूनों का एक एकीकृत समूह है जो सभी प्रकृति के अंतर्गत आता है। यह विश्वास स्वयं को द्वैतवाद के विपरीत स्थापित करता है। बाद का विश्वास मानता है कि दो प्रकार के पदार्थ या वास्तविकताएं हैं: भौतिक (भौतिक) और अभौतिक (आत्मिक)। इतिहास नव-प्लेटोनवाद के जनक प्लोटिनस (204-270 ई.) ने सिखाया कि परम सत्ता ब्रह्मांड या प्रकृति में निवास करती है। 17 वीं शताब्दी में, रेने डेसकार्टेस द्वारा मन-शरीर की समस्या को संबोधित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कार्टेशियन द्वैतवाद हुआ। और यह भी पूर्व-अरिस्टोटेलियन दार्शनिकों द्वारा संबोधित किया गया था, जिन्होंने एविसेनियन दर्शन को बढ़ावा दिया था। और 18वीं शताब्दी में, “अद्वैतवाद” शब्द को क्रिश्चियन वॉन वोल्फ ने अपने काम लॉजिक (1728) में दार्शनिक विचारों के प्रकारों को लेबल करने के लिए दिया था। उन्होंने शरीर और मन के बीच के अंतर को दूर करने और एक ही पदार्थ द्वारा सभी घटनाओं की व्याख्या करने का प्रयास किया। 20 वीं शताब्दी में, जोनाथन शेफ़र के अनुसार, विश्लेषणात्मक दर्शन के उद्भव के कारण अद्वैतवाद ने अपनी लोकप्रियता खो दी। इस विचारधारा ने नव-हेगेलियनों के खिलाफ बात की। कार्नाप और आयर, जो प्रत्यक्षवाद के समर्थक थे, और “असंगत रहस्यवाद के रूप में पूरे प्रश्न का उपहास किया।” नास्तिक अद्वैतवाद को बढ़ावा देते हैं अद्वैतवाद में, सभी वास्तविकता भौत...

बाल विकास के सिद्धांत

This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • बाल विकास क्या है? गर्भाधान से लेकर जन्म तक व्यक्ति में अनेक प्रकार के परिवर्तन होते हैं । जिन्हें भ्रूणावस्था का शारीरिक विकास माना जाता है। जन्म के बाद वह कुछ विशिष्ट परिवर्तनों की ओर संकेत करता है। इसे ही बाल विकास कहते हैं। जैसे गति, भाषा, संवेग और सामाजिकता के लक्षण उसमें प्रकट होने लगते हैं। बाल विकास का यह क्रम वातावरण से प्रभावित होता है। इसी के आधार पर अनेक बाल विकास के सिद्धांत दिए गए हैं। अध्यापक के लिए वातावरण और बालक एक-दूसरे के पर्याय (जोड़ीदार) बनकर चुनौती प्रस्तुत करते हैं।अध्यापक के लिये आवश्यक है कि वह सफलता प्राप्त करने के लिए बालक के विकास की विभिन्न अवस्थाओं का ज्ञान प्राप्त करें क्योंकि इन अवस्थाओं के कारण ही वह बालक में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार अपनी शिक्षण पद्धति को विकसित कर सकता है। इसी को समझाने के लिए आइए देखते हैं बाल विकास के सिद्धांत- बाल विकास के सिद्धांत Source : RBSE Solutions बाल विकास के सिद्धांत: • बाल की दिशा का सिद्धांत • विकास क्रम का सिद्धांत • विकास की गति का सिद्धांत • बाल की दिशा का सिद्धांत- इस बाल विकास के सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास सिर से पैर की ओर होता है। इसे मस्ताधोमुखी विकास का सिद्धांत भी कहते हैं। मस्ताधोमुखी विकास का अर्थ यह है कि पहले बालक के मस्तिष्क का विकास होता है फिर भुजाओं और अन्य इंद्रियों का। बाल विकास के दिशा के सिद्धांत के अनुसार पहले बालक सिर हिलाना सीखता है फिर उठना फिर बैठना और फिर चलना। प्रश्न-इस पर कई बार यह प्रश्न पूछा जाता है की बालक की दिशा के सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास किस ओर होता है? उत्तर- सिर से पैर की ओर। • विकास क्रम का सिद्धांत- इस ...

महान दृष्टा अद्वैतवाद : केवल एक ही सत्ता, ब्रह्म सत्ता

राधिका नागरथ अपने 32 साल के अल्पकाल में ही आदि गुरु शंकराचार्य ने स्वयं को भारत का एक धार्मिक योद्धा और दूरदर्शी आध्यात्मिक महापुरुष सिद्ध किया। इस देवदूत ने सारे भारत की पद यात्रा की और एक व्यवस्थित एवं अनुशासित संस्था द्वारा महान कार्यों का संपादन किया। वैदिक संस्कृति के पुरोधा आचार्य शंकर ने मठों की स्थापना कर मंदिरों का निर्माण कर और देव भाषा संस्कृत के उत्थान के लिए संस्कृत विद्यालयों की स्थापना की। साथ ही ऐसे धार्मिक नियम बनाए जिसके लिए पूरा विश्व उनका ऋणी रहेगा। आचार्य शंकर का प्रादुर्भाव ऐसे समय में हुआ जब सनातन समाज टूट कर अनेक शाखाओं और संप्रदायों में विभक्त हो गया था और धर्म के ठेकेदार अपना अपना अलग सिद्धांत प्रतिपादित करते थे। हर व्यक्ति दूसरे के सिद्धांत का घोर विरोधी हो गया था जबकि धर्म का पहला सूत्र है कि वह सबको जोड़ना है। ऐसे समय में जब बहुत से लोग बौद्ध धर्म को भी ग्रहण कर चुके थे तब आचार्य शंकर एक बड़े दृष्टा और अद्वैत सिद्धांत के पुरोधा बने। ऐसे अस्त-व्यस्त बौद्धिक वातावरण में शंकराचार्य ने उपनिषदों का अद्वैत ब्रह्म सिद्धांत प्रतिपादित कर दुनिया को सर्वोत्तम ज्ञान सहज रूप में उपलब्ध कराया। उन्होंने अपने ऐसे शिष्य तैयार किए और एक अनुशासित संस्थापक के रूप में उभर कर शताब्दियों तक भटके इस मानव समाज को वेदों और उपनिषदों के मौलिक विचारों से अवगत कराया। शिव के ही अवतार कहे जाने वाले इस आचार्य शंकर ने कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की एवं उपनिषदों पर भाष्य लिखें और सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ भज गोविंदम लिखा जो आज भी गाया जाता है। इस ग्रंथ में वेदांत के मूल आधार की शिक्षा सरल गान में दी गई है। श्लोकों की लय इतनी मधुर है कि बच्चे भी उसे आसानी से कंठस्थ कर गा सकते है...

UGC NET Hindi old Question Paper Quiz 41

NTA UGC NET Hindi Mock Test दोस्तों यह हिंदी quiz 41 है। जो 2004 से लेकर 2019 तक के ugc net jrf हिंदी के प्रश्नपत्रों पर आधारित है। हिंदी के प्रश्नपत्रों में रीतिकाल से संबंधित पूछे गए प्रश्नों का पहला भाग इस quiz के माध्यम से दिया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे भक्तिकाल से संबंधित प्रश्नों का चौथा भाग nta ugc net 1 .वृन्द-सतसई की विषयवस्तु क्या है?(दिसम्बर,2004,II) (A)नायिका-भेद (B)श्रृंगार (C)नीति✅ (D)भक्ति 2.इनमें से कौन रीतिबद्ध नहीं है? (दिसम्बर,2006,II) (A)मतिराम (B)केशवदास (C)घनानंद✅ (D)चिंतामणि 3.निम्नलिखित में से कौन-से रीतिसिद्ध कवि हैं? (जून,2007,II) (A)देव (B)बिहारी✅ (C)मतिराम (D)पदमाकर 4.इनमें से किस कवि ने लक्षण ग्रंथ नहीं लिखा? (दिसम्बर,2007,II) (A)देव (B)पद्माकर (C)भूषण (D)बिहारी✅ 5. ‘बरवै नायिका भेद’का रचनाकार कौन है? (दिसम्बर,2007,II) (A)रहीम✅ (B)रसलीन (C)बिहारी (D)मतिराम 6.निम्नलिखित में से कौन आचार्य कवि नहीं है?(दिसम्बर,2008,II) (A)केशवदास (B)भिखारीदास (C)चिंतामणि (D)ब्रजवासीदास✅ 7. नंददास की किस रचना का संबंध नायक-नायिका भेद से है:(जून,2009,II) (A)रासपंचाध्यायी (B)रसमंजरी✅ (C)स्थामसगाई (D)भंवर गीत 8.रीतिमुक्त कवि नहीं हैं?(दिसम्बर,2009,II) (A)घनानंद (B)बोधा (C)जसवंत सिंह✅ (D)ठाकुर 9.इनमें से कौन-सी रचना केशवदास की नहीं है? (दिसम्बर,2010,II) (A)रामचन्द्रिका (B)कविप्रिया (C)ललित ललाम✅ (D)रसिकप्रिया 10. लक्षण ग्रंथ का अर्थ है: (A)नायिका भेद (B)काव्यांग विवेचन✅ (C)रस निष्पत्ति (D)गुण-दोष 11. निम्नलिखित कवियों में रीतिसिद्ध कौन हैं? (जून,2011,II) (A)बिहारी✅ (B)घनानंद (C)मतिराम (D)तोष 12.निम्नलिखित में से कौन-सी रचना चिंतामणि की है? (दिसम्बर,2011,II) (A)अलंकार...

History Questions in Hindi MCQs

इतिहास विषय पढ़ने में नीरस व उबाऊ लग सकता है, लेकिन पुरातन, मध्यकालीन व आधुनिक इतिहास का ज्ञान यूपीएससी, एसएससी समेत कई अन्य सरकारी परीक्षाओं को पार करने में आपकी काफी मदद कर सकता है। हालांकि, इतिहास में घटित घटनाओं के सटीक वर्ष याद करना या उन्हें याद रखना एक कठिन कार्य लग सकता है, लेकिन खुद को इतिहास की मुख्य घटनाओं से परिचित कराना प्रतियोगी परीक्षाओं में आपके लिए राम बाण साबित हो सकता है, और आप उन प्रश्नों के सही उत्तर दे सकते हैं। इस लेख में आपको यूपीएससी व एसएससी में पूछे जाने वाले History Questions in Hindi व उत्तरों की विस्तृत सूची मिलेगी। इतिहास के प्रश्नों की सूची History Questions in Hindi यूपीएससी या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इतिहास पढ़ने का सबसे कारगर तरीका ऑनलाइन उपलब्ध स्टडी मटेरियल, एनसीआरटी की किताबें व यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो हैं, जो आपके पढ़ने में मददगार साबित होने के साथ-साथ दिलचस्प भी लगेंगे। इसके अलावा आप इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं के नोट्स रंगीन फ्लैशकार्ड का इस्तेमाल करके भी बना सकते हैं। नीचे कुछ महत्वपूर्ण History Questions in Hindi का जिक्र है, जो आपको आपका इतिहास का ज्ञान जांचने में मदद करेंगे। Q1. विजयनगर साम्राज्य के हरिहरा राया-I, जिन्होंने 1336-1356 के बीच राज किया था, वह कौन से राजवंश से आते हैं? A. संगम राजवंश B. सुलुव राजवंश C. तुलुव राजवंश D.अराविदु राजवंश Q2. गुप्त साम्राज्य में ‘उपरिकर’ शब्द का इस्तेमाल किस संदर्भ में किया गया था? A. सभी वस्तुओं पर लगने वाले अतिरिक्त कर. B. फल, जलाऊ लकड़ी, व फूल आदि कीनियतकालिक आपूर्ति C. जनता द्वारा राजा को स्वयं की गई पेशकश D. उत्पादन में राजा की आचारिक हिस्सेदारी, सामान्य रूप से उत्पादन का 1/6...