अन्योक्ति अलंकार

  1. नही पराग नहिं मधुर मधु में कौन सा अलंकार है?
  2. अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण
  3. RBSE Class 12 Hindi काव्यांग परिचय अलंकार विवेचन – RBSE Guide
  4. अन्योक्ति अलंकार
  5. Anyokti Alankar in Hindi
  6. अन्योक्ति अलंकार और समासोक्ति अलंकार


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नही पराग नहिं मधुर मधु में कौन सा अलंकार है?

Explanation : नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बिध्यौं, आगे कौन हवाल।। पंक्ति में अन्योक्ति अलंकार है। इस पंक्ति में भौंरे को प्रताड़ित करने के बहाने कवि ने राजा जयसिंह की काम-लोलुपता पर व्यंग्य किया है। अतएव यहां अन्योक्ति है। अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा – जहां अप्रस्तुत के द्वारा प्रस्तुत का व्यंग्यात्मक कथन किया जाए, वहां 'अन्योक्ति' अलंकार होता है। सामान्य हिंदी प्रश्न पत्र में अन्योक्ति अलंकार संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह प्रश्न आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड, आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी साबित होगें। Tags :

अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण

इस लेख में अलंकार की परिभाषा, अर्थ, भेद, परिभाषा और उदाहरण ( Figure of speech in Hindi ) आदि को छात्रों के अनुरूप लिखा जा रहा है। अलंकार व्याकरण का एक अंग है, जिसका साहित्य में प्रयोग किया जाता है। शब्दों के चमत्कार और प्रयोग के माध्यम से पूरे वाक्य में सुंदरता आती है यह अलंकार का प्रमुख गुण है। यह लेख छात्रों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। यह लेख किसी भी स्तर के विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होगा। विद्यालय तथा कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी , यह लेख ध्यान में रखकर लिखा जा रहा है। आशा करते हैं आपको इसका लाभ अवश्य मिल सके। अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण ( Figure of speech ) अलंकार का शाब्दिक अर्थ आभूषण माना गया है। जिस प्रकार रूपवती स्त्रियां अपने सुंदरता को और बढ़ाने के लिए आभूषण अथवा सौंदर्य प्रसाधन का प्रयोग करती हैं ठीक उसी प्रकार वाक्यों में सुंदरता लाने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है। इस के प्रयोग से शब्दों के चमत्कार से बढ़ जाती है और पाठक के मन पर अमिट छाप अथवा प्रभाव डालती है। अलंकार के भेद अलंकार के मुख्य रूप से दो भेद माने जाते हैं जिनके प्रयोग से काव्य की सौंदर्यता और अधिक बढ़ती है यह दो भेद है – १ शब्दालंकार, २ अर्थालंकार 1 – शब्दालंकार जिस वाक्य कविता अथवा साहित्य में शब्दों के माध्यम से उस वाक्य की कविता की अथवा साहित्य की सुंदरता बढ़ती हो वहां शब्दालंकार होता है। सामान्य अर्थ में समझें तो शब्दों का प्रयोग सांस्कृतिक शैली में किया जाता है जैसे – ” मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारनि ” उपर्युक्त पंक्ति में आप देखेंगे शब्दों के चमत्कार से वाक्य की सुंदरता बढ़ रही है। 2 – अर्थालंकार जिस वाक्य अथवा कविता में उसके अर्थ ...

RBSE Class 12 Hindi काव्यांग परिचय अलंकार विवेचन – RBSE Guide

Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi काव्यांग परिचय अलंकार विवेचन अलंकार शब्द का अर्थ है आभूषण। आभूषण धारण करने से नारियों का सौन्दर्य द्विगुणित हो जाता है। अतः अलंकार का कार्य सौन्दर्य वृद्धि करना है। इसी प्रकार अलंकार वर्णों और अर्थ में स्थित होकर काव्य के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। अलंकारों के प्रयोग के कारण काव्य की सम्प्रेषणीयता में वृद्धि होती है, वर्णन रसात्मक हो जाता है तथा पाठक और श्रोता उसमें भावमग्न हो जाते हैं। भारतीय काव्यशास्त्र में अलंकार को काव्य की शोभा बढ़ाने के लिए आवश्यक माना गया है। संस्कृत के अनेक काव्य-मर्मज्ञों ने अलंकारों के बारे में अपना मत व्यक्त किया है तथा उनकी परिभाषायें दी हैं। कुछ काव्याचार्यों द्वारा अलंकार की परिभाषा निम्नवत् दी गई हैं – • दण्डी -“काव्य शोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते।” (काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं।) • भामह -“न कान्तम् अपि निर्भूषं विभाति वनितामुखम्”। (आभूषणों के बिना जिस प्रकार नारी की शोभा नहीं होती उसी प्रकार बिना अलंकार के काव्य सुशोभित नहीं होता।) • मम्मट -“तद दोषौ शब्दार्थों सगुणावलंकृती पुन: क्वापि। (दोषों से रहित, गुणयुक्त तथा रसाभिव्यंजक शब्दार्थ काव्य है चाहे अलंकृत हों या न भी हों।) आचार्य मम्मट के पश्चात् हेमचन्द्र, विश्वनाथ तथा पण्डित जगन्नाथ ने अलंकार-शास्त्र पर विचार किया है। आचार्य हेमचन्द्र दोष रहित गुण सहित और अलंकार युक्त शब्दार्थ को काव्य मानते हैं। आचार्य विश्वनाथ का मानना है कि अलंकार अस्थिर धर्म है। पण्डितराज जगन्नाथ ने अपने ‘रस गंगाधर’ नामक ग्रन्थ में अलंकार शास्त्र का गहन विवेचन किया है। हिन्दी के काव्य मर्मज्ञ आचार्यों ने भी अलंकार शास्त्र पर विचार किया है। उनके मतानुसार अलं...

अलंकार

By Oct 1, 2020 अलंकार-परिभाषा और उदाहरण अलंकार-परिभाषा और उदाहरण ? ये काव्य के अंग होते हैं | इनसे कविता की सुंदरता बढ़ जाती है | जिससे पाठक को पढ़ते या सुनते समय प्रश्न-1. अलंकार किसे कहते हैं ? जिस प्रकार किसी स्त्री की शोभा आभूषणों से बढ़ जाती है, उसी प्रकार अलंकारों से काव्य की सुन्दरता बढ़ जाती है |स्पष्ट है कि अलंकारों से काव्य की शोभा उत्पन्न नहीं होती, केवल बढ़ती है | उदाहरण :- “चारू चन्द्र की चंचल किरणें; खेल रहीं हैं जल – थल में |” स्पष्टीकरण:- कवि यहाँ पर चारू के स्थान पर चतुर, चन्द्र के स्थान पर चाँद या चंद्रमा, चंचल के स्थान पर हलचल लिख सकताथालेकिन उसने ऐसा नहीं किया, कवि ने कविता को सुन्दर – सुन्दर शब्दों से सजाया है | कवि का शब्दों के द्वारा सजाना ही अलंकार कहलाता है| अलंकार की परिभाषा :- काव्य की शोभा बढाने वाले कारक, गुण, धर्म या तत्व को अलंकार कहते हैं| अथवा काव्य की शोभा बढाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं| अलंकार का शाब्दिक अर्थ है- 1-सजावट, 2-श्रृंगार , 3-आभूषण, 4-गहना आदि | अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है– अलम् + कार= अलंकार ‘अलम्’ का अर्थ –भूषित ‘कार’ का अर्थ – करने वाला अन्य अलंकार की परिभाषा- ‘अलंकरोति इति अलंकार:’ अर्थात् जो अलंकृत (सुशोभित) करे, उसे अलंकार कहते हैं | अथवा दंडी के अनुसार:– “काव्य शोभा करान् धर्मान् अलंकरान् प्रचक्षते” अर्थात् काव्य के शोभा कारक धर्म अलंकार कहलाते हैं | प्रश्न-2.अलंकार के कितने भेद या प्रकार है ? उत्तर- दो भेद या प्रकार हैं – 1-शब्दालंकार 2-अर्थालंकार 1-शब्दालंकार:- जो शब्द पर आधारित होते हैं, उन्हें शब्दालंकार कहते हैं | जैसे- अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति,वक्रोक्ति| 2-अर्थालंकार:- जहाँ केवल शब्द में(शब्द के अर्थ मे...

अन्योक्ति अलंकार

जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय, या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, या जहाँ अप्रस्तुत कथन के माध्यम से प्रस्तुत का बोध हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे- नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल॥ स्पष्टीकरण - अप्रस्तुत अली ( भौंरा ) प्रस्तुत राजा एवं अप्रस्तुत कली के माध्यम से प्रस्तुत रानी का उल्लेख किया गया है , इसलिए यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। इस पंक्ति में राजा जयसिंह और उसकी रानी का वर्णन भंवरा पराग और मधु के माध्यम से हुई है। माली आवत देखकर कलियन करी पुकार । फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बार ॥ स्पष्टीकरण - माली, कलियाँ और फूल अप्रस्तुत हैं , जिनके द्वारा प्रस्तुत काल, जीवन और मृत्यु का बोध कराया गया है। कबीर दास जीने जीवन मृत्यु के शाश्वत को माली और कलियों के माध्यम से व्यक्त किया है। इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल । अइहैं फेरि बसन्त रितु , इन डारन के मूल ॥ अन्योक्ति अलंकार के अन्य उदाहरण जिन दिन देखे वे कुसुम गई सु बीती बहार। अब अली रही गुलाब में अपत कंटीली डार॥ ( यहां नायिका अपनी सहेली के साथ अपनी प्रेम की अभिव्यक्ति भंवरा तथा गुलाब के फूल के माध्यम से कर रही है।) करि फुलेल को आचमन , मीठो कहत सराहि । ए गंधी मतिमंद तू अतर दिखावत काहि॥ मरतु प्यास पिंजरा पइयौ , सुआ समय के फेर। आदर दै-दै बोलियतु बायसु बलि की बेर॥ स्वारथ , सुकृत न श्रम वृथा देखि विहंग विचारि। बाज पराए पानि परि , तू पच्छीनु न मारि॥ प्रस्तुत पद में बाज पक्षी के माध्यम से अन्य हिंदू राजाओं को जागृत करने का प्रयत्न किया गया है। राजा जयसिंह और औरंगज़ेब पर संकेत है। भुक्ता मृणालपटली भवता निपीता – न्यम्बूनि यत्र नलिनानि निषेवितानि। रे ...

Anyokti Alankar in Hindi

Table of Contents • • • Anyokti Alankar in Hindi परिभाषा – जब किसी अप्रस्तुत माध्यम से किसी प्रस्तुत (सच्चाई) का बोध कराया जाता है, तब वहाँ ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है। नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहीं बिकास यहि काल । अली कली ही तें बँध्यो, आगे कौन हवाल।। – इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी ने भौंरे पर निशाना साधकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का आभास कराया। महाराज जयसिंह अपनी छोटी रानी के प्रेम में इतने व्यस्त हो गए कि उन्होंने अपने राजकाज का ध्यान रखना तक छोड़ दिया। अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण (1) फूलों के आसपास रहते हैं। फिर भी काँटे उदास रहते हैं। स्पष्टीकरण-इसमें ‘फूल’ सुख-सुविधा या प्रेमिका का प्रतीक है, ‘काँटे’ दुखी प्राणियों के प्रतीक हैं। अतः यहाँ सुख से घिरे दुखी प्राणियों को संबोधित किया गया है । (2) नहि पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहिं काल। अली कली ही सौं बँध्यौ, आगे कौन हवाल।। इसे भी पढ़े: स्पष्टीकरण-इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है। (3) जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सु बीति बहार। अब, अलि रही गुलाब में, अपत कॅटीली डार ।। स्पष्टीकरण-यहाँ गुलाब के सूखने के माध्यम से आश्रयदाता के उजड़ने की व्यथा कही गई है। Anyokti Alankar Video

अन्योक्ति अलंकार और समासोक्ति अलंकार

जैसे नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल । अली कली ही सौं बिंध्यौ, आगे कौन हवाल ।। यहाँ शब्दार्थ है-भौरे और कली वाला अर्थ, किन्तु व्यंग्यार्थ है-राजा जयसिंह और नवोढ़ा रानी वाला अर्थ। भ्रमर की अन्योक्ति से राजा जयसिंह को सचेत किया गया है। अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। समासोक्ति अलंकार Samasokti Alankar जब प्रस्तुत द्वारा अप्रस्तुत का बोध कराया जाता है तब समासोक्ति अन्य अलंकार पढ़े Related Posts: • 150+ Kabir Ke Dohe In Hindi | कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ • Best 101+ Tulsidas Ke Dohe | तुलसीदास के दोहे अर्थ सहित • अलंकार किसे कहते हैं परिभाषा और उदाहरण सहित | Alankar kise… • छन्द की परिभाषा, भेद और उदाहरण Chhand in Hindi • 75+ Rahim Ke Dohe | रहीम के दोहे अर्थ सहित • सूरदास के पद अर्थ सहित Surdas ke pad