Akbar ka janm kab hua

  1. भगवान कृष्ण का जन्म कब और किस युग में हुआ?
  2. रामदेव जी महाराज का जन्म कब हुआ था?
  3. औरंगज़ेब का इतिहास
  4. कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय
  5. अकबर का मकबरा
  6. अकबर का मकबरा
  7. भगवान कृष्ण का जन्म कब और किस युग में हुआ?
  8. औरंगज़ेब का इतिहास
  9. कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय
  10. रामदेव जी महाराज का जन्म कब हुआ था?


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भगवान कृष्ण का जन्म कब और किस युग में हुआ?

वैदिक प्रमाण द्वारा कृष्ण का जन्म श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था। भागवत पुराण में कृष्ण-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:- श्रीशुक उवाच अथ सर्वगुणोपेतः कालः परमशोभनः। यर्ह्येवाजनजन्मर्क्षं शान्तर्क्षग्रहतारकम्॥१॥ दिशः प्रसेदुर्गगनं निर्मलोडुगणोदयम्। मही मङ्गलभूयिष्ठ पुरग्रामव्रजाकरा॥२॥ नद्यः प्रसन्नसलिला ह्रदा जलरुहश्रियः। द्विजालिकुलसन्नाद स्तवका वनराजयः॥३॥ - भागवत पुराण १०.३.१-३ भावार्थः - श्री शुकदेव जी कहते हैं - परीक्षित! अब समस्त शुभ गुणों से युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाश के सभी नक्षत्र, ग्रह और तारे शान्त-सौम्य हो रहे थे। दिशाऐं स्वच्छ, प्रसन्न थीं। निर्मल आकाश में तारे जगमगा रहे थे। पृथ्वी के बड़े-बड़े नगर, छोटे-छोटे गाँव, अहीरों की बस्तियाँ और हीरे आदि की खानें मंगलमय हो रहीं थीं। नदियों का जल निर्मल हो गया था। रात्रि के समय भी सरोवरों में कमल खिल रहे थे। वन में वृक्षों की पत्तियाँ रंग-बिरंगे पुष्पों के गुच्छों से लद गयीं थीं। कहीं पक्षी चहक रहे थे, तो कहीं भौंरे गुनगुना रहे थे। यदुवंशेऽवतीर्णस्य भवतः पुरुषोत्तम। शरच्छतं व्यतीयाय पञ्चविंशाधिकं प्रभो॥२५॥ नाधुना तेऽखिलाधार देवकार्यावशेषितम्। कुलं च विप्रशापेन नष्टप्रायमभूदिदम्॥२६॥ ततः स्वधाम परमं विशस्व यदि मन्यसे। सलोकाल्लोकपालान्नः पाहि वैकुण्ठकिङ्करान्॥२७॥ - भागवत ११.०६.२५-२७ भावार्थः - (ब्रह्माजी श्रीकृष्ण से कहते है -) पुरुषोत्तम सर्वशक्तिमान् प्रभो! आपको यदुवंश में अवतार ग्रहण किये एक सौ पचीस वर्ष बीत गये हैं। सर्वाधार! हम लोगों का ऐसा कोई काम बाकी नहीं है, जिसे पूर्ण करने के लिये आपको यहाँ रहने की आवश्यकता हो। ब्राम्हणों के शाप के कारण आपका यह कुल भी एक प्रकार से ...

रामदेव जी महाराज का जन्म कब हुआ था?

Explanation : रामदेव जी महाराज का जन्म 1409 ई. में हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद शुक्ल द्वितीय के दिन हुआ था। बाबा रामदेव के पिता का नाम राजा अजमल थे। जैसलमेर के पास उनकी छोटी सी रियासत थी। रानी मीनल देवी उनकी पत्नी थीं। राजस्थान के लोक देवता बाबा रामदेव जी महाराज सर्वधर्म पूजनीय हैं। उन्हें श्रद्धावश 'रामसा पीर' और 'रामशाह पीर' के नाम से भी याद किया जाता है। राजस्थान और गुजरात समेत कई राज्यों में पूजनीय बाबा रामदेव का जैसलमेर के एक लोक तीर्थ रामदेवरा में भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया को भव्य मेला लगता है, जहां लाखों श्रद्धाल पहंचते हैं। बाबा रामदेव चौदहवीं सदी में इस इलाके के शासक थे। लोक मान्यता के अनुसार, रामदेव जी महाराज चमत्कारिक शक्तियों से संपन्न थे। उन्होंने अपना जीवन गरीबों के उत्थान में लगाया। सुखद और प्रेमल जीवन था, लेकिन दोनों संतान न होने से दुखी थे। द्वारका जाकर श्रीकृष्ण के विग्रह के सामने दोनों ने प्रार्थना की और उनके दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र बीरमदेव और छोटे रामदेव। बाबा रामदेव हिंदुओं के साथ मुसलमानों के भी आराध्य हैं। किंवदंती के अनुसार, एक बार पांच पीरों ने रामदेव की शक्तियों की परीक्षा लेनी चाही। रामदेव जी ने पीरों के स्वागत में भोज का आयोजन किया और उनसे भोजन का आग्रह किया। पीरों ने कहा कि वे अपने बर्तनों में ही भोजन करते हैं, जो फिलहाल मक्का में हैं। इस पर रामदेव जी ने कहा कि देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं। पीरों ने उन्हें प्रणाम कर 'रामशाह पीर' नाम दिया। पांचों पीरों ने उनके साथ ही रहने का निश्चय किया। उनकी मजारें भी रामदेव की समाधि के पास ही स्थित हैं। बाबा रामदेव ने वि.स. 1442 में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को राजस्थान में रामदेवरा के पास जीवित समाधि ल...

औरंगज़ेब का इतिहास

The last Mughal Aurangzeb सबसेज्यादासमयतकराजकरनेवालाभारतीयइतिहासकाशासकऔरंगजेबकाइतिहास– Aurangzeb History in Hindi पूरानाम (Name) अब्दुलमुज्जफरमुहीउद्दीनमोहम्मदऔरंगजेबआलमगीर जन्म (Birthday) 14 अक्टूबर, 1618, दाहोदगुजरात पिताकानाम (Father Name) शाहजहां (मुगलवंशकेपांचवेशासक) माताकानाम (Mother Name) पत्नी (Wife Name) दिलरासबानो, रबियादुर्रानी, औरंगाबादीमहल, बेगमनबावबाई, उदैपुरीमहल, झैनाबादीमहल बेटे (Children Name) आजमशाह, मोहम्मदसुल्तान, बहादुरशाह, सुल्तानमोहम्मदअकबर, मोहम्मदकामबख्श। मृत्यु (Death) मार्च, 1707 ईसवी औरंगजेबकाजन्म, परिवारऔऱशुरुआतीजीवन– Aurangzeb Biography मुगलबादशाहऔरंगजेबगुजरातकेदाहोदमें 21 अक्टूबर, 1618 में औरंगजेबकानिकाहऔरऔलादें– Aurangzeb Spouse and Personal Life सबसेयोग्यऔरबहादुरमुगलबादशाहोंमेंसेएकऔरंगजेबकानिकाह 18 मई 1637 फारसकेराजघरानेकीखूबसूरत‘दिलरासबानोबेगम’केसाथहुआथा।इसकेअलावाभीउनकीकईऔरबेगमथीं।औरंगजेबकेकुल 6 बच्चेथे, जिनमें 5 बेटेऔरएकबेटीथी। औरंगजेबनेखुदकोएककुशलप्रशासककेरुपमेंकियासिद्ध: 1645 ईसवीमेंऔरंगजेबकोमुगलसाम्राज्यकेसबसेसमृद्धएवंखुशहालगुजरातराज्यकासूबेदारबनादिया।जिसकेबादऔरंगजेबनेअपनीकुशलरणनीतियोंएवंसैन्यशक्तियोंकाइस्तेमालकरगुजरातमेंबेहदअच्छाकामकियाएवंवहांकाजमकरविकासकरवाया। जिसकेकामसेप्रभावितहोकरशाहजहांनेऔरंगजेबकोउजबेकिस्तानऔर वहींइसदौरानउन्हेंसिंधऔरमुल्तानकागर्वनरभीबनायागया।यहवहसमयथाऔरऔरंगजेबकीगिनतीएकयोग्यऔरकुशलप्रशासकोंमेंहोनेलगीथी। उत्तराधिकारीबननेकेलिएभाईयोंकेबीचसंघर्ष: 1652 ईसवीमेंजबशाहजहांकीतबीयतबेहदखराबरहनेलगीथीऔरशाहजहांकेबचनेकीकमउम्मीदकीजानेलगीथी, जिसकेबादशाहजहांकेतीनोंबेटोंकेबीचमेंमुगलवंशकाउत्तराधिकारीबननेकोलेकरहोड़मचगईऔरफिरतीनोंमेंमुगलसि...

कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय

अमीर खुसरो का जन्म कब हुआ था (Amir Khusro ka janm kab hua tha) अमीर खुसरो का वास्तविक नाम – अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद था । अमीर खुसरो को हमेशा से ही कविता करने का बहुत शौक था । इनकी जो कविता के प्रति प्रतिभा थी उसकी वजह से अपने बचपन में ही इनका नाम बहुत विख्यात हो गया था । इन्होंने दहलवी के द्वारा धार्मिक संकीर्णता और राजनीति चल कपट के माहौल में रहकर भी हिन्दू- मुस्लिम और राष्ट्रीय एकता, मानवता, सौंदर्य, प्रेम और सांस्कृतिक के प्रति अपनी पूरी ईमानदारी से काम किया । इन्होंने एक प्रसिद्ध इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी के द्वारा अपने ऐतिहासिक ग्रंथ ‘ तारीखे – फ़ीरोज़ ख़िलजी ने खुसरो की चुलबुली फारसी कविताओं से खुश होकर ही इन्हें ‘अमीर ‘ का खिताब दिया था । और यह खिताब मिलना भी उस समय में बहुत इज्जत की बात हुआ करता था । खुसरो का जन्म कहां और कब हुआ था – खुसरो का जन्म सन् 1253 ई में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में स्थित पटियाली नाम के एक गांव में हुआ था । यह गांव गंगा किनारे स्थित था । यह गांव पटियाली को उस समय मोमिनपुर या मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था । खुसरो का जन्म हुमायूं काल के दौरान हामिद बिन फ़जलुल्लाह जमाली के द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक ग्रंथ ‘ तजकिरा सैरुल आरफीन ‘ के समय का माना जाता है । बचपन की यादें – खुसरो की मां दौलत नाज़ थी जो कि एक हिन्दू राजपूत थीं । इनकी मां दिल्ली के एक बड़े घराने एमादुल्मुल्क की पुत्री थी । इस घराने के पुरुष बादशाह डरबन के युद्ध मंत्री थे । इसलिए इनको राजनीतिक दबाव की वजह से मुस्लिम धर्म को अपनाना पड़ा । अपना धर्म बदलने के बाद भी इनके घर में हिन्दू धर्म के रीती-रिवाजों को मानते थे । खुसरो का जो ननिहाल था वहां हमेशा गाने – बजाने और संगीत का माहौल ही...

अकबर का मकबरा

सिकंदरा स्थितअकबर का मकबरा मुगल वास्तुशिल्प के बनी उत्कृष्ट कृतियोंके लिए भी काफी लोकप्रिय है।अकबर का मकबरा आगरा शहर से 5 किलोमीटर दूर सिकंदरा में स्थित है। वर्तमान में जहाँ सिकंदरा है, वहाँ पर सिकंदर लोधीकी सेना का पड़ाव था। सिकंदर लोधी के नाम पर इस जगह का नाम “सिकंदरा” पड़ा। इसका निर्माण कार्य सन. 1605 में अकबर के द्वारा शुरू करवाया गया था, लेकिन इसका निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले ही अकबर की मृत्यु हो गयी थी। बाद में अकबर के पुत्र जहाँगीर ने इसका निर्माण पूर्ण करवाया। जहाँगीर ने इस मकबरे की आरंभिक बनावट में कई परिवर्तन किये। इस इमारत को देखकर पता चलता है किमुग़ल निर्माण अकबर का मकबरा एक पांच मंजिला इमारत है, जो चतुर्भुज आकार का बना हुआ है। मकबरे की सबसे ऊपरी मंजिल पर बना मकबरा वास्तविक नहीं है, क्योंकि मूल कब्र को ज़मीन स्तर के नीचे बनाया गया है। सबसे नीचे की मंजिल के चारों तरफ एक मठ बनाया गया है, जिसे कई हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिसमें विशाल डाट वाले गोल दरवाजे और स्तम्भों के खण्ड हैं। मकबरे की चारों मंजिलों में बरामदा है, जिनमें डाट वाले गोल दरवाजे के समूह हैं और प्रत्येक साइड पर विशाल फाटक बनाए गए हैं। तीसरी मंजिल के प्रत्येक कोने में एक छोटा वर्गाकार कमरा है। इस इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर द्वारा किया गया है। मकबरे में स्थित सभा कक्ष वर्गाकार का है और आसमान की ओर से खुला हुआ है। मकबरे में एक केंद्रीय आँगन है, जो चारों ओर से पतली डाट वाले गोल दरवाजे से घिरा हुआ है। इस आँगन को खण्डों में विभाजित किया गया है। मकबरे परिसर के केंद्र में एक वर्ग मंच है, जिसके ऊपर सफ़ेद संगमरमर से नकली कब्र बनायी गयी है। इस कब्र पर अरेबिक और फूल पैटर्न का खुदाई...

अकबर का मकबरा

सिकंदरा स्थितअकबर का मकबरा मुगल वास्तुशिल्प के बनी उत्कृष्ट कृतियोंके लिए भी काफी लोकप्रिय है।अकबर का मकबरा आगरा शहर से 5 किलोमीटर दूर सिकंदरा में स्थित है। वर्तमान में जहाँ सिकंदरा है, वहाँ पर सिकंदर लोधीकी सेना का पड़ाव था। सिकंदर लोधी के नाम पर इस जगह का नाम “सिकंदरा” पड़ा। इसका निर्माण कार्य सन. 1605 में अकबर के द्वारा शुरू करवाया गया था, लेकिन इसका निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले ही अकबर की मृत्यु हो गयी थी। बाद में अकबर के पुत्र जहाँगीर ने इसका निर्माण पूर्ण करवाया। जहाँगीर ने इस मकबरे की आरंभिक बनावट में कई परिवर्तन किये। इस इमारत को देखकर पता चलता है किमुग़ल निर्माण अकबर का मकबरा एक पांच मंजिला इमारत है, जो चतुर्भुज आकार का बना हुआ है। मकबरे की सबसे ऊपरी मंजिल पर बना मकबरा वास्तविक नहीं है, क्योंकि मूल कब्र को ज़मीन स्तर के नीचे बनाया गया है। सबसे नीचे की मंजिल के चारों तरफ एक मठ बनाया गया है, जिसे कई हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिसमें विशाल डाट वाले गोल दरवाजे और स्तम्भों के खण्ड हैं। मकबरे की चारों मंजिलों में बरामदा है, जिनमें डाट वाले गोल दरवाजे के समूह हैं और प्रत्येक साइड पर विशाल फाटक बनाए गए हैं। तीसरी मंजिल के प्रत्येक कोने में एक छोटा वर्गाकार कमरा है। इस इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर द्वारा किया गया है। मकबरे में स्थित सभा कक्ष वर्गाकार का है और आसमान की ओर से खुला हुआ है। मकबरे में एक केंद्रीय आँगन है, जो चारों ओर से पतली डाट वाले गोल दरवाजे से घिरा हुआ है। इस आँगन को खण्डों में विभाजित किया गया है। मकबरे परिसर के केंद्र में एक वर्ग मंच है, जिसके ऊपर सफ़ेद संगमरमर से नकली कब्र बनायी गयी है। इस कब्र पर अरेबिक और फूल पैटर्न का खुदाई...

भगवान कृष्ण का जन्म कब और किस युग में हुआ?

वैदिक प्रमाण द्वारा कृष्ण का जन्म श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था। भागवत पुराण में कृष्ण-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:- श्रीशुक उवाच अथ सर्वगुणोपेतः कालः परमशोभनः। यर्ह्येवाजनजन्मर्क्षं शान्तर्क्षग्रहतारकम्॥१॥ दिशः प्रसेदुर्गगनं निर्मलोडुगणोदयम्। मही मङ्गलभूयिष्ठ पुरग्रामव्रजाकरा॥२॥ नद्यः प्रसन्नसलिला ह्रदा जलरुहश्रियः। द्विजालिकुलसन्नाद स्तवका वनराजयः॥३॥ - भागवत पुराण १०.३.१-३ भावार्थः - श्री शुकदेव जी कहते हैं - परीक्षित! अब समस्त शुभ गुणों से युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाश के सभी नक्षत्र, ग्रह और तारे शान्त-सौम्य हो रहे थे। दिशाऐं स्वच्छ, प्रसन्न थीं। निर्मल आकाश में तारे जगमगा रहे थे। पृथ्वी के बड़े-बड़े नगर, छोटे-छोटे गाँव, अहीरों की बस्तियाँ और हीरे आदि की खानें मंगलमय हो रहीं थीं। नदियों का जल निर्मल हो गया था। रात्रि के समय भी सरोवरों में कमल खिल रहे थे। वन में वृक्षों की पत्तियाँ रंग-बिरंगे पुष्पों के गुच्छों से लद गयीं थीं। कहीं पक्षी चहक रहे थे, तो कहीं भौंरे गुनगुना रहे थे। यदुवंशेऽवतीर्णस्य भवतः पुरुषोत्तम। शरच्छतं व्यतीयाय पञ्चविंशाधिकं प्रभो॥२५॥ नाधुना तेऽखिलाधार देवकार्यावशेषितम्। कुलं च विप्रशापेन नष्टप्रायमभूदिदम्॥२६॥ ततः स्वधाम परमं विशस्व यदि मन्यसे। सलोकाल्लोकपालान्नः पाहि वैकुण्ठकिङ्करान्॥२७॥ - भागवत ११.०६.२५-२७ भावार्थः - (ब्रह्माजी श्रीकृष्ण से कहते है -) पुरुषोत्तम सर्वशक्तिमान् प्रभो! आपको यदुवंश में अवतार ग्रहण किये एक सौ पचीस वर्ष बीत गये हैं। सर्वाधार! हम लोगों का ऐसा कोई काम बाकी नहीं है, जिसे पूर्ण करने के लिये आपको यहाँ रहने की आवश्यकता हो। ब्राम्हणों के शाप के कारण आपका यह कुल भी एक प्रकार से ...

औरंगज़ेब का इतिहास

The last Mughal Aurangzeb सबसेज्यादासमयतकराजकरनेवालाभारतीयइतिहासकाशासकऔरंगजेबकाइतिहास– Aurangzeb History in Hindi पूरानाम (Name) अब्दुलमुज्जफरमुहीउद्दीनमोहम्मदऔरंगजेबआलमगीर जन्म (Birthday) 14 अक्टूबर, 1618, दाहोदगुजरात पिताकानाम (Father Name) शाहजहां (मुगलवंशकेपांचवेशासक) माताकानाम (Mother Name) पत्नी (Wife Name) दिलरासबानो, रबियादुर्रानी, औरंगाबादीमहल, बेगमनबावबाई, उदैपुरीमहल, झैनाबादीमहल बेटे (Children Name) आजमशाह, मोहम्मदसुल्तान, बहादुरशाह, सुल्तानमोहम्मदअकबर, मोहम्मदकामबख्श। मृत्यु (Death) मार्च, 1707 ईसवी औरंगजेबकाजन्म, परिवारऔऱशुरुआतीजीवन– Aurangzeb Biography मुगलबादशाहऔरंगजेबगुजरातकेदाहोदमें 21 अक्टूबर, 1618 में औरंगजेबकानिकाहऔरऔलादें– Aurangzeb Spouse and Personal Life सबसेयोग्यऔरबहादुरमुगलबादशाहोंमेंसेएकऔरंगजेबकानिकाह 18 मई 1637 फारसकेराजघरानेकीखूबसूरत‘दिलरासबानोबेगम’केसाथहुआथा।इसकेअलावाभीउनकीकईऔरबेगमथीं।औरंगजेबकेकुल 6 बच्चेथे, जिनमें 5 बेटेऔरएकबेटीथी। औरंगजेबनेखुदकोएककुशलप्रशासककेरुपमेंकियासिद्ध: 1645 ईसवीमेंऔरंगजेबकोमुगलसाम्राज्यकेसबसेसमृद्धएवंखुशहालगुजरातराज्यकासूबेदारबनादिया।जिसकेबादऔरंगजेबनेअपनीकुशलरणनीतियोंएवंसैन्यशक्तियोंकाइस्तेमालकरगुजरातमेंबेहदअच्छाकामकियाएवंवहांकाजमकरविकासकरवाया। जिसकेकामसेप्रभावितहोकरशाहजहांनेऔरंगजेबकोउजबेकिस्तानऔर वहींइसदौरानउन्हेंसिंधऔरमुल्तानकागर्वनरभीबनायागया।यहवहसमयथाऔरऔरंगजेबकीगिनतीएकयोग्यऔरकुशलप्रशासकोंमेंहोनेलगीथी। उत्तराधिकारीबननेकेलिएभाईयोंकेबीचसंघर्ष: 1652 ईसवीमेंजबशाहजहांकीतबीयतबेहदखराबरहनेलगीथीऔरशाहजहांकेबचनेकीकमउम्मीदकीजानेलगीथी, जिसकेबादशाहजहांकेतीनोंबेटोंकेबीचमेंमुगलवंशकाउत्तराधिकारीबननेकोलेकरहोड़मचगईऔरफिरतीनोंमेंमुगलसि...

कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय

अमीर खुसरो का जन्म कब हुआ था (Amir Khusro ka janm kab hua tha) अमीर खुसरो का वास्तविक नाम – अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद था । अमीर खुसरो को हमेशा से ही कविता करने का बहुत शौक था । इनकी जो कविता के प्रति प्रतिभा थी उसकी वजह से अपने बचपन में ही इनका नाम बहुत विख्यात हो गया था । इन्होंने दहलवी के द्वारा धार्मिक संकीर्णता और राजनीति चल कपट के माहौल में रहकर भी हिन्दू- मुस्लिम और राष्ट्रीय एकता, मानवता, सौंदर्य, प्रेम और सांस्कृतिक के प्रति अपनी पूरी ईमानदारी से काम किया । इन्होंने एक प्रसिद्ध इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी के द्वारा अपने ऐतिहासिक ग्रंथ ‘ तारीखे – फ़ीरोज़ ख़िलजी ने खुसरो की चुलबुली फारसी कविताओं से खुश होकर ही इन्हें ‘अमीर ‘ का खिताब दिया था । और यह खिताब मिलना भी उस समय में बहुत इज्जत की बात हुआ करता था । खुसरो का जन्म कहां और कब हुआ था – खुसरो का जन्म सन् 1253 ई में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में स्थित पटियाली नाम के एक गांव में हुआ था । यह गांव गंगा किनारे स्थित था । यह गांव पटियाली को उस समय मोमिनपुर या मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था । खुसरो का जन्म हुमायूं काल के दौरान हामिद बिन फ़जलुल्लाह जमाली के द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक ग्रंथ ‘ तजकिरा सैरुल आरफीन ‘ के समय का माना जाता है । बचपन की यादें – खुसरो की मां दौलत नाज़ थी जो कि एक हिन्दू राजपूत थीं । इनकी मां दिल्ली के एक बड़े घराने एमादुल्मुल्क की पुत्री थी । इस घराने के पुरुष बादशाह डरबन के युद्ध मंत्री थे । इसलिए इनको राजनीतिक दबाव की वजह से मुस्लिम धर्म को अपनाना पड़ा । अपना धर्म बदलने के बाद भी इनके घर में हिन्दू धर्म के रीती-रिवाजों को मानते थे । खुसरो का जो ननिहाल था वहां हमेशा गाने – बजाने और संगीत का माहौल ही...

रामदेव जी महाराज का जन्म कब हुआ था?

Explanation : रामदेव जी महाराज का जन्म 1409 ई. में हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद शुक्ल द्वितीय के दिन हुआ था। बाबा रामदेव के पिता का नाम राजा अजमल थे। जैसलमेर के पास उनकी छोटी सी रियासत थी। रानी मीनल देवी उनकी पत्नी थीं। राजस्थान के लोक देवता बाबा रामदेव जी महाराज सर्वधर्म पूजनीय हैं। उन्हें श्रद्धावश 'रामसा पीर' और 'रामशाह पीर' के नाम से भी याद किया जाता है। राजस्थान और गुजरात समेत कई राज्यों में पूजनीय बाबा रामदेव का जैसलमेर के एक लोक तीर्थ रामदेवरा में भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया को भव्य मेला लगता है, जहां लाखों श्रद्धाल पहंचते हैं। बाबा रामदेव चौदहवीं सदी में इस इलाके के शासक थे। लोक मान्यता के अनुसार, रामदेव जी महाराज चमत्कारिक शक्तियों से संपन्न थे। उन्होंने अपना जीवन गरीबों के उत्थान में लगाया। सुखद और प्रेमल जीवन था, लेकिन दोनों संतान न होने से दुखी थे। द्वारका जाकर श्रीकृष्ण के विग्रह के सामने दोनों ने प्रार्थना की और उनके दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र बीरमदेव और छोटे रामदेव। बाबा रामदेव हिंदुओं के साथ मुसलमानों के भी आराध्य हैं। किंवदंती के अनुसार, एक बार पांच पीरों ने रामदेव की शक्तियों की परीक्षा लेनी चाही। रामदेव जी ने पीरों के स्वागत में भोज का आयोजन किया और उनसे भोजन का आग्रह किया। पीरों ने कहा कि वे अपने बर्तनों में ही भोजन करते हैं, जो फिलहाल मक्का में हैं। इस पर रामदेव जी ने कहा कि देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं। पीरों ने उन्हें प्रणाम कर 'रामशाह पीर' नाम दिया। पांचों पीरों ने उनके साथ ही रहने का निश्चय किया। उनकी मजारें भी रामदेव की समाधि के पास ही स्थित हैं। बाबा रामदेव ने वि.स. 1442 में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को राजस्थान में रामदेवरा के पास जीवित समाधि ल...