Akhand jyoti ke niyam

  1. Navratri 2023: नवरात्रि पर अखंड दीपक तो जला लिया, लेकिन क्‍या इसके नियमों का पालन कर रहे हैं आप?
  2. Shardiya Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Ghatasthapana Muhurat And Navratri Date
  3. Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Benefits Vastu Tips In Shardiya Navratri
  4. Akhand Jyoti in Navratri 2021 जानिए नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के लिए रखना चाहिए किन बातों का ध्यान
  5. Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Benefits Vastu Tips In Shardiya Navratri
  6. Navratri Akhand Jyoti नवरात्रि पर कैसे जलाएं अखंड ज्योति जानें इसके नियम और महत्व
  7. Shardiya Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Ghatasthapana Muhurat And Navratri Date
  8. Akhand Jyoti in Navratri 2021 जानिए नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के लिए रखना चाहिए किन बातों का ध्यान
  9. Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Benefits Vastu Tips In Shardiya Navratri
  10. Navratri : घटस्थापना में अखंड दीपक से पहले 10 नियम जान लें


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Navratri 2023: नवरात्रि पर अखंड दीपक तो जला लिया, लेकिन क्‍या इसके नियमों का पालन कर रहे हैं आप?

इन दिनों चैत्र नवरात्रि चल रही है. चैत्र नवरात्रि के मौके पर देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना के समय ही अखंड दीपक माता के समक्ष जलाया जाता है. इस दीपक का पूरे नौ दिनों तक लगातार जलना होता है. इसीलिए इसे अखंड ज्‍योति या अखंड दीपक कहा जाता है. इस ज्‍योति का बुझना अशुभ माना जाता है. जबकि अगर ये लगातार जलती रहे तो परिवार में खुशहाली और संपन्‍नता आती है. तमाम कष्‍ट दूर होते हैं. - अखंड ज्‍योति को इस‍ उद्देश्‍य से जलाया जाता है कि घर की नकारात्‍मकता का अंत हो. परिवार की बाधाएं दूर हों और खुशहाली आए. इसलिए ज्‍योति को प्रज्‍जवलित करने से पहले एक मंत्र बोलना चाहिए. मंत्र है- शुभम 'करोति कल्याणं,आरोग्यं धन संपदाम्,शत्रु बुद्धि विनाशाय,दीपं ज्योति नमोस्तुते' इस मंत्र का अर्थ है- शुभ और कल्याण करने वाली,आरोग्य और धन संपदा देने वाली,शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है. - अखंड दीपक जलाते समय उसे कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए. दीपक रखने के लिए पहले किसी अन्न जैसे जौ,चावल या गेहूं की ढेरी बना लें उसके ऊपर दीपक रखें. - घी से जलायी अखंड ज्योति को दाईं ओर और तेल से जलायी अखंड ज्योति को बाईं ओर रखें. ज्‍योति को लेकर ध्‍यान रखें कि ये बुझने न पाए. इसमें समय से तेल या घी वगैरह डालते रहें. हवा से बचने के लिए अखंड ज्योति को कांच के गोले में रखें. - अगर घर में अखंड ज्‍योति जलायी है तो घर को पूरी तरह से अकेला नहीं छोड़ें और न ही घर में ताला लगाएं. ज्‍योति को घर में अकेला छोड़ना शुभ नहीं माना जाता है. - आप जिस दीपक में ज्‍योति जला रहे हैं, वो दीपक अच्‍छी तरह से साफ होना चाहिए. अगर दीपक मिट्टी का है, तो देख लें कि ये पहले इस्‍त...

Shardiya Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Ghatasthapana Muhurat And Navratri Date

Navratri 2022​Akhand Jyoti Niyam: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होकर 04 अक्टूबर तक चलेगी. इस दिन नवरात्रि (Navratri 2022) की महानवमी तिथि है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए खास होता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन घरों और मंदिरों में घटस्थापना (Ghatsthapana Date 2022) के साथ-साथ अखंड ज्योति (Akhand Jyoti) भी जलाई जाती है. शास्त्रों में अखंड ज्योति जलाने के खास नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं कि नवरात्रि में अखंड ज्योति से जुड़े नियम. नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति (Akhand Jyoti) निरंतर नौ दिनों तक जलाई जाती है. नवरात्रि के दौरान यह ज्योति बिना बुझे जलती है. नवरात्रि में भक्त घर में मां दुर्गा (Maa Durga) के आगे 9 दिन तक अखंड ज्योति जलाते हैं. इस दौरान सात्विकता का पालन करना अनिवार्य होता है. ऐसे में घर में ऐसा कोई वो काम ना करें जिससे घर की पवित्रता खत्म हो जाए. ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि नवरात्रि की अखंड ज्योति अखंड आस्था का प्रतीक है. ऐसे में मां दुर्गा के समक्ष शुद्ध घी या तिल के तेल का एक छोटा और एक बड़ा दीपक जलाना अच्छा रहता है. अगर अखंड ज्योति में घी या तेल डालते समय या फिर बाती सही करते वक्त ज्योति बुझ जाए तो उसे पुनः जलाया जा सकता है. धार्मिक मान्यता है कि अखंड ज्योति या दीपक के समक्ष मंत्रों का जाप करने से कई गुणा अधिक शुभ फल प्राप्त होता है. ऐसे में घी का दीपक मां दुर्गा की दाईं ओर और तेल का दीपक माता की बाईं ओर रखा जाता है. ऐसा करने से पूजा विशेष फ...

Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Benefits Vastu Tips In Shardiya Navratri

New Delhi: Shardiya Navratri is the most well-known and significant of all Navratris celebrated in the Hindu culture. As a result, Shardiya Navratri is also referred to as Maha Navratri. It occurs during the lunar month of Ashwin, during Sharad Ritu. Significance Of Shardiya Navratri: Sharad Ritu inspired the name Shardiya Navratri. During Navratri, each of the nine days is dedicated to a different aspect of the Goddess Shakti. Shardiya Navratri occurs in September or October. The nine-day celebration concludes on the tenth day with Dussehra or Vijaya Dashami. Women, particularly in Maharashtra and Gujarat, adorn themselves with 9 different colours, one for each day of Navratri. On a weekday, the colour of the day is decided. As per the Hindu mythology, each weekday is ruled by one of the planets or Navgrahas, and colours are assigned to each day accordingly. Each Navdurga Avatar represents a different aspect of Goddess Durga. In order to obtain Navdurga's blessings, people offer a specific Prasad each day. Please refer to the nine distinct Navratri Prasads that are offered to the nine forms of Navdurga during Navratri. Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam and Benefits: Sidhharrth S Kumaar, an Astro Numerologist by profession, believes that keeping akhand jyoti during Navratri, has many benefits. He shares benefits, niyams and mantras associated with it. - This helps the family in wish fulfillments and abundance of love, health and finance in life - It spreads positivity in th...

Akhand Jyoti in Navratri 2021 जानिए नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के लिए रखना चाहिए किन बातों का ध्यान

Akhand Jyoti in Navratri 2021: जानिए, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के लिए रखना चाहिए किन बातों का ध्यान Akhand Jyoti in Navratri 2021 नवरात्रि में मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने से सुख और समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने के कुछ नियम भी हैं जिनका ध्यान हमें जरूर रखना चाहिए.... Akhand Jyoti in Navratri 2021: कलश स्थापना और मां शैलपुत्री के पूजन के साथ आज शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो गई है। नवरात्रि विशेष रूप से मां दुर्गा के व्रत और पूजन को समर्पित हैं। लोग नौ दिनों तक कलश स्थापना करके मां दुर्गा का पूजन करते हैं। ये नौ दिन व्रत, संयम, मंत्र जाप, हवन, पूजन के लिए विशेष माने जाते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति जलाने का भी विधान है। मान्यता है कि नौ दिनों तक मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने से घर के सभी दुख, दारिद्र का नाश होता है तथा सुख और समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका ध्यान हमें जरूर रखना चाहिए.... 4- अखंड ज्योति को विधि पूर्वक स्थापित कर के उस पर रोली से टीका लगाएं और उन्हें फूल और अक्षत अर्पित करें। 5- अखंड ज्योति की स्थापना करने के बाद घर को नौ दिनों तक खाली न छोड़े। एक न एक सदस्य घर में जरूर मौजूद रहे। 6- समय – समय पर अखंड ज्योति में घी या तेल जरूरत के हिसाब से डालते रहना चाहिए। 7- अखंड ज्योति को कभी भी गंदे हाथ से न छुएं, नहाने के बाद ही अखंड ज्योति में घी या तेल डालें। 8- अखंड ज्योति को पीठ न दिखाएं, पूजा करते समय अपना मुहं अखंड ज्योति की ओर ही रखें। 9- नवरात्रि की समाप्ति पर अखंड ज्योति को बुझाने की भूल न करें, उसे स्वयं ठंड़ा होने दें। डिसक्लेमर '...

Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Benefits Vastu Tips In Shardiya Navratri

Navratri 2022: 26 सितंबर 2022 (Shardiya Navratri 2022 date) से शक्ति की भक्ति शुरु हो जाएगी. शारदीय नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-पाठ, अनुष्ठान किए जाएंगे. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन जितना घटस्थापन का महत्व है उतना ही मान्यता है अखंड ज्योति की. नवरात्रि में कई लोग घर या पंडालों में अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं. अखंड ज्योति ( Akhand Jyoti) को पूरे 9 दिन तक निरंतर जलाए रखने का विधान है. अखंड ज्योति जलाने का अर्थ है पूर्ण रूप से मां दुर्गा की पूजा में खुद को समर्पित करना. अखंड ज्योति जलाने के जहां कई लाभ है वहीं इसके कुछ कड़े नियम भी है. अगर इनका पालन न किया जाए तो देवी नाराज हो सकती हैं. आइए जानते हैं अखंड ज्योति जलाने के लाभ, नियम और मंत्र अखंड ज्योति कैसे जलाएं ? (Navratri Akhand Jyoti Vidhi) • अखंड ज्योति किसी पीतल या मिट्‌टी के बड़े दीपपात्र में घटस्थापना से प्रज्वलित की जाती है. 9 दिन तक बिना बुझे इसे जलाए रखना होता है. ध्यान रहे मिट्‌टी का दीपपात्र खंडित न हो. • दीपपात्र को जमीन पर न रखें. पूजा की चौकी पर अष्टदल बनाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति का पात्र रखें. • अखंड ज्योति में गाय के घी का उपयोग करें. अगर घी न हो तो शुद्ध सरसों या फिर तिल के तेल का भी दीपक जला सकते हैं. दीपक देवी की मूर्ति के दाईं ओर रखें, अगर तेल का दीपक हो तो इसे मां दुर्गा की प्रतिमा के बाईं ओर रखना चाहिए. • अखंड ज्योति प्रज्वलित करने से पहले 9 दिन तक देवी की सच्चे मन से उपासना का संकल्प लें. ज्योति जलाने से पहले प्रथम पूजनीय गणेश जी, शंकर-पार्वती का स्मरण करें. मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना के साथ इसे प्रज्वलित करें. अखंड ज्योति जलाने के नियम (Navratri Akhand Jyoti Niyam)...

Navratri Akhand Jyoti नवरात्रि पर कैसे जलाएं अखंड ज्योति जानें इसके नियम और महत्व

Navratri Akhand Jyoti: नवरात्रि पर कैसे जलाएं अखंड ज्योति? जानें इसके नियम और महत्व Navratri Akhand Jyoti आज 17 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही है। कहा जाता है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति जलानी चाहिए। इसका कारण बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास। अखंड ज्योति में जलने वाला दीपक दिन-रात जलता रहता है। Navratri Akhand Jyoti: आज 17 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही है। कहा जाता है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति जलानी चाहिए। इसका कारण बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास। अखंड ज्योति में जलने वाला दीपक दिन-रात जलता रहता है। मान्यता है कि अखंड दीपक व्रत की समाप्ति तक बुझना नहीं चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां के समक्ष अखंड ज्योति जलाने के पीछे एक अहम वजह बताई जाती है। माना जाता है कि जिस तरह घोर अंधेरे में एक छोटा-सा दीपक विपरीत परिस्थितियों में रहकर अपने आस-पास का अंधेरा दूर कर उस जगह को रोशनी से भर देता है, उसी तरह माता के भक्त भी मां की आस्था के सहारे अपने जीवन के अंधकार को मिटा सकते हैं। 3. अखंड ज्योति का दीपक हमेशा किसी ऊंचे स्थान पर रखें। उसे कभी खाली जमीन पर नहीं रखना चाहिए। 4. पूजा के दीपक को जलाने से पहले उसे किसी ऊंचे स्थान जैसे पटरे या चौकी पर रखने से पहले उसमें गुलाल या रंगे हुए चावलों से अष्टदल बना लें। 5. नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाले बहुत कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि अखंड ज्योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है। 6. इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें। 7. अखंड ज्योति जलाने के लिए घी, सरसों या तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। 8. दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि अगर आप घी का दीपक जला...

Shardiya Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Ghatasthapana Muhurat And Navratri Date

Navratri 2022​Akhand Jyoti Niyam: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होकर 04 अक्टूबर तक चलेगी. इस दिन नवरात्रि (Navratri 2022) की महानवमी तिथि है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए खास होता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन घरों और मंदिरों में घटस्थापना (Ghatsthapana Date 2022) के साथ-साथ अखंड ज्योति (Akhand Jyoti) भी जलाई जाती है. शास्त्रों में अखंड ज्योति जलाने के खास नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं कि नवरात्रि में अखंड ज्योति से जुड़े नियम. नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति (Akhand Jyoti) निरंतर नौ दिनों तक जलाई जाती है. नवरात्रि के दौरान यह ज्योति बिना बुझे जलती है. नवरात्रि में भक्त घर में मां दुर्गा (Maa Durga) के आगे 9 दिन तक अखंड ज्योति जलाते हैं. इस दौरान सात्विकता का पालन करना अनिवार्य होता है. ऐसे में घर में ऐसा कोई वो काम ना करें जिससे घर की पवित्रता खत्म हो जाए. ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि नवरात्रि की अखंड ज्योति अखंड आस्था का प्रतीक है. ऐसे में मां दुर्गा के समक्ष शुद्ध घी या तिल के तेल का एक छोटा और एक बड़ा दीपक जलाना अच्छा रहता है. अगर अखंड ज्योति में घी या तेल डालते समय या फिर बाती सही करते वक्त ज्योति बुझ जाए तो उसे पुनः जलाया जा सकता है. धार्मिक मान्यता है कि अखंड ज्योति या दीपक के समक्ष मंत्रों का जाप करने से कई गुणा अधिक शुभ फल प्राप्त होता है. ऐसे में घी का दीपक मां दुर्गा की दाईं ओर और तेल का दीपक माता की बाईं ओर रखा जाता है. ऐसा करने से पूजा विशेष फ...

Akhand Jyoti in Navratri 2021 जानिए नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के लिए रखना चाहिए किन बातों का ध्यान

Akhand Jyoti in Navratri 2021: जानिए, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के लिए रखना चाहिए किन बातों का ध्यान Akhand Jyoti in Navratri 2021 नवरात्रि में मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने से सुख और समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने के कुछ नियम भी हैं जिनका ध्यान हमें जरूर रखना चाहिए.... Akhand Jyoti in Navratri 2021: कलश स्थापना और मां शैलपुत्री के पूजन के साथ आज शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो गई है। नवरात्रि विशेष रूप से मां दुर्गा के व्रत और पूजन को समर्पित हैं। लोग नौ दिनों तक कलश स्थापना करके मां दुर्गा का पूजन करते हैं। ये नौ दिन व्रत, संयम, मंत्र जाप, हवन, पूजन के लिए विशेष माने जाते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति जलाने का भी विधान है। मान्यता है कि नौ दिनों तक मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने से घर के सभी दुख, दारिद्र का नाश होता है तथा सुख और समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका ध्यान हमें जरूर रखना चाहिए.... 4- अखंड ज्योति को विधि पूर्वक स्थापित कर के उस पर रोली से टीका लगाएं और उन्हें फूल और अक्षत अर्पित करें। 5- अखंड ज्योति की स्थापना करने के बाद घर को नौ दिनों तक खाली न छोड़े। एक न एक सदस्य घर में जरूर मौजूद रहे। 6- समय – समय पर अखंड ज्योति में घी या तेल जरूरत के हिसाब से डालते रहना चाहिए। 7- अखंड ज्योति को कभी भी गंदे हाथ से न छुएं, नहाने के बाद ही अखंड ज्योति में घी या तेल डालें। 8- अखंड ज्योति को पीठ न दिखाएं, पूजा करते समय अपना मुहं अखंड ज्योति की ओर ही रखें। 9- नवरात्रि की समाप्ति पर अखंड ज्योति को बुझाने की भूल न करें, उसे स्वयं ठंड़ा होने दें। डिसक्लेमर '...

Navratri 2022 Akhand Jyoti Niyam Benefits Vastu Tips In Shardiya Navratri

Navratri 2022: 26 सितंबर 2022 (Shardiya Navratri 2022 date) से शक्ति की भक्ति शुरु हो जाएगी. शारदीय नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-पाठ, अनुष्ठान किए जाएंगे. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन जितना घटस्थापन का महत्व है उतना ही मान्यता है अखंड ज्योति की. नवरात्रि में कई लोग घर या पंडालों में अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं. अखंड ज्योति ( Akhand Jyoti) को पूरे 9 दिन तक निरंतर जलाए रखने का विधान है. अखंड ज्योति जलाने का अर्थ है पूर्ण रूप से मां दुर्गा की पूजा में खुद को समर्पित करना. अखंड ज्योति जलाने के जहां कई लाभ है वहीं इसके कुछ कड़े नियम भी है. अगर इनका पालन न किया जाए तो देवी नाराज हो सकती हैं. आइए जानते हैं अखंड ज्योति जलाने के लाभ, नियम और मंत्र अखंड ज्योति कैसे जलाएं ? (Navratri Akhand Jyoti Vidhi) • अखंड ज्योति किसी पीतल या मिट्‌टी के बड़े दीपपात्र में घटस्थापना से प्रज्वलित की जाती है. 9 दिन तक बिना बुझे इसे जलाए रखना होता है. ध्यान रहे मिट्‌टी का दीपपात्र खंडित न हो. • दीपपात्र को जमीन पर न रखें. पूजा की चौकी पर अष्टदल बनाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति का पात्र रखें. • अखंड ज्योति में गाय के घी का उपयोग करें. अगर घी न हो तो शुद्ध सरसों या फिर तिल के तेल का भी दीपक जला सकते हैं. दीपक देवी की मूर्ति के दाईं ओर रखें, अगर तेल का दीपक हो तो इसे मां दुर्गा की प्रतिमा के बाईं ओर रखना चाहिए. • अखंड ज्योति प्रज्वलित करने से पहले 9 दिन तक देवी की सच्चे मन से उपासना का संकल्प लें. ज्योति जलाने से पहले प्रथम पूजनीय गणेश जी, शंकर-पार्वती का स्मरण करें. मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना के साथ इसे प्रज्वलित करें. अखंड ज्योति जलाने के नियम (Navratri Akhand Jyoti Niyam)...

Navratri : घटस्थापना में अखंड दीपक से पहले 10 नियम जान लें

शुभ विक्रम संवत्-2080, शक संवत्-1945, हिजरी सन्-1444, ईस्वी सन्-2023 संवत्सर नाम-पिंगल अयन-उत्तरायण मास-आषाढ़ पक्ष-कृष्ण ऋतु-ग्रीष्म वार-शनिवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-चतुर्दशी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन-रोहिणी योग (सूर्योदयकालीन)-शूल करण (सूर्योदयकालीन)-शकुनि लग्न (सूर्योदयकालीन)-मिथुन शुभ समय-प्रात: 7:35 से 9:11, 1:57 से 5:08 बजे तक राहुकाल-प्रात: 9:00 से 10:30 तक दिशा शूल-पूर्व योगिनी वास-पश्चिम गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उदित चंद्र स्थिति-मिथुन व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थसिद्धि योग/अमृत योग/पितृकार्य अमावस्या यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें। आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:। आज का उपाय-शनि मंदिर में दहीबड़े व जल से भरा पात्र चढ़ाएं। वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं। Amarnaath Yatra: इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की ऑनलाइन बुकिंग सेवा शुरू हो गई है। यह सेवा श्रीनगर, बालटाल और पहलगाम से मिलेगी। इस सेवा के शुरू होने से बुजुर्ग लोगों को विशेष तौर पर राहत मिलेगी। इसके अलावा जिनके पास समय कम है, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं। हालांकि इस बार देरी से ऑनलाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग सेवा शुरू हो रही है। Astrology : पंचांग में तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार ये पांच अंग महत्व पूर्ण होते हैं, परंतु इसी के साथ ही मास, मुहूर्त, आनन्दादि योग और सम्वत्सर को भी बहुत महत्वपूर्ण मानया गया है जिन्हें मिलाकर ही संपूर्ण फलादेश निकलता है। आओ जानते हैं कि योग कितने होते हैं और आनन्दादि योग क्या हैं एवं ये कितने होते हैं।