Antarrashtriya vyapar kise kehte hain

  1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं? Antarrashtriya vyapaar kise kahate hain
  2. स्वर और व्यंजन किसे कहते है ?
  3. व्याकरण किसे कहते हैं
  4. antrashtriy vyapar kise kahate hain – News
  5. संज्ञा किसे कहते हैं
  6. वाक्य (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
  7. हडप्पा सभ्यता


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अंतरराष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं? Antarrashtriya vyapaar kise kahate hain

सवाल: अंतरराष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं? अंतर्राष्ट्रीय व्यापार देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देशों को उन वस्तुओं और सेवाओं के लिए विशेषज्ञता और दूसरों पर निर्भर रहने की अनुमति देता है, जिनका वे उत्पादन नहीं कर सकते। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है, और यह देशों को उन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने की अनुमति देता है जो घरेलू स्तर पर उपलब्ध नहीं हो सकती हैं।

स्वर और व्यंजन किसे कहते है ?

अनुक्रम • • • • • • • • • • • • • • • स्वर और व्यंजन किसे कहते है? स्वर किसे कहते है ? ऐसी ध्वनियां जो अपने आप मे स्वतन्त्र होती हैं। साथ ही साथ जिन्हें बोलने के लिए किन्ही अन्य ध्वनियों की सहायता नही लेनी पड़ती हैं। उन्हें स्वर कहा जाता हैं। मूल रूप से स्वर ध्वनियों की संख्या 13 मानी जाती हैं। उच्चारण की दृष्टि से इनमे केवल 10 ही स्वर हैं। जैसे– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ आदि। स्वरों का वर्गीकरण – स्वरों का वर्गीकरण निम्नलखित हैं। 1.मात्रा या उच्चारण – काल के आधार पर मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर ध्वनियां तीन प्रकार की होती हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1.ह्रस्व स्वर – जिनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का बोध होता हैं। उन ध्वनियों को ह्रस्व श्वर कहते है। जैसे– अ, इ,उ आदि 2.दीर्घ स्वर– जिन ध्वनियों को बोलने में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियों को दीर्घ स्वर कहते है। जैसे– आ, ई ,ऊ, ए,ऐ, ओ, औ,ऑ आदि। 3.प्लुत स्वर – जिन ध्वनियों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियो को प्लुत स्वर कहते है। जैसे – रोsम, ओsम आदि। 2.जीभ के प्रयोग के आधार पर ध्वनियों का वर्गीकरण– अग्र स्वर :: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जीभ के अग्र भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– इ,ई, ए,ऐ आदि। मध्य स्वर :: जिन ध्वनियो के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– ओ पश्च स्वर :: जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ आदि। 3.मुख – द्वार के खुलने के आधार पर विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख्य द्वार पूरा खुलता हैं। जैसे – आ अर्ध – विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार आधा खुलता हैं। जै...

व्याकरण किसे कहते हैं

0 Shares आज के आर्टिकल में हम व्याकरण क्या है(Vyakaran kya Hain), व्याकरण की परिभाषा (Vyakaran ki Paribhasha) व्याकरण का अर्थ(Vyakaran ka Arth) , व्याकरण किसे कहते हैं(Vyakaran Kise Kahate Hain), व्याकरण के अंग(Vyakaran ke Ang), व्याकरण के भेद(Vyakaran ke bhed) के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले है। Table of Contents • • • • • • • • • दोस्तों व्याकरण(Vyakaran) वह शास्त्र है। इसके द्वारा ही हमें भाषा के शुद्ध स्वरुप या प्रयोग का ज्ञान होता है। एक प्रकार हम यह कह सकते है कि व्याकरण(Vyakaran) भाषा को मानक स्वरूप प्रदान करता है। जैसा कि हम जान सकते है कि व्याकरण भाषा के नियम नहीं बनाता है। हमारी सर्वप्रचलित व्याकरण की परिभाषा – Vyakaran ki Paribhasha दोस्तो व्याकरण(Vyakaran) एक विधा/शास्त्र है इसके द्वारा ही हम किसी व्याकरण(Vyakaran) कहते हैं। पंतजलि के अनुसार- ‘‘महाभाष्य में व्याकरण को शब्दानुशासन कहा है।’’ दोस्तो भाषा के ज्ञान की कमी के कारण हम शब्दों के उच्चारण करने अथवा अर्थ समझने में गलती करते हैं। इसीलिए भाषा की शुद्धता बनाए रखने का कार्य व्याकरण करता है। इसलिए व्याकरण का शुद्ध ज्ञान हमारे लिए जरुरी होता है तभी हम भाषा की सही अभिव्यक्ति कर पाएंगे। व्याकरण का अर्थ(Vyakaran ka Arth) वह शास्त्र या विधा जिसमें बोलचाल तथा साहित्य में प्रयुक्त होने वाली भाषा का स्वरूप, उसके गठन, उसके अवयवों, उनके प्रकारों और पारस्परिक संबंधों का ज्ञान प्राप्त करतें है। इसमें रचनाविधान और रूप परिवर्तन का विचार भी होता है। अर्थात वह शास्त्र जिसमें किसी भाषा के स्वरूप,रूपों, शब्दों,प्रयोगों आदि का हमें ज्ञान प्राप्त होता है। व्याकरण किसे कहते हैं(Vyakaran Kise Kahate Hain) ⇒ व्याकरण (Vyakaran...

antrashtriy vyapar kise kahate hain – News

1. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भौगोलिक श्रम विभाजन के कारण कुल विश्व उत्पादन अधिकतम किया जा सकता है क्योंकि प्रत्येक देश उन्ही वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसमे उसे अधिकतम योग्यता एवं कुशलता प्राप्त होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन की अनुकूलतम दशाएं प्राप्त हो जाती है और उत्पादन अधिकतम होता है। 2. साधनों का पूर्ण उपयोग

संज्ञा किसे कहते हैं

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • संज्ञा (Sangya) संज्ञा (Sangya) हिंदी व्याकरण का अति महत्वपूर्ण अध्याय है, क्योंकि हिंदी व्याकरण के लगभग प्रत्येक अध्याय में संज्ञा की भूमिका रहती है। संज्ञा विशेष रूप से एक विकारी शब्द है, जिसका अर्थ नाम होता है। इस संसार की प्रत्येक वस्तु या व्यक्ति का नाम संज्ञा होता है। इस लेख में हम संज्ञा के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं। अतः लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ें। संज्ञा के प्रकार संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Kise Kahate Hain) संज्ञा की परिभाषा (Sangya Definition in Hindi): किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम के घोतक शब्द को संज्ञा (Sangya) कहते हैं। संज्ञा (Sangya) का अर्थ नाम होता है, क्योंकि संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम को दर्शाती है। संज्ञा एक विकारी शब्द है। संज्ञा शब्द का उपयोग किसी वस्तु, प्राणी, व्यक्ति, गुण, भाव या स्थान के लिए नहीं किया जाता, बल्कि किसी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के “नाम” के लिए किया जाता है। जैसे:- मोहन जाता है। इसमें मोहन नामक व्यक्ति संज्ञा नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति का नाम “मोहन” संज्ञा है। संज्ञा के उदाहरण (Sangya Ke Udahran) • व्यक्ति का नाम –रमेश, अजय, विराट कोहली, नवदीप, राकेश, शंकर • वस्तु का नाम –कलम, डंडा, चारपाई, कंघा • गुण का नाम –सुन्दरता, ईमानदारी, बेईमानी, चालाकी • भाव का नाम –प्रेम, ग़ुस्सा, आश्चर्य, दया, करूणा, क्रोध • स्थान का नाम –आगरा, दिल्ली, जयपुर संज्ञा शब्द (Sangya Shabd) किसी भी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी के नाम को दर्शाने वाले शब्द को संज्ञा शब्द कहते हैं. संज्ञा शब्द के उदाहरण • मोहन • कलम ...

वाक्य (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

विषय सूची • • • • वाक्य किसे कहते हैं (Vakya Kise Kahate Hain) वाक्य की परिभाषा: शब्दों का दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह जिसका पूरा अर्थ निकलता हो, उन्हें वाक्य कहा जाता है। उदाहरण के रूप में हम “बालक सोता रहता है” वाक्य लेते है। यहां पर शब्दों को एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित किया गया है जो एक साथ मिलकर आपस में सार्थक समूह का निर्माण करते हैं। प्रयुक्त उदाहरण में यदि शब्दों का क्रम निश्चित नहीं होता है तो अर्थ नहीं निकल कर उसका गलत अर्थ निकल जाता है। वाक्यों के दो अंग होते हैं, जो निम्न है: • उद्देश्य • विधेय उद्देश्य जिस विषय के बारे में जानकारी दी जा रही है, उन्हें उद्देश्य कहा जाता है। • राधिका नाचती है। यहां पर राधिका के बारे में जानकारी दी जा रही है, इसलिए यहां पर उद्देश्य राधिका है। विधेय उद्देश्य की जो भी जानकारी दी जाती है, उसे विधेय कहा जाता है। • राधिका नाचती है। यहां पर राधिका नाच रही है, इसलिए इस वाक्य में नाचना विधेय है। वाक्य के भेद कितने होते हैं (Vakya ke Kitne Bhed Hote Hain) वाक्य का विभाजन दो आधार पर किया गया है, जो निम्न है: • रचना के आधार पर • अर्थ के आधार पर नीचे हम वाक्य के भेद (Vakya ke Bhed) के बारे में विस्तार से उदाहरण के साथ जानेंगे। रचना के आधार पर • सरल वाक्य • मिश्र वाक्य • संयुक्त वाक्य सरल वाक्य ऐसा वाक्य जिसमें एक ही सरल वाक्य को दूसरी भाषा में साधारण वाक्य के नाम से भी जाना जाता है, वाक्य में एक उद्देश्य होता है। सरल वाक्य के उदाहरण • रामकिताब पढ़ता है। • राधा दौड़ती है। • गंगा पढ़ाई करती है। • पारस खाना खाता है। सरल वाक्य के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें मिश्र वाक्य ऐसे वाक्य जिनमें मिश्र वाक्य में मुख्य उद्द...

हडप्पा सभ्यता

हडप्पा सभ्यता- सिन्धु घाटी की सभ्यता | Harappa/Hadappa Sabhyata in Hindi इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता इसलिए कहा जाता है क्योंकि सर्वप्रथम 1921 में पाकिस्तान के शाहीवाल जिले के हड्प्पा नामक स्थल से इस सभ्यता की जानकारी प्राप्त हुई। 1922 में जब मोहनजोदड़ो एवं अन्य स्थलों का पता चला तब यह मानकर कि सिन्धु घाटी के इर्द-गिर्द ही इस सभ्यता का विस्तार है, उसका नामकरण ‘सिन्धु घाटी की सभ्यता’ किया गया। परन्तु यह नाम भी इस सभ्यता के सही-सही भौगोलिक परिप्रेक्ष्यों में अपर्याप्त है। अत: इसका उपयुक्त नाम हड़प्पा ही है क्योंकि किसी लुप्त सभ्यता का नामकरण प्राय: उस नाम के ऊपर कर दिया जाता है। जहाँ से सबसे पहले इस सभ्यता से सम्बन्धित सामग्री मिलती है। वर्तमान में हड़प्पा सभ्यता का क्षेत्रफल 1,2,99,600 वर्ग मील है। इसका विस्तार पश्चिम में सुत्कगेन्डोर के मकरान तट से पूर्व में आलमगीर पुर (मेरठ जिला) एवं उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा तक था। सबसे उत्तर में गुमला एवं सबसे दक्षिण में सूरत जिले का हलवाना इसमें सम्मिलित हैं। सैन्धव सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थलों की स्थिति तथा परिचय बलूचिस्तान • सुत्केगेन्डोर- इसका पता 1927 में जार्ज डेल्स ने लगाया था। 1962 में जार्ज डेल्स ने इसका पुरात्वेषण किया। यह स्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित है। यहाँ एक बन्दरगाह, दुर्ग एवं निचले नगर की रूपरेखा मिली। एक बन्दरगाह के रूप में सम्भवतः सिन्धु सभ्यता, फारस एवं बेबीलोन के मध्य होने वाले व्यापार में इस स्थल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी। • सोत्काकोह – यह शादी कौर नदी के मुहाने पर स्थित है। 1962 में इसे डेल्स ने खोजा था। यहाँ पर भी ऊपरी एवं निचली दो टीले मिले हैं। यह बन्दरगाह न होकर समुद्र तट एवं समुद्र से दू...