अखंड भारत का निर्माण किसने किया

  1. जानिए अखंड भारत का कितना था क्षेत्रफल कैसे हुआ भारत खंड
  2. Emperor Chandragupta had created a united India
  3. अखंड भारत की पूरी जानकारी
  4. जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे तभी होगा 'अखंड भारत' का निर्माण मोहन भागवत
  5. अखंड भारत: अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह की अवधारणा जिसके मूल में अध्यात्म है भूगोल नहीं
  6. जानिए अखंड भारत का कितना था क्षेत्रफल कैसे हुआ भारत खंड
  7. Emperor Chandragupta had created a united India
  8. जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे तभी होगा 'अखंड भारत' का निर्माण मोहन भागवत
  9. अखंड भारत की पूरी जानकारी
  10. अखंड भारत: अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह की अवधारणा जिसके मूल में अध्यात्म है भूगोल नहीं


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जानिए अखंड भारत का कितना था क्षेत्रफल कैसे हुआ भारत खंड

अखंड भारत- आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की पिछले 2500 सालों में भारतवर्ष (हिंदुस्तान) पर जो अटैक हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। 1857 से 1947 तक हिंदुस्तान के कई टुकड़े हुए अखंड भारत- आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की पिछले 2500 सालों में भारतवर्ष (हिंदुस्तान) पर जो अटैक हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। 1857 से 1947 तक हिंदुस्तान के कई टुकड़े हुए और इस तरह बन गए सात नए देश। 1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में एक तरह से 24वां विभाजन था। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास सभी जानते हैं। पर बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। अखंड भारत (आर्यावर्त) की सीमा में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, मालदीव और अन्य कई छोटे-बड़े क्षेत्र हुआ करते थे। हालांकि सभी क्षेत्र के राजा अलग अलग होते थे लेकिन कहलाते थे सभी भारतीय जनपद। आज इस संपूर्ण क्षेत्र को अखंड भारत इसलिये कहा जाता है क्योंकि अब यह खंड खंड हो गया है। और, आज जिसे हम भारत कहते हैं, दरअसल उसका नाम हिन्दुस्तान है। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। ये थीं अखंड भारत की सीमाएं इतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है, लेकिन पूर्व व पश्चिम की ज...

Emperor Chandragupta had created a united India

समारोह के मुख्य अतिथि प्रियदर्शी अशोक मिशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मौर्य ने कहा कि सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने खंड-खंड बिखरे भारत को अपने पराक्रम से अखंड भारत बनाया। उनकी बेहतर नीति हमेशा राष्ट्रहित और लोकहित में रही है। जनता के हित में समाज के उत्थान के लिए कार्य करना और सरल न्याय दिलाना वह अपना कर्तव्य समझते थे। यही वजह है कि आज भी लोग उन्हें याद करते हुए युवाओं को प्रेरित करते हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री मौर्य ने कहा कि पहली बार उन्होंने आधुनिक युग की तरह शासन की व्यवस्था बनाई थी। लोकमंगल दल के सचिव चन्दन मौर्य ने कहा कि चन्द्रगुप्त ने भारत को एक सूत्र में पिरोते हुए अखंड भारत का निर्माण किया, जिससे आज भी उनकी पहचान चक्रवर्ती सम्राट के रूप में हुई।

अखंड भारत की पूरी जानकारी

अखण्ड भारत का इतिहास :- अखण्ड भारत भारत के प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है। प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, बर्मा, थाइलैंड शामिल थे। कुछ देश जहाँ बहुत पहले के समय में अलग हो चुके थे वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अंग्रेजों से स्वतन्त्रता के काल में अलग हुये। अखण्ड भारत वाक्यांश का उपयोग हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों शिवसेना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद आदि द्वारा भारत की हिन्दू राष्ट्र के रूप में अवधारणा के लिये भी किया जाता है। इन संगठनों द्वारा अखण्ड भारत के मानचित्र में पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि को भी दिखाया जाता है। ये संगठन भारत से अलग हुये इन देशों को दोबारा भारत में मिलाकर अविभाजित भारत का निर्माण चाहते हैं। अखण्ड भारत का निर्माण सैद्धान्तिक रूप से संगठन (हिन्दू एकता) तथा ‘शुद्धि से जुड़ा है। आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते ...

जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे तभी होगा 'अखंड भारत' का निर्माण मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि विविधता को सहेजने के लिए पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है. उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में भारत एट 2047 : माय विजन माय एक्शन पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि एक अखंड भारत का निर्माण तभी होगा, जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे. आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘जब विविधता को प्रभावी तरीके से सहेजने की बात की जाती है, तो विश्व भारत की ओर देखता है. दुनिया विरोधाभासों से भरी हुई है लेकिन द्वंद्व से निपटने का हुनर केवल भारत के पास है.’ भागवत ने कहा, ‘ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं, जो हमें कभी नहीं बतायी गईं और न ही उपयुक्त तरीके से कभी पढ़ाई गईं. उदाहरण के लिए संस्कृत का व्याकरण जिस स्थान से उपजा, वह भारत में नहीं है. क्या हमने कभी सवाल किया कि ऐसा क्यों है?’ उन्होंने कहा, ‘यह मुख्य रूप से इसलिए हुआ कि सबसे पहले हम अपना विवेक और ज्ञान भूल गए और बाद में हमारी जमीन पर विदेशी आक्रांताओं ने कब्जा कर लिया जो मुख्यत: उत्तर-पश्चिम क्षेत्र से आए थे. हम अनावश्यक रूप से जाति और ऐसी ही अन्य व्यवस्थाओं को महत्व देते हैं.’ देश में सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं उन्होंने कहा कि काम के लिए बनायी गई व्यवस्था का इस्तेमाल लोगों तथा समुदायों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए किया गया. संघ प्रमुख ने कहा, ‘हमारी भाषा, वेशभूषा, संस्कृतियों में मामूली अंतर हैं लेकिन हमें एक वृहद तस्वीर देखने तथा इन चीजों पर अटके नहीं रहने की समझ बनानी होगी.’ आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘देश में सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं, विभिन्न जाति के सभी लोग अपने हैं, हमें ऐसा प्रेम दिखाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘जब हम अखंड भारत की बात करते हैं तो हमें डर...

अखंड भारत: अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह की अवधारणा जिसके मूल में अध्यात्म है भूगोल नहीं

अखंड भारत की बात हम स्वतंत्रता के उपरांत से ही करते रहे हैं. इसे अवधारणा को कई लोग, खासकर आज की पीढ़ी के युवा, अव्यवहारिक भी मानते हैं. इस अवधारणा का विरोध करने वाले अक्सर यह प्रश्न पूछते हैं कि क्या अखंड भारत बनने का मतलब यह होगा कि हम पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य पड़ोसी देशों को भौगालिक रूप से एक इकाई के रूप में वर्तमान भारत के साथ जोड़ेंगे? क्या अखंड भारत की कल्पना में केवल भारतीय उपमहाद्वीप ही शामिल है? हिंदू संस्कृति के गहन प्रभाव वाले कंबोडिया, वियतनाम, थाइलैंड, इंडोनेशिया जैसे देश इस अखंड भारत की अवधारणा में कहां स्थान पाते हैं? क्या कोई भी अन्य देश अपना अस्तित्व छोड़कर अखंड भारत को साकार करने के लिए एक इकाई में अपने विलय के लिए तैयार होगा? क्या इसकी संभावना व्यवहारिक दृष्टि से कहीं देर तक भी नज़र आती है? इन प्रश्नों का उत्तर वैसे तो एक ही वाक्य में दिया जा सकता है-अखंड भारत एक ऐसे अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह की अवधारणा है जिसके मूल में अध्यात्म है, पदार्थवाद नहीं. इसलिए अखंड भारत की अवधारणा में भौगालिकता गौण है. आवश्यक नहीं कि सभी देश आपस में विलय करें. भारतीय अथवा हिंदू संस्कृति की जो अनवश्वर चेतना है वह पृथ्वी के एक बड़े भूभाग पर बसे समाजों व समुदायों के धर्म आधारित जीवन का आधार रही है. समय के साथ आक्रांताओं, नस्लवाद, उपनिवेश्वववाद और इस्लामी प्रचारकों तथा ईसाई मिश्नरियों द्वारा चलाई गई मत—परिवर्तन की आंधी में ये शाश्वत मूल्यों पर आधारित चेतना कई भूू-भागों व सामाजिक समुदायों में लुप्त हो गई. भारत में भी इस सांस्कृतिक चेतना को स्वतंत्रता के बाद समाप्त करने का प्रयास किया गया. पर शाश्वत मूल्यों पर आधारित चेतना कर स्वरूप मूलत: आधात्मिक होता है, इसलिए इसे समाप्त करना ...

जानिए अखंड भारत का कितना था क्षेत्रफल कैसे हुआ भारत खंड

अखंड भारत- आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की पिछले 2500 सालों में भारतवर्ष (हिंदुस्तान) पर जो अटैक हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। 1857 से 1947 तक हिंदुस्तान के कई टुकड़े हुए अखंड भारत- आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की पिछले 2500 सालों में भारतवर्ष (हिंदुस्तान) पर जो अटैक हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। 1857 से 1947 तक हिंदुस्तान के कई टुकड़े हुए और इस तरह बन गए सात नए देश। 1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में एक तरह से 24वां विभाजन था। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास सभी जानते हैं। पर बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। अखंड भारत (आर्यावर्त) की सीमा में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, मालदीव और अन्य कई छोटे-बड़े क्षेत्र हुआ करते थे। हालांकि सभी क्षेत्र के राजा अलग अलग होते थे लेकिन कहलाते थे सभी भारतीय जनपद। आज इस संपूर्ण क्षेत्र को अखंड भारत इसलिये कहा जाता है क्योंकि अब यह खंड खंड हो गया है। और, आज जिसे हम भारत कहते हैं, दरअसल उसका नाम हिन्दुस्तान है। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। ये थीं अखंड भारत की सीमाएं इतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है, लेकिन पूर्व व पश्चिम की ज...

Emperor Chandragupta had created a united India

समारोह के मुख्य अतिथि प्रियदर्शी अशोक मिशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मौर्य ने कहा कि सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने खंड-खंड बिखरे भारत को अपने पराक्रम से अखंड भारत बनाया। उनकी बेहतर नीति हमेशा राष्ट्रहित और लोकहित में रही है। जनता के हित में समाज के उत्थान के लिए कार्य करना और सरल न्याय दिलाना वह अपना कर्तव्य समझते थे। यही वजह है कि आज भी लोग उन्हें याद करते हुए युवाओं को प्रेरित करते हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री मौर्य ने कहा कि पहली बार उन्होंने आधुनिक युग की तरह शासन की व्यवस्था बनाई थी। लोकमंगल दल के सचिव चन्दन मौर्य ने कहा कि चन्द्रगुप्त ने भारत को एक सूत्र में पिरोते हुए अखंड भारत का निर्माण किया, जिससे आज भी उनकी पहचान चक्रवर्ती सम्राट के रूप में हुई।

जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे तभी होगा 'अखंड भारत' का निर्माण मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि विविधता को सहेजने के लिए पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है. उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में भारत एट 2047 : माय विजन माय एक्शन पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि एक अखंड भारत का निर्माण तभी होगा, जब लोग भयभीत होना छोड़ देंगे. आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘जब विविधता को प्रभावी तरीके से सहेजने की बात की जाती है, तो विश्व भारत की ओर देखता है. दुनिया विरोधाभासों से भरी हुई है लेकिन द्वंद्व से निपटने का हुनर केवल भारत के पास है.’ भागवत ने कहा, ‘ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं, जो हमें कभी नहीं बतायी गईं और न ही उपयुक्त तरीके से कभी पढ़ाई गईं. उदाहरण के लिए संस्कृत का व्याकरण जिस स्थान से उपजा, वह भारत में नहीं है. क्या हमने कभी सवाल किया कि ऐसा क्यों है?’ उन्होंने कहा, ‘यह मुख्य रूप से इसलिए हुआ कि सबसे पहले हम अपना विवेक और ज्ञान भूल गए और बाद में हमारी जमीन पर विदेशी आक्रांताओं ने कब्जा कर लिया जो मुख्यत: उत्तर-पश्चिम क्षेत्र से आए थे. हम अनावश्यक रूप से जाति और ऐसी ही अन्य व्यवस्थाओं को महत्व देते हैं.’ देश में सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं उन्होंने कहा कि काम के लिए बनायी गई व्यवस्था का इस्तेमाल लोगों तथा समुदायों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए किया गया. संघ प्रमुख ने कहा, ‘हमारी भाषा, वेशभूषा, संस्कृतियों में मामूली अंतर हैं लेकिन हमें एक वृहद तस्वीर देखने तथा इन चीजों पर अटके नहीं रहने की समझ बनानी होगी.’ आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘देश में सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं, विभिन्न जाति के सभी लोग अपने हैं, हमें ऐसा प्रेम दिखाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘जब हम अखंड भारत की बात करते हैं तो हमें डर...

अखंड भारत की पूरी जानकारी

अखण्ड भारत का इतिहास :- अखण्ड भारत भारत के प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है। प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, बर्मा, थाइलैंड शामिल थे। कुछ देश जहाँ बहुत पहले के समय में अलग हो चुके थे वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अंग्रेजों से स्वतन्त्रता के काल में अलग हुये। अखण्ड भारत वाक्यांश का उपयोग हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों शिवसेना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद आदि द्वारा भारत की हिन्दू राष्ट्र के रूप में अवधारणा के लिये भी किया जाता है। इन संगठनों द्वारा अखण्ड भारत के मानचित्र में पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि को भी दिखाया जाता है। ये संगठन भारत से अलग हुये इन देशों को दोबारा भारत में मिलाकर अविभाजित भारत का निर्माण चाहते हैं। अखण्ड भारत का निर्माण सैद्धान्तिक रूप से संगठन (हिन्दू एकता) तथा ‘शुद्धि से जुड़ा है। आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते ...

अखंड भारत: अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह की अवधारणा जिसके मूल में अध्यात्म है भूगोल नहीं

अखंड भारत की बात हम स्वतंत्रता के उपरांत से ही करते रहे हैं. इसे अवधारणा को कई लोग, खासकर आज की पीढ़ी के युवा, अव्यवहारिक भी मानते हैं. इस अवधारणा का विरोध करने वाले अक्सर यह प्रश्न पूछते हैं कि क्या अखंड भारत बनने का मतलब यह होगा कि हम पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य पड़ोसी देशों को भौगालिक रूप से एक इकाई के रूप में वर्तमान भारत के साथ जोड़ेंगे? क्या अखंड भारत की कल्पना में केवल भारतीय उपमहाद्वीप ही शामिल है? हिंदू संस्कृति के गहन प्रभाव वाले कंबोडिया, वियतनाम, थाइलैंड, इंडोनेशिया जैसे देश इस अखंड भारत की अवधारणा में कहां स्थान पाते हैं? क्या कोई भी अन्य देश अपना अस्तित्व छोड़कर अखंड भारत को साकार करने के लिए एक इकाई में अपने विलय के लिए तैयार होगा? क्या इसकी संभावना व्यवहारिक दृष्टि से कहीं देर तक भी नज़र आती है? इन प्रश्नों का उत्तर वैसे तो एक ही वाक्य में दिया जा सकता है-अखंड भारत एक ऐसे अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह की अवधारणा है जिसके मूल में अध्यात्म है, पदार्थवाद नहीं. इसलिए अखंड भारत की अवधारणा में भौगालिकता गौण है. आवश्यक नहीं कि सभी देश आपस में विलय करें. भारतीय अथवा हिंदू संस्कृति की जो अनवश्वर चेतना है वह पृथ्वी के एक बड़े भूभाग पर बसे समाजों व समुदायों के धर्म आधारित जीवन का आधार रही है. समय के साथ आक्रांताओं, नस्लवाद, उपनिवेश्वववाद और इस्लामी प्रचारकों तथा ईसाई मिश्नरियों द्वारा चलाई गई मत—परिवर्तन की आंधी में ये शाश्वत मूल्यों पर आधारित चेतना कई भूू-भागों व सामाजिक समुदायों में लुप्त हो गई. भारत में भी इस सांस्कृतिक चेतना को स्वतंत्रता के बाद समाप्त करने का प्रयास किया गया. पर शाश्वत मूल्यों पर आधारित चेतना कर स्वरूप मूलत: आधात्मिक होता है, इसलिए इसे समाप्त करना ...