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  1. NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 कारक विभक्तिः तथा उपपद विभक्तिः
  2. NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 14 अपठितं
  3. Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शब्द
  4. संस्कृत: संधि परिभाषा,भेद और उदाहरण Sanskrit sandhi [Sanskrit Grammar]
  5. Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादकार्यम्
  6. NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 सुभाषितानि
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NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 कारक विभक्तिः तथा उपपद विभक्तिः

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 कारक विभक्तिः तथा उपपद विभक्तिः अधोदत्तेषु वाक्येषु विभक्ति-प्रयोगम् अवलोकयत। [नीचे दिए गए वाक्यों में विभक्ति का प्रयोग देखिए। Examine the use of case (faufael) in the sentences given below.] (क) • अहं कलमेन लिखामि। • छात्राः पठनाय गच्छन्ति। • पत्राणि वृक्षात् पतन्ति । (ख) • सीता रामेण सह वनम् अगच्छत् । • सूर्याय नमः ।। • बालः गृहात् बहिः क्रीडति । उपरिलिखित वाक्यों में, रेखांकित शब्दों में लगी विभक्ति का क्या कारण है? आइए समझें। (Let us understand the use of विभक्ति, in the words underlined, in the above sentences.) दोनों खण्डों में वाक्य-संख्या (1) में तृतीया विभक्ति, वाक्य-संख्या (2) में चतुर्थी तथा वाक्य-संख्या (3) में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग हुआ है, किन्तु प्रयोग का कारण भिन्न है। उपरिलिखित वाक्यों से स्पष्ट है कि विभक्ति का प्रयोग दो बातों पर आधारित है • कारक • उपपद वाक्य में प्रयुक्त शब्द का, वाक्य में आई क्रिया से जो सम्बन्ध होता है, उसके अनुसार शब्द में जो विभक्ति लगती है, उसे कारक विभक्ति कहते हैं; यथा—क्रिया के कर्ता में प्रथमा, क्रिया के कर्म में द्वितीया इत्यादि। जो विभक्ति, वाक्य में प्रयुक्त किसी उपपद (पद-विशेष) के कारण लगती है, वह उपपद-विभक्ति कहलाती है; यथा-‘सह’ के योग में तृतीया, ‘नम:’ के योग में चतुर्थी आदि। कारक-विभक्तिः 1. कर्ता कारक-(NominativeCase) राधिका गच्छति। -राधिका–कर्ता-प्रथमा विभक्तिः कर्ता = वाक्य में आई क्रिया को करने वाला (Agent of the action/Subject of the sentence) 2. कर्म कारक-(AccusativeCase) राधिका विदेशं गच्छति। विदेशम्-कर्म-द्वितीया विभक्तिः कर्म = वाक्य में आने वाली क्रिया का कर्म (O...

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 14 अपठितं

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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शब्द

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संस्कृत: संधि परिभाषा,भेद और उदाहरण Sanskrit sandhi [Sanskrit Grammar]

व्यंजन सन्धि जब व्यञ्जन के सामने कोई व्यंजन अथवा स्वर आता है तब 'हल्' (व्यंजन) सन्धि होती है। व्यंजन संधि (हल् सन्धि) भी कहा जाता है व्यंजन सन्धि के नियम नियम (1) शचुत्व संधि (श्तोश्चुनाश्चु) यदि स् अथवा त वर्ग (त, थ, द, ध, न) के बाद या पहले श् अथवाच वर्ग (च, छ, ज, झ, अ) हो तो स् को श् तथा त वर्ग के अक्षरों का क्रमशः च वर्गीय अक्षर हो जाता है। व्यंजन सन्धि के उदाहरण सत् + चरित्रः = सच्चरित्रः सत् + चित् = सच्चित् रामस् + चिनोति = रामश्चिनोति उत् + चारणम् = उच्चारणम् महान् + जयः = महाजय यज् + नः = यज्ञ (ज ञ झ) निस् + शब्द = निश्शब्द नियम (2) ष्टुत्व सन्धि (ष्ट्र नाष्टुः)- यदि स् अथवा त वर्ग (त, थ, द, ध, न) के बाद या पहले ष् अथवा ट वर्ग (ट, ठ, ड, ण) के अक्षर आवे तो स् का ष् त वर्ग , ट वर्ग में बदल जाता है व्यंजन सन्धि के उदाहरण धनुष + टंकार – धनुष्टंकार उद् + डयनम् = उड्डयनम् तत् + टीका– तट्टीका सत् + टीका– सट्टीका षष् + थः = षष्ट पेष् + ता= पेष्टा नियम (3) जस्तव सन्धि- श्पादान्त (झलां जशझशि)--यदि किसी भी वर्ग के प्रथम, द्वितीय अथवा चतुर्थ अक्षर के पश्चात् किसी भी वर्ग का तृतीय अक्षर हो जाता है। प्रथम भाग-यदि वर्गों के पथम अक्षर (क, च, ट, त, प) के बाद घाव य, र, ल, व्, ह्) को छोड़कर कोई भी स्वर या व्यंजन वर्ण आता है तो वह प्रथम अका त. प) अपने वर्ग का तीसरा अक्षर (ग. ज. ड, द, ब) हो जाता हो दिक् + गजः = (क् का तीसरा अक्षर ग् होने पर) दिग्गजः वाक् + दानम् = (क् का तीसरा अक्षर ग् होने पर) वाग्दानम् वाक् + ईशः = (क् का तीसरा अक्षर 'ग्' होने पर) वागीशः अच् + अन्तः = (च का तीसरा अक्षर ज् होने पर) अजन्तः षट् + आननः = (ट् का तीसरा अक्षर ड् होने पर) षडाननः द्वितीय भाग-यदि पद के मध्य मे...

Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादकार्यम्

हिन्दी-वाक्यानि — संस्कृत-वाक्यानि 1. यह वृक्ष है। — एषः वृक्षः अस्ति। 2. ये दो वृक्ष हैं। — एतौ वृक्षौ स्तः। 3. ये वृक्ष हैं। — एते वृक्षाः सन्ति। 4. यह माला है। — एषा माला अस्ति। 5. ये दो मालाएँ हैं। — एतौ वृक्षौ स्तः 6. ये मालाएँ हैं। — एता: मालाः सन्ति। 7. यह फल है। — एतत् फलम् अस्ति। 8. ये दो फल हैं। — एते फले स्तः। 9. ये फल हैं। — एतानि फलानि सन्ति। अनुवादं कुरुत 1. यह पर्वत है। 2. ये दो डण्डे (दण्ड) हैं। 3. ये दर्पण हैं। 4. यह नौका है। 5. ये दो बकरियाँ हैं। 6. ये लताएँ हैं। 7. यह पत्ता है। 8. ये दो पुष्प हैं। 9. ये बीज हैं। सहायक-पदानि 1.पर्वतः 2. दण्डौ 3. दर्पणाः 4. नौका 5. अजे 6. लताः 7. पत्रम् 8. पुष्पे 9. बीजानि। अभ्यास:-2 (प्रश्नवाक्यानि) 1. यह कौन है? — एषः कः अस्ति? 2. ये दो कौन हैं? — एतौ को स्तः? 3. ये सब कौन हैं? — एते के सन्ति? 4. यह कौन (स्त्री) है? — एषा का अस्ति? 5. ये दो कौन (स्त्रियाँ) हैं? — एते के स्तः? 6. ये कौन (स्त्रियाँ) हैं? — एताः काः सन्ति? 7. यह क्या है? — एतत् किम् अस्ति? 8. ये दोनों क्या हैं? — एते के स्त:? 9. ये सब क्या हैं? — एतानि कानि सन्ति? अनुवादं कुरुत 1. यह बालक कौन है? 2. ये दो बालक कौन हैं? 3. ये सब बालक कौन हैं? 4. यह बालिका कौन है? 5. ये दो बालिकाएँ कौन 6. ये सब बालिकाएँ कौन हैं? 7. यह मित्र कौन है? 8. ये दो मित्र कौन हैं? 9. ये सब मित्र कौन हैं? सहायक-पदानि 1. बालकः 2. बालको 3. बालकाः 4. बालिका 5. बालिके 6. बालिकाः 7. मित्रम् 8. मित्रे 9. मित्राणि। अभ्यासः-3 (सर्वनामपदानि) 1. वह कौन है? — सः कः अस्ति? 2. वह राम है। — सः रामः अस्ति। 3. यह कृष्ण है। — एषः कृष्णः अस्ति। 4. वे दो कौन हैं? — तौ कौ स्तः? 5. वे दो छात्र हैं। — तौ छा...

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 सुभाषितानि

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 1 सुभाषितानि Class 8 Sanskrit Chapter 1 सुभाषितानि Textbook Questions and Answers 1. पाठे दत्तानां पद्यानां सस्वरवाचनं कुरुत। उत्तराणि: (पाठ में दिए गए श्लोकों का सस्वर वाचन करें) 2. श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत (श्लोकांशों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें) (क) समुद्रमासाद्य …………………. | उत्तराणि: समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः। (ख) …………………….. वचः मधुरसूक्तरसं सृजन्ति। उत्तराणि: श्रुत्वा वचः मधुरसूक्तरसं सृजन्ति । (ग) तद्भागधेयं ………………………. पशूनाम्। उत्तराणि: तद्भागधेयं परमं पशूनाम् । (घ) विद्याफलं ……………………….. कृपणस्य सौख्यम्। उत्तराणि: विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यम्। (ङ) पौरुषं विहाय यः ………………………. अवलम्बते। उत्तराणि: पौरुषं विहाय यः दैवमेव अवलम्बते। (च) चिन्तनीया हि विपदाम् ……………………. प्रतिक्रियाः उत्तराणि: चिन्तनीया हि विपदाम् आदावेव प्रतिक्रियाः। 3. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत – (प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखें) (क) व्यसनिनः किं नश्यति? उत्तराणि: विद्याफलम्। (ख) कस्य यशः नश्यति? उत्तराणि: लुब्धस्य (ग) मधुमक्षिका किं जनयति? उत्तराणि: माधुर्यम्। (घ) मधुरसूक्तरसं के सृजन्ति? उत्तराणि: सन्तः (ङ) अर्थिनः केभ्यः विमुखा न यान्ति? उत्तराणि: महीरुहेभ्यः । 4. अधोलिखित-तद्भव-शब्दानां कृते पाठात् चित्वा संस्कृतपदानि लिखत (अधोलिखित तद्भव शब्दों के लिए पाठ से चयन करके संस्कृत पद लिखो) यथा – कंजूस – कृपणः कड़वा –…………. पूँछ –…………. लोभी –…………. मधुमक्खी –…………. तिनका –…………. उत्तराणि: कड़वा – कटुकम्। पूँछ – पुच्छः । लोभी – लुब्धः । मधुमक्खी – मधुमक्षिका। तिनका – तृणम्। 5. अधोलिखितेषु वाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च चित्वा लिखत (अधोलि...

अस्ति

अन्तर्विषयाः • १ यन्त्रोपारोपितकोशांशः • १.१ कल्पद्रुमः • १.२ अमरकोशः • १.३ वाचस्पत्यम् • १.४ Apte • १.५ Monier-Williams • १.६ आख्यातचन्द्रिका • १.७ शब्दसागरः • १.८ Purana index यन्त्रोपारोपितकोशांशः [ ] कल्पद्रुमः [ ] पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः अस्ति, व्य, (अस् + स्तिक्) विद्यमानता । तत्पर्य्यायः सत्त्वं २ । इत्यमरः ॥ अस्धातोस्तिपि कृते- ऽप्येतद्रूपं ॥ (यथा चानक्ये । “अतिथिर्बालकश्चैव राजा भार्य्या तथैव च । अस्ति नास्ति न जानन्ति देहि देहि पुनः पुनः” ॥) अमरकोशः [ ] पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः अस्ति अव्य। सत्वम् समानार्थक:अस्ति 3।4।18।1।1 अस्ति सत्वे रुषोक्तावु ऊं प्रश्नेऽनुनये त्वयि। हुं तर्के स्यादुषा रात्रेरवसाने नमो नतौ॥ पदार्थ-विभागः: , सामान्यम्, जातिः वाचस्पत्यम् [ ] पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः अस्ति¦ अव्य॰ अस्--श्तिप्। १ स्थितौ, विद्यमानतायाञ्च[Page0565-b+ 38] “अस्ति नास्वि न जानातीति” चाण॰। २ तद्वति चअस्तिक्षीरा अस्तिपरलोक इति मतिर्यस्य आस्तिकःनास्तिकः। चतुरर्य्यां पक्षा॰ फक्। आस्तायनः। तत्-सन्निकृष्टदेशादौ त्रि॰। Apte [ ] पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः अस्ति [asti], ind. [अस्-शतिप्] Being, existent, present; as in अस्तिक्षीरा, ˚कायः Often used at the commencement of a tale or narrative in the sense of 'so it is', 'there', or me...