अमेरिका में बाबा साहब की मूर्ति

  1. Congress Leader Kamal Nath Said Baba Saheb Memorial Will Be Built In Bhopal If We Came In Power Of MP ANN
  2. डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर :छात्र जीवन से कानून मंत्री और बौद्ध बनने तक का ऐसा रहा सफर
  3. न्याय के मंदिर में पैगंबर की मूर्ति!


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Congress Leader Kamal Nath Said Baba Saheb Memorial Will Be Built In Bhopal If We Came In Power Of MP ANN

Indore News: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Ex CM Kamal Nath) ने घोषणा की है कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो राजधानी भोपाल में बाबा साहब का सबसे बड़ा स्मारक बनाया जाएगा. बाबा साहब अंबेडकर के जन्म स्थान महू पहुंचकर कमलनाथ ने यह घोषणा की. वो आंबेडकर जयंती (Ambedkar Jaynti 2023) पर उन्हें श्रद्धांजलि देने महू पहुंचे थे. इस अवसर पर कांग्रेस नेता ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) पर अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे खड़ा होकर झूठ बोलने का आरोप लगाया. मध्य प्रदेश में अंबेडकर जयंती आज संविधान निर्माता डॉ.भीमराम अंबेडकर की जयंती देश के साथ-साथ पूरे प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाई जा रही है.अंबेडकर जयंती के मौके पर बाबा साहब की जन्मस्थली महू में अनेक आयोजन हो रहे हैं.महू पहुंचने वालों में सबसे पहला नाम बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का था. उनके बाद करीब पौने 11 बजे प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ भी महू पहुंचे. उनके साथ पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी थे.दोनों नेताओं ने महू पहुंचकर बाबा साहब को नमन किया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने महू में आयोजन के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जुबानी हमला बोला.कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान बाबा साहब की मूर्ति के नीचे झूठ बोलते हैं. यह बहुत दुख की बात है,वे सिर्फ घोषणा करते हैं.कमलनाथ ने कहा कि मैं एक बार फिर बोल रहा हूं कि प्रदेश में हमारी सरकार आएगी तो हम भोपाल में सबसे बाबा साहब का एक बड़ा स्मारक बनाएंगे. कमलनाथ ने शिवराज पर बोला हमला वहीं महू पहुंचकर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने उत्तर पुलिस का समर्थन करते हुए कहा कि अगर कोई...

डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर :छात्र जीवन से कानून मंत्री और बौद्ध बनने तक का ऐसा रहा सफर

डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर : छात्र जीवन से कानून मंत्री और बौद्ध बनने तक का ऐसा रहा सफर लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें देश को बनाने में अपना जीवन होम करने वाले नायकों की विरासत और स्मृतियों से रु-ब-रू कराने की शृंखला में पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, गोपीनाथ बारदोलोई, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, वीर सावरकर और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मस्थान से जुड़ी रिपोर्टें पाठक पिछड़ी कड़ियों में पढ़ चुके हैं। आधुनिक भारत के शिल्पियों से जुड़े तीर्थस्थलों की कड़ी में इस बार पेश है बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्मस्थान की गाथा... विस्तार डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर स्मारक (भीम जन्म भूमि) के भूतल और ऊपर के मुख्य हॉल की फोटो गैलरी बाबा साहब के जीवन के हर पड़ाव से रूबरू कराती है। इसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के छात्र जीवन से लेकर 8 मई 1950 को देश के पहले कानून मंत्री बनने और 14 अक्तूबर 1956 को बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते चित्र लगे हैं। डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर स्मारक (भीम जन्म भूमि) के भूतल और ऊपर के मुख्य हॉल की फोटो गैलरी बाबा साहब के जीवन के हर पड़ाव से रूबरू कराती है। इसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के छात्र जीवन से लेकर 8 मई 1950 को देश के पहले कानून मंत्री बनने और 14 अक्तूबर 1956 को बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते चित्र लगे हैं। हर रोज सैकड़ों लोग फोटो गैलरी में विचार के रूप में बाबा साहब की मौजूदगी का अहसास करते हैं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान की प्रति सौंपते हुए फोटो में पं. नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, अब्दुल कलाम आजाद और राज गोपालाचारी जैसे नेता साथ में दिखाई दे रहे हैं। जीवन के आखिर...

फ़ैक्ट

सोशल मीडिया पर एक बस की तस्वीर वायरल हो रही है. बस पर बी आर आंबेडकर के पोस्टर लगे हैं. दावा किया जा रहा है कि अमेरिका के कोलंबिया में आंबेडकर के सम्मान में उनके तस्वीर वाली बस चालू की गयी है. फ़ेसबुक यूज़र महेंद्र सिंह खण्डेलवाल ने ये तस्वीर इसी दावे के साथ पोस्ट की है. आर्टिकल लिखे जाने तक इसे 9,300 बार शेयर और 97 हज़ार बार लाइक किया गया है. ( फ़ैक्ट-चेक इसके अलावा, वायरल तस्वीर और मूल तस्वीर में 2 चीज़े ऐसी हैं जो एक-दूसरे से अलग हैं. पहला – बाबा साहब आंबेडकर का पोस्टर. दूसरा – विकिमिडिया पर मिली तस्वीर में बस के आगे में ‘बाथ सिटी साइटसिंग’ लिखा हुआ दिख रहा जो वायरल हो रही तस्वीर में नहीं दिख रहा. वायरल तस्वीर में बस के आगे लिखा टेक्स्ट ब्लर किया गया है. This slideshow requires JavaScript. इसके अलावा, बस में लगे पोस्टर में डॉ. बी आर आंबेडकर के साथ उनकी दूसरी पत्नी सविता आंबेडकर हैं. ये पूरी तस्वीर आप नीचे देख सकते है. बाबा साहब की ये तस्वीर हमें इस तरह, इंग्लैंड के बाथ शहर में चलने वाली टूरिस्ट बस की तस्वीर एडिट कर उसपर बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीर लगायी गयी. इस एडिट की हुई तस्वीर को शेयर कर झूठा दावा किया गया कि अमेरिका के कोलंबिया में बाबा साहब आंबेडकर के सम्मान में ये सिटी बस शुरू की गई है. डोनेट करें! सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें. बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए Kinjal Parma...

न्याय के मंदिर में पैगंबर की मूर्ति!

अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में बनी पैगंबर मुहम्मद की मूर्ति को इस्लामी जगत अपनी आस्था पर चोट करने वाला नहीं मानता. इस्लामिक स्टेट (आईएस) के एक नये वीडियो से दुनिया स्तब्ध है. वीडियों में आईएस के सदस्य इराक के मोसुल शहर स्थित संग्रहालय में मौजूद कई प्राचीन मूर्तियों को तोड़ते हुए दिख रहे हैं. हथौड़े और ड्रिल मशीन से ध्वस्त हो रहीं इन कलाकृतियों में से कुछ तो ईसापूर्व सातवीं सदी से भी पुरानी बताई जाती हैं. पूरी दुनिया इसकी निंदा कर रही है. उधर, आईएस का कहना है कि वह मूर्तियों और तस्वीरों को इस्लाम के खिलाफ मानता है. तस्वीरें और इस्लामी जगत इस्लामी जगत का हालिया इतिहास देखें तो 19वीं शताब्दी के अंत में मिस्र में छपाई की तकनीक शुरू होने के बाद वहां पत्र-पत्रिकाओं में फूल-पत्तियों के साथ-साथ मनुष्यों की तस्वीरें भी छपने लगी थीं. इस नई विधा को वहां के समाज ने खूब सराहा. लेकिन इस्लामी उलेमाओं ने इस पर काफी तीखी टिपणियां करते हुए इसे गैर इस्लामी करार दे दिया. हालांकि कुछ इस्लामी विद्वानों का यह मानना था कि यदि तस्वीर मूर्तिपूजा या इबादत के काम में न ली जाए तो उसके छपने में कोई हर्ज नहीं है. अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय की दीवारों को मानव इतिहास की उन 18 हस्तियों की मूर्तियों से सुसज्जित किया गया है जिन्होंने अपने दौर में न्याय व्यवस्था क़ायम करने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की थी. इनमें एक मूर्ति हजरत मुहम्मद की भी है मिस्र के तत्कालीन धर्मगुरु मुहम्मद अब्दू ने तस्वीर छपने के हक में यह कहते हुए फतवा दिया, ‘इस्लामी शरिया, ज्ञान के इस महान साधन को कतई अवैध नहीं मानता.’ इस फतवे को कमोबेश इस्लामी जगत ने स्वीकार किया, इस शर्त के साथ कि किसी भी इस्लामी चरित्र की तस्वीर नहीं बनाई जा सकती. इस्ल...