अष्ट लक्ष्मी फोटो

  1. Vastu Tips : घरी आणा मातीपासून बनवलेल्या 'या' 6 वस्तू, लक्ष्मी होईल प्रसन्न; हाती पैसाच पैसा । Vastu Tips : Bring home these 6 things made of Mud, Goddess Lakshmi will be happy; Money will be drawn like a magnet
  2. 800 साल पुराना है मां लक्ष्मी का यह मंदिर, दर्शनमात्र से दूर होती है गरीबी
  3. know the ashtma laxmi and paribhasha yog yoga benefits in horoscope according to astrology
  4. अष्टलक्ष्मि स्तॊत्रं
  5. How To Do Lakshmi Puja
  6. इस विधि से करें माता लक्ष्मी की पूजा सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण !
  7. अष्ट लक्ष्मी परब्रह्म का
  8. अष्ट लक्ष्मी


Download: अष्ट लक्ष्मी फोटो
Size: 20.56 MB

Vastu Tips : घरी आणा मातीपासून बनवलेल्या 'या' 6 वस्तू, लक्ष्मी होईल प्रसन्न; हाती पैसाच पैसा । Vastu Tips : Bring home these 6 things made of Mud, Goddess Lakshmi will be happy; Money will be drawn like a magnet

Vastu Tips : घरी आणा मातीपासून बनवलेल्या 'या' 6 वस्तू, लक्ष्मी होईल प्रसन्न; हाती पैसाच पैसा Vastu Money Tips: माता लक्ष्मी प्रसन्र झाली की तुमच्या हातात पैसाच पैसा येईल. मात्र, त्यासाठी काही गोष्टी कराव्या लागती. हिंदू धर्मात लक्ष्मीला विशेष स्थान आहे. शुक्र ग्रह सौंदर्य, संपत्ती आणि व्यापाराचा कारक मानला जातो. घरात मातीपासून बनवलेल्या काही वस्तू ठेवल्याने सुख-संपत्ती मिळते असे मानले जाते. यासोबतच शुक्राच्या शक्तीमुळे चंद्र आणि शनीचे दोषही कमी होतात. ही काळजी घ्या. काजळी घेतली नाही तर लक्ष्मी नाराज होईल.घरातील झाडे आणि रोपे नेहमी मातीच्या किंवा सिरॅमिक कुंड्यांमध्ये लावावीत. रोपे लावण्यासाठी प्लास्टिकची भांडी वापरु नका, यामुळे नकारात्मकता वाढू शकते. (Disclaimer: येथे दिलेली माहिती सामान्य गृहीतके आणि माहितीवर आधारित आहे. ZEE 24 TAAS याची पुष्टी करत नाही.)

800 साल पुराना है मां लक्ष्मी का यह मंदिर, दर्शनमात्र से दूर होती है गरीबी

सौरभ तिवारी/बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में लक्ष्मी जी का एक मात्र प्राचीन मंदिर इकबीरा पहाड़ी रतनपुर कोटा मार्ग पर है. धन वैभव, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मां महालक्ष्मी का यह प्राचीन मंदिर हजारों-लाखों भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर में पवित्र मन से देवी की आराधना करने से दुख, दरिद्रता, रोग, शोक का शमन होता है और जीवन में खुशहाली आती है. महालक्ष्मी का यह मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. लखनी देवी शब्द लक्ष्मी का ही अपभ्रंश है, जो साधारण बोलचाल की भाषा में रूढ़ हो गया है, जिस पर्वत पर यह मंदिर स्थित है इसके भी कई नाम हैं. इसे इकबीरा पर्वत, वाराह पर्वत, श्री पर्वत और लक्ष्मीधाम पर्वत के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के प्रधानमंत्री गंगाधर ने साल 1179 में कराया था. उस समय इस मंदिर में जिस देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी उसे इकबीरा देवी व स्तंभिनी देवी कहा जाता था. मंदिर के बनते ही महामारी राज्य से हुई खत्म प्राचीन किवंदती के अनुसार, राजा रत्नदेव तृतीय के साल 1178 में राज्यारोहण करते ही सारी प्रजा दुर्भिक्ष, अकाल व महामारी से त्रस्त हो उठी थी और राजकोष खाली हो चुका था. ऐसी विकट स्थिति में राजा के विद्वान मंत्री पंडित गंगाधर ने लक्ष्मी देवी मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर के बनते ही अकाल व महामारी राज्य से खत्म हो गई और सुख, समृद्धि, खुशहाली फिर से लौट आई. तबसे आज तक लखनी देवी मंदिर की मान्यता और इसके प्रति लोगों की आस्था बढ़ते ही चली आ रही है. मां की पूजा से होती है सुख-समृद्धि की प्राप्ति खास बात यह है कि इस मंदिर की आकृति शास्त्रों में वर्णित पुष्पक विमान की तरह है और इसके अंदर श्रीयंत्र उत्कीर्ण है. रोजाना पूजा ...

know the ashtma laxmi and paribhasha yog yoga benefits in horoscope according to astrology

Shubh Yog In Kundli: वैदिक ज्योतिष अनुसार हर ग्रह अशुभ और शुभ योग बनाते हैं। साथ ही ये शुभ योग जिन व्यक्ति की कुंडली में होते हैं वह धनवान होते हैं और समाज में यश- प्रतिष्ठा पाते हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं राहु ग्रह के बनने वाले 3 योगों के बारे में, जिनका नाम है अष्ट लक्ष्मी योग, परिभाषा योग और योग लग्नकारक योग। ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में ये शुभ होते हैं ऐसे व्यक्तियों के जीवन में धन का अभाव कभी नहीं रहता है। साथ ही वह उनको सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कैसे बनते हैं ये योग और मानव जीवन पर इसका प्रभाव… 1- अष्ट लक्ष्मी योग: वैदिक ज्योतिष अनुसार इस योग का निर्माण व्यक्ति की जन्म कुंडली में तब होता है जब राहु कुंडली के छठे भाव में और गुरु दशम भाव में स्थित हों तो अष्ट लक्ष्मी योग का निर्माण होता है। राहु के प्रभाव से ऐसे लोग राजनीति में खूब सफलता पाते हैं। साथ ही समाज में इनकी खूब प्रतिष्ठा होती है। ये लोग बुद्धिमान, बोलचाल में चातुर्य भी होते हैं। साथ ही अच्छे वक्ता और लेखक होते हैं। ये लोग मिलनसार भी होते हैं। साथ ही सामाजिक काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। 2- परिभाषा योग: ज्योतिष मुताबिक इस योग का निर्माण तब होता है जब राहु ग्रह लग्न में या 3, 6, 11 में से किसी भी स्थान में हो तो परिभाषा योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। साथ ही वह कार्यक्षेत्र में अच्छी तरक्की पाता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव मिलता है। ये लोग विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी शांत बने रहते हैं। साथ ही राहु ग्रह के प्रभाव से ये लोग जोखिम उठाने...

अष्टलक्ष्मि स्तॊत्रं

Ashta Lakshmi Stotram Lyrics in Marathi ॥ अष्टलक्ष्मि स्तॊत्रं ॥ ॥ श्री आदिलक्ष्मि ॥ सुमनसवंदित सुंदरि माधवि, चंद्र सहॊदरि हॆममयॆ । मुनिगणवंदित मॊक्षप्रदायिनि, मंजुळभाषिणि वॆदनुतॆ ॥ पंकजवासिनि दॆवसुपूजित, सद्गुणवर्षिणि शांतियुतॆ । जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालयमाम ॥१॥ ॥ श्री धान्यलक्ष्मि ॥ अयि कलिकल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वॆदमयॆ । क्षीरसमुद्भवमंगलरूपिणि, मंत्रनिवासिनि मंत्रनुतॆ ॥ मंगलदायिनि अंबुजवासिनि, दॆवगणाश्रितपादयुतॆ । जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि, धान्यलक्ष्मि सदा पालयमाम ॥२॥ ॥ श्री धैर्य लक्ष्मि ॥ जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मंत्रस्वरूपिणि मंत्रमयॆ । सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुतॆ ॥ भवभयहारिणि पापविमॊचनि, साधुजनाश्रित पादयुतॆ । जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि, धैर्यलक्ष्मि सदा पालयमाम ॥३॥ ॥ श्री गजलक्ष्मि ॥ जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रदशास्त्रमयॆ । रथगजतुरगपदातिसमावृत, परिजनमंडित लॊकसुतॆ ॥ हरिहरब्रह्म सुपूजित सॆवित, तापनिवारिणि पादयुतॆ । जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि, गजलक्ष्मि सदा पालयमाम ॥४॥ ॥ श्री संतानलक्ष्मि ॥ अयि खगवाहिनि मॊहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमयॆ । गुणगण वारिधि लॊकहितैषिणि, स्वरसप्तभूषित गाननुतॆ ॥ सकल सुरासुर दॆवमुनीश्वर, मानववंदित पादयुतॆ । जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि, संतानलक्ष्मि सदा पालयमाम ॥५॥ ॥ श्री विजयलक्ष्मि ॥ जय कमलासिनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि ज्ञानमयॆ । अनुदिनमर्चित कुंकुमधूसर, भूषितवासित वाद्यनुतॆ ॥ कनकधरास्तुति वैभववंदित, शंकरदॆशिक मान्यपदॆ । जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि, विजयलक्ष्मि सदा पालयमाम ॥६॥ ॥ श्री विद्यालक्ष्मि ॥ प्रणत सुरॆश्वरि भारति भार्गवि, शॊकविनाशिनि रत्नमयॆ । मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शांतिसमावृत हास्यम...

How To Do Lakshmi Puja

Lakshmi puja : मां लक्ष्मी को करना चाहते हैं प्रसन्न, तो इस खास विधि से करें उनकी पूजा Friday lakshmi puja : शुक्रवार के दिन अगर आप व्रत नहीं रख रहे तो भी पूजन की कुछ खास विधि के साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पा सकते हैं. माता लक्ष्मी की पूजा से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं, जिनके बारे में आज हम यहां बता रहे हैं. Puja vidhi : मां लक्ष्मी की पूजा यूं तो आप हफ्ते के हर दिन कर सकते हैं, लेकिन शुक्रवार को देवीकी खास पूजा होती है. इस दिन महिलाएं वैभव लक्ष्मी का व्रत भी रखती हैं और विधिवत पूजा कर मां को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं. शुक्रवार के दिन अगर आप व्रत नहीं रख रहे तो भी पूजन की कुछ खास विधि के साथ आप माता लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं. देवी लक्ष्मी (devi lakshmi puja vidhi) की पूजा से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं, जिनके बारे में आज हम यहां बता रहे हैं. माता लक्ष्मी की पूजा खासकर शाम के वक्त होती है. शुक्रवार की शाम आप हाथ-पैर धोकर साफ कपड़े पहनकरअष्ट लक्ष्मी की पूजा करें. अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर पर गुलाब का फूल चढ़ाएं, फिर धूप-दीप दिखाएं. इसके बाद‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा' का जाप करें. माना जाता है कि इस तरह पूजा करने से माता सभी इच्छाएं पूरी करती हैं. लक्ष्मी-नारायण की करें पूजा भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी के स्वामी यानी उनके पति हैं, ऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो विष्णु भगवान की पूजा भी करनी चाहिए. शाम के वक्त मां लक्ष्मी के साथ ही आप विष्णु भगवान की भी पूजा करें. माना जाता है कि गहरे गुलाबी रंग के कपड़े में श्री यंत्र और मां अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित कर इस दिन पूजा करने से घर में संपन्नता आती है. अष्टगंध चढ़ाएं शुक...

इस विधि से करें माता लक्ष्मी की पूजा सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण !

Facebook Twitter WhatsApp Instagram Linkedin Koos Puja vidhi :मां लक्ष्मी की पूजा यूं तो आप हफ्ते के हर दिन कर सकते हैं, लेकिन शुक्रवार को देवीकी खास पूजा होती है. इस दिन महिलाएं वैभव लक्ष्मी का व्रत भी रखती हैं और विधिवत पूजा कर मां को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं. शुक्रवार के दिन अगर आप व्रत नहीं रख रहे तो भी पूजन की कुछ खास विधि के साथ आप माता लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं. देवी लक्ष्मी (devi lakshmi puja vidhi) की पूजा से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं, जिनके बारे में आज हम यहां बता रहे हैं. अष्ट लक्ष्मी का करें ध्यान माता लक्ष्मी की पूजा खासकर शाम के वक्त होती है. शुक्रवार की शाम आप हाथ-पैर धोकर साफ कपड़े पहनकरअष्ट लक्ष्मी की पूजा करें. अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर पर गुलाब का फूल चढ़ाएं, फिर धूप-दीप दिखाएं. इसके बाद‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा' का जाप करें. माना जाता है कि इस तरह पूजा करने से माता सभी इच्छाएं पूरी करती हैं. लक्ष्मी-नारायण की करें पूजा भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी के स्वामी यानी उनके पति हैं, ऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो विष्णु भगवान की पूजा भी करनी चाहिए. शाम के वक्त मां लक्ष्मी के साथ ही आप विष्णु भगवान की भी पूजा करें. माना जाता है कि गहरे गुलाबी रंग के कपड़े में श्री यंत्र और मां अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित कर इस दिन पूजा करने से घर में संपन्नता आती है. अष्टगंध चढ़ाएं शुक्रवार की शाम मां अष्ट लक्ष्मी के साथ ही श्री यंत्र को अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए. इसके साथ ही देवी की आरती करें. माना जाता है कि ऐसा करने से मन को शांति मिलती है, घर में धन-धान्य आता है. माना जाता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पू...

अष्ट लक्ष्मी परब्रह्म का

संसार का सबसे बड़ा भ्रम संपत्ति है। धन व्यक्‍ति के कौशल व गुणों द्वारा कमाया जाता है, या परिवार से प्राप्त किया जाता है। या फिर भ्रष्ट तरीकों से। इस भ्रष्ट आचरण के पीछे केवल एक ही कारण होता है, और वह है- शांति व खुशी! फिर भी ये अस्तित्वहीन ही रहते हैं, कारण होता है कमाई का भ्रष्ट रास्ता। ऐसी धारणाएं कि धन की प्राप्ति से स्वतंत्रता, स्वामित्व और सुरक्षा मिलती है, माया का ही एक अभिन्न अंग है। संस्कृत में एक कहावत है, जिसका अर्थ है कि जिसे मापा जा सकता है, वही माया है। अत: प्रत्येक साधन या चीज जिसका माप किया जा सके, माया है.. और धन ऐसा ही एक साधन है। जब प्रेम, स्नेह, सत्य, विवेक और स्वयं जीवन को भी मूल्यांकित कर दिया जाता है, तब मानवीय मूल्यों का संहार हो जाता है। ये सब मूल्यांकन से परे हैं, अत: इनका मूल्य तय हो पाना असंभव है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने धन को परब्रह्म का ही एक अभिन्न अंग समझा और इसकी माया से अछूते रहे। उन्होंने धन को विष्णु पत्नी मां लक्ष्मी का सम्मान दिया। उनका जन्म योग बल से हुआ है! योग व्यक्ति के बुरे कर्मों के प्रभाव को नष्ट कर, उसके छिपे हुए गुणों व कौशल को उभारता है। यह अष्टसिद्धियों व अष्ट लक्ष्मी को देने वाला है। 1 धन भौतिक सुखों का दाता पहले प्रकार की लक्ष्मी वह है जिसे हम सामान्यत: भौतिक लक्ष्मी कहते हैं। 2 स्वास्थ्य धन धन का होना ही पर्याप्त नहीं है। कुछ लोगों के पास धन की कोई कमी नहीं होती, परंतु वे भली प्रकार खा नहीं सकते। वे बीमारियों से जूझ रहे होते हैं- वहां धन नहीं के समान है। और कुछ लोग हैं जिनके पास धन नहीं है, परंतु वे खा-पी सकते हैं और स्वस्थ हैं। 3 विजय लक्ष्मी कुछ लोग धनी परिवार में जन्म तो लेते हैं, पर जीवन में वे जो कुछ भी करते हैं ...

अष्ट लक्ष्मी

माता लक्ष्मी की पूजा (जिनको धन की देवी के नाम से जाना जाता है) को बहुत आदर-सम्मान से दिवाली के पर्व पर पूरे भारत-वर्ष में पूजा जाता है। नारायण लक्ष्य है और लक्ष्मी जी उन तक पहुँचने का एक साधन। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकरजी ने इन आठ प्रकार के धन या अष्ट लक्ष्मी के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। यहां अष्ट लक्ष्मी पर मूल हिंदी वार्तालाप के अंश हैं : आदि लक्ष्मी धन लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी धान्य लक्ष्मी धैर्य लक्ष्मी संतान लक्ष्मी विजय लक्ष्मी राज लक्ष्मी आदि लक्ष्मी | Adi Lakshmi आपने कभी सोचा है कि आप इस दुनिया में कैसे आए हैं? आपकी उम्र क्या है? 30,40,50 साल? यह 50 साल पहले मैं कहां था? मेरा स्रोत कहां है? मेरा मूल क्या है? मैं कौन हूं? 35-40-50 वर्षों के बाद, यह शरीर नहीं रहेगा! मैं कहां जाऊंगा? मैं कहां से आया हूं? क्या मैं यहां आया हूं या हर समय यहां हूं? हमारे मूल का ज्ञान, स्रोत का ज्ञान हो जाना ही आदि लक्ष्मी है। तब नारायण बहुत पास ही है। जिस व्यक्ति को स्रोत का ज्ञान हो जाता है, वह सभी भय से मुक्त हो जाता है और संतोष और आनंद प्राप्त करता है। यह आदि लक्ष्मी है। आदि लक्ष्मी केवल ज्ञानियों के पास होती है और जिनके पास आदिलक्ष्मी हुई, समझ लो उनको भी ज्ञान हो गया। ___________________________ धन लक्ष्मी | Dhana Lakshmi हर कोई धन लक्ष्मी के बारे में जानते ही हैं। धन की चाह से और अभाव से ही आदमी अधर्म करता है। धन की चाह के कारण कई लोग हिंसा, चोरी, धोखाधड़ी जैसे गलत काम करते हैं मगर जाग के नहीं देखते की मेरे पास है। जोर जबरदस्ती के साथ धन लक्ष्मी आती नहीं है। अगर आती भी है तो वो आनंद नहीं देती। सिर्फ दुःख ही दुःख देती है। कुछ लोग केवल धन को ही लक्ष्मी मान लेते हैं और धन एकत्र...