Alauddin khilji ki mrityu kaise hui

  1. India History alauddin khilji Ke Prasidh senapatiyon Me Kiski Mangolon Ke Virooddh Ladate Hue Mrityu Hui
  2. अलाउद्दीन खिलजी के किस सेनापति की मृत्यु मंगोलों के लड़ते हुए हुई?
  3. कैसे हुई पांडवो के पिता पांडू की मृत्यु
  4. सम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई थी। Raja Vikramaditya Ki Mrityu Kaise Hui. – HIND IPसम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई थी।


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India History alauddin khilji Ke Prasidh senapatiyon Me Kiski Mangolon Ke Virooddh Ladate Hue Mrityu Hui

अलाउद्दीन खिल्जी के प्रसिद्ध सेनापतियों में किसकी मंगोलों के विरूद्ध लड़ते हुए मृत्यु हुई - - Who among the famous generals of Alauddin Khilji died fighting against the Mongols? - alauddin khilji Ke Prasidh senapatiyon Me Kiski Mangolon Ke Virooddh Ladate Hue Mrityu Hui -India History in hindi, Nusrat Khan question answers in hindi pdf Alp Khan questions in hindi, Know About Zafar khan India History online test India History MCQS Online Coaching in hindi quiz book Uloog Khan Dileep Nayak on 30-10-2021

अलाउद्दीन खिलजी के किस सेनापति की मृत्यु मंगोलों के लड़ते हुए हुई?

Explanation : 1297–98 ई. में मंगोल सेना ने अपने नेता कादर के नेतृत्व में पंजाब व लाहौर पर आक्रमण किया। जालंधर के निकट इन आक्रमणकारियों को सुतान की सेना ने परास्त किया। इस सेना का नेतृत्व जपफर खां एवं उलूग खां ने किया। मंगोलों का दूसरा आक्रमण सलदी के नेतृत्व में 1298 ई. मेें सेहवान पर हुआ। जपफर खां ने इस आक्रमण को सपफलतापूर्वक असपफल कर दिया। 1299 ई. में कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में मंगोल सेना के आक्रमण को जफर खां ने पुन: असफल कर दिया। 1303 ई. में मंगोल सेना का चौथा आक्रमण तार्गी के नेतृत्व में हुआ। लगभग 2 माह तक सीरी के किले को घेरे रहने के बाद इसे सपफलता न मिलने पर दिली के समीप के क्षेत्रों में लूटपाट कर तार्गी वापस चला गया। Tags : Explanation : कालिदास चंद्रगुप्त II के शासनकाल में थे। चंद्रगुप्त द्वितीय अथवा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल 380-412 ईसवी तक रहा। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार वैवाहिक सम्बन्ध व विजय दोनों से किया जिसमें नाग राजकुमारी कुबेर • मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था? Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना था। 18वीं शताब्द की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, ज्वार-बाजरा इत्यादि थे। धान हिंदुस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता था जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गो • मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था? Explanation : गुरु ग्रंथ साहिब में सूफी संत शेख फरीद की रचनाएं संकलित है। पंजाब के सूफी संतों में भक्त शेख फरीद जी का नाम प्रमुखता से आता है। भक्त शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी, शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी शकरगंज इत्यादि नामों से पहचाने जा...

कैसे हुई पांडवो के पिता पांडू की मृत्यु

एक बार राजा पांडू जंगल में शिकार कर रहे थे। तब उन्होंने एक हिरन का शिकार करने के लिए तीर चला दिया लेकिन हिरन के वेश में वे एक ऋषि थे। जो अपनी पत्नी के साथ हिरन बनाकर जंगल में टहल रहे थे। मृत्यु से पहले ऋषि ने राजा पांडू को श्राप दिया कि जब भी तुम वैवाहिक जीवन का सुख वहन करोगे उसी वक्त तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। तब राजा पांडू का जीवन से मोह भंग हो जाता है और वो अपने बड़े भाई धृतराष्ट्र को हस्तिनापुर का राजा बनाकर सन्यास ले लेते है। जब वे साधु बनकर अपना बाकि का जीवन व्यतीत करने जंगल जा रहे होते है तब उनकी दोनों पत्नियाँ कुंती और माद्री भी उनके साथ चलने की जिद्द करने लगती है और आखिर में राजा पांडू उनको भी साथ लेकर हमेशा के लिए जंगल में रहने के लिए चले जाते है। जंगल में ही पांचो पांडवो का जन्म होता है लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि जब पांडू अपनी पत्नियों के साथ वैवाहिक जीवन का सुख नही भोग सकते तब पांडवो का जन्म कैसे होता है। इसके लिए आपको एक दिन राजा पांडू अपनी पत्नी माद्री के साथ जंगल में कही जा रहे थे। रास्ते में दोनों नदी के किनारे नहाने के लिए रुक जाते है। तभी पांडू को वैवाहिक जीवन का सुख भोगने की तीव्र इच्छा होती है जैसे ही वो माद्री के करीब जाते है ऋषि के श्राप के कारण उनकी वहीँ पर मृत्यु हो जाती है। पांडवो के पिता पांडू की मृत्यु के बाद कुंती बड़ी पत्नी होने के कारण उनके साथ सती होना चाहती है लेकिन माद्री अपने आप को पांडू की मृत्यु का कारण बताती है और उनके साथ सती हो जाती है। इस प्रकार माता कुंती के ऊपर पांचो बेटो के लालन-पालन का भार आ जाता है और माता कुंती पांचो पांड्वो को लेकर वापस हस्तिनापुर लौट जाती है। Share

सम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई थी। Raja Vikramaditya Ki Mrityu Kaise Hui. – HIND IPसम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई थी।

इस पोस्ट में हम जानेंगे सम्राट विक्रमादित्य के बारे में तथा सम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई थी।सम्राट विक्रमादित्य का नाम विक्रम सेन था। महाराज विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। जो अपने न्याय वीरता पराक्रम शौर्य ज्ञान तथा उदारशिलता के लिए प्रसिद्ध थे। कलिकाल के 3000 वर्ष बीत जाने के पश्चात 101 ईसा पूर्व विक्रमादित्य का जन्म हुआ था। विक्रमादित्य के पिता का नाम गर्दभील्ल( गंधर्वसेन) था। सम्राट विक्रमादित्य की बहन का नाम मैनावती था तथा उनके भाई भर्तृहरि महाराज थे। सम्राट विक्रमादित्य की मां का नाम सौम्यदर्शना था। महाराज विक्रमादित्य की 5 पत्नियां भी थी जिनका नाम मलावती, मदनलेखा, पद्मिनी,चेल्ल और चिल्लमहादेवी था। महाराज के 2 पुत्र विक्रमचरित और विनयपाल थे तथा उनकी दो पुत्रियां विधोत्तमा(प्रियगुंमजंरी) तथा वसुंधरा थी। सम्राट विक्रमादित्य के एक भांजा था जिसका नाम गोपीचंद था। तथा उनके प्रमुख मित्रों में भट्टमात्र का नाम आता है। महाराज विक्रमादित्य के राज में राजपुरोहित त्रिविक्रम तथा वसुमित्र थे। तथा उनके सेनापति विक्रम शक्ति तथा चंद्र थे। महाराज विक्रमादित्य ने शको को परास्त किया था। उन्होंने अपनी जीत के साथ ही हिंदू विक्रम संवत की शुरुआत की थी। तथा नौ रत्नों की शुरुआत भी महाराज विक्रमादित्य द्वारा ही की गई। जिसको तुर्क राजा अकबर ने भी अपनाया था। राजा विक्रमादित्य कि मृत्यु कैसे हुई। सम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई थी Raja vikramaditya ki Mrityu kaise hui(Raja vikramaditya ki Mrityu kaise hui) How did King Vikramaditya die? – सम्राट विक्रमादित्य की मृत्यु के बारे में इक्कतीस वी पुतली कौशल्या ने बताया। जब सम्राट विक्रमादित्य वृद्धावस्था में आ गए थे तो उन्होंने अपने यो...