बंगाल विभाजन क्या था

  1. बंगाल विभाजन ( 1905 )
  2. बंगाल का विभाजन
  3. बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
  4. बंगाल विभाजन क्यों हुआ? किसने किया, इसके नकारात्मक प्रभाव
  5. बंगाल : भारत विभाजन की प्रयोगशाला
  6. बंगाल : भारत विभाजन की प्रयोगशाला
  7. बंगाल विभाजन ( 1905 )
  8. बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
  9. बंगाल विभाजन क्यों हुआ? किसने किया, इसके नकारात्मक प्रभाव


Download: बंगाल विभाजन क्या था
Size: 55.61 MB

बंगाल विभाजन ( 1905 )

इस समय भारतीयों के अंदर राष्ट्रवाद जन्म ले रहा था और धीरे-धीरे यह राष्ट्रवाद भारत में बढ़ भी रहा था और इस राष्ट्रवाद का मुख्य केंद्र उस समय बंगाल था। अंग्रेजों को भारतीयों की बढ़ती राष्ट्रवाद की भावना का आभास हो गया था और यह उनके लिए एक बड़े खतरे का संकेत था और इसीलिए अंग्रेजों ने इस बढ़ती हुई विद्रोह की भावना को दबाने और रोकने के लिए योजना बनाई की बंगाल के क्षेत्र को विभाजित कर दिया जाए, जिसे हम बंगाल विभाजन के नाम से जानते हैं। तब 1903 में अंग्रेजों की तरफ से लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव रखा गया था और उस समय बंगाल आज के वर्तमान बंगाल जितना छोटा नहीं था बल्कि उस समय यह बंगाल बहुत सारे क्षेत्रों से मिलकर बना था जैसे असम, ओड़िसा, बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्र। लॉर्ड कर्जन ने अंग्रेजों की तरफ से बंगाल विभाजन के प्रस्ताव को लेकर जो बिंदु रखे, वे कुछ इस प्रकार हैं: 1. उस समय बंगाल की जनसंख्या 7.5 करोड़ थी, और उस समय यह भारत की ¼ जनसंख्या के बराबर थी, इसलिए ब्रिटिश सरकार द्वारा इतनी बड़ी आबादी को संभालना थोड़ा कठिन है इसलिए बंगाल का विभाजन किया जाए। 2. पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल में पूरे बंगाल को बांटने का प्रस्ताव दिया गया जिसमें पूर्वी बंगाल की राजधानी ढ़ाका को बनाया गया और पश्चिमी बंगाल की राजधानी कलकत्ता को बनाया गया। बंगाल विभाजन – Partition of Bengal in Hindi इसमें अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति ( Divide and Rule Policy ) भी हमें देखने को मिलती है क्यूंकि जो पूर्वी बंगाल था उसमें मुस्लिम समुदाय के लोग सर्वाधिक थे जबकि पश्चिमी बंगाल में हिन्दू समुदाय के लोग सर्वाधिक थे और इस बंगाल विभाजन से अंग्रेज हिन्दू और मुस्लिमों को आपस में लड़वाकर खुद ...

बंगाल का विभाजन

बंगाल का विभाजन 16 अक्टूबर 1905 ई. को प्रभावी हुआ। वायसराय लार्ड कर्जन ने 19 जुलाई 1905 को विभाजन की रूपरेखा आम जनता के सामने रखी। 20 जुलाई को विभाजन की घोषणा की गई और 16 अक्टूबर 1905 से विभाजन लागू हो गया। विभाजन के फलस्वरूप बंगाल एवं संपूर्ण देश में रोष एवं विरोध की लहर फैल गई। 16 अक्टूबर 1905 को ‘शोक दिवस’ के रूप में मनाया गया। रवीन्द्रनाथ टैगोर के आह्वान पर 16 अक्टूबर 1905 को ‘रक्षा बंधन दिवस’ के रूप में मनाया गया। बंगाल विभाजन के अवसर पर ही रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपना प्रसिद्ध गीत ‘अमार सोनार बांग्ला’ लिखा। यह गीत अब भी बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। इस विभाजन के प्रखर विरोध के माध्यम के रूप में स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन का जन्म हुआ। बंगाल विभाजन की तारीख-date of partition of bengal 20 जुलाई 1905 ई. को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा शिमला में की गयी और इसका प्रारूप एक दिन पहले 19 जुलाई को प्रकाशित किया गया था। सितम्बर 1905 में उसे सम्राट ने भी स्वीकृति दे दी। 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन की योजना को लागू किया गया। इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है। इसके विरोध में 1908 ई. में सम्पूर्ण देश में ‘बंग-भंग’ आन्दोलन शुरु हो गया। इस विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनों तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल विभाजन रद्द कर दिया गया। बंगाल विभाजन के कारण-Reasons for partition of Bengal लार्ड कर्जन का शासनकाल ब्रिटिश साम्राज्यवादिता का चरमोत्कर्ष था। कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन का निर्णय भारतीय राष्ट्रवाद को कुचलने का प्रयास था। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बाँट दिये ज...

बंग

Navigation • Sansar DCA • 📖Buy PDF • Mains • Essay • Previous year Essay • GS1 • History • #AdhunikIndia : Sajiv Sir Notes • Geography • Social • GS2 • Polity • IR • GS3 • Economy • Environment-Bio • Science-Tech • GS4 • Syllabus of GS4 • Ethics Notes • Mains • Sansar Manthan • SMA Assignment • Editorial • Sansar Editorial • Prelims • Weekly Quiz • Static GK Quiz • Mock Test Series • Sansar Surgery • Yojana • Download • E-Books • NCERT, NIOS etc. • Current Affairs PDF • App Download • Syllabus • UPSC • Core Syllabus • PCS • RPSC • BPSC • JPSC • MPPSC • UPPSC • Books • UPSC • RPSC • SSC CHSL • SBI • Donate • Contact • About us • Our Mission • Authors • Want to be author? • Search • Sansar DCA • 📖Buy PDF • Mains • Essay • Previous year Essay • GS1 • History • #AdhunikIndia : Sajiv Sir Notes • Geography • Social • GS2 • Polity • IR • GS3 • Economy • Environment-Bio • Science-Tech • GS4 • Syllabus of GS4 • Ethics Notes • Mains • Sansar Manthan • SMA Assignment • Editorial • Sansar Editorial • Prelims • Weekly Quiz • Static GK Quiz • Mock Test Series • Sansar Surgery • Yojana • Download • E-Books • NCERT, NIOS etc. • Current Affairs PDF • App Download • Syllabus • UPSC • Core Syllabus • PCS • RPSC • BPSC • JPSC • MPPSC • UPPSC • Books • UPSC • RPSC • SSC CHSL • SBI • Donate • Contact • About us • Our Mission • Authors • Want to be author? • Search संभवतः कर्जन का सबसे घृणित कार्य बंगाल का दो भागों में विभाजन करना था. यह कार्य बंगाल और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के कड़े विरोध की उ...

बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन ने किया। उसका इस विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं तथा मुसलमानों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना था। बंगाल के विभाजन के विरोध में लोगों ने स्थान-स्थान पर जलसे, जलूस तथा हड़तालें कीं। बंगाल के विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन भी आरम्भ किया गया। प्रभाव- इस विभाजन का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा- • बंगाल के विभाजन के कारण भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। • बंगाल के विभाजन से कांग्रेस में गरम दल तथा नरम दल नाम के दो शक्तिशाली दल बन गए। • बंगाल विभाजन से राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रसार हुआ। Categories • • (31.9k) • (8.8k) • (764k) • (248k) • (2.9k) • (5.2k) • (664) • (121k) • (26.8k) • (26.9k) • (11.1k) • (18.4k) • (36) • (72.1k) • (3.8k) • (19.6k) • (1.4k) • (14.2k) • (12.5k) • (9.3k) • (7.7k) • (3.9k) • (6.7k) • (63.8k) • (26.6k) • (23.7k) • (14.6k) • (25.7k) • (530) • (84) • (766) • (49.1k) • (63.8k) • (1.8k) • (59.3k) • (24.5k)

बंगाल विभाजन क्यों हुआ? किसने किया, इसके नकारात्मक प्रभाव

इसके फलस्वरूप पूर्वी बंगाल के ज़िलों की प्राय: उपेक्षा होती है, जहाँ मुसलमान अधिक संख्या में हैं। इसीलिए उत्तरी और पूर्वी बंगाल के राजशाही, ढाका तथा चटगाँव डिवीजन में आने वाले पन्द्रह ज़िलों को असम में मिला दिया गया और पूर्वी बंगाल तथा असम नाम से एक नया प्रान्त बना दिया गया और उसे बंगाल से अलग कर दिया गया। बंगाल विभाजन लॉर्ड कर्जन की कूटनीति हालाँकि उसने बंगाल के विभाजन को प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यक बताया था लेकिन वास्तविकता यह थी कि बंगाल विभाजन उसकी प्रतिक्रियावादी नीति का ही परिणाम था. लॉर्ड कर्जन का तर्क था कि आकार की विशालता और कार्यभार की अधिकता के कारण बंगाल प्रांत का शासन एक गवर्नर के लिए संभव नहीं है. अतः उसने पूर्वी बंगाल और असम को मिलाकर एक अलग प्रांत बनाया जिसकी राजधानी ढाका रखी. वस्तुतः बंगाल विभाजन का यह तर्क कर्जन का एक बहाना था. उसका वास्तविक उद्देश्य तो बंगाल की राष्ट्रीय एकता को नष्ट कर हिन्दुओं और मुसलामानों के बीच फूट डालना था. उसकी स्पष्ट नीति थी फूट डालो और शासन करो. उसने खुद कहा भी था कि “यह बंगाल विभाजन केवल शासन की सुविधा के लिए नहीं की गई है बल्कि इसके द्वारा एक मुस्लिम प्रांत बनाया जा रहा है, जिसमें इस्लाम और उसके अनुयायियों की प्रधानता होगी.” इस प्रकार बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन का धूर्तता और कूटनीति से भरा कार्य था. बंगाल विभाजन आंदोलन का शिक्षा के क्षेत्र पर प्रभाव • बंगाल विभाजन आंदोलन का शिक्षा के क्षेत्र पर भी प्रभाव पड़ा और इसके कारण विद्यालयों की स्थापना की गई • राष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में सर्वप्रथम 8 नवंबर 1905 को रंगपुर नेशनल स्कूल की स्थापना की गई थी • 16 नवंबर 1905 को कलकत्ता में एक सम्मेलन हुआ था • इस सम्मेलन में राष्ट्रीय नि...

बंगाल : भारत विभाजन की प्रयोगशाला

स्वाधीन भारत में जन्म लेने वाले आप और हम शायद विभाजन की विभीषिका वर्ष में एक दो बार पंद्रह अगस्त के समय याद कर लेते होंगे अथवा वह भी नहीं। परन्तु हमारा बंगाल अभी भी नहीं भुला। जी हाँ, बंगाल ! विभाजन से पहले आज के बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को मिलाकर बंगाल कहते थे! अंग्रेजी शासन का सबसे बड़ा ‘प्रोविंस’। 16 अक्टूबर 1905 में कर्जन ने बंगाल को दो भागों में बांटा जिसे बंग-भंग विरोधी आंदोलन के कारण वापस लेना पड़ा और 1911 में बंगाल पुनः एक हो गया। इस प्रकार अंग्रेजों का ‘फूट डालो, शासन करो’ वाला षड्यंत्र, हिन्दू-मुस्लिम जनसंख्या की बहुलता के आधार पर शासन की सुलभता के बहाने किए गए बंटवारे को जाग्रत समाज ने विफल कर दिया परन्तु सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि बंगभंग को विफल करने वाला समाज अगस्त 1947 में इसी बंगाल अर्थात भारत के विभाजन को क्यों नहीं रोक पाया? भारत विभाजन में मूलतः पंजाब और बंगाल का विभाजन हुआ। भारत विभाजन की पहली प्रयोगशाला भी बना बंगाल। स्वतंत्रता से ठीक एक वर्ष पूर्व 16 अगस्त 1946 का ‘द ग्रेट कोलकाता किलिंग’ बंगाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री और ‘बंगाल का कसाई’ नाम से कुख्यात सुरावर्दी की देखरेख में, जिन्ना, इक़बाल, और रहमत अली के सपनों को साकार करने का एक प्रयोग था। 30 जून 2007 को द टेलीग्राफ में ‘इक़बाल्स हिन्दू रिलेशन्स’ नामक प्रकाशित लेख में खुशवंत सिंह बताते हैं कि मोहम्मद इक़बाल के दादा कन्हैयालाल सप्रु एक कश्मीरी ब्राह्मण थे। यही इक़बाल, जिन्होंने ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’ रच कर भारतीयों के ह्रदय में जगह बनाई, पृथक मुस्लिम राष्ट्र के एक वैचारिक सिद्धांतकार थे। इकबाल 21 जून 1937 को जिन्नाह को एक “निजी और गोपनीय’ पत्र में लिखते हैं “उत्तर-पश्चिम भार...

बंगाल : भारत विभाजन की प्रयोगशाला

स्वाधीन भारत में जन्म लेने वाले आप और हम शायद विभाजन की विभीषिका वर्ष में एक दो बार पंद्रह अगस्त के समय याद कर लेते होंगे अथवा वह भी नहीं। परन्तु हमारा बंगाल अभी भी नहीं भुला। जी हाँ, बंगाल ! विभाजन से पहले आज के बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को मिलाकर बंगाल कहते थे! अंग्रेजी शासन का सबसे बड़ा ‘प्रोविंस’। 16 अक्टूबर 1905 में कर्जन ने बंगाल को दो भागों में बांटा जिसे बंग-भंग विरोधी आंदोलन के कारण वापस लेना पड़ा और 1911 में बंगाल पुनः एक हो गया। इस प्रकार अंग्रेजों का ‘फूट डालो, शासन करो’ वाला षड्यंत्र, हिन्दू-मुस्लिम जनसंख्या की बहुलता के आधार पर शासन की सुलभता के बहाने किए गए बंटवारे को जाग्रत समाज ने विफल कर दिया परन्तु सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि बंगभंग को विफल करने वाला समाज अगस्त 1947 में इसी बंगाल अर्थात भारत के विभाजन को क्यों नहीं रोक पाया? भारत विभाजन में मूलतः पंजाब और बंगाल का विभाजन हुआ। भारत विभाजन की पहली प्रयोगशाला भी बना बंगाल। स्वतंत्रता से ठीक एक वर्ष पूर्व 16 अगस्त 1946 का ‘द ग्रेट कोलकाता किलिंग’ बंगाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री और ‘बंगाल का कसाई’ नाम से कुख्यात सुरावर्दी की देखरेख में, जिन्ना, इक़बाल, और रहमत अली के सपनों को साकार करने का एक प्रयोग था। 30 जून 2007 को द टेलीग्राफ में ‘इक़बाल्स हिन्दू रिलेशन्स’ नामक प्रकाशित लेख में खुशवंत सिंह बताते हैं कि मोहम्मद इक़बाल के दादा कन्हैयालाल सप्रु एक कश्मीरी ब्राह्मण थे। यही इक़बाल, जिन्होंने ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’ रच कर भारतीयों के ह्रदय में जगह बनाई, पृथक मुस्लिम राष्ट्र के एक वैचारिक सिद्धांतकार थे। इकबाल 21 जून 1937 को जिन्नाह को एक “निजी और गोपनीय’ पत्र में लिखते हैं “उत्तर-पश्चिम भार...

बंगाल विभाजन ( 1905 )

इस समय भारतीयों के अंदर राष्ट्रवाद जन्म ले रहा था और धीरे-धीरे यह राष्ट्रवाद भारत में बढ़ भी रहा था और इस राष्ट्रवाद का मुख्य केंद्र उस समय बंगाल था। अंग्रेजों को भारतीयों की बढ़ती राष्ट्रवाद की भावना का आभास हो गया था और यह उनके लिए एक बड़े खतरे का संकेत था और इसीलिए अंग्रेजों ने इस बढ़ती हुई विद्रोह की भावना को दबाने और रोकने के लिए योजना बनाई की बंगाल के क्षेत्र को विभाजित कर दिया जाए, जिसे हम बंगाल विभाजन के नाम से जानते हैं। तब 1903 में अंग्रेजों की तरफ से लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव रखा गया था और उस समय बंगाल आज के वर्तमान बंगाल जितना छोटा नहीं था बल्कि उस समय यह बंगाल बहुत सारे क्षेत्रों से मिलकर बना था जैसे असम, ओड़िसा, बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्र। लॉर्ड कर्जन ने अंग्रेजों की तरफ से बंगाल विभाजन के प्रस्ताव को लेकर जो बिंदु रखे, वे कुछ इस प्रकार हैं: 1. उस समय बंगाल की जनसंख्या 7.5 करोड़ थी, और उस समय यह भारत की ¼ जनसंख्या के बराबर थी, इसलिए ब्रिटिश सरकार द्वारा इतनी बड़ी आबादी को संभालना थोड़ा कठिन है इसलिए बंगाल का विभाजन किया जाए। 2. पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल में पूरे बंगाल को बांटने का प्रस्ताव दिया गया जिसमें पूर्वी बंगाल की राजधानी ढ़ाका को बनाया गया और पश्चिमी बंगाल की राजधानी कलकत्ता को बनाया गया। बंगाल विभाजन – Partition of Bengal in Hindi इसमें अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति ( Divide and Rule Policy ) भी हमें देखने को मिलती है क्यूंकि जो पूर्वी बंगाल था उसमें मुस्लिम समुदाय के लोग सर्वाधिक थे जबकि पश्चिमी बंगाल में हिन्दू समुदाय के लोग सर्वाधिक थे और इस बंगाल विभाजन से अंग्रेज हिन्दू और मुस्लिमों को आपस में लड़वाकर खुद ...

बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन ने किया। उसका इस विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं तथा मुसलमानों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना था। बंगाल के विभाजन के विरोध में लोगों ने स्थान-स्थान पर जलसे, जलूस तथा हड़तालें कीं। बंगाल के विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन भी आरम्भ किया गया। प्रभाव- इस विभाजन का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा- • बंगाल के विभाजन के कारण भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। • बंगाल के विभाजन से कांग्रेस में गरम दल तथा नरम दल नाम के दो शक्तिशाली दल बन गए। • बंगाल विभाजन से राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रसार हुआ। Categories • • (31.9k) • (8.8k) • (764k) • (248k) • (2.9k) • (5.2k) • (664) • (121k) • (26.8k) • (26.9k) • (11.1k) • (18.4k) • (36) • (72.1k) • (3.8k) • (19.6k) • (1.4k) • (14.2k) • (12.5k) • (9.3k) • (7.7k) • (3.9k) • (6.7k) • (63.8k) • (26.6k) • (23.7k) • (14.6k) • (25.7k) • (530) • (84) • (766) • (49.1k) • (63.8k) • (1.8k) • (59.3k) • (24.5k)

बंगाल विभाजन क्यों हुआ? किसने किया, इसके नकारात्मक प्रभाव

इसके फलस्वरूप पूर्वी बंगाल के ज़िलों की प्राय: उपेक्षा होती है, जहाँ मुसलमान अधिक संख्या में हैं। इसीलिए उत्तरी और पूर्वी बंगाल के राजशाही, ढाका तथा चटगाँव डिवीजन में आने वाले पन्द्रह ज़िलों को असम में मिला दिया गया और पूर्वी बंगाल तथा असम नाम से एक नया प्रान्त बना दिया गया और उसे बंगाल से अलग कर दिया गया। बंगाल विभाजन लॉर्ड कर्जन की कूटनीति हालाँकि उसने बंगाल के विभाजन को प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यक बताया था लेकिन वास्तविकता यह थी कि बंगाल विभाजन उसकी प्रतिक्रियावादी नीति का ही परिणाम था. लॉर्ड कर्जन का तर्क था कि आकार की विशालता और कार्यभार की अधिकता के कारण बंगाल प्रांत का शासन एक गवर्नर के लिए संभव नहीं है. अतः उसने पूर्वी बंगाल और असम को मिलाकर एक अलग प्रांत बनाया जिसकी राजधानी ढाका रखी. वस्तुतः बंगाल विभाजन का यह तर्क कर्जन का एक बहाना था. उसका वास्तविक उद्देश्य तो बंगाल की राष्ट्रीय एकता को नष्ट कर हिन्दुओं और मुसलामानों के बीच फूट डालना था. उसकी स्पष्ट नीति थी फूट डालो और शासन करो. उसने खुद कहा भी था कि “यह बंगाल विभाजन केवल शासन की सुविधा के लिए नहीं की गई है बल्कि इसके द्वारा एक मुस्लिम प्रांत बनाया जा रहा है, जिसमें इस्लाम और उसके अनुयायियों की प्रधानता होगी.” इस प्रकार बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन का धूर्तता और कूटनीति से भरा कार्य था. बंगाल विभाजन आंदोलन का शिक्षा के क्षेत्र पर प्रभाव • बंगाल विभाजन आंदोलन का शिक्षा के क्षेत्र पर भी प्रभाव पड़ा और इसके कारण विद्यालयों की स्थापना की गई • राष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में सर्वप्रथम 8 नवंबर 1905 को रंगपुर नेशनल स्कूल की स्थापना की गई थी • 16 नवंबर 1905 को कलकत्ता में एक सम्मेलन हुआ था • इस सम्मेलन में राष्ट्रीय नि...