Arya samaj ki sthapna

  1. आर्य समाज के संस्थापक कौन है, Arya Samaj Ke Sansthapak Kaun Hai
  2. आर्य महिला समाज की स्थापना किसने की थी?
  3. Arya Samaj ki Sthapna Purpose and Social Reform
  4. आर्य समाज की स्थापना कब और किसने की ? Arya samaj in hindi


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आर्य समाज के संस्थापक कौन है, Arya Samaj Ke Sansthapak Kaun Hai

आर्य समाज के संस्थापक कौन है, Arya Samaj Ke Sansthapak Kaun Hai • • • • • • • • • आर्य समाज की स्थापना, arya samaj ki sthapna आर्य समाज का आविष्कार महर्षि दयानंद सरस्वती ने 10 अप्रैल 1875 में मुंबई के क्रॉस मैदान में किया था। अनहोन इस संस्था को वैदिक धर्म को पुन: स्थापित करने के लिए स्थपित किया था। क्या संस्था का उद्देश्य धार्मिक सुधार के साथ-साथ सामाजिक सुधार भी था। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज को स्थापित करने से पहले बहुत से अध्ययन और विचार का सम्मान किया था। उनका उद्देश था कि लोगों को वैदिक धर्म और संस्कृति के प्रति जागृत बनाया जाए और इस धर्म को सही धंग से समझा जाए। इस्लिए अनहोने साफ-सुथरी जीवन शैली को महत्व दिया और सभी प्रकारों के अचार-विचार को त्याग करने की सलाह दी। आर्य समाज के तत्वबोध का मूलाधार वैदिक ग्रन्थों पर है। अनहोन है संस्था के प्रचार के लिए काई ग्रंथ जैसे, जिनमे से “सत्यार्थ प्रकाश” और “ऋग्वेद भाषणम” बहुत प्रसिद्ध है। क्या संस्था का लक्ष्य था कि वैदिक धर्म और संस्कृति को पुन: प्राचीन समय की तरह पुनर्जीवन किया जाए, जिस्म लोगों के जीवन में सच और सामाजिक न्याय हो। आर्य समाज के संस्थान का नाम क्या है, aarya samaj ke sansthapak ka naam kya hai आर्य समाज के संस्थापक का नाम महर्षि दयानन्द सरस्वती है। FAQs आर्य समाज क्या है? आर्य समाज एक धार्मिक और सामाजिक संस्था है, जो महर्षि दयानंद सरस्वती द्वार 1875 में स्थपित की गई थी। इसका उद्देश्य वैदिक धर्म और संस्कृति को प्रसारित करने के साथ-साथ सामाजिक सुधार भी है। आर्य समाज के मूल तत्व क्या है? आर्य समाज के मूल तत्व वैदिक धर्म और संस्कृति पर अधारित है। क्या संस्था के अनुयाई सत्य, अहिंसा, धार्मिकता, अध्ययन, और अचार-...

आर्य महिला समाज की स्थापना किसने की थी?

आर्य महिला समाज की स्थापना पंडिता रमाबाई (Pandita Ramabai) ने की थी। यह महिलाओं के कल्याण के लिए स्थापना की गई थी। पंडिता रमाबाई मेधावी प्रख्यात विदुषी समाजसुधारक और भारतीय नारियों को उनकी पिछड़ी हुई स्थिति से ऊपर उठाने के लिए समर्पित थीं। मेधावी क्रेटर का नाम रामाबाई मेधावी के नाम पर रखा गया। इनका जन्म 23 अप्रैल, 1858 ई. में मैसूर रियासत में हुआ था। उनके पिता 'अनंत शास्त्री' विद्वान् और स्त्री-शिक्षा के समर्थक थे। 20 वर्ष की उम्र में ही रमाबाई को संस्कृत के ज्ञान के लिए सरस्वती और पंडिता की उपाधियाँ प्राप्त हुई। तभी से वे पंडिता रमाबाई के नाम से जानी गई। रमाबाई सात भाषाएं जानती थीं, धर्मपरिवर्तन कर ईसाई बन गईं और उन्होंने बाइबल की अनुवाद मराठी में किया। Tags :

Arya Samaj ki Sthapna Purpose and Social Reform

आर्य समाज के संस्थापक – आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती थे। इनका जन्म 12 फरवरी 1824 में गुजरात के टंकारा नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम मूलशंकर था। इनके पिता वेदों के विद्वान थे। उन्होंने ही इन्हें वैदिक न्याय दर्शन की प्रारंभिक शिक्षा दी।वेदों को जानने की जिज्ञासा में 1845 ई. में 21 वर्ष की आयु में इन्होंने घर छोड़ लिया। 1848 ई. में इनकी मुलाकात दण्डी स्वामी पूर्णानन्द से हुई। जिनसे इन्होंने सन्यास की शिक्षा ली। दण्डी स्वामी पूर्णानन्द ने ही इन्हें दयानंद सरस्वती नाम दिया।1861 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती मथुरा पहुँचे जहाँ नेत्रहीन स्वामी विरजानंद से इन्होंने शुद्ध वैदिक धर्म के विषय ज्ञान प्राप्त किया। स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने उपदेशों का प्रचार आगरा से प्रारम्भ किया। राम कृष्ण मिशन के उद्देश्य – आर्य समाज ने “शुद्धि आन्दोलन” भी चलाया। जिसके अंतर्गत उन लोगों को हिन्दू धर्म में वापस लाया गया। जिन्होंने किसी कारण वश अन्य धर्म ग्रहण कर लिया था। इस समाज का प्रचार पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में प्रमुख रूप से हुआ। आर्य समाज के सामाजिक सुधार • सामाजिक सुधार के क्षेत्र में दयानंद सरस्वती ने छुआछूत, जाति प्रथा, बाल विवाह तथा अन्य बुराइयों का विरोध किया। • भारत के इतिहास में वह पहले समाज सुधारक थे। जिन्होंने शूद्र तथा स्त्री को वेद पढ़ने, ऊंची शिक्षा प्राप्त करने, यज्ञोपवीत धारण करने तथा अन्य क्षेत्रों में ऊंची जाति तथा महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त करने के लिए आन्दोलन किया। • स्वामी दयानंद सरस्वती ने जन्म आधारित वर्ण व्यवस्था का विरोध किया। किन्तु कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था का समर्थन किया। उनके अनुसार कर...

आर्य समाज की स्थापना कब और किसने की ? Arya samaj in hindi

Tense की परिभाषा : Tense क्रिया का वह रूप होता है जिससे किसी कार्य या घटना के होने के समय का पता चलता है उसे tense कहते हैं। Tense तीन प्रकार के होते हैं- Present tense (वर्तमान काल) Past tense (भूत काल) Future tense (भविष्यत काल) 1. Present tense (वर्तमान काल) किसे कहते हैं ? इन वाक्यों में कार्य का वर्तमान में होना पाया जाता है। Present tense (वर्तमान काल) कहते हैं। 2. Past tense (भूत काल) किसे कहते हैं ? इन वाक्यों में कार्य का भूतकाल में होना पाया जाता है। Past tense (भूत काल) कहते हैं। 3. Future tense (भविष्यत काल) किसे कहते हैं ? इन वाक्यों में कार्य का भविष्य में होना पाया जाता है। Future tense (भविष्यत काल) कहते हैं। Present, Past, Future tense चार - चार प्रकार के होते हैं। Present tense (वर्तमान काल) के प्रकार Present indefinite tense [अनिश्चित वर्तमान काल] Present continuous tense [अपूर्ण वर्तमान काल] Present perfect tense [पूर्ण वर्तमान काल] Present perfect continuous tense [पूर्ण - अपूर्ण वर्तमान काल] Present indefinite tense in hindi to english with examples Present in क्या है पैरामीशियम जाने हिन्दी में पैरामीशियम एक सूक्ष्म एककोशिकीय प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है। यह तालाब, झील, नदीआदि के स्वच्छ पानी में पाया जाता है। इसका आकार स्लीपर के समान होने के कारण इसे स्लीपर जन्तुक भी कहते हैं। इसके दो सिरे पाये जाते हैं पहला सिरा कुंद जैसा होता है, तथा दूसरा सिरा नुकीला होता है। इसके शरीर पर पैलिकल का आवरण पाया जाता है, जिस पर छोटे-छोटे सिलिया होते हैं, जिसकी सहायता से यह गति करता है। पैरामीशियम (Paramecium) का वर्गीकरण (classification) प्रॉटिस्टा जगत (protozoa kingdom)...