अप्पू के साथ ढाई साल

  1. अपू के साथ ढाई साल
  2. mp board class 11th Hindi chapter 3 solution// अपू के साथ ढाई साल के प्रश्न उत्तर
  3. Chapter 3 अपू के साथ ढाई साल
  4. Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ : अपू के साथ ढाई
  5. अपू के साथ ढाई साल का सार / Appu Ke Sath Dhai Saal
  6. Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ : अपू के साथ ढाई
  7. अपू के साथ ढाई साल
  8. अपू के साथ ढाई साल का सार / Appu Ke Sath Dhai Saal
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  10. Chapter 3 अपू के साथ ढाई साल


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अपू के साथ ढाई साल

सारांश-: ‘अपू के साथ ढाई साल’ नामक संस्मरण पथेर पांचाली फिल्म के अनुभवों से संबंधित है, जिसका निर्माण भारतीय फिल्म के इतिहास में एक बहुत बड़ी घटना के रूप में दर्ज है| इसके लेखक सत्यजीत राय हैं जो फिल्म ‘पथेर पांचाली’ के निर्देशक भी हैं| इस संस्मरण में फिल्म के सृजन तथा उसके व्याकरण से संबंधित कई बारीकियों का पता चलता है| फिल्म ‘पथेर पांचाली’ के बनने में पूरे ढाई साल लगे थे| फिल्म में अपू और दुर्गा की मुख्य भूमिका थी| अपू की भूमिका के लिए छह साल के लड़के की जरूरत थी, जिसके लिए लेखक ने अखबार में विज्ञापन दिया था| आखिरकार उन्हें अपने ही पड़ोस के घर में रहने वाला लड़का सुबीर बनर्जी ही अपू की भूमिका के लिए उपयुक्त लगा| लेखक को इस बात का डर था कि समय बीतने के साथ-साथ अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे ज्यादा बड़े न दिखने लगें| खुशकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ| शूटिंग की शुरुआत कलकत्ता से सत्तर मील दूर पालसिट नाम के गाँव में हुई| वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था| सीन बहुत बड़ा था, जिसकी शूटिंग एक दिन में होनी नामुमकिन थी| सात दिन बाद जब बाकी के आधे सीन की शूटिंग करने वहाँ आए तो पता चला कि सारे काशफूल गायब हैं| सारे काशफूल जानवार खा गए| इस कारण लेखक को बाकी अंश की शूटिंग अगले साल शरद ऋतु में करनी पड़ी जब वह मैदान काशफूलों से भर गया| इस सीन की शूटिंग में पहली बार लेखक ने तीन रेलगाड़ियों का इस्तेमाल किया| चूँकि लेखक स्वयं एक विज्ञापन कंपनी में काम करते थे, इसलिए जब उन्हें समय मिलता था तो शूटिंग कर लेते थे| उनके पास पर्याप्त पैसों का भी अभाव रहता था| इस कारण उन्हें कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था| पैसे के अभाव के कारण फिल्म में भूलो कुत्ते के आधे सीन को चित्रित कर बीच ...

mp board class 11th Hindi chapter 3 solution// अपू के साथ ढाई साल के प्रश्न उत्तर

hindi class 11 ncert solutions aroh अध्याय - 3 अपू के साथ ढाई साल - सत्यजित राय 1. सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित कर किया। निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता - अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुंचते। सात दिन बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए। लगा,ये कहाँ आ गए हैं हम? कहां गए वे सारे काशफूल। बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे। अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें 'कंटिन्यूटी' नदारद हो जाती। उस सीन के बाकी अंश की शूटिंग हमने उसके अगले साल शरद ऋतु में जब मैदान काशफूलों से भर गया, तब की। संदर्भ - यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' के पाठ 'अपू के साथ ढाई साल' से लिया गया है। इसके लेखक सत्यजीत राय हैं। प्रसंग - जब फिल्म निर्माता फिल्म की शूटिंग नए स्थान पर करता है उसे वहां अनेक प्रकार की कठिनाइयां आती हैं। स्थान से परिचय न होने के कारण हर काम की जगह तय नहीं होती। दृश्य कहां से शुरू होगा, कैमरे वाला और तकनीशियन कहां बैठेंगे- यह तय नहीं हो पाता। उदाहरण गांववासी कुतूहल के कारण आसपास आ धमकते हैं। उनसे निपटना बहुत कठिन होता है। इस कारण फिल्म-निर्माता प्रायः बौराए हुए से रहते हैं। व्याख्या - फिल्म के निर्देशक, फोटोग्राफर और हीरो-हीरोइन नए होने के कारण घबराए हुए हैं। आत: हमने सुबह से शूटिंग शुरू करके उस दिन सीन का आधा भाग चित्रित कर बाकी का सीन अगले सप्ताह चित्रित करने का निर्णय कर हम घर पहुंच गए। अगले सप्ताह जब शूटिंग के लिए पहुंचे तब बड़ी कठिनाई सामने आई। हमने दे...

Chapter 3 अपू के साथ ढाई साल

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Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ : अपू के साथ ढाई

Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ , Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ Hindi Aroh Bhag 1 Chapter 3 , अपू के साथ ढाई साल MCQ , Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ अपू के साथ ढाई साल MCQ Note – • “ अपू के साथ ढाई साल” पाठ का सारांश पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page • “ अपू के साथ ढाई साल ” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page • “ अपू के साथ ढाई साल ” के सारांश को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ Questions , • “अपू के साथ ढाई साल” पाठ के लेखक कौन हैं – सत्यजीत राय • “अप्पू के साथ ढाई साल” , साहित्य की कौन सी विधा में लिखा गया है – संस्मरणात्मक • सत्यजीत राय के निर्देशन में बनी पहली फिल्म कौन सी थी – “पथेर पांचाली” • “अपू के साथ ढाई साल” पाठ में लेखक ने क्या वर्णन किया हैं – “पथेर पांचाली” फिल्म को बनाने वक्त आयी आर्थिक समस्याओं व अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को • प्रसिद्ध बंगाली उपन्यास “पाथेर पांचाली” के लेखक कौन है – विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय • “पथेर पांचाली” किस भाषा में बनाई गई हैं – बांग्ला भाषा • “पथेर पांचाली” फीचर फिल्म कब प्रदर्शित हुई थी – सन 1955 में • “पथेर पांचाली” फिल्म की शूटिंग में कितने साल लगे – ढाई साल • “पथेर पांचाली” फिल्म को बनाने वक्त लेखक कहाँ नौकरी करते थे – एक विज्ञापन कंपनी में • लेखक के अनुसार , फिल्म को शुरू करने से पहले कौन से काम के लिए बड़ा आयोजन किया गया था – कलाकार इकट्ठे करने के लिए • “पथेर पांचाली” फिल्म की शूटिंग कब -कब होती थी – लेखक को कंपनी के काम से फुर्सत मिलने और पैसों का इंतजाम...

अपू के साथ ढाई साल का सार / Appu Ke Sath Dhai Saal

Table of Contents • • • अपू के साथ ढाई साल का सार अपू के साथ ढाई साल सुप्रसिद्ध फिल्म, ‘पथेर पांचाली‘ से जुड़े अपने अनुभवों को सुंदर शब्दों में पिरोया है। इस पाठ में फिल्म के निर्माण से संबंधित अनेक बातों एवं काइयों का बोध होता है। इस संस्मरण का सार इस प्रकार है:- पाठ के आरंभ में बताया गया है कि ‘अपू’ के रोल के लिए अभिनेता की तलाश किस प्रकार की गई थी। ‘पथेर पांचाली’ नामक फिल्म की शूटिंग लगभग ढाई वर्ष तक चली थी। लेखक एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करता था। इसलिए समय और धन को कठिनाई बराबर बनी रहती थी शूटिंग से पहले अपू की भूमिका निभाने के लिए एक लड़के की तलाश थी। उसके लिए विज्ञापन दिए गए और रासबिहारी एवेन्यू में एक कमरा किराए पर लिया गया। विज्ञापन को पढ़कर अनेक लड़के आए। एक व्यक्ति तो अपनी लड़की के बाल कटवाकर उसे लड़का बनाकर इंटरव्यू दिलाने के लिए ले आया था। अंततः लेखक की पत्नी की निगाह पड़ोस के एक लड़के पर पड़ी जो अपू की भूमिका निभाने के लिए चुन लिया गया। उसका नाम सुदीर बनर्जी था। फिल्म में एक दृश्य रेलगाड़ी से संबंधित था। इसलिए फिल्म निर्देशक अपू, दुर्गा और अन्य कलाकारों को कलकत्ता (कोलकाता) से लगभग 70 मील दूर पालसिट गाँव में ले गया था। वहाँ काशफूलों से भरा मैदान था। उस मैदान में शूटिंग शुरू की गई थी। दृश्य लंबा था। आधा दृश्य ही पूरा हो सका था। जगले सप्ताह जब दृश्य पूरा करने के लिए वहाँ पहुँचे तो पशु काश के फूलों के पौधों को खा चुके थे। इसलिए शेष आधा दृश्य अगले वर्ष पूरा किया गया। इसी प्रकार रेलगाड़ी के दृश्यों को फिल्माने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। शॉटस इतने अधिक थे कि एक नहीं तीन-तीन गाड़ियों का प्रयोग करना पड़ा था। कलाकार दल का एक सदस्य पहले ही गाड़ी के इंजन म...

Appu ke Sath Dhai Saal Class 11 MCQ : अपू के साथ ढाई

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अपू के साथ ढाई साल

सारांश-: ‘अपू के साथ ढाई साल’ नामक संस्मरण पथेर पांचाली फिल्म के अनुभवों से संबंधित है, जिसका निर्माण भारतीय फिल्म के इतिहास में एक बहुत बड़ी घटना के रूप में दर्ज है| इसके लेखक सत्यजीत राय हैं जो फिल्म ‘पथेर पांचाली’ के निर्देशक भी हैं| इस संस्मरण में फिल्म के सृजन तथा उसके व्याकरण से संबंधित कई बारीकियों का पता चलता है| फिल्म ‘पथेर पांचाली’ के बनने में पूरे ढाई साल लगे थे| फिल्म में अपू और दुर्गा की मुख्य भूमिका थी| अपू की भूमिका के लिए छह साल के लड़के की जरूरत थी, जिसके लिए लेखक ने अखबार में विज्ञापन दिया था| आखिरकार उन्हें अपने ही पड़ोस के घर में रहने वाला लड़का सुबीर बनर्जी ही अपू की भूमिका के लिए उपयुक्त लगा| लेखक को इस बात का डर था कि समय बीतने के साथ-साथ अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे ज्यादा बड़े न दिखने लगें| खुशकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ| शूटिंग की शुरुआत कलकत्ता से सत्तर मील दूर पालसिट नाम के गाँव में हुई| वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था| सीन बहुत बड़ा था, जिसकी शूटिंग एक दिन में होनी नामुमकिन थी| सात दिन बाद जब बाकी के आधे सीन की शूटिंग करने वहाँ आए तो पता चला कि सारे काशफूल गायब हैं| सारे काशफूल जानवार खा गए| इस कारण लेखक को बाकी अंश की शूटिंग अगले साल शरद ऋतु में करनी पड़ी जब वह मैदान काशफूलों से भर गया| इस सीन की शूटिंग में पहली बार लेखक ने तीन रेलगाड़ियों का इस्तेमाल किया| चूँकि लेखक स्वयं एक विज्ञापन कंपनी में काम करते थे, इसलिए जब उन्हें समय मिलता था तो शूटिंग कर लेते थे| उनके पास पर्याप्त पैसों का भी अभाव रहता था| इस कारण उन्हें कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था| पैसे के अभाव के कारण फिल्म में भूलो कुत्ते के आधे सीन को चित्रित कर बीच ...

अपू के साथ ढाई साल का सार / Appu Ke Sath Dhai Saal

Table of Contents • • • अपू के साथ ढाई साल का सार अपू के साथ ढाई साल सुप्रसिद्ध फिल्म, ‘पथेर पांचाली‘ से जुड़े अपने अनुभवों को सुंदर शब्दों में पिरोया है। इस पाठ में फिल्म के निर्माण से संबंधित अनेक बातों एवं काइयों का बोध होता है। इस संस्मरण का सार इस प्रकार है:- पाठ के आरंभ में बताया गया है कि ‘अपू’ के रोल के लिए अभिनेता की तलाश किस प्रकार की गई थी। ‘पथेर पांचाली’ नामक फिल्म की शूटिंग लगभग ढाई वर्ष तक चली थी। लेखक एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करता था। इसलिए समय और धन को कठिनाई बराबर बनी रहती थी शूटिंग से पहले अपू की भूमिका निभाने के लिए एक लड़के की तलाश थी। उसके लिए विज्ञापन दिए गए और रासबिहारी एवेन्यू में एक कमरा किराए पर लिया गया। विज्ञापन को पढ़कर अनेक लड़के आए। एक व्यक्ति तो अपनी लड़की के बाल कटवाकर उसे लड़का बनाकर इंटरव्यू दिलाने के लिए ले आया था। अंततः लेखक की पत्नी की निगाह पड़ोस के एक लड़के पर पड़ी जो अपू की भूमिका निभाने के लिए चुन लिया गया। उसका नाम सुदीर बनर्जी था। फिल्म में एक दृश्य रेलगाड़ी से संबंधित था। इसलिए फिल्म निर्देशक अपू, दुर्गा और अन्य कलाकारों को कलकत्ता (कोलकाता) से लगभग 70 मील दूर पालसिट गाँव में ले गया था। वहाँ काशफूलों से भरा मैदान था। उस मैदान में शूटिंग शुरू की गई थी। दृश्य लंबा था। आधा दृश्य ही पूरा हो सका था। जगले सप्ताह जब दृश्य पूरा करने के लिए वहाँ पहुँचे तो पशु काश के फूलों के पौधों को खा चुके थे। इसलिए शेष आधा दृश्य अगले वर्ष पूरा किया गया। इसी प्रकार रेलगाड़ी के दृश्यों को फिल्माने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। शॉटस इतने अधिक थे कि एक नहीं तीन-तीन गाड़ियों का प्रयोग करना पड़ा था। कलाकार दल का एक सदस्य पहले ही गाड़ी के इंजन म...

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Chapter 3 अपू के साथ ढाई साल

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