अक्षय ऊर्जा क्या है

  1. अक्षय ऊर्जा: विकल्प और चुनौतियां
  2. अक्षय ऊर्जा संसाधन क्या हैं?
  3. अक्षय और गैर
  4. 2025 तक कोयले से आगे हो जाएगी अक्षय ऊर्जा, क्या संभव है IEA का अनुमान?
  5. अक्षय ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र
  6. Renewable Energy Day 2022,अक्षय ऊर्जा दिवस क्यों मनाया जाता है, जाने इसके बारे में विस्तार से
  7. अक्षय ऊर्जा: जन, पर्यावरण और भविष्य की ऊर्जा की चुनौतियां


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अक्षय ऊर्जा: विकल्प और चुनौतियां

भारत में अपार मात्रा में जैवीय पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस व लघु पनबिजली उत्पादक स्रोत हैं लेकिन इनसे ऊर्जा उत्पादन करने वाले उपकरणों का निर्माण देश में नहीं के बराबर होता है। अभी तक ऐसे अधिकांश उपकरण आयात किए जाते हैं। विगत तीन वर्षों में सौर ऊर्जा के लिए ही करीब नब्बे फीसद उपकरण आयात किए गए। इससे बिजली उत्पादन की लागत काफी बढ़ जाती है, जिसका सीधा-सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। अक्षय ऊर्जा उत्पादन की देशभर में कई छोटी-छोटी इकाइयां हैं जिन्हें एक ग्रिड में लाना बेहद चुनौतीभरा काम है। इससे बिजली की गुणवत्ता प्रभावित होती है। भारत में अपार मात्रा में जैवीय पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस व लघु पनबिजली उत्पादक स्रोत हैं लेकिन इनसे ऊर्जा उत्पादन करने वाले उपकरणों का निर्माण देश में नहीं के बराबर होता है। योगेश कुमार गोयल ऊर्जा आज पूरी दुनिया में आधुनिक जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। ऊर्जा के बिना आधुनिक सभ्यता की कल्पना ही नहीं की जा सकती, क्योंकि इसी से विकास के नए-नए रास्ते निकलते हैं। हमारा समस्त जीवन अब इसी ऊर्जा पर निर्भर है। पृथ्वी पर ऊर्जा के परंपरागत साधन बहुत ही सीमित रह गए हैं। ऐसे में यह खतरा मंडरा रहा है कि अगर ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का इसी प्रकार दोहन किया जाता रहा तो इन परंपरागत स्रोतों के समाप्त होने पर गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी और ऊर्जा के बिना आधुनिक सभ्यता के अस्तित्व पर ही बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाएगा। आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ती दुनिया के लिए ऊर्जा के इन स्रोतों और संसाधनों का उपयोग करना जरूरी भी है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर आने वाले समय में परंपरागत ऊर्जा के स्रोत समाप्त हो गए तो हम क्या करेंगे? आने वाले वक्त क...

अक्षय ऊर्जा संसाधन क्या हैं?

सौर ऊर्जा सबसे प्रचुर और आसानी से उपलब्ध अक्षय ऊर्जा संसाधन है। सौर पैनलों का उपयोग करके सूर्य के प्रकाश को बिजली में परिवर्तित करके इसका दोहन किया जाता है। सौर पैनलों में फोटोवोल्टिक सेल होते हैं जो सूर्य की ऊर्जा को डायरेक्ट करंट (डीसी) बिजली में परिवर्तित करते हैं। एक इन्वर्टर का उपयोग डीसी बिजली को वैकल्पिक चालू (एसी) बिजली में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है जिसका उपयोग घरों और व्यवसायों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है। सौर ऊर्जा के लाभ: • यह प्रचुर और नवीकरणीय है। • यह ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, जिससे कोई उत्सर्जन या प्रदूषण नहीं होता है। • यह ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता को कम करता है। • इसका उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों में घरों और व्यवसायों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है जो ग्रिड से जुड़े नहीं हैं। • यह बिजली के बिल को कम करता है और नेट मीटरिंग के माध्यम से आय भी उत्पन्न कर सकता है। पवन ऊर्जा दूसरा सबसे प्रचुर और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन है। पवन की गतिज ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करने के लिए पवन टर्बाइनों का उपयोग करके इसका उपयोग किया जाता है। पवन टर्बाइन में एक रोटर, एक शाफ्ट और एक जनरेटर होता है। रोटर, जो ब्लेड से बना होता है, हवा से घूमता है, जिससे शाफ्ट घूमता है। जनरेटर तब घूर्णी ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करता है। पवन ऊर्जा के लाभ: • यह प्रचुर और नवीकरणीय है। • यह ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, जिससे कोई उत्सर्जन या प्रदूषण नहीं होता है। • यह ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता को कम करता है। • इसका उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों में घरों और व्यवसायों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है जो ग्रिड ...

अक्षय और गैर

विषय - सूची • • • • • आज की दुनिया में सबसे अधिक अध्ययन किए जाने वाले विषयों में से एक ऊर्जा के रूपों का है जो हमारे द्वारा वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले लोगों को प्रतिस्थापित कर सकता है, जो हमारे ग्रह पर हानिकारक प्रभाव पैदा करने के अलावा, समाप्त होने की धमकी दे रहे हैं। वर्तमान में हम बिजली के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। इसीलिए, इकोलॉजिस्टा वर्डे में, हमने आपको यह बताना दिलचस्प समझा है कि अन्य विकल्प क्या मौजूद हैं और विकसित होने लगे हैं, तथाकथित नवीकरणीय ऊर्जा; साथ ही आपको इन गैर-नवीकरणीय ऊर्जाओं के बारे में भी बताएं जिनका हम अत्यधिक दोहन कर रहे हैं। अगर आप इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो पढ़ते रहें अक्षय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा, उदाहरण और सारांश के साथ. नोट करें! अक्षय ऊर्जा क्या हैं जब हम अक्षय ऊर्जाओं के बारे में बात करते हैं, तो हम उन ऊर्जाओं को प्राकृतिक और लगभग अटूट स्रोतों से संदर्भित करते हैं, या तो उनमें ऊर्जा की मात्रा के कारण या स्वाभाविक रूप से पुन: उत्पन्न करने की उनकी क्षमता के कारण। हम कहते हैं "लगभग" क्योंकि ये ऊर्जा स्रोत नवीनीकरण अवधि के अधीन हैं, इसलिए उनके शोषण को इन अवधियों का सम्मान करना चाहिए ताकि वे वास्तव में कार्य कर सकें असीमित ऊर्जा स्रोत. इस प्रकार की ऊर्जाओं को माना जाता था वैकल्पिक ऊर्जा 70 के दशक के आसपास। हालांकि, आज भी वे पारंपरिक ऊर्जा की तुलना में अधिक महंगे हैं। एक और कमी यह है कि इन ऊर्जा स्रोतों का लाभ उठाने के लिए बहुत बड़ी जगहों की आवश्यकता होती है, और इस कारण से इन व्यापक भूमि होने की संभावना हमेशा गारंटी नहीं होती है। लेकिन इस बिंदु पर, एक विवरण पर प्रकाश डाला जाना चाहिए। वे अक्षय ऊर्जा हैं इसका मतलब यह नही...

2025 तक कोयले से आगे हो जाएगी अक्षय ऊर्जा, क्या संभव है IEA का अनुमान?

इस समय बिजली उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान कोयले का है. IEA की रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय ऊर्जा इस मामले में 2025 में कोयले से आगे हो जाएगी. इसकी वजह रिपोर्ट मे रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुई ऊर्जा असुरक्षा को बताया है. पिछले आठ महीने से रूस यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में तेल के बाजार में काफी हलचल मची हुई है. युद्ध के कारण रूस ने जब से यूरोप को प्राकृतिक गैस की सप्लाई बंद की है. यूरोप में भी हाहाकार मचा हुआ है. लेकिन ऐसा केवल तेल या प्राकृतिक गैस के साथ ही नहीं है. इस युद्ध की वजह से दुनिया में कोयले पर भी खासा दबाव बना है. इन्हीं सभ हालात को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध के कारण पैदा हुई ऊर्जा असुरक्षा अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) के क्षेत्र में उछाल देखेगी. और इसी वजह से बिजली उत्पादन के मामले में अक्षय ऊर्जा 2025 तक कोयले (Coal) से आगे निकल जाएगी. बढ़ जाएगी उत्पादन क्षमता आईईए की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा की वैश्विक उत्पादन क्षमता अगले पांच सालों में तीन चौथाई तक बढ़ी जाएगी और इसकी प्रमुख वजह ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं का बढ़ना है. इस तरह की चिंताओं को हवा देने का काम रूस के यूक्रेन पर हमले ने किया है. इसी वजह से यूरोप ही नहीं दुनिया के कई देश सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर देखने लगे हैं. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता खत्म करने की चाह साफ है कि जिस तरह से युद्ध के हालात पैदा होने यूरोप से समृद्ध और शक्तिशाली देशों की ऊर्जा क्षेत्र में हालत पतली कर दी है. अब दुनिया के बाकी देश भी अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरी करने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम कर...

अक्षय ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र

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Renewable Energy Day 2022,अक्षय ऊर्जा दिवस क्यों मनाया जाता है, जाने इसके बारे में विस्तार से

Renewable Energy Day 2022:हर साल 20 अगस्त को भारत में अक्षय ऊर्जा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारत में अक्षय ऊर्जा के विकास को बढ़ाना और अक्षय ऊर्जा के महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। अक्षय ऊर्जा दिवस 2022 प्राकृतिक संसाधनों की कमी की खतरनाक दर को बढ़ावा देने और स्तर द्वारा इसके महत्व को चिन्हित करता है। इस दिन लोगों को पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और जल विद्युत जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के बारे में जागरूक करना है। जिससे वे ज्यादा से ज्यादा अक्षय ऊर्जा के बारे में जागरूक हो और लोग इसका अधिक से अधिक प्रयोग करें। Source: safalta अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं , तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application Free Daily Current Affair Quiz- Attempt Now with exciting prize अक्षय ऊर्जा दिवस का इतिहास क्या है अक्षय ऊर्जा दिवस भारत में पहली बार 2004 में मनाया गया था। अक्षय ऊर्जा विकास कार्यक्रमों का समर्थन करने और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को लोगों के बीच बढ़ावा देने के लिए इस दिन की स्थापना की गई थी। साल 2004 में पहली घटना को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सुगम बनाया गया था। जहां उन्होंने ऊर्जा ग्रीन एनर्जी सोर्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मानव सीरीज बनाने वाले 12000 बच्चों के साथ एकता डाक टिकट जारी किया था। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एमएनआरआई ने भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ पहले सूचनात्मक अभियान या का...

अक्षय ऊर्जा: जन, पर्यावरण और भविष्य की ऊर्जा की चुनौतियां

“अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सुधार लाने के लिए कई नीतिगत पहल आज़मायी जा सकती हैं। अक्षय ऊर्जा स्रोतों से मिलने वाली बिजली को सरकार अवश्य खरीदे। इसे राज्य की बिजली वितरण कंपनियां अनदेखा करती हैं। क्योंकि उनके सामने कोयला जैसे सस्ती बिजली लेने का विकल्प है। हमें ये तय करना होगा कि छोटे या मझोले ऊर्जा उद्यमियों को उनके पूंजीगत निवेश का लाभ मिले”। पहाड़, जंगल, नदी किनारे रहने वाले और गांवों में बसे लोग अपने हिस्से की पर्याप्त बिजली का अब भी इंतज़ार कर रहे हैं। रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा इन लोगों के जीवन में बेहतर बदलाव ला सकती है। वैश्विक तापमान बढ़ने की वजह से उपजी प्राकृतिक आपदाओं का शिकार भी इन्हीं क्षेत्रों में रहने वाले लोग सबसे अधिक हैं। रिन्यूएबल ऊर्जा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हमारा एक मज़बूत विकल्प है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष नवंबर में ग्लासगो में हुए कॉप-26 सम्मेलन में वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा था। ताकि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए राष्ट्रीय निर्धारित योगदान लक्ष्यों (INDC) को हासिल किया जा सके। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में लगातार प्रगति के बावजूद इस क्षेत्र में काम कर रहे उद्यमी नीतिगत मुश्किलों से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्र और राज्य स्तर पर नीतियों में सुधार की जरूरत है। ताकि इस क्षेत्र में कार्य कर रहे छोटे-मझोले उद्यमियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। टिहरी का कफुल्टा गांव। दूरस्थ क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से टिकाऊ बिजली व्यवस्था की जा सकती है। अपने हिस्से की ‘बिजली’ का इंतज़ार टिहरी में सूरज ढलते ही अंधेरे में डूब जाने वाले गांव कफुल...