Azadi ka amrit mahotsav in hindi

  1. मुख्य पृष्ठ
  2. भारत की विकास गाथा, विकासात्मक विरोधाभास और आर्थिक विकास की बदलती दृष्टि!
  3. आजादी का अमृत महोत्सव
  4. आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर निबंध
  5. आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता
  6. आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे
  7. आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे
  8. भारत की विकास गाथा, विकासात्मक विरोधाभास और आर्थिक विकास की बदलती दृष्टि!
  9. आजादी का अमृत महोत्सव
  10. आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता


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मुख्य पृष्ठ

आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष पूरे होने और यहां के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को याद करने और जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की ओर से की जाने वाली एक पहल है। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है, जिन्होंने न केवल भारत को उसकी विकास यात्रा में आगे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि उनके भीतर प्रधानमंत्री मोदी के भारत 2.0 को सक्रिय करने के दृष्टिकोण को संभव बनाने की शक्ति और क्षमता भी है, जो आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित है। आज़ादी का अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान को प्रगति की ओर ले जाने वाली सभी चीजों का एक मूर्त रूप है। आज़ादी का अमृत महोत्सव की आधिकारिक यात्रा की शुरुआत 12 मार्च 2021 को हो गई जिसकी 75 सप्ताह की उल्टी गिनती हमारी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के लिए शुरू हो गई है तथा यह एक वर्ष के बाद 15 अगस्त 2023 को समाप्त होगी। • स्वतंत्रता संग्राम • विचार@75 • समाधान@75 • कार्य@75 • उपलब्धियां@75 जैसा कि हम 15 अगस्त 2023 की ओर बढ़ रहे हैं, आज़ादी का अमृत महोत्सव का उद्देश्य सहयोगात्मक अभियानों के माध्यम से इस जन आंदोलन को और प्रोत्साहित कर के इसे भारत एवं विश्व के विभिन्न भागों तक पहुंचाना है। माननीय प्रधान मंत्री द्वारा घोषित 'पंच प्राण' के साथ पंक्तिबद्ध किए गए नौ महत्वपूर्ण विषयों के आधार पर निम्नलिखित अभियान हैं: महिलाएं एवं बच्चे, आदिवासी सशक्तिकरण, जल, सांस्कृतिक गौरव, पर्यावरण के लिए जीवन शैली (जीवन), स्वास्थ्य और कल्याण, समावेशी विकास, आत्मानिर्भर भारत और एकता। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी- आज़ादी की ऊर्जा का अमृत, आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अ...

भारत की विकास गाथा, विकासात्मक विरोधाभास और आर्थिक विकास की बदलती दृष्टि!

India at 75: भारत के विकास (Development of India) की राह परंपरागत रूप से इस सोच के अनुरूप नहीं रही है. हालांकि, अब यह सोच बदल रही है. सरकार ने महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से लगाई गई तालाबंदी (Lockdown in India) के दौरान कमज़ोर आबादी को सामाजिक सुरक्षा (Social Security) प्रदान करने का प्रयास किया. Azadi Ka Amrit Mahotsav: ऐतिहासिक रूप से भारत ने खुद को विकासात्मक विरोधाभास के रूप में प्रस्तुत किया है – ‘‘पर्याप्त संसाधन, पर्याप्त गरीबी,’’ जिसे कुछ लोग तथाकथित ‘‘संसाधन अभिशाप’’ की अभिव्यक्ति के रूप में संदर्भित करेंगे. [5] संसाधन अभिशाप परिकल्पना को प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद ‘विकास घाटा’ अर्थात कम आय, कम आर्थिक विकास, कमजोर लोकतंत्र और कम समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों वाली अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकास संकेतकों में खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति में वर्णित किया जा सकता है. लेकिन भारतीय स्थिति इस तरह की एक रेखा वाली सैद्धांतिक रचना की तुलना में बयान नहीं की जा सकती, क्योंकि यह उससे कहीं अधिक जटिल है. भारत के संपूर्ण इतिहास में, हमेशा से ही अविकसित और विकास के क्षेत्र रहे हैं, [6] जो लगभग एक रेखीये और निकटस्थ अंदाज में स्थित हैं. (Azadi Ka Amrit Mahotsav) संसाधन अभिशाप परिकल्पना को प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद ‘विकास घाटा’ अर्थात कम आय , कम आर्थिक विकास, कमजोर लोकतंत्र और कम समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों वाली अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकास संकेतकों में खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति में वर्णित किया जा सकता है. साथ ही, यह समझने की आवश्यकता है कि वितरणात्मक न्याय या समान हिस...

आजादी का अमृत महोत्सव

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आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर निबंध

Azadi Ka Amrit Mahotsav essay in hindi: 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में आजादी के अमृत महोसत्व का उद्घाटन किया था। क्योंकि इसी दिन माहात्मा गांधी ने ‘नमक सत्याग्रह’ की शुरुआत की थी। यह महोत्सव 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाए जाने के कुछ कारण है। पहला यह कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। दूसरा यह कि देश को स्वतंत्र करने के लिए जिन राष्ट्र सुपूतों ने बलिदान दिया और बहुत कष्ट सहे उन्हें याद करने का यह दिन है। तीसरा यह कि आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन कारणों से आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम उन सभी लोगों को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के के सही मायने बताने बहुत जरूरी है और साथ ही यह बताना भी जरूरी है कि इन 75 वर्षों में भारत ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्तमान समय में जो युवा पीढ़ी है जिनकी उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच में है वह आजादी के संघर्ष और लोकतंत्र के महत्व को बेहतर ढंग से नहीं जानती हैं। कई विचारधारों में बंटी यह पीढ़ी गुमराही के एक चौराहे पर खड़ी है। ऐसे में उसे अपने देश के इतिहास और वर्तमान से जोड़ना जरूरी है। कहते हैं कि जो देश अपना इतिहास भुल जाता है उसका भूगोल भी बदल जाता है और यह हुआ भी है। कई कुर्बानियां व्यर्थ चली गई तब जबकि देश का विभाजन हुआ। भारत को आजाद कराने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और क्या-क्या कुर्बानियां भारत को देनी पड़ी यह आज की युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है। साथ ही यह भी कि आने वाले समय में किन चुनौतियों का सामान करना पड़ेगा। हालांकि किताबों और स्कूल में पढ़ाए गए पाठ से उन्हें आजादी...

आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है ‘ आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता ‘ में आजादी का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए शहीदों के बलिदान को याद किया गया है। कविता में आजादी की रक्षा का आह्वान करते हुए इसके लाभों को जन – साधारण तक पहुँचाने का आग्रह किया गया है। आजादी के बाद हमने लोकतंत्र का मार्ग अपनाया है और सभी नागरिकों के लिए एक संविधान स्वीकृत किया है। हमारा संविधान बिना भेदभाव सभी नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता के अवसर प्रदान करता है। हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम अपने मन को देशभक्ति के रंगों में रंगकर आपस में प्रेमपूर्ण व्यवहार करें। आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता हमने भी जब अंग्रेजों से पाई थी मिलकर आजादी, खुली हवा में साँस ले सकी तब जा भारत की आबादी। आजादी की कीमत भारी हमको भी तो पड़ी चुकानी, वीर शहीदों ने हँस – हँसकर दे दी थी अपनी कुर्बानी। फाँसी पर जो चढ़े देशहित आओ ! उनको याद करें हम, आजादी की रक्षा में भी दिखलाएँ हम पूरा दमखम। गर्व करें सब भारतवासी अब हम अपने भाग्य – विधाता, जोड़ा है सब भेद भुलाकर लोकतंत्र से अपना नाता। जो वैधानिक प्रावधान हैं रखें बनाए उनकी गरिमा, सबको गौरव देने वाले संविधान की गाएँ महिमा। कोटा, राजस्थान के रहने वाले सुरेश चन्द्र "सर्वहारा" जी स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी (रेलवे) हैं। सुरेश जी एक वरिष्ठ कवि और लेखक हैं। ये संस्कृत और हिंदी में परास्नातक हैं। इनकी कई काव्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें नागफनी, मन फिर हुआ उदास, मिट्टी से कटे लोग आदि प्रमुख हैं। इन्होंने बच्चों के लिए भी साहित्य में बहुत योगदान दिया है और बाल गीत सुधा, बाल गीत सुमन, ब...

आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे

हम सभी भारतीयो के लिए 15 अगस्त 2022 का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा है, क्यूकी इस 15 अगस्त को हम आजादी के 75 साल पूरे करने जा रहे है, जो की बहुत की गर्व की बात है, तो आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाने के लिए घर घर तिरंगा पहराकर मनाया जा है, तो चलिये इस आजादी का अमृत महोत्सव के लिए इस पोस्ट मे आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे Aajadi Ka Amrit Mahotsav Slogan in Hindi शेयर कर रहे है, जिनहे आप भी भी इन स्लोगन को अपने लोगो, सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते है। अपने साथ ढेरो खुशिया लायी। साथी हाथ बढ़ाना, मिलकर आगे बढ़ते जाना मिलकर सभी ये आजादी का अमृत महोत्सव मानना। Aajadi Ka Amrit Mahotsav Slogan in Hindi आजादी का अमृत महोत्सव हम सभी को मिलकर मनाना है, जन जन की भागीदारी से भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। जश्न ए आज़ादी के अमृत महोत्सव का देखो अनुपम उत्सव है| भारत माता की जयकार का चहुं दिश गूंज रहा जो कलरव है । आजादी के इस अमृत महोत्सव पर चारो ओर खुशिया छाई है। Aajadi Ka Amrit Mahotsav Naare आजादी के इस अमृत महोत्सव पर.. आओ मिलकर करे हमसब संकल्प अब। नव-भारत के निर्माण को करना होगा देश-मंथन अमृत को खोज कर करना होगा आविष्कार अब। आजादी का अमृत महोत्सव हम सभी को मिलकर मनाना है, जन जन की भागीदारी से भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है। Aajadi Ka Amrit Mahotsav Ke Nare एक महोत्सव देश के त्याग और बलिदान का एक महोत्सव देशभक्ति की भावना के अनुराग का आजादी का अमृत महोत्सव देश की वीरों के बलिदान का। आजादी का अमृत महोत्सव है अमूल्य रत्न इसे मिलकर सभी मनाने का करे प्रयत्न । आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे एकता और अनुशासन से भारत माता की सब मिल जयकार करें विश्व गुरु बन उभरे भारत फिर मिलकर कुछ ऐसा सहकार कर...

आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे

हम सभी भारतीयो के लिए 15 अगस्त 2022 का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा है, क्यूकी इस 15 अगस्त को हम आजादी के 75 साल पूरे करने जा रहे है, जो की बहुत की गर्व की बात है, तो आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाने के लिए घर घर तिरंगा पहराकर मनाया जा है, तो चलिये इस आजादी का अमृत महोत्सव के लिए इस पोस्ट मे आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे Aajadi Ka Amrit Mahotsav Slogan in Hindi शेयर कर रहे है, जिनहे आप भी भी इन स्लोगन को अपने लोगो, सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते है। अपने साथ ढेरो खुशिया लायी। साथी हाथ बढ़ाना, मिलकर आगे बढ़ते जाना मिलकर सभी ये आजादी का अमृत महोत्सव मानना। Aajadi Ka Amrit Mahotsav Slogan in Hindi आजादी का अमृत महोत्सव हम सभी को मिलकर मनाना है, जन जन की भागीदारी से भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। जश्न ए आज़ादी के अमृत महोत्सव का देखो अनुपम उत्सव है| भारत माता की जयकार का चहुं दिश गूंज रहा जो कलरव है । आजादी के इस अमृत महोत्सव पर चारो ओर खुशिया छाई है। Aajadi Ka Amrit Mahotsav Naare आजादी के इस अमृत महोत्सव पर.. आओ मिलकर करे हमसब संकल्प अब। नव-भारत के निर्माण को करना होगा देश-मंथन अमृत को खोज कर करना होगा आविष्कार अब। आजादी का अमृत महोत्सव हम सभी को मिलकर मनाना है, जन जन की भागीदारी से भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है। Aajadi Ka Amrit Mahotsav Ke Nare एक महोत्सव देश के त्याग और बलिदान का एक महोत्सव देशभक्ति की भावना के अनुराग का आजादी का अमृत महोत्सव देश की वीरों के बलिदान का। आजादी का अमृत महोत्सव है अमूल्य रत्न इसे मिलकर सभी मनाने का करे प्रयत्न । आजादी का अमृत महोत्सव पर नारे एकता और अनुशासन से भारत माता की सब मिल जयकार करें विश्व गुरु बन उभरे भारत फिर मिलकर कुछ ऐसा सहकार कर...

भारत की विकास गाथा, विकासात्मक विरोधाभास और आर्थिक विकास की बदलती दृष्टि!

India at 75: भारत के विकास (Development of India) की राह परंपरागत रूप से इस सोच के अनुरूप नहीं रही है. हालांकि, अब यह सोच बदल रही है. सरकार ने महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से लगाई गई तालाबंदी (Lockdown in India) के दौरान कमज़ोर आबादी को सामाजिक सुरक्षा (Social Security) प्रदान करने का प्रयास किया. Azadi Ka Amrit Mahotsav: ऐतिहासिक रूप से भारत ने खुद को विकासात्मक विरोधाभास के रूप में प्रस्तुत किया है – ‘‘पर्याप्त संसाधन, पर्याप्त गरीबी,’’ जिसे कुछ लोग तथाकथित ‘‘संसाधन अभिशाप’’ की अभिव्यक्ति के रूप में संदर्भित करेंगे. [5] संसाधन अभिशाप परिकल्पना को प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद ‘विकास घाटा’ अर्थात कम आय, कम आर्थिक विकास, कमजोर लोकतंत्र और कम समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों वाली अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकास संकेतकों में खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति में वर्णित किया जा सकता है. लेकिन भारतीय स्थिति इस तरह की एक रेखा वाली सैद्धांतिक रचना की तुलना में बयान नहीं की जा सकती, क्योंकि यह उससे कहीं अधिक जटिल है. भारत के संपूर्ण इतिहास में, हमेशा से ही अविकसित और विकास के क्षेत्र रहे हैं, [6] जो लगभग एक रेखीये और निकटस्थ अंदाज में स्थित हैं. (Azadi Ka Amrit Mahotsav) संसाधन अभिशाप परिकल्पना को प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद ‘विकास घाटा’ अर्थात कम आय , कम आर्थिक विकास, कमजोर लोकतंत्र और कम समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों वाली अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकास संकेतकों में खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति में वर्णित किया जा सकता है. साथ ही, यह समझने की आवश्यकता है कि वितरणात्मक न्याय या समान हिस...

आजादी का अमृत महोत्सव

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आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है ‘ आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता ‘ में आजादी का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए शहीदों के बलिदान को याद किया गया है। कविता में आजादी की रक्षा का आह्वान करते हुए इसके लाभों को जन – साधारण तक पहुँचाने का आग्रह किया गया है। आजादी के बाद हमने लोकतंत्र का मार्ग अपनाया है और सभी नागरिकों के लिए एक संविधान स्वीकृत किया है। हमारा संविधान बिना भेदभाव सभी नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता के अवसर प्रदान करता है। हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम अपने मन को देशभक्ति के रंगों में रंगकर आपस में प्रेमपूर्ण व्यवहार करें। आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता हमने भी जब अंग्रेजों से पाई थी मिलकर आजादी, खुली हवा में साँस ले सकी तब जा भारत की आबादी। आजादी की कीमत भारी हमको भी तो पड़ी चुकानी, वीर शहीदों ने हँस – हँसकर दे दी थी अपनी कुर्बानी। फाँसी पर जो चढ़े देशहित आओ ! उनको याद करें हम, आजादी की रक्षा में भी दिखलाएँ हम पूरा दमखम। गर्व करें सब भारतवासी अब हम अपने भाग्य – विधाता, जोड़ा है सब भेद भुलाकर लोकतंत्र से अपना नाता। जो वैधानिक प्रावधान हैं रखें बनाए उनकी गरिमा, सबको गौरव देने वाले संविधान की गाएँ महिमा। कोटा, राजस्थान के रहने वाले सुरेश चन्द्र "सर्वहारा" जी स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी (रेलवे) हैं। सुरेश जी एक वरिष्ठ कवि और लेखक हैं। ये संस्कृत और हिंदी में परास्नातक हैं। इनकी कई काव्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें नागफनी, मन फिर हुआ उदास, मिट्टी से कटे लोग आदि प्रमुख हैं। इन्होंने बच्चों के लिए भी साहित्य में बहुत योगदान दिया है और बाल गीत सुधा, बाल गीत सुमन, ब...

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