Alekhan kitne prakar ke hote hain

  1. कार्यालयी हिंदी/टिप्पण लेखन ( Noting)
  2. Samachar Lekhan Ke Kitne Prakar Hote Hain Class 11 12
  3. अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? । Alamkar kitne prakar ke hote hain?
  4. ALANKAR IN HINDI
  5. How to pronounce Alekhine
  6. ALANKAR IN HINDI
  7. Samachar Lekhan Ke Kitne Prakar Hote Hain Class 11 12
  8. अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? । Alamkar kitne prakar ke hote hain?
  9. कार्यालयी हिंदी/टिप्पण लेखन ( Noting)
  10. How to pronounce Alekhine


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कार्यालयी हिंदी/टिप्पण लेखन ( Noting)

सामग्री • १ टिप्पण लेखन ( Noting) • २ टिप्पणी के प्रकार • ३ टिप्पण की विशेषताएँ • ४ संदर्भ टिप्पण लेखन ( Noting) [ ] टिप्पण:- प्रशासनिक पत्राचार में टिप्पण तथा आलेखन का विशेष महत्व होता है। कार्यालय में आएँ पत्र पर अथवा कार्यालय की स्वतंत्र आवश्यकताओं की संपूर्ति के लिए टिप्पणी तैयार की जाती है। टिप्पणी का अर्थ है- पत्र अथवा पत्र-संदर्भ के बारे में आवश्यक जानकारी तथा टिप्पणीकार का कार्यालय के विधिविधान के अन्तर्गत उस पर अपना सुझाव देना। इन्हीं सुझावों के आधार पर आलेखनकार पत्रोत्तर का प्रारूप तैयार करता है। अर्थात, सरकारी कार्यप्रणाली में विचाराधीन कागज या मामले के बारे में उनके निपटान हेतु सुझाव या निर्णय देने के परिणामस्वरूप जो अभ्युक्तिया (Remarks) फाइल पर लिखी जाती है, उन्हें टिप्पण या टिप्पणी(Noting) कहते हैं। टिप्पणी में सन्दर्भ के रूप में इससे पहले पत्रों का सार, निर्णय आदि हेतु प्रश्न तथा विवरणादि सब कुछ अंकित किया जाता है। वास्तव में सभी प्रकार की टिप्पणियाँ सम्बन्धित कर्मचारी-अधिकारियों द्दारा विचाराधीन मामले के कागज पर लिखी जाती है। कार्यालयीन आवश्यकता के अनुसार अत्याधिक महत्व प्राप्त मामलों में अनुभाग अधिकारी आदि के स्तर से टिप्पणी आरम्भ होती है अन्यथा मामले के स्वरूप के अनुसार परम्परागत रूप से टिप्पणी लिपिक अथवा सहायक (Assistant) के स्तर में शुरू की जाती है। मंत्री, प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति आदि के द्दारा लिखी गई विशेष टिप्पणियाँ 'मिनट' (Minute) कही जाती है। टिप्पण को बनाते समय कुछ उदेश्य को ध्यान में रखना पड़ता है जैसे, सभी तथ्यों को स्पष्ट रूप में तथा संक्षेप में अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना और अगर किसी मामले में दृष्टांत अथवा विशिष्ट निर्णय उपलब्ध हो तो...

Samachar Lekhan Ke Kitne Prakar Hote Hain Class 11 12

Samachar lekhan ke kitne prakar hote hain class 11 12 –आज के समय में समाचार शब्द हमारे लिए कोई नया शब्द नहीं हैं. मनुष्य कोई भी घटना को जानने के लिए प्राचीन समय से ही समाचार देखता या सुनता आया हैं. एक समाचार तब ही पूर्ण होता है. जब कौन, क्या, कब, कहा, क्यों और कैसे सभी सवालों का जवाब मिल जाए. सभी सवाल के जवाब मिलने पर ही सुनने या देखने वालो को संतुष्टि मिलती हैं. • • • • • • • • Samachar lekhan ke kitne prakar hote hain class 11 12 | समाचार लेखन के कितने प्रकार होते हैं क्लास 11 12 समाचार लेखन के प्रकार निम्नलिखित हैं: • राजनीतिक समाचार • साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचार • अपराध समाचार • खेल कूद समाचार • जन समस्यात्मक समाचार • मनोरंजन समाचार • आर्थिक समाचार • शैक्षणिक समाचार • विकास समाचार • विधी समाचार • स्वास्थ्य समाचार • पर्यावरण समाचार • विज्ञापण समाचार • सेक्स समाचार • खोजी समाचार • फॅशन समाचार स्थानांतरण प्रमाण पत्र हेतु आवेदन पत्र कैसे लिखें टीसी निकालने 9, 10, 12 वी बाद समाचार क्या है किसी नवीनतम घटनाओं और समसामयिक विषयों पर अद्यतन सूचनाओं को समाचार कहते हैं. जिन्हें अंतर्जाल, प्रसारण, मुद्रण या अन्य माध्यम की सहायता से लोगो तक यानि आम जनता, दर्शको, पाठकों तथा श्रोताओं तक पहुंचाया जाता हैं. समाचार को अंग्रेजी में न्यूज़ कहा जाता हैं. समाचार लेखन क्या हैं समाचार लेखन एक कला होती हैं. पत्रकारिता जगत में समाचार को कथा स्टोरी भी कहा जाता हैं. इसमें जानकारी, कुतूहल, रोचकता, तथ्य एवं विचार आदि का सामंजस्य होता हैं. विविध विषय के बारे में, किसी भी स्थान की घटना और गतिविधि को कम से कम शब्दों में और पूरी जानकारी सहित प्रभावशाली तरीके से पाठकों तक पहुंचाना समाचार लेखन का मुख्य हेत...

अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? । Alamkar kitne prakar ke hote hain?

आज इस आर्टिकल में हम अलंकार के कितने भेद होते हैं? (Alankar ke kitne bhed hote Hain), अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? (Alankar kitne prakar ke hote hain?) अलंकार क्या है? इसके के बारे में जानेंगे। किसी भी भाषा का सही और गहन अध्ययन के लिए उसका व्याकरण आधार होता है। इसी प्रकार हिंदी भाषा मे भी व्याकरण बहुत ही प्रमुख होता है। हिंदी भाषा में और उसमें भी खास तौर पर कविता और कहानियों में भी अलंकार का इस्तेमाल होता है। कविता में पंक्तियों को सजाने के लिए अलंकार का इस्तेमाल होता है। आज इस लेख में हम अलंकार के बारे में ही जानेंगे। अलंकार क्या है? अलंकार कितने प्रकार के होते हैं यानी अलंकार के कितने भेद हैं? इसे और इसके सभी भेदो को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे – शाब्दिक अर्थ में अलंकार का मतलब होता है आभूषण। हम जो कुछ भी कहते हैं या लिखते हैं उस कथन को में सुंदर शब्दों का प्रयोग करके उसे प्रभावी और सुंदर बनाना चाहते हैं और इसी के लिए अलंकार का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि शब्दों को सजाना और प्रभावी बनाना ही अलंकार है। मुख्य तौर से अलंकार का इस्तेमाल काव्य यानी कविताओं में ही किया जाता है। इसीलिए उस कारक को अलंकार कहा जाता है, जो काव्य यानी कविता की शोभा को बढ़ाते हैं। ‘ तौपे वारू उर्वशी, तू तो प्रभु के उर वशि ‘ ऊपर दी गई कविता की पंक्ति में अलंकार का इस्तेमाल है। अलंकार के कितने भेद होते हैं? (Alankar kitne prakar hote hain?) वैसे तो अलंकार के भेदो और उपभेदो की संख्या काव्य शास्त्रियों के अनुसार सैकड़ों हैं। परंतु मुख्य रूप से कुछ सीमित और निर्धारित भेेदों को ही अलंकार के भेदों के अंतर्गत पढ़ा जाता है। मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद ही होते हैं, तथा उनके कई सारे उप...

ALANKAR IN HINDI

अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – आभूषण या गहना । काव्य की शोभा को बढ़ाने वाले साधन अलंकार “ Alankar” कहलाते हैं। जिस प्रकार आभूषणों से शरीर की शोभा में वृद्धि हो जाती है, उसी प्रकार अलंकारों से वाक्य की शोभा बढ़ जाती है। काव्य के शरीर शब्द और प्राण अर्थ है । जो स्थान, गुणवान और सुन्दर शरीर वाले मनुष्य के शरीर पर आभूषणों का है। वही काव्य के शरीर में शब्द और अर्थों में अलंकार “ Alankar” का है। काव्य में अलंकारों का प्रयोग स्वाभाविक रूप में होना चाहिए। ALANKAR KE KITNE BHED HOTE HAIN | अलंकार के कितने भेद होते हैं ? अलंकार के दो प्रमुख भेद हैं- (1) शब्दालंकार “shabdalankar” – काव्य में जहां शब्दों द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहीं शब्दालंकार होता हैं। जैसे- “संसार की समर – स्थली में धीरता धारण करें ।” यहाँ आप देख रहे है कि शब्दों की पुनरावृति तो नहीं, पर शब्दों के पहले अक्षरों की पुनरावृति हुई है, जिससे वाक्यांश अलंकृत हो गया है। • शब्दालंकार के मुख्यतः तीन भेद देखे जाते हैं – अनुप्रास, यमक और श्लेष अलंकार । (2) अर्थालंकार “arthalankar”– काव्य में प्रयुक्त पदों में जहाँ अर्थ से सौंदर्य प्रकट हो , इसी को अर्थालंकार कहा जाता है। जैसे – “काली घटा का घमंड घटा ।” उपर्युक्त में इस काव्यांश में “घटा” शब्द पर जोर दिया गया है और घटा शब्द का अलग – अलग अर्थो में प्रयोग किया गया है और यही कारण है यह काव्यांश अर्थालंकार से अलंकृत हो रहा है। यहाँ आप देख रहे है कि शब्दों की पुनरावृति है , पर शब्दों के अर्थ भिन्न है , और यह वाक्यांश को अलंकृत कर रहा है। अर्थालंकार के मुख्यतः छ भेद देखे जाते हैं – • उपमा अलंकार • रूपक अलंकार • उत्प्रेक्षा अलंकार • मानवीकरण अलंकार • अतिशयोक्ति अलंकार • अन्योक्ति...

How to pronounce Alekhine

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ALANKAR IN HINDI

अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – आभूषण या गहना । काव्य की शोभा को बढ़ाने वाले साधन अलंकार “ Alankar” कहलाते हैं। जिस प्रकार आभूषणों से शरीर की शोभा में वृद्धि हो जाती है, उसी प्रकार अलंकारों से वाक्य की शोभा बढ़ जाती है। काव्य के शरीर शब्द और प्राण अर्थ है । जो स्थान, गुणवान और सुन्दर शरीर वाले मनुष्य के शरीर पर आभूषणों का है। वही काव्य के शरीर में शब्द और अर्थों में अलंकार “ Alankar” का है। काव्य में अलंकारों का प्रयोग स्वाभाविक रूप में होना चाहिए। ALANKAR KE KITNE BHED HOTE HAIN | अलंकार के कितने भेद होते हैं ? अलंकार के दो प्रमुख भेद हैं- (1) शब्दालंकार “shabdalankar” – काव्य में जहां शब्दों द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहीं शब्दालंकार होता हैं। जैसे- “संसार की समर – स्थली में धीरता धारण करें ।” यहाँ आप देख रहे है कि शब्दों की पुनरावृति तो नहीं, पर शब्दों के पहले अक्षरों की पुनरावृति हुई है, जिससे वाक्यांश अलंकृत हो गया है। • शब्दालंकार के मुख्यतः तीन भेद देखे जाते हैं – अनुप्रास, यमक और श्लेष अलंकार । (2) अर्थालंकार “arthalankar”– काव्य में प्रयुक्त पदों में जहाँ अर्थ से सौंदर्य प्रकट हो , इसी को अर्थालंकार कहा जाता है। जैसे – “काली घटा का घमंड घटा ।” उपर्युक्त में इस काव्यांश में “घटा” शब्द पर जोर दिया गया है और घटा शब्द का अलग – अलग अर्थो में प्रयोग किया गया है और यही कारण है यह काव्यांश अर्थालंकार से अलंकृत हो रहा है। यहाँ आप देख रहे है कि शब्दों की पुनरावृति है , पर शब्दों के अर्थ भिन्न है , और यह वाक्यांश को अलंकृत कर रहा है। अर्थालंकार के मुख्यतः छ भेद देखे जाते हैं – • उपमा अलंकार • रूपक अलंकार • उत्प्रेक्षा अलंकार • मानवीकरण अलंकार • अतिशयोक्ति अलंकार • अन्योक्ति...

Samachar Lekhan Ke Kitne Prakar Hote Hain Class 11 12

Samachar lekhan ke kitne prakar hote hain class 11 12 –आज के समय में समाचार शब्द हमारे लिए कोई नया शब्द नहीं हैं. मनुष्य कोई भी घटना को जानने के लिए प्राचीन समय से ही समाचार देखता या सुनता आया हैं. एक समाचार तब ही पूर्ण होता है. जब कौन, क्या, कब, कहा, क्यों और कैसे सभी सवालों का जवाब मिल जाए. सभी सवाल के जवाब मिलने पर ही सुनने या देखने वालो को संतुष्टि मिलती हैं. • • • • • • • • Samachar lekhan ke kitne prakar hote hain class 11 12 | समाचार लेखन के कितने प्रकार होते हैं क्लास 11 12 समाचार लेखन के प्रकार निम्नलिखित हैं: • राजनीतिक समाचार • साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचार • अपराध समाचार • खेल कूद समाचार • जन समस्यात्मक समाचार • मनोरंजन समाचार • आर्थिक समाचार • शैक्षणिक समाचार • विकास समाचार • विधी समाचार • स्वास्थ्य समाचार • पर्यावरण समाचार • विज्ञापण समाचार • सेक्स समाचार • खोजी समाचार • फॅशन समाचार स्थानांतरण प्रमाण पत्र हेतु आवेदन पत्र कैसे लिखें टीसी निकालने 9, 10, 12 वी बाद समाचार क्या है किसी नवीनतम घटनाओं और समसामयिक विषयों पर अद्यतन सूचनाओं को समाचार कहते हैं. जिन्हें अंतर्जाल, प्रसारण, मुद्रण या अन्य माध्यम की सहायता से लोगो तक यानि आम जनता, दर्शको, पाठकों तथा श्रोताओं तक पहुंचाया जाता हैं. समाचार को अंग्रेजी में न्यूज़ कहा जाता हैं. समाचार लेखन क्या हैं समाचार लेखन एक कला होती हैं. पत्रकारिता जगत में समाचार को कथा स्टोरी भी कहा जाता हैं. इसमें जानकारी, कुतूहल, रोचकता, तथ्य एवं विचार आदि का सामंजस्य होता हैं. विविध विषय के बारे में, किसी भी स्थान की घटना और गतिविधि को कम से कम शब्दों में और पूरी जानकारी सहित प्रभावशाली तरीके से पाठकों तक पहुंचाना समाचार लेखन का मुख्य हेत...

अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? । Alamkar kitne prakar ke hote hain?

आज इस आर्टिकल में हम अलंकार के कितने भेद होते हैं? (Alankar ke kitne bhed hote Hain), अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? (Alankar kitne prakar ke hote hain?) अलंकार क्या है? इसके के बारे में जानेंगे। किसी भी भाषा का सही और गहन अध्ययन के लिए उसका व्याकरण आधार होता है। इसी प्रकार हिंदी भाषा मे भी व्याकरण बहुत ही प्रमुख होता है। हिंदी भाषा में और उसमें भी खास तौर पर कविता और कहानियों में भी अलंकार का इस्तेमाल होता है। कविता में पंक्तियों को सजाने के लिए अलंकार का इस्तेमाल होता है। आज इस लेख में हम अलंकार के बारे में ही जानेंगे। अलंकार क्या है? अलंकार कितने प्रकार के होते हैं यानी अलंकार के कितने भेद हैं? इसे और इसके सभी भेदो को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे – शाब्दिक अर्थ में अलंकार का मतलब होता है आभूषण। हम जो कुछ भी कहते हैं या लिखते हैं उस कथन को में सुंदर शब्दों का प्रयोग करके उसे प्रभावी और सुंदर बनाना चाहते हैं और इसी के लिए अलंकार का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि शब्दों को सजाना और प्रभावी बनाना ही अलंकार है। मुख्य तौर से अलंकार का इस्तेमाल काव्य यानी कविताओं में ही किया जाता है। इसीलिए उस कारक को अलंकार कहा जाता है, जो काव्य यानी कविता की शोभा को बढ़ाते हैं। ‘ तौपे वारू उर्वशी, तू तो प्रभु के उर वशि ‘ ऊपर दी गई कविता की पंक्ति में अलंकार का इस्तेमाल है। अलंकार के कितने भेद होते हैं? (Alankar kitne prakar hote hain?) वैसे तो अलंकार के भेदो और उपभेदो की संख्या काव्य शास्त्रियों के अनुसार सैकड़ों हैं। परंतु मुख्य रूप से कुछ सीमित और निर्धारित भेेदों को ही अलंकार के भेदों के अंतर्गत पढ़ा जाता है। मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद ही होते हैं, तथा उनके कई सारे उप...

कार्यालयी हिंदी/टिप्पण लेखन ( Noting)

सामग्री • १ टिप्पण लेखन ( Noting) • २ टिप्पणी के प्रकार • ३ टिप्पण की विशेषताएँ • ४ संदर्भ टिप्पण लेखन ( Noting) [ ] टिप्पण:- प्रशासनिक पत्राचार में टिप्पण तथा आलेखन का विशेष महत्व होता है। कार्यालय में आएँ पत्र पर अथवा कार्यालय की स्वतंत्र आवश्यकताओं की संपूर्ति के लिए टिप्पणी तैयार की जाती है। टिप्पणी का अर्थ है- पत्र अथवा पत्र-संदर्भ के बारे में आवश्यक जानकारी तथा टिप्पणीकार का कार्यालय के विधिविधान के अन्तर्गत उस पर अपना सुझाव देना। इन्हीं सुझावों के आधार पर आलेखनकार पत्रोत्तर का प्रारूप तैयार करता है। अर्थात, सरकारी कार्यप्रणाली में विचाराधीन कागज या मामले के बारे में उनके निपटान हेतु सुझाव या निर्णय देने के परिणामस्वरूप जो अभ्युक्तिया (Remarks) फाइल पर लिखी जाती है, उन्हें टिप्पण या टिप्पणी(Noting) कहते हैं। टिप्पणी में सन्दर्भ के रूप में इससे पहले पत्रों का सार, निर्णय आदि हेतु प्रश्न तथा विवरणादि सब कुछ अंकित किया जाता है। वास्तव में सभी प्रकार की टिप्पणियाँ सम्बन्धित कर्मचारी-अधिकारियों द्दारा विचाराधीन मामले के कागज पर लिखी जाती है। कार्यालयीन आवश्यकता के अनुसार अत्याधिक महत्व प्राप्त मामलों में अनुभाग अधिकारी आदि के स्तर से टिप्पणी आरम्भ होती है अन्यथा मामले के स्वरूप के अनुसार परम्परागत रूप से टिप्पणी लिपिक अथवा सहायक (Assistant) के स्तर में शुरू की जाती है। मंत्री, प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति आदि के द्दारा लिखी गई विशेष टिप्पणियाँ 'मिनट' (Minute) कही जाती है। टिप्पण को बनाते समय कुछ उदेश्य को ध्यान में रखना पड़ता है जैसे, सभी तथ्यों को स्पष्ट रूप में तथा संक्षेप में अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना और अगर किसी मामले में दृष्टांत अथवा विशिष्ट निर्णय उपलब्ध हो तो...

How to pronounce Alekhine

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