बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना

  1. बांसवाड़ा का इतिहास
  2. बांसवाड़ा प्रजामंडल आंदोलन
  3. राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन Question
  4. बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना किसने की?
  5. राजस्थान में जनजाति आन्दोलन (Rajasthan me Janjati Andolan)


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बांसवाड़ा का इतिहास

बांसवाड़ा का इतिहास :- बांसवाड़ा के राजा कौन थे , बांसवाड़ा की स्थापना कब की गई , बांसिया भील का इतिहास , बांसवाड़ा का किला , बांसवाड़ा की स्थापना कब हुई , डूंगरपुर का इतिहास , बांसवाड़ा जिले की तहसीलें , श्री राज मंदिर banswara , बांसवाड़ा कब का है , बांसवाड़ा जिले का नक्शा , डूंगरपुर के राजा कौन थे , बांसवाड़ा को सो दीपों का शहर क्यों कहा जाता है , बांसवाड़ा राजस्थान का एक प्रमुख जिला है जो दक्षिणी भाग से गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा से लगता है आपको बता दें कि इस जिले को राजस्थान का चेरापूंजी भी कहते हैं। मध्य प्रदेश से होकर आने वाली माही नदी यहां का प्रमुख आकर्षण है यह नदी बासंवाडा जिले की जीवन वाहिनी है इस जगह का अपना नाम बासंवाडा बांस के पेड़ों से मिलता है जो यहां कभी काफी संख्या में हुआ करते थे। इन सब के अलावा बांसवाड़ा अपने विभिन्न पर्यटन स्थलों के लिए भी जाना जाता है। जिसकी वजह से यह देश भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। माही डैम के कारण बने टापुओं की वजह से इसे ‘‘सिटी ऑफ हण्ड्रेड आईलैण्ड्स’’ के नाम से भीजाना जाता है अगर आप बांसवाड़ा या इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो, इस लेख को जरुर पढ़ें जिसमे हम आपको बांसवाड़ा के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहें हैं पौराणिक कथा के अनुसार बांसवाड़ की उत्पत्ति राजा पुत्रका द्वारा की गई थी। वैज्ञानिक इतिहास की माने तो बांसवाड़ा, राजस्थान का इतिहास 490 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ, जब मगध के राजा अजातशत्रु अपनी राजधानी को पहाड़ी क्षेत्र से और अधिक सामरिक रूप से स्थित करना चाहते थे बताया जाता है कि गौतम बुद्ध अपने जीवन के अंतिम वर्ष में इस स्थान से गुजरे थे वर्तमान की स्थ...

बांसवाड़ा प्रजामंडल आंदोलन

?डूंगरपुर की भाँति बांसवाड़ा में भी आदिवासीयो व हरिजन में राजनीतिक जागृति रचनात्मक कार्य के माध्यम से हुई. ?हरिजन सेवा व आदिवासी जिलों में शिक्षा प्रसार के क्षेत्र में वहां के नेता बाबा लक्ष्मण दास जी,धूलजी भाई भावसार, श्री चिमनलाल मालोत,श्री मणि शंकर नगर और भूपेंद्र नाथ द्विवेदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही ?इन सभी के द्वारा बांसवाड़ा में शिक्षा प्रचार, हरिजनोंद्वार और जिलों की दशा सुधारने का कार्य किया गया था ?श्री चिमन लाल मालोत ने 1930 में राजनीतिक चेतना का प्रसार करने के उद्देश्य से शांत सेवा कुटीर संस्था की स्थापना की ?श्री चिमनलाल मालोत ने सर्वोदय वाहक नामक पत्रिका का प्रकाशन भी प्रारंभ किया ? बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना 1943 में हुई थी इसके अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी थे ?प्रजामंडल की स्थापना के सहयोगी सदस्य धूल जी भाई मणि शंकर सिद्धि शंकर झा चिमनलाल मोतीलालआदि थे ?धीरे-धीरे प्रजामंडल में आदिवासी भी सक्रियभाग लेने लगी ?इन में प्रमुख आदिवासी चिप के दिला भगत, छोटी सरकरान के सेवा मछार ,छोटी तेजपुर के दीपा भगत आदि प्रमुख थे ?प्रजामंडल के सहयोगी संगठनों के रूप में महिला मंडल ,विद्यार्थी कांग्रेस ,और स्वयं सेवक दल का गठनकिया गया ?बांसवाड़ा के महारावल ने प्रजामंडल की सभाओं पर रोक लगा दी ?महारावल के इस प्रतिबंध का घोर विरोध किया गया और नगर में हड़ताल की गई ?महारावल को अंत में झुकनापड़ा और बंदी नेताओं को रिहा करना पड़ा ? श्री भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी के 1946 में मुंबई से आकर बांसवाड़ा की राजनीति में प्रवेश करने से प्रजामण्डल की शक्ति और प्रभाव में असाधारण वृद्धिहुई ??धारा सभा के चुनाव और उत्तरदायी शासन की स्थापना?? ? जनता की राजनीतिक जागृति देखकर महारावल पृथ्वीसिंह ने वैधानिक...

राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन Question

प्रश्न 111उस प्रजामंडल का नामोल्लेख कीजिए, जिसकी स्थापना मघाराम वैद्य तथा लक्ष्मण दास स्वामी द्वारा की गई। (अ)बीकानेर प्रजामंडल (ब)धौलपुर प्रजामंडल (स)करौली प्रजामंडल (द)अलवर प्रजामंडल उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 112गोपीलाल यादव, ठाकुर देशराज एवं रेवतीशरण उपाध्याय राजस्थान के किस प्रजामण्डल आन्दोलन से सम्बद्ध रहे - (अ)बीकानेर (ब)धौलपुर (स)भरतपुर (द)बांसवाड़ा उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 113भरतपुर प्रजामण्डल कहाँ स्थापित किया गया था - (अ)बयाना (ब)हिसार (स)रेवाड़ी (द)भरतपुर उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 114बीकानेर लोक परिषद् की स्थापना 1936 में किस शहर में हुई - (अ)बम्बई (ब)कलकत्ता (स)मद्रास (द)दिल्ली उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 115निम्नलिखित में से कौनसा ( राजनीतिक कार्यकर्ता - संबंधित देशी राज्य) सुमेलित नहीं है - (अ)हरिमोहन माथुर - करौली (ब)गोपीलाल यादव - भरतपुर (स)मथुरा दास माथुर - मारवाड़ (द)कृष्णदत्त पालीवाल - धौलपुर उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 116भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना हुई - (अ)1938 में (ब)1928 में (स)1942 में (द)1937 में उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 117जमनालाल बजाज ने स्थापना की थी - (अ)मारवाड़ प्रजामंडल (ब)मेवाड़ प्रजामंडल (स)सीकर प्रजामंडल (द)जयपुर प्रजामंडल उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 118भरतपुर राज्य के स्वतंत्रता आंदोलन में निम्न में से कौन एक नेता थे - (अ)टीकाराम पालीवाल (ब)किशन लाल जोशी (स)मंगलसिंह शर्मा (द)शोभा राम उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 119निम्नलिखित में से कौन सा युग्म ( राजनीतिक कार्यकर्त्ता – संबंधित रियासती राज्य) सुमेलित नहीं है - (अ)मीठालाल व्यास – जैसलमेर (ब)भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी – कोटा (स)किशनलाल जोशी – भरतपुर (द)पंडित हरिनारायण शर्मा – अलवर उत्तर SHOW ANSWER प्रश...

बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना किसने की?

Explanation : बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना भूपेंद्रलाल त्रिवेदी, धूलजी भाई और मणिशंकर ने की थी। इसका स्थापना वर्ष 1943 है। 'सौ द्वीपों का शहर' के उपनाम से प्रसिद्ध बांसवाड़ा का नाम यहां के प्रतापी शासक बोसना के कारण पड़ा था। बांसवाड़ा राज्य की नींव महारावल जगमलसिंह ने डाली थी। वर्तमान में बांसवाड़ा राजस्थान का एक जिला है जो दक्षिणी भाग मे गुजरात व मध्य प्रदेश की सीमा से ल्रगा हुआ है। बांसवाड़ा को राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहां की जीवन वाहिनी नदी माही मध्य प्रदेश से होती हुई माही बांध तक आती है। बांसवाड़ा में जंगल बहूतायत में मौजूद है इसलिए यहां लकडी और वनस्पति प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है। Tags :

राजस्थान में जनजाति आन्दोलन (Rajasthan me Janjati Andolan)

राजस्थान में जनजाति आन्दोलन (Rajasthan me Janjati Andolan) • राजस्थान में भील, मीणा, मेर, गरासिया आदि जनजातियां प्राचीन काल से ही निवास करती आई है। • राजस्थान के डूंगरपुर में बांसवाड़ा क्षेत्र में भील जनजाति का बाहुल्य है। मेवाड़ राज्य की रक्षा में यहां के भीलों ने सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसलिए मेवाड़ राज्य के राजचिन्ह में राजपूत के साथ एक धनुष धारण किए हुए भील का चित्र अंकित है। • यह सभी जनजातियां जंगलों से प्राप्त संसाधनों से अपनी आजीविका चलाते हैं। • यह जनजातियाँ स्वतंत्र और स्वछन्द थी। • अंग्रेजों के आने से इनकी स्वतंत्रता और स्वछन्दता पर रोक लग जाती है। मेर आन्दोलन ( 1818 – 1821 ) • मेर जाति के लोगों द्वारा आबाद क्षेत्र मेरवाड़ा अंग्रेजों के आगमन से पूर्व किसी एक रियासत के अधीन न होकर मेवाड़, मारवाड़ तथा अजमेर के अधीन आता था। • मेर लूटपाट कर अपना जीवन व्यतीत करते थे। • सन् 1818 में अंग्रेज सुपरिन्टेन्डेट एफ. वेल्डर मेरों से समझौते करके कर लगा देता है। • सन् 1819 में वेल्डर समझौते तोड़ देता है। • सन् 1821 में मेर झाक नामक चौकी में आग लगा देते है। • मेरों को नियंत्रित करने के लिए सन् 1822 में मेरवाड़ा बटालियन की स्थापना होती है। जिसका मुख्यालय ब्यावर (अजमेर) को बनाया जाता है। 1857 की क्रान्ति भील आन्दोलन ( 1818 – 1860 ) • भील महुआ के पेड़ से शराब बनाने का कार्य करते थे। • व्यापारिक मार्गो पर कर वसूल करने का कार्य करते थे। • सन् 1825 में अंग्रेजी भीलों से समझौते करके कर लगा देते हैं। भील इनका विरोध करते हैं। • भीलों को नियंत्रित करने के लिए सन 1841 में M.B.C. (मेवाड़ भील कोर) की स्थापना होती है। जिसका मुख्यालय खेरवाड़ा, उदयपुर को बनाया जाता है। • भीलों में स्वयं में...