अपठित पद्यांश

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RBSE Class 11 Hindi Anivarya अपठित बोध अपठित पद्यांश

The questions presented in the RBSE Class 11 Hindi Anivarya अपठित बोध अपठित पद्यांश अपठित बोध - अपठित गद्यांश एवं पद्यांश - अपठित का अर्थ-'अ' का अर्थ है 'नहीं' और 'पठित' का अर्थ है-'पढ़ा हुआ' अर्थात् जो पढ़ा नहीं गया हो । प्रायः शब्द का अर्थ उल्टा करने के लिए उसके आगे 'अ' उपसर्ग लगा देते हैं । यहाँ 'पठित' शब्द से 'अपठित' शब्द का निर्माण 'अ' लगने के कारण हुआ है। 'अपठित' की परिभाषा गद्य एवं पद्य का वह अंश जो पहले कभी नहीं पढ़ा गया हो, 'अपठित' कहलाता है । दूसरे शब्दों में ऐसा उदाहरण जो पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों से न लेकर किसी अन्य पुस्तक या भाषा-खण्ड से लिया गया हो, अपठित अंश माना जाता है। 'अपठित' का महत्व प्रायः विद्यार्थी पाठ्यक्रम में निर्धारित गद्य व पद्य अंशों को तो हृदयंगम कर लेते हैं, किन्तु जब उन्हें पाठ्यक्रम के अलावा अन्य अंश पढ़ने को मिलते हैं या पढ़ने पड़ते हैं तो उन्हें उन अंशों को समझने में परेशानी आती है । अतएव अपठित अंश के अध्ययन द्वारा विद्यार्थी सम्पूर्ण भाषा-अंशों के प्रति तो समझ विकसित करता ही है, साथ ही उसे नये-नये शब्दों को सीखने का भी अच्छा अवसर मिलता है । 'अपठित' अंश विद्यार्थियों में मौलिक लेखन की भी क्षमता उत्पन्न करता है। निर्देश - अपठित अंशों पर प्रायः तीन प्रकार के प्रश्न पूछ जाते हैं - (क) विषय-वस्तु का बोध, (ख) शीर्षक का चुनाव (ग) भाषिक संरचना। (क) विषय-वस्तु का बोध-इस प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देते समय निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए - • प्रश्नों के उत्तर मूल-अवतरण में ही विद्यमान होते हैं, अतएव उत्तर मूल-अवतरण में ही ढूँढें, बाहर नहीं। • प्रायः प्रश्नों के क्रम में ही मूल-अवतरण में उत्तर विद्यमान रहते हैं, अतएव प्रश्नों के क्रम में...

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अपठित

अपठित - पद्यांश 1 निर्मम कुम्हार को थापी से कितने रूपों में कुटी-पिटी, हर बार बिखेरी गई किंतु मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी। आशा में निश्छल पल जाए. छलना में पड़कर छल जाए, सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमके तो ढल जाए, यों तो बच्चों की गुड़िया-सी भोली मिट्टी की हस्ती क्या आँधी आए तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए, फसलें उगतीं, फसलें कटतीं लेकिन धरती चिर उर्वर है। सौ बार बने, सौ बार मिटे लेकिन मिट्टी अविनश्वर है। मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है। प्रश्न- ( क) आशय स्पष्ट कीजिए-'मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी'। (1) (ख) मिट्टी को गुड़िया-सी भोली क्यों बताया गया है? (1) (ग) मिट्टी बार-बार बनने, सँवरने और मिटने पर भी कैसे बनी रहती है? (1) (घ) मिट्टी के बारे में कवि के दो कथन हैं-'मिट्टी की हस्ती क्या' और 'मिट्टी अविनश्वर है।' इनमें से किसी एक पर अपना मत लिखिए। (1) (ङ) इस कविता में निहित मूल भाव को स्पष्ट कीजिए। (1) उत्तर- (क) आशय यह है कि मिट्टी की सहनशीलता अपार है। वह बार-बार कुटने-पीटने छनने, बिखराए जाने, सुखाने, गीला करने के बाद भी अपना अस्तित्व बचाए रख सकी। इन विपरीत परिस्थितियों में भी मिट्टी को कोई मिटा नहीं पाया। (ख) मिट्टी को बच्चों की गुड़िया-सी भोली और निर्बल इसलिए बताया गया है, क्योंकि जिस प्रकार गुड़िया किसी भी बच्चे का खिलौना बनकर किसी स्थान की होकर नहीं रह पाती है, उसी प्रकार मिट्टी भी हवा के साथ उड़ जाती है और पानी के साथ बहकर अन्यत्र चली जाती है। (ग) मिट्टी बार-बार बनने, सँवरने और मिटने पर भी अविनाशी बनी रहती है। वह कभी नष्ट नहीं होती। उसका रूप-रंग भले बदल जाए, पर वह नष्ट नहीं होती। (घ) मिट्टी अविनश्वर है। वह कुम्हार की थापी से बार-बार कुटती-पिटती रही। उसे तोड़ा-फ...