असहयोग आंदोलन के उद्देश्य

  1. भारत में असहयोग आंदोलन के लिए अग्रणी घटनाक्रम (1818
  2. महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन का महत्व : Asahyog andolan
  3. Asahyog Andolan
  4. असहयोग आंदोलन 1920
  5. Asahyog Andolan
  6. Asahyog Andolan
  7. महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन का महत्व : Asahyog andolan
  8. असहयोग आंदोलन 1920


Download: असहयोग आंदोलन के उद्देश्य
Size: 42.25 MB

भारत में असहयोग आंदोलन के लिए अग्रणी घटनाक्रम (1818

भारत में असहयोग आंदोलन के लिए अग्रणी घटनाक्रम (1818-1833) | Events Leading to Non-Cooperation Movement in India (1818-1833). १९१४-१९१८ ई॰ का युद्ध, जो कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मैत्रीभाव लाया, अन्य तरीकों से भी भारतीय पक्ष को आगे बढ़ाया । भारतीय सैनिकों ने युद्ध के संकट-पूर्ण क्षणों में साम्राज्य की महान सेवा की । इसे स्वीकार करते हुए लार्ड बर्केनहेड ने सच ही कहा “यदि सचमुच भारत की सहायता के बिना युद्ध विजयपूर्ण समाप्ति पर लाया जा सकता, तो उसके बिना यह (युद्ध) बहुत ही समयसध्या बन जाता” । इंगलैंड ने भारत में राजनीतिक सुधारों के द्वारा इस सेवा का बदला देने को लाचार महसूस किया, खासकर इसलिए कि युद्ध का एक स्वीकृत उद्देश्य था पराधीन जातियों के लिए आत्मनिर्णय प्राप्त करना और संसार को जनतंत्र के लिए सुरक्षित बनाना । इसके अतिरिक्त रूसी क्रांति एवं जारशाही शासन के एकाएक पतन की शिक्षाओं ने संभवत: ब्रिटिश राजनीतिज्ञों के एक वर्ग पर कुछ प्रभाव डाला । इन सब बातों के फलस्वरूप १९१७ ई॰ की प्रसिद्ध घोषणा हुई तथा १९१९ ई॰ का संविधान आया । ADVERTISEMENTS: मांटेगू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट के प्रकाशन ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में फूट डाल दी । यह कांग्रेस के एक विशेष अधिवेशन में विचारित हुआ तथा यथेष्ट निराशाकारक एवं असंतोषजनक कहकर निंदित हुआ । इस पर माडरेट दल के अधिकतर नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी तथा पीछे चलकर भारतीय लिबरल फेडरेशन की स्थापना की । महात्मा गाँधी (१८६९-१९४८ ई॰) का झुकाव पहले इन सुधारों के कार्यान्वित करने की चेष्टा की ओर था तथा कांग्रेस ने दिसम्बर, १९१९ ई॰ में इसके पक्ष में निर्णय किया । मगर उन्होंने एक वर्ष बीतने-बीतते अपने विचार बदल लिये । उनकी प्रेरणा से कांग्रेस ने १९२० ई॰ में कल...

Explainer

अनेककान्ग्रेसियोंकोगांधीजीकीनीतियोंमेंविश्वासनहींरहा।सत्याग्रहकेऔचित्यकेबारेमेंप्रश्नपूछेजानेलगे।पार्टीकेनेताओंद्वाराकांग्रेसपरअधिकसशक्तनीतिअपनाएजानेकेलिएदबावडालाजानेलगा।कांग्रेसजनोंमेंइसबातपरबहसशुरूहोगईकिनिष्क्रियताकेकालमेंक्याकियाजाए।कांग्रेसकेअन्दरविद्रोहकीसंभावनाबढ़तीजारहीथी।इसपरिस्थितिने 'स्वाराजियों' केउदयकीपृष्ठभूमितैयारकरदीथी। विधान-परिषद्केबहिष्कारकेप्रश्नपरमतभेद जून 1922 मेंभारतीयराष्ट्रीयकांग्रेसकमेटीनेभावीकार्यक्रमनिश्चितकरनेकेलिए 'सविनयअवज्ञाजांचसमिति' कीस्थापनाकी।इसकेसदस्योंमेंसेजहांअंसारी, चक्रवर्तीराजगोपालाचार्य, सरदारवल्लभभाईपटेल, सेठजमनालालबजाजऔरकस्तूरीरंगाआयंगारनेरपटदीकिदेशअभीभीएकआमऔरजनव्यापीनागरिकअवज्ञाआन्दोलनचलानेकेलिएतैयारनहींहै, औरकाउंसिलकाबहिष्कारकरगांवोंमेंगांधीवादीरचनात्मककामकरनाचाहिए, वहींदेशबंधुसी.आर. दास, मोतीलालनेहरू, नरसिंहचिन्तामणिकेलकर, एम.आर. जयकर, हकीमअज़मलख़ांऔरविट्ठलभाईपटेलकौंसिलोंकेबहिष्कारकेपक्षमेंनहींथे। वे सेंट्रललेजिस्लेटिवअसेंबली केन्द्रीयविधान-मंडलकेउच्चसदनकानामथाराज्यकौंसिल (कौंसिलऑफस्टेट्स), जिसमेंअधिकांशअधिकारीकेसदस्यनामज़दथे।निम्नसदनकोकेन्द्रीयविधिपरिषद (सेंट्रललेजिस्लेटिवअसेंबली) कहाजाताथा।इसकेएकतिहाईसदस्ययातोअंग्रेज़अफ़सरयाउनकेद्वारानामज़दभारतीयथे।केन्द्रीयविधिपरिषदकोसारेबजटकेसातवेंहिस्सेपरविचारकरनेकाअधिकारथा।उसकेद्वाराअस्वीकृतप्रस्तावोंकोभीवायसरायअपनेविशेषाधिकारसेकानूनकारूपदेसकताथा।प्रांतीयशासनतोऔरभीविचित्रथा। कुछविभागतोमंत्रियोंकोसौंपेगएथे, लेकिनवित्त, न्यायआदिकईविभागअधिकारियोंकेजिम्मेकरदिएगएथे।येअधिकारीप्रांतीयविधि-परिषदोंकेप्रतिनहीं, गवर्नरकेप्रतिजिम्मेवारथे।गवर्नरकोवीटोकाअधिकारथा।जोनेताकौंसिलमेंजानेकेपक्षमेंथे, उनकामाननाथाकिन...

महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन का महत्व : Asahyog andolan

असहयोग आंदोलन: असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 ईस्वी में हुई थी और इसका उद्देश्य अहिंसा के जरिए भारत में ब्रिटिश शासक का विरोध करना था! इसके अंतर्गत तय किया गया कि विरोध प्रदर्शनकारी ब्रिटेन के माल को खरीदने से इंकार करेंगे और अस्थाई हस्तशिल्प की वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे तथा शराब की दुकानों के आगे बढ़ने देंगे ऐसा के विचार और गांधी जी के कुशल नेतृत्व मैप करोड़ों नागरिक भारत की स्वाधीनता के आंदोलन में शामिल हो गए! 1919 से 1922 के मध्य अंग्रेज हुकूमत के विरुद्ध दो सशक्ति जन आंदोलन चलाया गए जिसने भारत स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत सेना ने किस शर्त पर बेटी राज्य को योगदान दिया था! कि इसके बाद बेटी राज्य भारत की जनता को कुछ राजनीतिक अधिकार सौंप देंगे लेकिन कूटनीति का सहारा लेते हुए ब्रिटिश शासकों ने भारत के सहयोग का जवाब रौलट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड ,हंटर रिपोर्ट आदित्य रूप में दिया अंग्रेज द्वारा भाग्य जनमानस की चाकू घुसाने पर गांधी क्षुबोध होकर 1920 में एक और तो कैसरे ए हिंद की उपाधि लौटा दी और साथ ही सत्याग्रह आंदोलन के जरिए असहयोग आंदोलन का सूत्रपात कर दिया! इस आंदोलन में उन्होंने भारतीय जनता से निम्न प्रकार से सहयोग और ब्रितानी सरकार के प्रति और सहयोग की मांग की 1) सभी सरकारी शिक्षक संस्थाओं का बहिष्कार 2) सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र 3) अंग्रेजी सरकार द्वारा करवाए जाने वाले चुनाव का बहिष्कार 4) सरकारी अदालतों का त्याग 5) विदेशी वस्तुओं का पूर्ण बहिष्कार 6) सरकारी उत्सवों से इनकार 7)भारतीय मजदूरों का मेसोपोटामिया जाने से इनकार गांधी जी ने कहा था कि यदि असहयोग की गठन ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भारत के 1 वर्ष के भीतर स्वराज प...

Asahyog Andolan

Asahyog Andolan : असहयोग आंदोलन की शुरुआत गांधी जी ने भारत के पूर्ण स्वराज्य के लिए की थी. सन 1915 में जब गांधी जी साउथ अफ्रीका की यात्रा करके बाढ़ से लौटते हैं उसके बाद उन्होंने कई आंदोलन किए जिनमें से एक खिलाफत आंदोलन भी था जो कि 1920 मैं प्रारंभ हुआ था. खिलाफत आंदोलन में गांधी जी की भूमिका बहुत ही अच्छी थी. और यह आंदोलन बहुत अच्छा भी चला लेकिन इन सबके बावजूद भी अंग्रेज सरकार पर कोई असर नहीं हुआ था. जब अंग्रेज सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के मुसलमानों से वादा किया था कि वह तुर्की देश को कुछ नहीं करेंगे. क्योंकि तुर्की देश मुसलमानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. लेकिन 1920 आते आते अंग्रेज अपने वादे से मुकर गए और तुर्की देश का विभाजन कर दिया और एक हिस्सा ब्रिटेन में ले लिया दूसरा हिस्सा फ्रांस में ले लिया. खिलाफत आंदोलन करने के बावजूद भी अंग्रेजों ने महात्मा गांधी जी की बात नहीं मानी तो गांधी जी ने सुझाव दिया कि अंग्रेज ऐसे हमारी बात मानने वाले नहीं हैं हमें कुछ और करना होगा. गांधी जी ने सुझाव दिया कि हम अंग्रेजों का किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं करेंगे. गांधी जी की यह बात खिलाफत आंदोलन के कार्यकर्ताओं और लोगों को बहुत पसंद आई और उन्होंने कहा है कि हम इस बात पर सहमत हैं और हम इस आंदोलन में भी आपका साथ देंगे. जिसे बाद में असहयोग आंदोलन के नाम से जाना गया. विषय-सूची 1 • • • • • • असहयोग आन्दोलन (Asahyog Andolan) प्रारंभ 1 अगस्त 1920 कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन 25 दिसंबर 1920 चौरी चौरा कांड 5 फरवरी 1922 (गोरखपुर) समाप्त 5 फ़रवरी 1922 1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को प्रारंभ कर दिया. लेकिन इस आंदोलन के चालू होने के कुछ समय बाद ही इसके प्रमुख नेता बाल गंगा...

असहयोग आंदोलन 1920

आधुनिक भारत का इतिहास: असहयोग आंदोलन 1920 ( Non Cooperation Movement 1920 in Hindi) देश की स्वतंत्रता के लिए कई तरह के आंदोलन और सत्याग्रह हुए, उनमे से एक असहयोग आंदोलन भी था.इस आंदोलन की रूपरेखा देश की प्रमुख पार्टी कांग्रेस ने गांधीजी की दिशा-निर्देशों में तय की थी और पूरे देश में व्यापक स्तर पर इस आंदोलन का प्रभाव पड़ा. लोगों ने बहुत ही उत्साह के साथ इसमें हिस्सा लिया,जिसमें 7 साल के बच्चे से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग और सभी वर्गों के लोग शामिल थे. ये आंदोलन इसलिए भी प्रभावी रहा क्योंकि भले ही अंग्रेजों के प्रति लोगों में अलग-अलग स्तर का आक्रोश था लेकिन हर किसी का सपना सिर्फ स्वतंत्रता प्राप्त करना था. आंदोलन का नाम असहयोग आंदोलन आंदोलन की शुरुआत 1 अगस्त 1920 आंदोलन का नेतृत्व किसने किया आंदोलन का कारण आंदोलन की समाप्ति 12 फरवरी 1922 आंदोलन की समाप्ति का कारण असहयोग आंदोलन क्या हैं ? (What is Non Cooperation Movement) जैसा कि नाम से समझा जा सकता हैं, असहयोग मतलब सहयोग ना देना । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था अंग्रेज़ो को देश चलाने में सहायता ना करना अपितु असहयोग देना लेकिन इसका सबसे बड़ा नियम था इसमे किसी भी तरह की हिंसा नहीं की जायेगी । अहयोग इस तरह दिखाया जायेगा जैसे ब्रिटिश सरकारों के सानिध्य में बनी शाला में अध्ययन ना करना , सरकारी दफ्तर में काम ना करना, सरकार द्वारा दिये गये औदे एवं पुरस्कारों को लौटना, विदेशी माल का बहिष्कार करना, हिन्दी भाषा बोलना, स्वदेशी कपड़े पहनना आदि जिससे अंग्रेज़ो के कार्यों में बाधा पहुँचे और उनके लिए देश चलाना मुश्किल हो जाये। असहयोग आंदोलन के क्या कारण हैं ?(Reasons behind Non Coperation Movement) • जब भारतीय समाज के हर वर्ग में अंग्रेजों के...

Asahyog Andolan

Table of Contents 1. असहयोग आन्दोलन की पृष्ठभूमि • · रॉलेट एक्ट,1919 • · जालियाँवाला बाग हत्याकांड • · पंजाब में मार्शल लॉ • · हंटर आयोग • · मोंटेग्यू- चेम्सफोर्ड सुधार • · आर्थिक कठिनाइयाँ • · खिलाफत का मुद्दा 2. असहयोग आन्दोलन की शुरुआत • · कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन • · कांग्रेस का नागपुर अधिवेशन 3. असहयोग आन्दोलन की प्रगति • · शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार • · वकालत का बहिष्कार • · तिलक स्वराज्य फ़ण्ड • · प्रिन्स ऑफ़ वेल्स का बहिष्कार 4. असहयोग आंदोलन के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया 5. अंग्रेज सरकार की प्रतिक्रिया 6. असहयोग आन्दोलन समाप्ति का निर्णय • · चौरी- चौरा काण्ड • · गाँधी जी की गिरफ्तारी 7. असहयोग आंदोलन को वापस लेने का कारण 8. असहयोग आंदोलन की सफलताएं - उपलब्धियां 9. असहयोग आंदोलन से जुड़े व्यक्तित्व 10. FAQ 1. असहयोग आन्दोलन (Asahyog Andolan) की पृष्ठभूमि | असहयोग आन्दोलन ( Non Cooperation Movement) के कारण I. रॉलेट एक्ट, 1919 (Rowlatt Act, 1919) सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर बनाया गया रॉलेट एक्ट, बिना वारंट के तलाशी, गिरफ़्तारी तथा बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को रद्द करने की शक्ति आदि असाधारण शक्तियां सरकार को दे दी गयी। रॉलेट एक्ट को भारतवासियों ने " काला कानून" कहा और इसके विरुद्ध तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। Read more - रॉलेट एक्ट, 1919 II. जालियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) 13, अप्रैल 1919 में अमृतसर में एक अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में एकत्रित लोगों की एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का आदेश दिया। जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए। हाउस ऑफ लॉर्ड्स ( ब्रिटिश संसद के) में जलियांवाला बाग...

Asahyog Andolan

Table of Contents 1. असहयोग आन्दोलन की पृष्ठभूमि • · रॉलेट एक्ट,1919 • · जालियाँवाला बाग हत्याकांड • · पंजाब में मार्शल लॉ • · हंटर आयोग • · मोंटेग्यू- चेम्सफोर्ड सुधार • · आर्थिक कठिनाइयाँ • · खिलाफत का मुद्दा 2. असहयोग आन्दोलन की शुरुआत • · कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन • · कांग्रेस का नागपुर अधिवेशन 3. असहयोग आन्दोलन की प्रगति • · शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार • · वकालत का बहिष्कार • · तिलक स्वराज्य फ़ण्ड • · प्रिन्स ऑफ़ वेल्स का बहिष्कार 4. असहयोग आंदोलन के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया 5. अंग्रेज सरकार की प्रतिक्रिया 6. असहयोग आन्दोलन समाप्ति का निर्णय • · चौरी- चौरा काण्ड • · गाँधी जी की गिरफ्तारी 7. असहयोग आंदोलन को वापस लेने का कारण 8. असहयोग आंदोलन की सफलताएं - उपलब्धियां 9. असहयोग आंदोलन से जुड़े व्यक्तित्व 10. FAQ 1. असहयोग आन्दोलन (Asahyog Andolan) की पृष्ठभूमि | असहयोग आन्दोलन ( Non Cooperation Movement) के कारण I. रॉलेट एक्ट, 1919 (Rowlatt Act, 1919) सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर बनाया गया रॉलेट एक्ट, बिना वारंट के तलाशी, गिरफ़्तारी तथा बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को रद्द करने की शक्ति आदि असाधारण शक्तियां सरकार को दे दी गयी। रॉलेट एक्ट को भारतवासियों ने " काला कानून" कहा और इसके विरुद्ध तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। Read more - रॉलेट एक्ट, 1919 II. जालियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) 13, अप्रैल 1919 में अमृतसर में एक अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में एकत्रित लोगों की एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का आदेश दिया। जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए। हाउस ऑफ लॉर्ड्स ( ब्रिटिश संसद के) में जलियांवाला बाग...

महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन का महत्व : Asahyog andolan

असहयोग आंदोलन: असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 ईस्वी में हुई थी और इसका उद्देश्य अहिंसा के जरिए भारत में ब्रिटिश शासक का विरोध करना था! इसके अंतर्गत तय किया गया कि विरोध प्रदर्शनकारी ब्रिटेन के माल को खरीदने से इंकार करेंगे और अस्थाई हस्तशिल्प की वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे तथा शराब की दुकानों के आगे बढ़ने देंगे ऐसा के विचार और गांधी जी के कुशल नेतृत्व मैप करोड़ों नागरिक भारत की स्वाधीनता के आंदोलन में शामिल हो गए! 1919 से 1922 के मध्य अंग्रेज हुकूमत के विरुद्ध दो सशक्ति जन आंदोलन चलाया गए जिसने भारत स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत सेना ने किस शर्त पर बेटी राज्य को योगदान दिया था! कि इसके बाद बेटी राज्य भारत की जनता को कुछ राजनीतिक अधिकार सौंप देंगे लेकिन कूटनीति का सहारा लेते हुए ब्रिटिश शासकों ने भारत के सहयोग का जवाब रौलट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड ,हंटर रिपोर्ट आदित्य रूप में दिया अंग्रेज द्वारा भाग्य जनमानस की चाकू घुसाने पर गांधी क्षुबोध होकर 1920 में एक और तो कैसरे ए हिंद की उपाधि लौटा दी और साथ ही सत्याग्रह आंदोलन के जरिए असहयोग आंदोलन का सूत्रपात कर दिया! इस आंदोलन में उन्होंने भारतीय जनता से निम्न प्रकार से सहयोग और ब्रितानी सरकार के प्रति और सहयोग की मांग की 1) सभी सरकारी शिक्षक संस्थाओं का बहिष्कार 2) सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र 3) अंग्रेजी सरकार द्वारा करवाए जाने वाले चुनाव का बहिष्कार 4) सरकारी अदालतों का त्याग 5) विदेशी वस्तुओं का पूर्ण बहिष्कार 6) सरकारी उत्सवों से इनकार 7)भारतीय मजदूरों का मेसोपोटामिया जाने से इनकार गांधी जी ने कहा था कि यदि असहयोग की गठन ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भारत के 1 वर्ष के भीतर स्वराज प...

असहयोग आंदोलन 1920

आधुनिक भारत का इतिहास: असहयोग आंदोलन 1920 ( Non Cooperation Movement 1920 in Hindi) देश की स्वतंत्रता के लिए कई तरह के आंदोलन और सत्याग्रह हुए, उनमे से एक असहयोग आंदोलन भी था.इस आंदोलन की रूपरेखा देश की प्रमुख पार्टी कांग्रेस ने गांधीजी की दिशा-निर्देशों में तय की थी और पूरे देश में व्यापक स्तर पर इस आंदोलन का प्रभाव पड़ा. लोगों ने बहुत ही उत्साह के साथ इसमें हिस्सा लिया,जिसमें 7 साल के बच्चे से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग और सभी वर्गों के लोग शामिल थे. ये आंदोलन इसलिए भी प्रभावी रहा क्योंकि भले ही अंग्रेजों के प्रति लोगों में अलग-अलग स्तर का आक्रोश था लेकिन हर किसी का सपना सिर्फ स्वतंत्रता प्राप्त करना था. आंदोलन का नाम असहयोग आंदोलन आंदोलन की शुरुआत 1 अगस्त 1920 आंदोलन का नेतृत्व किसने किया आंदोलन का कारण आंदोलन की समाप्ति 12 फरवरी 1922 आंदोलन की समाप्ति का कारण असहयोग आंदोलन क्या हैं ? (What is Non Cooperation Movement) जैसा कि नाम से समझा जा सकता हैं, असहयोग मतलब सहयोग ना देना । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था अंग्रेज़ो को देश चलाने में सहायता ना करना अपितु असहयोग देना लेकिन इसका सबसे बड़ा नियम था इसमे किसी भी तरह की हिंसा नहीं की जायेगी । अहयोग इस तरह दिखाया जायेगा जैसे ब्रिटिश सरकारों के सानिध्य में बनी शाला में अध्ययन ना करना , सरकारी दफ्तर में काम ना करना, सरकार द्वारा दिये गये औदे एवं पुरस्कारों को लौटना, विदेशी माल का बहिष्कार करना, हिन्दी भाषा बोलना, स्वदेशी कपड़े पहनना आदि जिससे अंग्रेज़ो के कार्यों में बाधा पहुँचे और उनके लिए देश चलाना मुश्किल हो जाये। असहयोग आंदोलन के क्या कारण हैं ?(Reasons behind Non Coperation Movement) • जब भारतीय समाज के हर वर्ग में अंग्रेजों के...

Explainer

अनेककान्ग्रेसियोंकोगांधीजीकीनीतियोंमेंविश्वासनहींरहा।सत्याग्रहकेऔचित्यकेबारेमेंप्रश्नपूछेजानेलगे।पार्टीकेनेताओंद्वाराकांग्रेसपरअधिकसशक्तनीतिअपनाएजानेकेलिएदबावडालाजानेलगा।कांग्रेसजनोंमेंइसबातपरबहसशुरूहोगईकिनिष्क्रियताकेकालमेंक्याकियाजाए।कांग्रेसकेअन्दरविद्रोहकीसंभावनाबढ़तीजारहीथी।इसपरिस्थितिने 'स्वाराजियों' केउदयकीपृष्ठभूमितैयारकरदीथी। विधान-परिषद्केबहिष्कारकेप्रश्नपरमतभेद जून 1922 मेंभारतीयराष्ट्रीयकांग्रेसकमेटीनेभावीकार्यक्रमनिश्चितकरनेकेलिए 'सविनयअवज्ञाजांचसमिति' कीस्थापनाकी।इसकेसदस्योंमेंसेजहांअंसारी, चक्रवर्तीराजगोपालाचार्य, सरदारवल्लभभाईपटेल, सेठजमनालालबजाजऔरकस्तूरीरंगाआयंगारनेरपटदीकिदेशअभीभीएकआमऔरजनव्यापीनागरिकअवज्ञाआन्दोलनचलानेकेलिएतैयारनहींहै, औरकाउंसिलकाबहिष्कारकरगांवोंमेंगांधीवादीरचनात्मककामकरनाचाहिए, वहींदेशबंधुसी.आर. दास, मोतीलालनेहरू, नरसिंहचिन्तामणिकेलकर, एम.आर. जयकर, हकीमअज़मलख़ांऔरविट्ठलभाईपटेलकौंसिलोंकेबहिष्कारकेपक्षमेंनहींथे। वे सेंट्रललेजिस्लेटिवअसेंबली केन्द्रीयविधान-मंडलकेउच्चसदनकानामथाराज्यकौंसिल (कौंसिलऑफस्टेट्स), जिसमेंअधिकांशअधिकारीकेसदस्यनामज़दथे।निम्नसदनकोकेन्द्रीयविधिपरिषद (सेंट्रललेजिस्लेटिवअसेंबली) कहाजाताथा।इसकेएकतिहाईसदस्ययातोअंग्रेज़अफ़सरयाउनकेद्वारानामज़दभारतीयथे।केन्द्रीयविधिपरिषदकोसारेबजटकेसातवेंहिस्सेपरविचारकरनेकाअधिकारथा।उसकेद्वाराअस्वीकृतप्रस्तावोंकोभीवायसरायअपनेविशेषाधिकारसेकानूनकारूपदेसकताथा।प्रांतीयशासनतोऔरभीविचित्रथा। कुछविभागतोमंत्रियोंकोसौंपेगएथे, लेकिनवित्त, न्यायआदिकईविभागअधिकारियोंकेजिम्मेकरदिएगएथे।येअधिकारीप्रांतीयविधि-परिषदोंकेप्रतिनहीं, गवर्नरकेप्रतिजिम्मेवारथे।गवर्नरकोवीटोकाअधिकारथा।जोनेताकौंसिलमेंजानेकेपक्षमेंथे, उनकामाननाथाकिन...