अति कितने तारीख की है

  1. तिथियाँ
  2. 2023 में पूर्णिमा कब है
  3. Dussehra 2022 Date : 4 या 5 अक्टूबर, कंफ्यूजन है दशहरे के डेट को लेकर? जानिए एकदम सही तारीख और मुहूर्त
  4. समय
  5. भारत


Download: अति कितने तारीख की है
Size: 51.58 MB

तिथियाँ

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (फ़रवरी 2013) स्रोत खोजें: · · · · तिथियाँ होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटीं होती हैं। चन्द्र मास एक अमावस्या के अन्त से शुरु होकर दूसरे अमा वस्या के अन्त तक रहता है। अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र का भौगांश बराबर होता है। इन दोनों ग्रहों के भोंगाश में अन्तर का बढना ही तिथि को जन्म देता है। तिथि की गणना निम्न प्रकार से की जाती है। तिथि = चन्द्र का भोगांश - सूर्य का भोगांश / (Divide) 12. • • वैदिक लोग वेदांग ज्योतिषके आधार पर तिथिको अखण्ड मानते है। क्षीण चन्द्रकला जब बढने लगता है तब अहोरात्रात्मक तिथि मानते है। जिस दिन चन्द्रकला क्षीण होता उस दिन अमावास्या माना जाता है। उसके दूसरे दिन शुक्लप्रतिपदा होती है। एक सूर्योदय से अपर सूर्योदय तक का समय जिसे वेदाें में अहोरात्र कहा गया है उसी को एक तिथि माना जाता है। प्रतिपदातिथिको १, इसी क्रमसे २,३, ४,५,६,७,८,९,१०,११,१२, १३, १४ और १५ से पूर्णिमा जाना जाता है। इसी तरह पूर्णिमा के दूसरे दिन कृष्णपक्ष का प्रारम्भ होता है और उसको कृष्णप्रतिपदा (१)माना जाता है इसी क्रम से २,३,४,५,६,७,८,९,१०,११,१२, १३,१४ इसी दिन चन्द्रकला क्षीण हो तो कृष्णचतुर्दशी टुटा हुआ मानकर उसी दिन अमावास्या मानकर दर्शश्राद्ध किया जाता है और १५वें दिन चन्द्रकला क्षीण हो तो विना तिथि टुटा हुआ पक्ष समाप्त होता है। नेपाल में वेदांग ज्योतिष के आधार पर "वैदिक तिथिपत्रम्" (वैदिक पंचांग) व्यवहारमे लाया गया है। सूर्य सिद्धान्त के आधार के पंचांगाें के तिथियां दिन में किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घण्टे तक हो सकती है। ये १-१५ तक तिथियों को निम्न नाम से कहते हैं...

2023 में पूर्णिमा कब है

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। पूर्णिमा का भारतीय लोगों के जीवन में अपना एक अलग ही महत्व होता है। हर महीने में आने वाली पूर्णिमा को कोई न कोई व्रत या त्यौहार ज़रूर मनाया जाता है। पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर की बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है। अलग-अलग जगहों पर पूर्णिमा को कई अलग तरह के नामों से जाना जाता है। कहीं इसे पौर्णिमी कहते हैं तो कहीं पूर्णमासी। हिन्दू धर्म में इस दिन दान, धर्म के साथ-साथ व्रत करने की भी मान्यता है। तीर्थ स्थल के दर्शन, स्नान और दान-धर्म के लिए कार्तिक, वैशाख और माघ महीने की पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होने की वजह से पूर्णिमा के दिन कई लोग भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा आदि भी रखते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन पूर्वजों को भी याद किए जाने का रिवाज है। पूर्णिमा हर महीने में एक बार जरूर आती है इसीलिए देखा जाये तो साल के 12 महीने में कुल 12 पूर्णिमा होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा को मानव के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। दरअसल हिन्दू कैलेंडर में तिथियों का निर्धारण चन्द्रमा की गति को आधार बना कर किया गया है। जिस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में होता है उस दिन को पूर्णिमा कहते है और जिस दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता उस दिन को अमावस्या कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा का महत्व पूर्णिमा तिथि को ज्योतिष शास्त्र में भी बह...

Dussehra 2022 Date : 4 या 5 अक्टूबर, कंफ्यूजन है दशहरे के डेट को लेकर? जानिए एकदम सही तारीख और मुहूर्त

डीएनए हिंदी (Dussehra 2022 Date And Shubh Muhurat) इस साल के शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितम्बर से शुरु हो चुकी है. नौ दिनों की पूजा के दशमी तिथि दशहरे की होती है. इसे विजयादशमी भी कहा जाता है. इस बार दशहरा 5 अक्टूबर को है. हालांकि कई लोगों को दुविधा है कि यह 4 तारीख को है या 5 तारीख को. आइए जानते हैं कि इस बार दशहरा असल में किस दिन मनाया जा रहा है और क्या है एकदम सही मुहूर्त... क्यों कन्फ्यूज़न है दशहरे के डेट को लेकर तिथि के हिसाब से आश्विन महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है. पंचाग के मुताबिक़ इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर की दोपहर को 2 बजकर 21 मिनट पर होगी. यह तिथि अगले बुधवार यानी 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी. इसी वजह से तिथियों में कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है. हालांकि कई पंडितों और ज्योतिष आचार्य के मुताबिक़ विजयादशमी उदयातिथि को ही मनाई जानी चाहिए. इस हिसाब से 5 अक्टूबर को ही विजयादशमी मनाई जानी चाहिए. क्या हैं विजयादशमी की परम्पराएं (Vijayadashmi Tradition) विजयादशमी के दिन सुबह-सुबह शस्त्र की पूजा की जाती है. रात में रावण दहन होता है. दशहरे को देवी की आरती का प्रावधान भी है. इस बार दशहरे के दिन विजय, अमृत काल और दुर्हुमूर्त जैसे अति शुभ योग तैयार हो रहे हैं. इन योगों को ज्योतिष में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. दशमी तिथि शुरुआत - 04 अक्टूबर 2022, दोपहर 2:20 बजे दशमी तिथि समाप्त - 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 बजे से श्रवण नक्षत्र आरम्भ- 4 अक्टूबर 2022, रात 10 बजकर 51 मिनट श्रवण नक्षत्र अंत - 5 अक्टूबर 2022, रात 09 बजकर15 मिनट विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक (5 अक्टूबर 2022) देश-दुनिया क...

समय

• कृपया उपयुक्त स्थानों पर • व्याकरण संबंधित त्रुटियों को सुधारें। • विकिलिंक जोड़ें। उचित स्थानों पर शब्दों के दोनो ओर [[ और ]] डालकर अन्य लेखों की कड़ियाँ जोड़ें। ऐसे शब्दों की कड़ियाँ न जोड़ें जो अधिकतर पाठक जानते हों, जैसे आम व्यवसायों के नाम और रोज़मर्रा की वस्तुएँ। अधिक जानकारी के लिये • भूमिका बाँधें लेख की • भागों को व्यवस्थित रूप से लगाएँ। • यदि उपयुक्त हो तो लेख में • इस सब के पश्चात यह टैग हटाएँ। मुख्य लेख: अति प्राचीन काल में मनुष्य ने सूर्य की विभिन्न अवस्थाओं के आधार प्रात:, दोपहर, संध्या एवं रात्रि की कल्पना की। ये समय स्थूल रूप से प्रत्यक्ष हैं। तत्पश्चात् घटी पल की कल्पना की होगी। इसी प्रकार उसने सूर्य की कक्षागतियों से पक्षों, महीनों, ऋतुओं तथा वर्षों की कल्पना की होगी। समय को सूक्ष्म रूप से नापने के लिए पहले शंकुयंत्र तथा धूपघड़ियों का प्रयोग हुआ। रात्रि के समय का ज्ञान मानक समय [ ] समय का संबंध किसी निश्चित स्थान के याम्योत्तरवृत्त से रहता है। अत: वह उस स्थान का स्थानीय समय होगा। किसी बड़े देश में एक जैसा समय रखने के लिए, देश के बीचोबीच स्थित किसी स्थान के एक (उदाहरणार्थ, विश्व-समय-मापन [ ] विश्व का समय नापने के लिए ग्रिनिच के याम्योत्तर वृत्त को मानक याम्योत्तर मान लेते हैं। इसके पूर्व में स्थित देशों का समय ग्रिनिच से, उनके देशांतर के प्रति 15 डिग्री पर एक घंटे के हिसाब से, आगे होगा तथा पश्चिम में पीछे। इस प्रकार भारत का मापक याम्योत्तर ग्रिनिच के याम्योत्तरवृत्त से पूर्व देशांतर 82 है। अत: भारत का माध्य समय ग्रिनिच के माध्य समय से 5 घंटे 30 मिनिट अधिक है। इसी प्रकार क्षेत्रीय समय भी मान लिए गए हैं। ग्रिनिच के 180 डिग्री देशांतर की रेखा तिथिरेखा है। इ...

भारत

अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 इतिहास • 2.1 प्राचीन भारत • 2.2 मध्यकालीन भारत • 2.3 प्रारंभिक आधुनिक भारत • 2.4 आधुनिक भारत • 3 सरकार • 4 राजनीति • 5 सैनि‍क शक्ति • 6 राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश • 7 भाषाएँ • 8 भूगोल और जलवायु • 8.1 भू-आकृतिक विशेषतायें • 8.2 जलवायु • 9 अर्थव्यवस्था • 10 जनसांख्यिकी • 11 संस्कृति • 11.1 सिनेमा और टेलीविज़न • 11.2 पाक-शैली (खानपान) • 12 विदेश-सम्बन्ध • 13 भारतीय पर्व • 14 भारत की जनजातियां • 15 इन्हें भी देखें • 16 सन्दर्भ • 17 टिप्पणी सूची • 18 बाहरी कड़ियाँ नामोत्पत्ति (शीर्ष) लगभग 55,000 वर्ष पहले ( 2000 से 500 ईसा पूर्व तक स्वर्णिम काल कहलाया। मध्यकालीन भारत ६०० से १२०० के बीच का समय क्षेत्रीय राज्यों में सांस्कृतिक उत्थान के युग के रूप में जाना जाता है। 6 और 7 वीं शताब्दी में, पहली भक्ति भजन तमिल भाषा में बनाया गया था। पूरे भारत में उनकी नकल की गई और हिंदू धर्म के पुनरुत्थान और इसने उपमहाद्वीप की सभी आधुनिक भाषाओं के विकास का नेतृत्व किया। राजघरानो ने लोगों को राजधानी की आकर्षित किया। शहरीकरण के साथ शहरों में बड़े स्तर पर मंदिरों का निर्माण किया। १० वीं शताब्दी के बाद घुमन्तु मुस्लिम वंशों ने जातियता तथा धर्म द्वारा संघठित तेज घोड़ों से युक्त बड़ी सेना के द्वारा उत्तर-पश्चिमी मैदानों पर बार बार आकर्मण किया, अंततः १२०६ प्रारंभिक आधुनिक भारत १७वीं शताब्दी के मध्यकाल में आधुनिक भारत बीसवी सदी के प्रारम्भ में आधुनिक शिक्षा के प्रसार और विश्वपटल पर बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के चलते भारत में एक बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात हुआ जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तरों पर अनेक परिवर्तनों एवम आन्दोलनों की नीव रखी। १८८५ में एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्...