अमरूद के प्रमुख रोग

  1. Amrud Ke Rog
  2. प्रमुख रोग एवं उससे प्रभावित फसल ।। Name of Diseases and Affected Crops
  3. Telangana Governor Soundararajan Said Pregnant Women Should Recite Sunderkand, Read Ramayana
  4. अमरूद के कीट
  5. Vitamin C rich Foods Benefits in hindi skincare health care tips in hindi Kiwi Benefits Strawberries papaya be
  6. Guava Crop Disease: अमरूद में कीट एवं व्याधि प्रबंधन कैसे करें
  7. अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम
  8. अमरूद की उन्नत खेती कैसे करें


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Amrud Ke Rog

Amrud Ke Rog | अमरुद यह भारत के लोगो का सबसे स्वदिष्ट और हमेशा इस्तेमाल किया जाने वाली फल है। अमरुद का वानस्पतिक नाम सिडियम ग्वायवा है, जो फल देने वाला पौधा है। भारत और दुनिया भर में सबसे प्रचलित फल के रूप में उभर कर आया है। अच्छे अमरुद के उत्पादन के लिए अमरुद के पौधों का स्वास्थ्य ठीक होना चाहिए यानी की पौधों को किसी भी प्रकार के कीट और रोग नही लगाने चाहिए। सबसे ज्यादा किसान मित्रो को इसके कीट और रोग प्रबंधन करने में दिक्कत होती है। अमरुद में कौनसे रोग लगते है और उनकी पहचान क्या है। यह जानना जरूरी है, और उनका प्रबंधन कैसे किया जाए यह महत्वपूर्ण है। इसीलिए यह लेख में Amrud Ke Rog (अमरुद के रोग) के बारे में बताया गया है। आपको इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Amrud Ke Rog | अमरुद के रोगों के बारे में जानकारी भारत में अमरुद की खेती बहुत ही ज्यादा पैमाने पर की जाती है। इसका सही ढंग से रोग और बाकी सभी प्रकार की प्रबंधन का एक अच्छा व्यवस्थापन किया जाए तो अन्य फसलों से ज्यादा कमाई हो सकती है। Guava wilt Disease | अमरुद का मलानी या उकठा रोग लक्षण Amrud Ke Rog में बहुत ही प्रचलित रोग है। यह अमरूद के पेड़ पर दिखाने वाला बहुत ही खतरनाक रोग है। इस रोग के कारण पौधे पूरी तरह नष्ट हो है। इस रोग के लक्षण काफी देर से दिखाई देते है। इस रोग से ग्रसित पत्तियां कम आकार की हो जाति है। पत्ते पीले पड़ने लगते है और बाद में सूखने लगते है। रोग प्रबंधन • क्षारीय मृदा में इसका प्रकोप ज्यादा दिखाई देता है। इसकी रोपाई करने से पूर्व मिट्टी परीक्षण करना चाहिए। • इस रोग के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली वाली अमरूद के किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए। • ...

प्रमुख रोग एवं उससे प्रभावित फसल ।। Name of Diseases and Affected Crops

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Telangana Governor Soundararajan Said Pregnant Women Should Recite Sunderkand, Read Ramayana

गर्भवती महिलाएं 'सुंदरकांड' का पाठ करें, रामायण को पढ़ें : तेलंगाना की राज्यपाल सौंदरराजन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सौंदरराजन ने 'गर्भ संस्कार' कार्यक्रम मॉड्यूल विकसित करने में संवर्धिनी न्यास के प्रयासों की सराहना की और कहा कि गर्भावस्था के प्रति इस 'वैज्ञानिक और समग्र दृष्टिकोण' के कार्यान्वयन से 'निश्चित रूप से' सकारात्मक परिणाम मिलेंगे. नई दिल्ली: तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने रविवार को कहा कि गर्भवती महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बच्चे पैदा करने के लिए 'सुंदरकांड' का पाठ करें और उन्हें रामायण जैसे महाकाव्यों को भी पढ़ना चाहिए. सौंदरराजन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक संगठन के 'गर्भ संस्कार' कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए यह टिप्पणी की. वह स्त्री रोग विशेषज्ञ और भ्रूण चिकित्सक भी हैं. संवर्धिनी न्यास द्वारा तैयार किए गए 'गर्भ संस्कार' कार्यक्रम के तहत, संगठन से जुड़े डॉक्टर गर्भवती माताओं को 'वैज्ञानिक और पारंपरिक' उपायों के बारे में बतायेंगे ताकि वे 'संस्कारी और देशभक्त' बच्चों को जन्म दे सकें. ऑनलाइन माध्यम से जारी किए 'गर्भ संस्कार' मॉड्यूल के अनुसार इन उपायों में भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना, संस्कृत मंत्रों का जाप करना और योगाभ्यास शामिल होगा. यह प्रक्रिया गर्भाधान से पहले से प्रसव के चरण तक शुरू होगी और तब तक जारी रहेगी जब तक कि बच्चा दो साल का नहीं हो जाता. इसके अनुसार कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महिलाओं के परिवार के सदस्यों का भी मार्गदर्शन किया जाएगा. संवर्धिनी न्यास, राष्ट्र सेविका समिति की एक शाखा है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सौंदरराजन ने 'गर्भ संस्कार' कार्यक्रम मॉड्यूल विकसित करने में संवर्धिनी न...

अमरूद के कीट

छाल खाने वाली इल्ली– यह पौधे की शाखाओं में छेद बनाकर छिलका खाती है। प्रभावित प्ररोहों पर काले जाले बन जाते हैं। इन जालों में कीड़ों का मल पदार्थ इक होता है। ये इल्लियां इन्ही जालों के अंदर हानि पहुंचाती है। नियंत्रण-छिद्रों में पेट्रोलियम या 40 प्रतिशत फार्मलीन डालें चाहिए या पेराडाइक्लोरोबेंजीन का चूर्ण छिद्रों में भरकर उनको चिकनी मिट्टी से बंद कर लें। सूखा रोग-अमरुद उत्पादन में यह सबसे बड़ी समस्या है। इसमें शाखाओं ऊपर से सूखनी शुरू होती है तथा पूरी सूख जाती है तथा बाद में पूरा पौधा सूख जाता है। यह एक कवक द्वारा पैदा होता है। यह वर्षा ऋतु में सबसे अधिक देखा जाता है। नियंत्रण-प्रभावित भागों को काटकर तुरंत नष्ट कर दें जिससे आसपास के पौधे में यह न फैल सके। पौधे के तनों पर बार्डो पेस्टिंग करें व रिडोमिल 0.2 प्रतिशत दवाई थाले में ड्रेचिंग करें। फलों का सडऩा-यह फायटोप्थोरा पेरासिटिका कवक द्वारा होता है। यह अधिक आद्र्रता के कारण पहले फलों पर पानी भरे धब्बे दिखाई पड़ते हैं तथा बाद में पूरे पर फैलकर उसे गला देते हैं। नियंत्रण-2:2:50 बोर्डोमिश्रण का छिड़काव करें या डाइथेन जेड 78 0.2 प्रतिशत का पौधों पर छिड़काव करें। उकठा रोग-अमरुद में उकठा रोग का प्रकोप क्षारीय भूमि में जिसका पीएच 7.5 से 9.5 तक हो उसमें अधिक होता है। यह फफूंद के द्वारा फैलता है जिसमें विशेष रुप से फ्यूजेरियम स्पेसीज माक्रोफोमिना फासकोलिना और सेफालोस्पोरियम स्पेसीज प्रमुख है- रोकथाम- • स्वस्थ पौधों को 0.1 प्रतिशत 8 क्यूनोलीन सल्फेट से इन्हेक्ट करें। • सभी सूखे पौधे और सूखी टहनी को निकाल दें। • मार्च, जून और सितम्बर माह में छटाई करके प्रत्येक पौधे के थाले में बाविस्टीन डाला जाये। रोगग्रसित भाग को काट के बेनोमाईल कार्...

Vitamin C rich Foods Benefits in hindi skincare health care tips in hindi Kiwi Benefits Strawberries papaya be

Vitamin C rich Foods Benefits in hindi skincare health care tips in hindi Kiwi Benefits Strawberries papaya be | Vitamin C Benefits: इन फलों को खाने से विटामिन सी की कमी होगी पूरी, चमकेगी स्किन और कई बीमारियों से मिलेगा छुटकारा | Hindi News, हेल्थ केयर Vitamin C Benefits: इन फलों को खाने से विटामिन सी की कमी होगी पूरी, चमकेगी स्किन और कई बीमारियों से मिलेगा छुटकारा Vitamin C Foods Benefits: विटामिन सी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में कई भूमिका निभाता है. यह एक एंटीऑक्सिडेंट है जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है, कोलेजन उत्पादन में सहायता करता है, आयरन को बढ़ाता है और घाव भरने को बढ़ावा देता है. यहां आपको विटामिन सी से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थ और उससे मिलने वाले फायदे के बारे में बताता है. Citrus Fruits: संतरे, अंगूर, नींबू और खट्टे फलों में विटामिन सी की मात्रा ज्यादा है. वे न केवल ताजा होते हैं बल्कि इस आवश्यक पोषक तत्व की एक महत्वपूर्ण मात्रा भी प्रदान करते हैं. Strawberries Benefits: स्ट्रॉबेरी स्वादिष्ट होती है और विटामिन सी से भरपूर होती है. वे एंटीऑक्सिडेंट से भी भरपूर होती हैं और फाइबर, मैंगनीज और फोलेट जैसे अन्य लाभकारी पोषक तत्व प्रदान करती हैं. जिससे कि शरीर में पाचन की समस्या दूर होती है. Kiwi Benefits: कीवी एक उष्णकटिबंधीय फल है जो विटामिन सी का एक शानदार स्रोत है. इसमें विटामिन के, विटामिन ई, पोटेशियम और फाइबर जैसे अन्य पोषक तत्व भी होते हैं. किवीफ्रूट स्ट्रोक और हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है. ये भी पढ़ें: Walnut Benefits: इस तरह से अखरोट का सेवन करने पर बढ़त...

Guava Crop Disease: अमरूद में कीट एवं व्याधि प्रबंधन कैसे करें

प्रमुख कीट एवं प्रबंधन 1) फल मक्खी फल की छोटी अवस्था में ही उस पर बैठकर अपना अंडा छोड़ देती है और जो बाद में बड़ी होकर सुंडी का रूप धारण कर लेती है और अमरूद के फल को खराब कर देती है, जिससे फल सड़ कर गिर जाते हैं. उपचार इसके उपचार के लिए मिथाइल यूजोनिल ट्रेप (100 मि.ली. मिश्रण में 0.1% मिथाइल यूजोनिल व 0.1 प्रतिशत मेलाथियान) पेड़ों पर 5 से 6 फीट ऊंचाई पर लगाएं. एक हेक्टेयर क्षेत्र में 10 ट्रेप पर्याप्त होते हैं. ट्रेप के मिश्रण को प्रति सप्ताह बदल दे. फल मक्खी ट्रेप से विशेष प्रकार की मक्खी को आकर्षित करने वाली गंध आती है. इसको कली से फल बनने के समय पर ही बगीचों में उचित दूरी पर लगा देना चाहिए. शिरा या शक्कर 100 ग्राम के एक लीटर पानी के घोल में 10 मी.ली. 350 मेलाथियान 50 ई.सी. मिलाकर प्रलोभक तैयार कर 50 से 100 मि.ली. प्रति मिट्टी के प्याले में डालकर जगह-जगह पेड़ पर टांग दे. मेलाथियान 50 ई.सी. का 1 मि.ली. पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें 2) फल बेधक कीट यह मुख्यता अरंडी फसल का कीट है, परंतु बहुभक्षी होने के कारण उपचार प्रभावित फलों को एकत्र कर नष्ट करें. प्रकोप से बचाव के लिए कार्बोरील (0.2 प्रतिशत) या इथोफेनप्रोक्स (0.05 प्रतिशत) का फल बनने की प्रारंभिक अवस्था में छिड़काव करें. छिड़काव के 15 दिन बाद तक फल की तुड़ाई न करें. 3) अनार की तितली यह मुख्यता अनार का कीट है. परंतु यह अमरुद में भी भारी नुकसान करता है. उसकी तितली अमरूद फल पर अंडे देती है, जिसमें से निकलकर अमरूद के फल में छेद करके फल को खराब कर देते हैं. उपचार प्रकोप से बचाव के लिए कार्बोरील (0.2 प्रतिशत) या इथोफेनप्रोक्स (0.05 प्रतिशत) का फल बनने की प्रारंभिक अवस्था में छिड़काव करें. छिड़काव के 15 दिन बाद तक फल की तुड़ाई...

अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम

अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम अमरुद के प्रमुख रोग : कैसे करे पहचान एवं रोकथाम नमस्कार किसान भाईयों, अमरुद की बागवानीदेश के विभिन्न राज्यों में की जाती है. जिससे किसान भाई काफी अच्छा लाभ कमाते है. लेकिन कभी-कभी अमरुद की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग से ग्रसित हो जाती है. जिससे बागवानी करने वाले किसानों को काफी हानि पहुंचती है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में अमरुद के प्रमुख रोग के बारे में पूरी जानकारी देगा. जिससे बागवान किसान भाई इन रोगों के प्रकोप से अपनी अमरुद की फसल को बचा सके. तो आइये जानते है, अमरूद के प्रमुख रोग (Major guava diseases) कौन-कौन से है, साथ ही इनकी पहचान और रोकथाम कैसे करे- म्लानि या उकठा रोग (Wilt) यह रोग विशेषकर उत्तर प्रदेश में अमरुद के रोगों में सबसे अधिक विनाशकारी रोग है. सर्वप्रथम सन 1935 में यह रोग इलाहाबाद में पाया गया. उत्तर प्रदेश के अमरुद उत्पादन करने वाले लगभग हर जिले में इस रोग का असर है. जिसके कारण प्रतिवर्ष 5 से 10 प्रतिशत पौधे मर जाते है. रोग के कारक अमरूद का यह रोग कई प्रकार के फफूंदियों से उत्पन्न बताया गया है. परन्तु फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम उपजाति साईंडाई प्रमुख रूप से उत्तरदायी है. रोग की पहचान इस रोग के लक्षण प्रायः वर्षा काल समाप्त होते ही विशेष रूप दिखाई देने लगते है. प्रारंभ में ऊपरी पत्तियों में पीलापन आ जाता है. तथा छाल की सतह बदरंग हो जाती है. और सूखने लगती है. यही प्रक्रिया धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ती जाती है. और पूरा पौधा मुरझाकर अंत में सूख जाता है. कभी-कभी पौधे का कुछ भाग ही प्रभावित होकर सूखता है. शेष हरा बना रहता है. रोग ग्रसित पौधों की जड़ों तथा टहनियों को बीच से फाड़कर देखने पर बीचोबीच में...

अमरूद की उन्नत खेती कैसे करें

अमरूद की उत्पत्ति अमेरिका के उष्ण कटिबंधीय भाग और वेस्ट इंडीज़ में हुई थी. अमरूद का पौधा भारतीय जलवायु में इतना घुलमिल गया कि आज इसकी खेती भारत के लगभग सभी हिस्सों में हो रही है. भारत में इसकी खेती 17वीं शताब्दी में शुरू की गई थी. आज भारत में इसकी खेती आम, केला और नींबू के बाद चौथे नम्बर पर सबसे ज्यादा की जा रही है. भारत में उगाये जाने वाले अमरूदों की मांग आज विदेशों में भी हो रही है.अमरूद का फल मीठा और स्वादिष्ट होता है. जिस कारण इसका उपयोग खाने में सबसे ज्यादा होता है. खाने के अलावा इसका उपयोग औषधि में भी होता है. अमरूद खाने से दाँतों से संबंधित कई रोगों से छुटकारा मिल जाता है. जबकि अमरूद के पत्तों को चबाने से दाँतों में कीड़ा नही लगता है. Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • अमरुद की खेती सर्दियों के टाइम में इसकी पैदावार ज्यादा होने के कारण इसके भाव बाजारों में काफी कम होते है. जिस कारण अमरूद को गरीबों का सेव भी कहा जाता है. अमरूद में विटामिन सी बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा अमरूद में विटामिन ए और बी भी पाए जाते हैं. अमरूद में लोहा, चूना और फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं. अमरूद का उपयोग लोग खाने में कई तरह से करते हैं. अमरूद का जूस निकालकर उससे जैम और जेली बनाई जाती है. जबकि जूस निकालने के बाद बचे हुए गुदे से कई तरह की बर्फी बनाई जाती है. जिसको उचित ताप दाब पर पैकिंग करने के बाद ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता हैं. अगर आप भी इसकी खेती करना चाह रहे हैं तो हम आपको इसके बारें में पूरी जानकारी यहाँ देने वाले हैं. अमरूद के लिए उपयुक्त मिट्टी अमरूद को उगने के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है...