Atharv meaning in hindi

  1. अथर्व नाम का अर्थ क्या होता है?
  2. अतर्व नाम का अर्थ, मतलब, राशि, राशिफल
  3. [PDF] अथर्ववेद (संस्कृत
  4. अथर्व (Atharv) meaning in English
  5. अथर्ववेद का सार, अथर्ववेद के बारे में, अथर्ववेद की विशेषताएं, अथर्वसंहिता की शाखाएँ, Atharvaveda, Atharvaveda In Hindi, Atharvaveda Book
  6. Atharv
  7. अतार्वन
  8. 4 Vedas in Hindi ~ सम्पूर्ण वेद ~ जानिए चारों वेदों के बारे में
  9. [PDF] अथर्ववेद (संस्कृत
  10. 4 Vedas in Hindi ~ सम्पूर्ण वेद ~ जानिए चारों वेदों के बारे में


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अथर्व नाम का अर्थ क्या होता है?

नमस्कार दोस्तों! आज के इस लेख में मैं आपको अथर्व नाम का अर्थ (Atharv Name Meaning In Hindi) बताने जा रहा हूँ। यदि आपका नाम भी अथर्व है या फिर आप अपने बच्चे का नाम अथर्व रखने की सोच रहें हैं तो अथर्व नाम का अर्थ क्या होता है (Atharv Naam Ka Arth Kya Hota Hai), इसके बारे में आपको पता होना चलिए। तो चलिए अथर्व नाम का अर्थ जानते हैं।

अतर्व नाम का अर्थ, मतलब, राशि, राशिफल

• • • यौन स्वास्थ्य • • • • • • • महिला स्वास्थ्य • • • • • • • त्वचा की समस्या • • • • बालों की समस्या • • • • • पुरानी बीमारी • • • • • • • • • • • • • • बीमारी • यौन स्वास्थ्य • पॉडकास्ट • अस्पताल खोजें • डॉक्टर खोजें • हेल्थ टी.वी. • वेब स्टोरीज • • इलाज • • • • • • • • • • योग और फिटनेस • • • • • • महिला • • • • • • अन्य विषय • • • • • • • • • अतर्व नाम की राशि - Atharv naam ka rashifal मंगल ग्रह मेष राशि का स्वामी माना जाता है। मेष राशि का आराध्य देव भगवान श्री गणेश को माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अतर्व नाम के लड़के मार्च या अप्रैल के महीने में पैदा होते हैं। अतर्व नाम के लड़के नींद से जुड़ी समस्याएं, दांतों में दर्द, बुखार आना, चोट लगना, खून के साफ़ न होने की वजह से होने वाले रोग आदि से ग्रस्त होने की सम्भावना अधिक होती है। अतर्व नाम के लड़कों के मस्तिष्क, जबड़े और चेहरे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। मेष राशि के अतर्व नाम के लड़कों का अपने मन पर नियंत्रण नहीं होता जिस कारण ये खुद को खाने से रोक नहीं पाते और पेट की बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। अतर्व नाम के लड़कों में अग्नि तत्व का प्रभाव अधिक होने के कारण ये दिनभर ऊर्जावान रहते हैं और अधिक समय तक काम कर सकते हैं। अतर्व नाम का मतलब - Atharv ka arth अतर्व नाम बहुत सुंदर और आकर्षक माना जाता है। इतना ही नहीं इसका मतलब भी बहुत अच्छा होता है। आपको बता दें कि अतर्व नाम का अर्थ भगवान गणेश, एक वेद का नाम, एक ऋषि का नाम सैंटी करदाम ऋषि और devahooti, ​​brahmas सबसे बड़े पुत्र का नाम की बेटी हैं, जिसे करने के लिए वह ब्रह्म-विद्या का पता चला होता है। अतर्व नाम का खास महत्व है क्योंकि इसका मतलब भगवान गणे...

[PDF] अथर्ववेद (संस्कृत

Table of Contents • • • • • • अथर्ववेद संहिता संहिता अर्थ सहित- Atharva Veda PDF Free Download यहा पर आपको भिन्न लेखको द्वारा लिखा हुआ या अनुवाद किया हुआ अथर्ववेद की संस्कृत श्लोक के साथ हिंदी अनुवाद में मिलेगी | वेद की सामान्य जानकारी सामवेद हृदय का वेद है और अथर्ववेद उदर-पेट का वेद है। उदर विकारों से ही नाना प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं। इस वेद में नाना प्रकार की राष्ट्र में उपद्रव और अशान्ति होने पर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए नाना प्रकार के भयंकरतम अस्त्र और शस्त्रों का वर्णन भी इस वेद में है। इसप्रकार यह युद्ध और शान्ति का वेद है। यही इस वेद का प्रमुख विषय है। अर्थवेद में बीस काण्ड, ७३१ सूक्त और ५९७७ मन्त्र हैं। सबसे छोटा सूक्त एक मन्त्र का है। एक-एक, दो-दो और तीन-तीन मन्त्रों के अनेक सूक्त हैं। सबसे बड़ा सूक्त ८९ मन्त्रों का है, इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। इस वेद के अनेक सूक्तों में ब्रह्म परमेश्वर का हृदयहारी वर्णन है, जिसे पढ़ते-पढ़ते पाठक भावविभोर हो उठता है। वह अध्यात्म के सरोवर में डुबकियाँ लगाने लगता है। ऐसे कुछ सूक्त हैं-२ १; ४ । २; ४ । १६ आदि । गृहस्थ के सौहार्द का जो मनोहारी वर्णन ३ । ३० में किया है, उसकी छटा देखते ही बनती है। इसी प्रकार का एक सूक्त ७ ६२ भी है। इन सूक्तों में वर्णित शिक्षाओं पर आचरण किया जाए तो घर निश्चय ही स्वर्ग बन जाए। चौदहवाँ काण्ड तो सारा ही दाम्पत्य सूक्त है, जिसमें पति-पत्नी के कर्त्तव्यों तथा विवाह के नियमों और गृहस्थ की मान-मर्यादाओं का उत्तम विवेचन है। बारहवें काण्ड को प्रथम सूक्त संसार का प्रथम राष्ट्रगीत है। इसमें एक आदर्श राष्ट्र और उसकी रक्षा के उपायों को सर्वाङ्गीण चित्रण हुआ है। वेद ने सारे संसार को एक सार्वभौम राज्य म...

अथर्व (Atharv) meaning in English

Information provided about अथर्व ( Atharv ): अथर्व (Atharv) meaning in English (इंग्लिश मे मीनिंग) is NANE OF FOURTH VEDA, AUSPICIOUS, LUCKY, REJOICING (अथर्व ka matlab english me NANE OF FOURTH VEDA, AUSPICIOUS, LUCKY, REJOICING hai). Get meaning and translation of Atharv in English language with grammar, synonyms and antonyms by ShabdKhoj. Know the answer of question : what is meaning of Atharv in English? अथर्व (Atharv) ka matalab Angrezi me kya hai ( अथर्व का अंग्रेजी में मतलब, इंग्लिश में अर्थ जाने) Tags: English meaning of अथर्व , अथर्व meaning in english, अथर्व translation and definition in English. English meaning of Atharv , Atharv meaning in english, Atharv translation and definition in English language by ShabdKhoj (From HinKhoj Group). अथर्व का मतलब (मीनिंग) अंग्रेजी (इंग्लिश) में जाने |

अथर्ववेद का सार, अथर्ववेद के बारे में, अथर्ववेद की विशेषताएं, अथर्वसंहिता की शाखाएँ, Atharvaveda, Atharvaveda In Hindi, Atharvaveda Book

अथर्ववेद का सार, अथर्ववेद के बारे में अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है. इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं. इसमें देवताओं की स्तुति के साथ, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं. अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के राज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः अथर्ववेद का ज्ञान भगवान ने सबसे पहले महर्षि अंगिरा को दिया था, फिर महर्षि अंगिरा ने वह ज्ञान ब्रह्मा को दिया. यस्य राज्ञो जनपदे अथर्वा शान्तिपारगः. निवसत्यपि तद्राराष्ट्रं वर्धतेनिरुपद्रवम्.. (अथर्व0-1/32/3). ‘ये त्रिषप्ताः परियन्ति’ अथर्ववेद का प्रथम मंत्र है. अथर्ववेद का रचना काल यज्ञों व देवों को अनदेखा करने के कारण वैदिक पुरोहित वर्ग इसे अन्य तीन वेदों के बराबर नहीं मानता था. इसे यह दर्जा बहुत बाद में मिला. इसकी भाषा ऋग्वेद की भाषा की तुलना में स्पष्टतः बाद की है और कई स्थानों पर ब्राह्मण ग्रंथों से मिलती है. अतः इसे लगभग 1000 ई.पू. का माना जा सकता है. इसकी रचना ‘अथवर्ण’ तथा ‘आंगिरस’ ऋषियों द्वारा की गयी है. इसीलिए अथर्ववेद को ‘अथर्वांगिरस वेद’ भी कहा जाता है. इसके अतिरिक्त अथर्ववेद को अन्य नामों से भी जाना जाता है- 1- गोपथ ब्राह्मण में इसे ‘अथर्वांगिरस’ वेद कहा गया है. 2- ब्रह्म विषय होने के कारण इसे ‘ब्रह्मवेद’ भी कहा गया है. 3- आयुर्वेद, चिकित्सा, औषधियों आदि के वर्णन होने के कारण ‘भैषज्य वेद’ भी कहा जाता है . 4- ‘पृथ्वीसूक्त’ इस वेद का अति महत्त्वपूर्ण सूक्त है. इस कारण इसे ‘महीवेद’ भी कहते हैं. अथर्ववेद का परिचय भूगोल, खगोल, वनस्पति ...

Atharv

According to the Indian Astrology the persons with name Atharv are creative. Astrology shows due the name effects these persons are very passionate towards their own creative works. They will get extreme success if they select any creative fields as their professional area. They are strong minded as well. Determinations towards their works help them to get success in their own path. They will get ample opportunities and through these opportunities they will flourish their lives in their own ways. Their promising nature attracts others towards them. Their promising nature sometimes makes them stubborn towards their work and decision as well. They are popular among their friend circle. Their good deeds and pleasing nature will help them to achieve the popularity. This name makes these persons loving and caring by nature. Love is in their air for all seasons. They love to live with good and happy mood through -out the years. These persons are with perfection. They always try to complete their works with exact perfection. Determination and perfection towards their works make them successful in their careers. As per Vedic astrology they are very much responsible towards their elders and superiors. Person with name Atharv are with great bliss. People having this name are peaceful and pleasure loving. However bad any circumstance may be these people have a unique quality to turn every bad into positive. These natives are born with leading personalities. If their profession requir...

अतार्वन

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4 Vedas in Hindi ~ सम्पूर्ण वेद ~ जानिए चारों वेदों के बारे में

वेद शब्द संस्कृत के "विद" शब्द से निर्मित है अर्थात इस एक मात्र शब्द में ही सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है। प्राचीन भारतीय ऋषि जिन्हें मंत्रद्रिष्ट कहा गया है, उन्हें मंत्रो के गूढ़ रहस्यों को ज्ञान कर, समझ कर, मनन कर उनकी अनुभूति कर उस ज्ञान को जिन ग्रंथो में संकलित कर संसार के समक्ष प्रस्तुत किया वो प्राचीन ग्रन्थ "वेद" कहलाये। एक ऐसी भी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है "ज्ञान"। वस्तुत: ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञान-रूपी अन्धकार को नष्ट कर देता है। वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। वेद मंत्रो का संकलन और वेदों की संख्या ऐसी मान्यता है की वेद प्रारंभ में एक ही था और उसे पढने के लिए सुविधानुसार चार भागो में विभग्त कर दिया गया। ऐसा श्रीमदभागवत में उल्लेखित एक श्लोक द्वारा ही स्पष्ट होता है। इन वेदों में हजारों मन्त्र और रचनाएँ हैं जो एक ही समय में संभवत: नहीं रची गयी होंगी और न ही एक ऋषि द्वारा। इनकी रचना समय-समय पर ऋषियों द्वारा होती रही और वे एकत्रित होते गए। प्रथम तीन वेदों को अग्नि, वायु और सूर्य से जोड़ा गया है। इन तीनो नामों के ऋषियों से इनका सम्बन्ध बताया गया है, क्योंकि इसका कारण यह है की अग्नि उस अंधकार को समाप्त करती है जो अज्ञान का अँधेरा है। इस कारण यह ज्ञान का प्रतीक बन गया है। वायु प्राय: चलायमान है, उसका...

[PDF] अथर्ववेद (संस्कृत

Table of Contents • • • • • • अथर्ववेद संहिता संहिता अर्थ सहित- Atharva Veda PDF Free Download यहा पर आपको भिन्न लेखको द्वारा लिखा हुआ या अनुवाद किया हुआ अथर्ववेद की संस्कृत श्लोक के साथ हिंदी अनुवाद में मिलेगी | वेद की सामान्य जानकारी सामवेद हृदय का वेद है और अथर्ववेद उदर-पेट का वेद है। उदर विकारों से ही नाना प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं। इस वेद में नाना प्रकार की राष्ट्र में उपद्रव और अशान्ति होने पर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए नाना प्रकार के भयंकरतम अस्त्र और शस्त्रों का वर्णन भी इस वेद में है। इसप्रकार यह युद्ध और शान्ति का वेद है। यही इस वेद का प्रमुख विषय है। अर्थवेद में बीस काण्ड, ७३१ सूक्त और ५९७७ मन्त्र हैं। सबसे छोटा सूक्त एक मन्त्र का है। एक-एक, दो-दो और तीन-तीन मन्त्रों के अनेक सूक्त हैं। सबसे बड़ा सूक्त ८९ मन्त्रों का है, इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। इस वेद के अनेक सूक्तों में ब्रह्म परमेश्वर का हृदयहारी वर्णन है, जिसे पढ़ते-पढ़ते पाठक भावविभोर हो उठता है। वह अध्यात्म के सरोवर में डुबकियाँ लगाने लगता है। ऐसे कुछ सूक्त हैं-२ १; ४ । २; ४ । १६ आदि । गृहस्थ के सौहार्द का जो मनोहारी वर्णन ३ । ३० में किया है, उसकी छटा देखते ही बनती है। इसी प्रकार का एक सूक्त ७ ६२ भी है। इन सूक्तों में वर्णित शिक्षाओं पर आचरण किया जाए तो घर निश्चय ही स्वर्ग बन जाए। चौदहवाँ काण्ड तो सारा ही दाम्पत्य सूक्त है, जिसमें पति-पत्नी के कर्त्तव्यों तथा विवाह के नियमों और गृहस्थ की मान-मर्यादाओं का उत्तम विवेचन है। बारहवें काण्ड को प्रथम सूक्त संसार का प्रथम राष्ट्रगीत है। इसमें एक आदर्श राष्ट्र और उसकी रक्षा के उपायों को सर्वाङ्गीण चित्रण हुआ है। वेद ने सारे संसार को एक सार्वभौम राज्य म...

4 Vedas in Hindi ~ सम्पूर्ण वेद ~ जानिए चारों वेदों के बारे में

वेद शब्द संस्कृत के "विद" शब्द से निर्मित है अर्थात इस एक मात्र शब्द में ही सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है। प्राचीन भारतीय ऋषि जिन्हें मंत्रद्रिष्ट कहा गया है, उन्हें मंत्रो के गूढ़ रहस्यों को ज्ञान कर, समझ कर, मनन कर उनकी अनुभूति कर उस ज्ञान को जिन ग्रंथो में संकलित कर संसार के समक्ष प्रस्तुत किया वो प्राचीन ग्रन्थ "वेद" कहलाये। एक ऐसी भी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है "ज्ञान"। वस्तुत: ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञान-रूपी अन्धकार को नष्ट कर देता है। वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। वेद मंत्रो का संकलन और वेदों की संख्या ऐसी मान्यता है की वेद प्रारंभ में एक ही था और उसे पढने के लिए सुविधानुसार चार भागो में विभग्त कर दिया गया। ऐसा श्रीमदभागवत में उल्लेखित एक श्लोक द्वारा ही स्पष्ट होता है। इन वेदों में हजारों मन्त्र और रचनाएँ हैं जो एक ही समय में संभवत: नहीं रची गयी होंगी और न ही एक ऋषि द्वारा। इनकी रचना समय-समय पर ऋषियों द्वारा होती रही और वे एकत्रित होते गए। प्रथम तीन वेदों को अग्नि, वायु और सूर्य से जोड़ा गया है। इन तीनो नामों के ऋषियों से इनका सम्बन्ध बताया गया है, क्योंकि इसका कारण यह है की अग्नि उस अंधकार को समाप्त करती है जो अज्ञान का अँधेरा है। इस कारण यह ज्ञान का प्रतीक बन गया है। वायु प्राय: चलायमान है, उसका...