अपठित गद्यांश एवं पद्यांश कक्षा 10

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  2. NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) अपठित गद्यांश
  3. CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित गद्यांश
  4. Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश – BSEB Solutions
  5. Unseen Poem Class 10 in Hindi
  6. CBSE Papers, Questions, Answers, MCQ ...: कक्षा १० हिंदी (ब)
  7. हिंदी अपठित गद्यांश mcq


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Apathit Gadyansh with Answers

सीबीएसई द्वारा कक्षा 9-12 के विद्यार्थियों में समझ और सूझबूझ को बढ़ाने के लिए सवाल पूछने का एक नया तरीका निकाला है, और वह है unseen passage MCQ in Hindi. नीचे आपको एक mcq अपठित गद्यांश दिया जा रहा है, ताकि आप पेपर से पहले पूरी तयारी कर सकें. यह Hindi unseen passage mcq answers के साथ लिखा गया है. CBSE Hindi(A) Sample Paper Apathit Gadyansh Class 10 | Hindi Unseen Passage MCQ इस 19वीं शताब्दी से पहले मानव और पशु दोनों की आबादी भोजन की उपलब्धता तथा प्राकृतिक विपदाओं आदि के कारण सीमित रहती थी 19वीं शताब्दी से पहले मानव और पशु दोनों की आबादी भोजन की उपलब्धता तथा प्राकृतिक विपदाओं आदि के कारण सीमित रहती थी । कालांतर में जब औद्योगिक क्रांति के कारण मानव सभ्यता की समृद्धि में भारी वृद्धि हुई तब उसके परिणामस्वरूप कई पश्चिमी देश ऐसी बाधाओं से लगभग अनिवार्य रूप से मुक्त हो गए । इससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि अब मानव जनसंख्या विस्फोटक रूप से बढ़ सकती है। परंतु इन देशों में परिवारों का औसत आकार घटने लगा था और जल्दी ही समृद्धि और प्रजनन के बीच एक उल्टा संबंध प्रकाश में आ गया था। जीव विज्ञानियों ने मानव समाज की तुलना जानवरों की दुनिया से कर इस संबंध को समझाने की कोशिश की और कहा कि ऐसे जानवर जिनके अधिक बच्चे होते हैं वह अधिकतर प्रतिकूल वातावरण में रहते हैं और यह वातावरण प्रायः उनके लिए प्राकृतिक खतरों से भरे रहते हैं क्योंकि इनकी संतानों के जीवित रहने की संभावना कम होती है। इसलिए कई संतानें पैदा करने से यह संभावना बढ़ जाती है कि उनमें कम से कम एक या दो जीवित रहेंगे ।इसके विपरीत जिन जानवरों के बच्चे कम होते हैं वे स्थिर और अनुकूल वातावरण में रहते हैं। ठीक इसी प्रकार यदि समृद्ध वातावरण...

NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) अपठित गद्यांश

NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) अपठित गद्यांश NCERT Class 10 Hindi Vyakaran Solutions are provided here. Read the Unseen Passages and answer carefully. अपठित गद्यांश प्रश्न- निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 1. मन के सशक्त होने पर शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आती है। यदि मन दुर्बल है तो शरीर निष्क्रिय और निरुद्यम ही रहेगा। यह संसार शक्तिशाली का है। दुर्बल का इस संसार में कहीं ठिकाना नहीं। कायर व्यक्ति मृत्यु से पहले ही सहस्रों बार मरता है। कायरता का सम्बन्ध मन से है। कायरता और निरुत्साह का दूसरा नाम ही मन की हार है। परिणामत: मन की हार अत्यन्त भयंकर है। मनुष्य भाग्य का निर्माता है, पर कायर पुरुष नहीं। सबल ही भाग्य निर्माता की सामर्थ्य रखता है। कायर तो दैव-दैव ही पुकारता है। साहसी व्यक्ति को अपने मानसिक बल पर अभिमान होता है। प्रश्न- (1) इस अवतरण का उचित शीर्षक दीजिए। (2) इस अवतरण में भाग्य का निर्माता किसे कहा गया है? (3) इस अवतरण का सारांश 30 शब्दों में दीजिए। (4) मन के सशक्त होने पर शरीर में क्या होता है? उत्तर- (1) शीर्षक-‘मनोबल’।’ (2) मानव को स्वयं अपने भाग्य का निर्माता कहा गया है। (3) सारांश-मन का सबल एवं पुष्ट होना सबसे बड़ी ताकत है। मन के दुर्बल होने पर मानव भीरु (कायर) बन जाता है। ऐसे व्यक्ति का दुनिया में जीवित रहना अथवा न रहना एकसमान है। अतः मन को सशक्त बनाओ तथा अपने भाग्य की सृष्टि (निर्माण) करो। (4) मन के सशक्त होने पर शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आती है। 2. क्षमा पृथ्वी का गण-धर्म है। क्षमा वीरों का भूषण है। मनुष्य से स्वाभाविक रूप से अपराध होते रहते हैं,गलतियाँ होती रहती हैं। हमारी दृष्टि में कोई अपराधी है तो हम भी...

CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित गद्यांश

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij, Kritika, Sparsh, Sanchayan are the part of Please find Free CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित गद्यांश. is part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित गद्यांश. CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित गद्यांश Textbook Questions and Answers अपठित बोध ‘अपठित’ शब्द अंग्रेज़ी भाषा के शब्द ‘unseen’ का समानार्थी है। इस शब्द की रचना‘पाठ’ मूल शब्द में‘अ’ उपसर्ग और ‘इत’ प्रत्यय जोड़कर बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है-‘बिना पढ़ा हुआ।’ अर्थात गद्य या काव्य का ऐसा अंश जिसे पहले न पढ़ा गया हो। परीक्षा में अपठित गद्यांश और काव्यांश पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इस तरह के प्रश्नों को पूछने का उद्देश्य छात्रों की समझ अभिव्यक्ति कौशल और भाषिक योग्यता का परख करना होता है। अपठित गद्यांश अपठित गद्यांश प्रश्नपत्र का वह अंश होता है जो पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों से नहीं पूछा जाता है। यह अंश साहित्यिक पुस्तकों पत्र-पत्रिकाओं या समाचार-पत्रों से लिया जाता है। ऐसा गद्यांश भले ही निर्धारित पुस्तकों से हटकर लिया जाता है परंतु, उसका स्तर, विषय वस्तु और भाषा-शैली पाठ्यपुस्तकों जैसी ही होती है। प्रायः छात्रों को अपठित अंश कठिन लगता है और वे प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे पाते हैं। इसका कारण अभ्यास की कमी है। अपठित गद्यांश को बार-बार हल करने से- • भाषा-ज्ञान बढ़ता है। • नए-नए शब्दों, मुहावरों तथा वाक्य रचना का ज्ञान होता है। • शब्द-भंडार में वृद्धि होती है, इससे भाषिक योग्यता बढ़ती है। • प्रसंगानुसार शब्दों के अनेक अर्थ तथा अलग-अलग प्रयोग से परिचित होते हैं। • गद्यांश के मूलभाव को समझ...

Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश – BSEB Solutions

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश Questions and Answers साहित्यिक गद्ययांश (300-400 शब्द) 1. देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है ? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है ? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों से देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का साथ रहता है। सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है। देश-प्रेम यदि वास्तव में यह अंत:करण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवास या किसी और भाव के संकेत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है। यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, पत्ते, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा, वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते कि चालक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते कि आम प्रणय-सौरभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोंपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, वे यदि दस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का पता बताकर देश-प्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप-परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दुःख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए, उन्हें तुम सुखी देखना चाहते हो, यह कैसे समझें। उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में “अर्थशा...

Unseen Poem Class 10 in Hindi

Unseen poem class 10 is the most important part to score higher marks in your exam. .Reading the unseen poem class 10 in Hindi will help you to write better answers in your exam and improve your reading skill. Students who are planning to score higher marks in class 10 Hindi poem should practice the Hindi poem for class 10 before attending the CBSE board exam. It is compulsory to solve the unseen poem class 10 because you need to score higher marks in your exam. To improve your skills, we have provided you with the unseen poem class 10 with answers. While Solving the poem, you will see some unseen poem class 10 with MCQs also present in them. It is provided to make yourself an expert by solving them and score good marks in your exam. You can also practice Important Tips to score good marks in the unseen passage class 10 1-Read the complete poem carefully.Your reading should be quick. 2- Focus your mind on related details and highlight them. 3-Read the question carefully and return to the passage to write the answer. 4- Logical sequence should be present while writing the answer. 5- Do not try to copy the sentence from the poem.Write your answer with your own words. 6-While answering vocabulary based questions like synonyms Replace that word with another word that has the same meaning as that word asked in the question. 7-To Choose the correct option in MCQs.Read the passage until you don’t get the correct answer. अपठित काव्यांश अपठित काव्यांश क्या है? वह काव्यांश जिसका अध्...

CBSE Papers, Questions, Answers, MCQ ...: कक्षा १० हिंदी (ब)

मनुष्य को निष्कामभाव से सफलता-असफलता की चिंता किए बिना.अपने कर्तव्य का पालन करना है। आशा या निराशा के चक्र में फँसे बिना उसे निरंतर कर्तव्यरत रहना है।किसी भी कर्तव्य की पूर्णता पर सफलता अथवा असफलता प्राप्त होती है। असफल व्यक्ति निराश हो जाता है, किंतु मनीषियों ने असफलता को भी सफलता की कुंजी कहा है। असफल व्यक्ति अनुभव की संपत्ति अर्जित करता है, जो उसके भावी जीवन का निर्माण करती है। जीवन में हैं अनेक बार ऐसा होता.है कि हम जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करते हैं, वह पूरा नहीं होता। ऐसे अवसर पर सारा परिश्रम व्यर्थ हो गया-सा लगता है और हम निराश होकर चुपचाप बैठ जाते हैं। उद्देश्य की पूर्ति के लिए दोबारा प्रयत्न नहीं करते। ऐसे व्यक्ति का जीवन धीरे-धीरे बोझ बन जाता है। निराशा का अंधकार न केवल उसकी कर्म-शक्ति, वरन् उसके समस्त जीवन को ही ढक लेता है। निराशा की गहनता के कारण लोग कभी-कभी आत्महत्या तक कर बैठते हैं। मनुष्य का जीवन धारण करके कर्म-पथ से कभी विचलित नहीं होना चाहिए। निरक्षरता किसी भी राष्ट्र, समाज एवं स्वयं व्यक्ति के लिए कलंक है। निरक्षर व्यक्ति के पास सोचने-समझने की स्वतंत्र शक्ति नहीं होती। न तो वह् सामाजिक विकास के बारे में सोच सकता है, न तो व्यक्तिगत विकास के बारे में। निरक्षर व्यक्ति अच्छे-बुरे, उचित-अनुचित, कर्तव्य-अकर्तव्य के बीच में अंतर नहीं कर पाता। निरक्षरता के कारण देश को अच्छे नागरिक नहीं मिल पाते। उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान नहीँ हो पाता। उन्हें अपने कीमती वोटों का ज्ञान नहीं होता। थोडे से पैसों के लालच में आकर वे अपने अमूल्य वोट अयोग्य नेताओं को दे देते हैं और इस प्रकार देश का भविष्य गलत हाथों में पड़ जाता है। नेता निर्धारित समय तक अपनी...

हिंदी अपठित गद्यांश mcq

“साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।” अपठित गद्यांश भाग-2 mcq निदा की ऐसी ही महिमा है। दो-चार निंदको को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए, दो चार ईश्वर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। निंदको की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुरलभ है। इसलिए संतों ने निंदको को आंगन कुटी छवाय पास रखने की सलाह दी है कुछ ‘मिशनरी’ निंदक मैने देखे हैं। उनका किसी से बैर नहीं, धूप नहीं। वे किसी का बुरा नहीं सोचते पर चीबीस पंटे वे निंदा-कर्म में वात पवित्र भाव से लगे रहते हैं कि ये प्रसंग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं, जिस आनंद से अन्य लोग दुश्मन की। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है। इयां-ट्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है। वह ईया-वेष से चौबीसों घंटे जलता है और निदा का जल छिड़ककर कुछ शांति अनुभव करता है। ऐसा निदक बड़ा दयनीय होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह ब...