Aryabhatt ka jivan parichay

  1. ESSAY ON KRISHNA JANMASHTAMI IN HINDI
  2. aryabhatt ka jivan parichay
  3. रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय हिंदी में, इतिहास, वीरगति, शिक्षा, संघर्ष
  4. Aryabhatta Ka Jeevan Parichay
  5. रवींद्रनाथ टैगोर जी का जीवन परिचय
  6. Mahaveer Swami
  7. तुलसीदास का जीवन परिचय [साहित्यिक परिचय, रचनाएँ]
  8. Jivan Parichay
  9. मीराबाई
  10. Mahaveer Swami


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ESSAY ON KRISHNA JANMASHTAMI IN HINDI

ESSAY ON KRISHNA JANMASHTAMI IN HINDI – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी निबंध श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami in Hindi ) के इस लेख में भगवान कृष्ण के जन्म के बारें में संक्षेप में वर्णन है। श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का उत्सव हिन्दू समुदाय के लिए विशेष महत्‍व रखता है। जब-जब इस धरती पर अत्याचार बढ़ा है और धर्म का नाश हुआ। तब-तब विष्णु भगवान ने अवतार लेकर धर्म की रक्षा की। द्वापर युग में जन्माष्टमी के दिन भगवान विष्णु ने इस धरा पर कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार माना जाता है। प्रतिवर्ष हिन्दू समुदाय के लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ESSAY ON KRISHNA JANMASHTAMI IN HINDI – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी निबंध श्रीकृष्ण जन्माष्टमी निबंध– essay on janmashtami in hindi language इसीलिए भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को Sri Krishna ji के जन्म को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। भारत में हिन्दू समुदाय के लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। भारत के आलवा यह त्योहार मॉरीशस, नेपाल तथा दुनियों के कई अन्य देशों में भी मनाते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दिन भर घरों और मंदिरों में लोग भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं। इस दौरान मंदिरों को विशेष रूप से सजा कर भगवान श्री कृष्ण की झांकियां निकाली जाती हैं। जन्माष्टमी अर्धरात्रि को क्यों मनाते है? हिन्दू समुदाय के लोगों का भगवान श्री कृष्ण के प्रति गहरी आस्था है। वे दिव्य अवतारी पुरुष थे। कहते हैं की भगवान श्री कृष्ण का जन्म राजा कंस के काराव...

aryabhatt ka jivan parichay

Aryabhatt ka jivan parichay is a dish that we all know but few are willing to try. Though it is a dish made with onion and tomato paste, it’s so easy to prepare, you don’t need any kind of cooking or special equipment to make this dish. I get asked often for this dish, especially when it comes to Indian restaurant food. I don’t get asked that often either, especially when it comes to Indian restaurant food. But I have to agree with my friend Katerina who says that the dish has become popular among non-Indian fans of Indian cuisine. The dish is so easy and so tasty that even non-Indian fans of Indian cuisine are willing to try it. And in this case, you can actually use this dish to show how much you care about India and your homeland. The dish is named after the legendary Indian wrestler Raja Ravi Varma, who loved to eat and drink so much that he used to eat and drink non-stop. In fact, the dish is named after the god of liquor. But this dish is about more than just eating and drinking, it’s about connecting with the people of India and India’s traditions. If you want to get into a more in-depth discussion about Indian food, then this is fine. If not, then you may want to read the entire book “Indian Food & Drink” by Jayaram K. Prasad, which you can read here. Indian food is made from the foods of India. Indian food is a very complex thing. The food of India is very complex and can have different types of different food types when you’re eating. It can be anything from rice...

रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय हिंदी में, इतिहास, वीरगति, शिक्षा, संघर्ष

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी एक नज़र में नाम मणिकर्णिका उपनाम मनु, रानी लक्ष्मीबाई, छबीली पिता का नाम मोरेपंत तांबे माता का नाम भागीरथी सापरे जन्म 19 नवंबर 1828 जन्मस्थान वारणसी, भारत पदवी रानी विवाह सन 1842 पति का नाम महाराज गंगाधर राव नेवालकर पुत्र का नाम दामोदर राव, आनंद राव उपलब्धियां युद्ध कला में निपुण मृत्यु 17-18 जून 1858 (29वर्ष) मृत्यु स्थल ग्वालियर, भारत रानी लक्ष्मी बाई कौन थी? रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी स्त्री थी, जिन्होंने ब्रिटिश राज्य के खिलाफ और भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेकों युद्ध किए। जिस समय में सभी राज्य अपने-अपने राज्यों को ब्रिटिश के अधीन कर रहे थे, उस समय में महारानी लक्ष्मीबाई ने अपनी झांसी को किसी को भी देने से साफ इनकार कर दिया था और झांसी को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्रत कराने के लिए लड़ाई लड़ने लगी। रानी लक्ष्मी बाई एक बहुत ही साहसी स्त्री थी। रानी लक्ष्मीबाई लोगों के प्रति बहुत ही उदार दिल वाली थी। गरीब और आम जनता के लोगों के लिए रानी लक्ष्मीबाई के दिल में एक अलग ही स्थान था। वह उन लोगों के प्रति बहुत ही उदार थी, जो बहुत ही गरीब या फिर लाचार होते थे। रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने का मकसद सिर्फ और सिर्फ गरीब लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाना था। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने संपूर्ण जीवन में किसी के भी अधीन रहकर जीना नहीं चाहा। वह चाहती थी कि वह खुद के भविष्य का निर्धारण स्वयं से करें और उन्होंने ठीक ऐसा ही किया। महारानी लक्ष्मी बाई के साथ स्वतंत्रता संग्राम में न केवल वह थी, परंतु उनके साथ उनके सेनापति चाचा और उनके पिता भी थे। रानी लक्ष्मी बाई का जन्म रानी लक्ष्मीबाई का ...

Aryabhatta Ka Jeevan Parichay

Short Introduction About Aryabhatta In Hindi Aryabhatta Ka Jeevan Parichay – करीब हजारो वर्ष पूर्व प्राचीन भारत में कई विश्वगुरुओं ने जन्म लिया यह युग भारत के लिए स्वर्ण युग था। इस युग में भारत ने हर विषय चाहे साहित्य, खेल, ज्ञान -विज्ञान, शास्त्र-शस्त्र सभी में निपुणता हसिल कर रखी थी। उस समय केवल भारत के पास ही हर वो शक्ति और ज्ञान उपलब्ध था जिसकी पूरी दुनिया को आवश्यकता थी। इस काल खंड में ही महान खगोल वैज्ञानिक और गणित के जनक आर्यभट का भी जन्म हुआ था। हेलो दोस्तों आज हम भारत के नहीं बल्कि विश्व के महान और प्राचीन वैज्ञानिक आर्यभट्ट का जीवन परिचय के बारे में जानेगे। आर्यभट की लोकप्रियता मुख्यतः लोग में 0 के अविष्कारक के रूप में है। उनके बुद्धि और ज्ञान कौशल को आज भी वैज्ञानिक और इतिहासकार नहीं समझ पाए है । वैज्ञानिक इस बात से आज भी आस्चर्य में है की आर्यभट ने किस प्रकार बिना अधुनिक उपकरणों के पृथ्वी और ग्रहों से जुडी कई खोज कर डाली थी। जो बिना किसी दूरदर्शी यंत्र या टेलिस्कोप की मदद के द्वारा ही संभव नहीं हो सकता था। आर्यभट्ट एक महान, वैज्ञानिक खगोलशास्त्री और गणित्यगा थे। माना जाता है की सर्वप्रथम आर्यभट ने निकोलस कोपरनिकस से पहले ही यही बता दिया था की धरती गोल है और सूर्य के चारो और चक्कर लगाती है। आर्यभट ने गणित से जुड़ी मूल सिद्धांतो और सूत्रों को बताया। उनके द्वारा गणित में दिए गए मूल योगदान को आज भी दुनिया भर के स्कूल में बच्चों को सिखाया जाता है। आर्यभट द्वारा पाई और रेखागणित, बीजगणित खोज की गई जिसका इस्तमाल वैज्ञानिक कई अविष्कारों और खोजो में इस्तमाल करते है। नीचे हम आर्यभट का जन्म, इतिहास, शिक्षा आदि मत्वपूर्ण और रोचक जानकारियां शेयर की गई है। आर्यभट्ट का इतिहास –...

रवींद्रनाथ टैगोर जी का जीवन परिचय

विषय सूची • • • • जीवन परिचय – रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 ई0 को कोलकाता में हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। सितंबर 1877 ई0 में अपने भाई के साथ इंग्लैंड चले गए। वहां इन्होंने अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन करते हुए पश्चिमी संगीत सीखा। 11 वर्ष की उम्र में उपनयन संस्कर के बाद अपने पिता देवेंद्रनाथ के साथ हिमालय-यात्रा पर निकले थे। इंग्लैंड से वापस लौटकर इन्होंने साहित्य के क्षेत्र में प्रवेश किया। 1914 ई0 में कोलकाता विश्वविद्यालय द्वारा इन्हें डॉक्टर की मानद उपाधि प्रदान की गयी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा भी इन्हें ‘डी-लिट’ की उपाधि दी गयी। इनका निधन 7 अगस्त, 1941 ई0 को हुआ। • जन्म –7 मई, सन 1861 ई0। • पिता –देवेंद्रनाथ टैगोर। • जन्म स्थान– कलकत्ता ( कोलकाता )। • मृत्यु –7 अगस्त सन 1941 ई0 में। • हिंदी साहित्य में स्थान – कथाकार, नाटककार, निबंधकार एवं कवि के रूप में। • पुरस्कार– नोबेल पुरस्कार 1913 ई0। साहित्यिक परिचय – रविंद्र नाथ टैगोर हमारे देश के एक प्रसिद्ध कवि देशभक्त तथा दर्शनिक थे। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने कहानी, उपन्यास, नाटक तथा कविताओं की रचना की। 1901 ईसवी में इन्होंने शांति निकेतन में एक ललित कला स्कूल की स्थापना की, जिसने कालांतर में विश्व भारती का रूप ग्रहण किया। यह एक ऐसा विश्वविद्यालय रहा जिसमें सारे विश्व की रुचियों तथा महान आदर्शों को स्थान मिला तथा भिन्न-भिन्न सभ्यताओं एवं परंपराओं के व्यक्तियों को साथ जीवन-यापन करने की शिक्षा प्राप्त हो सकी। सर्वप्रथम टैगोर ने अपनी मातृभाषा बांग्ला में अपनी कृतियों की रचना की। जब इन्होंने अपनी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी में किया तो इन्हें सारे संसार में बहुत खत्म प्र...

Mahaveer Swami

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम महावीर स्वामी (Mahaveer Swami) की पूरी जानकारी पढ़ेंगे। इसमें हम महावीर स्वामी का जीवन परिचय (Mahaveer Swami Ka Jivan Parichay), महावीर स्वामी को ज्ञान की प्राप्ति (Mahaveer Swami Ko Gyan Ki Prapti), जैन धर्म (jain dharm), जैन धर्म का प्रचार (Jain Dharm Ka Prachar), महावीर स्वामी के उपदेश (Bhagwan Mahaveer Ke Updesh) के बारे में जानेंगे। महावीर स्वामी के बारे में पूरी जानकारी पढ़ें – Mahaveer Swami महावीर स्वामी का जीवन परिचय – Mahaveer Swami Ka Jivan Parichay जन्म – 540 ई. पू., चैत्र शुक्ल त्रयोदशी जन्मस्थान – वैशाली के निकट कुण्डग्राम मृत्यु – 468 ई. पू. (72 वर्ष), कार्तिक अमावस्या मृत्युस्थान – पावापुरी (बिहार) बचपन का नाम – वर्धमान अन्य नाम – वीर, अतिवीर, सन्मति, निकंठनाथपुत्त (भगवान बुद्ध), विदेह, वैशालियें जाति – ज्ञातृक क्षत्रिय वंश – इक्ष्वाकु वंश राशि – कश्यप पिता – सिद्धार्थ माता – त्रिशला/विदेहदत्ता भाई – नंदीवर्धन बहन – सुदर्शना पत्नी – यशोदा (कुण्डिय गोत्र की कन्या) पुत्री – अणोज्जा/प्रियदर्शना दामाद – जामालि (प्रथम शिष्य – प्रथम विद्रोही) गृहत्याग – 30 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्ति की अवस्था – 42 वर्ष (12 वर्ष बाद) ज्ञान प्राप्ति – जृम्भिकग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के किनारे साल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति के बाद इनके नाम – जिन, अर्हत, महावीर, निर्गन्थ, केवलिन। प्रथम उपदेश – राजगृह के समीप विपुलांचल पर्वत में बराकर नदी के किनारे प्रथम वर्षावास – अस्तिका ग्राम में अन्तिम वर्षावास – पावापुरी प्रतीक चिह्न – सिंह महावीर स्वामी का जन्म कब हुआ – Mahaveer Swami Ka Janm Kab Hua Tha महावीर...

तुलसीदास का जीवन परिचय [साहित्यिक परिचय, रचनाएँ]

Tulsidas Ka Jivan Parichay Hindi Rachnaye Janam Mrityu goswami jivani sahityik parichay, गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ jeevan, kavi साहित्यिक परिचय बचपन short mein jivan bataiye bachpan अंतिम रचना इन हिंदी bataiye पीडीएफ लिखिए शार्ट likhiye दीजिए rachna तुलसीदास जी को हम हिंदू कवि और संत के रूप में जानते हैं इन्होंने भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की है । Tulsidas भक्ति काल में राम भक्ति शाखा के राम की भक्ति के लिए काफी ज्यादा मशहूर कवि है इनके जन्मतिथि को लेकर अलग-अलग अवधारणा प्रस्तुत की गई है फिर भी इनका जन्म संवत 1568 में राजापुर, बांदा उत्तर प्रदेश को माना जाता है । तुलसीदास का जन्म के बाद अनाथों की तरह जीवन रहा है क्योंकि जन्म के 2 दिन बाद इसकी माता जी की मृत्यु हो गई । Tulsi Das जी का जीवन काल बहुत लंबे समय 126 वर्षों का रहा है जिसमें इन्होंने 22 कृतियों की रचनाएं की है । इनके जीवन में इनके गुरु नरहरी दास और आचार्य रामानंद जी रहे हैं और इसकी सबसे प्रसिद्ध रचना रामचरितमानस, कवितावली, दोहावली और हनुमान चालीसा है। तो चलिए अब तुलसीदास जी का जीवन परिचय, इनकी रचनाएं और इनकी जीवन गाथा को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं। पूरा नाम ( Full Name) गोस्वामी तुलसीदास पिता का नाम ( Pita ka N a am) आत्माराम दुबे माता का नाम ( Mata Ka Naam ) हुलसी देवी जन्म (jaman Thithi) संवत 1568 जन्म स्थान (Janam Sthan) राजापुर, बांदा, उत्तर प्रदेश धर्म ( Religion) हिन्दू Caste ( Cast) ज्ञात नहीं पत्नी (Wife, Marriage) रत्नावली प्रमुख रचनाए (Rachnaye) रामचरितमानस दोहावली कवितावली गीतावली विनयपत्रिका हनुमान चालीसा शिक्षा ( Education ) वेदशास्त्र ...

Jivan Parichay

Jivan Parichay:- हेलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे साइट Jivan Parichayमें आज हम बात करने वाले है (जीवन परिचय)के बारे में इस पोस्ट में आपको सभी महान लोगों के जीवन परिचय के बारे में पता चलेगा तो ध्यान से पढ़ें। Kabir Das ka Jivan Parichay – कबीर दास का जीवन परिचय Kabir Das ka Jivan Parichay:- ऐसा माना जाता है कि महान कवि, संत कबीर दास, का जन्म ज्येष्ठ के महीने में पूर्णिमा पर वर्ष 1440 में हुआ था। इसलिए संत कबीर दास जयंती या जन्मदिन की सालगिरह हर साल उनके अनुयायियों और प्रियजनों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। ज्येष्ठ की पूर्णिमा जो मई और जून के महीने में आती है। Click Here To Read More | आगे पढने के लिए यहाँ क्लीक करें Tulsidas Ka Jivan Parichay – तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Ka Jivan Parichay:- वे संस्कृत में मूल रामायण के रचयिता थे। वे अपनी मृत्यु तक वाराणसी में रहे। उनके नाम पर तुलसी घाट का नाम रखा गया है। वह हिंदी साहित्य के सबसे महान कवि थे और उन्होंने संकट मोचन मंदिर की स्थापना की थी। गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिंदू कवि होने के साथ-साथ संत, सुधारक और दार्शनिक थे जिन्होंने विभिन्न लोकप्रिय पुस्तकों की रचना की। उन्हें भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति और महान महाकाव्य, रामचरितमानस के लेखक होने के लिए भी याद किया जाता है। उन्हें हमेशा वाल्मीकि (संस्कृत में रामायण के मूल संगीतकार और हनुमान चालीसा) के अवतार के रूप में सराहा गया। Click Here To Read More | आगे पढने के लिए यहाँ क्लीक करें MirabaiKa Jivan Parichay – मीरा बाई का जीवन परिचय Mirabai Ka Jivan Parichay:मीराबाई (1502–1556) 16 वीं सदी के हिंदू रहस्यवादी कवि और भगवान कृष्ण की भक्त थीं। वह एक प्रसिद्ध भक्ति...

मीराबाई

मीराबाई (Mirabai) का Mirabai Biography in Hindi / Mirabai Jeevan Parichay / Mirabai Jivan Parichay / मीराबाई : नाम मीराबाई अन्य नाम मीरा, मीरा बाई जन्म 1498 ई. जन्म स्थान कुड़की ग्राम, मेड़ता, राजस्थान मृत्यु 1546 ई. मृत्यु स्थान रणछोड़ मंदिर, द्वारिका, गुजरात माता वीर कुमारी पिता रत्नसिंह राठौड़ दादाजी राव जोधा पति राणा भोजराज सिंह रचनाएं नरसीजी का मायरा, राग गोविन्द, राग सोरठ के पद, गीतगोविन्द की टीका, मीराबाई की मल्हार, राग विहाग एवं फुटकर पद, तथा गरवा गीत भाषा शैली पदशैली साहित्य काल जीवन परिचय मीराबाई का जन्म सन् 1498 ई० के लगभग राजस्थान में मेड़ता के पास चौकड़ी ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम रत्नसिंह था तथा वे जोधपुर-संस्थापक राव जोधा की प्रपौत्री थीं। बचपन में ही उनकी माता का निधन हो गया था; अत: वे अपने पितामह राव जोधा जी के पास रहती थीं। प्रारम्भिक शिक्षा भी उन्होंने अपने दादाजी के पास रहकर ही प्राप्त की थी। राव दा जी बड़े ही धार्मिक एवं उदार प्रवृत्ति के थे जिनका प्रभाव मीरा के जीवन पर पूर्णरूपेण पड़ा था। बचपन से ही मीराबाई कृष्ण की आराधिका थीं। उनका विवाह उदयपुर के राणा साँगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था। विवाह के कुछ ही समय बाद उनके पति की मृत्यु हो गयी। मीरा की मृत्यु द्वारका में सन् 1546 ई० के आसपास मानी जाती है। साहित्यिक परिचय मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की भक्त थीं। गोपियों की भाँति मीरा माधुर्य भाव से कृष्ण की उपासना करती थीं। वे कृष्ण को ही अपना पति कहती थीं और लोक-लाज खोकर कृष्ण के प्रेम में लीन रहती थीं। बचपन से ही अपना अधिक समय संत-महात्माओं के सत्संग में व्यतीत करती थीं। मन्दिर में जाकर अपने आराध्य की प्रतिमा के समक्ष मीराबाई आनन्द-विह्वल होकर नृत्य...

Mahaveer Swami

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