बाबू गुलाबराय की आत्मकथा है

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  3. यूपी बोर्ड सॉल्यूशंस कक्षा 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य
  4. बाबू गुलाबराय की आत्मकथा है? » Babu Gulabrai Ki Atmakatha Hai
  5. Mere Mansik Upadaan
  6. Dignified India: हिंदी साहित्य में आत्मकथा
  7. आत्मकथा


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बाबू गुलाबराय की आत्मकथा कौन

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपने पूछा है कि बाबू गुलाबराय की आत्मकथा कौन कौन सी चीज दोस्तों उनकी दार्शनिक रचनाएं उनके गंभीर अध्ययन और चिंतन का परिणाम है उन्होंने अपनी रचनाओं में शुद्ध भाषा तथा परिष्कृत खड़ी बोली का प्रयोग अधिकता से किया था आधुनिक काल के निबंध लिखो को किया लक्ष्य को में बाबू गुलाब राय का स्थान बहुत ऊंचा था उन्होंने आलोचना और निबंध दोनों ही क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और मौलिकता का परिचय दिया था aapne poocha hai ki babu gulabrai ki atmakatha kaun kaun si cheez doston unki darshnik rachnaye unke gambhir adhyayan aur chintan ka parinam hai unhone apni rachnaon me shudh bhasha tatha parishkrit khadi boli ka prayog adhikata se kiya tha aadhunik kaal ke nibandh likho ko kiya lakshya ko me babu gulab rai ka sthan bahut uncha tha unhone aalochana aur nibandh dono hi kshetro me apni pratibha aur maulikata ka parichay diya tha आपने पूछा है कि बाबू गुलाबराय की आत्मकथा कौन कौन सी चीज दोस्तों उनकी दार्शनिक रचनाएं उनके

बाबू गुलाबराय की आत्मकथा क्या है Doubt Answers

8 months ago बाबू गुलाबराय की आत्मकथा का नाम है, 'मेरी असफलताएँ'। उन्होंने अनेक निबंधों की रचना की हैं। उन्होंने अनेक मौलिक ग्रंथो का संपादन भी किया है। मेरी असफलताएं उनकी आत्मकथा है, जिसे उन्होंने अपनी जीवनी के रूप में प्रस्तुत किया है। इस आत्मकथा में उन्होंने हास्य-विनोद का पुट देने का प्रयत्न किया है। Disclaimer अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी

यूपी बोर्ड सॉल्यूशंस कक्षा 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Gady Garima Notes in Hindiयूपी बोर्ड सॉल्यूशंस सॉल्यूशंस कक्षा 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य-साहित्य का विकास बहविकल्पीय प्रश्न के नोट्स हिंदी में कक्षा 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य-साहित्य का विकास बहविकल्पीय प्रश्न हिंदी में यूपीबोर्डसॉल्यूशंस.com forकक्षा 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य-साहित्य का विकास बहविकल्पीय प्रश्न हिंदी मेंएनसीईआरटी समाधान में विस्तृत विवरण के साथ सभी महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं जिसका उद्देश्य छात्रों को अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना है। जो छात्र अपनी कक्षा 12 की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हेंयूपीबोर्डसॉल्यूशंस.com for कक्षा 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य-साहित्य का विकास बहविकल्पीय प्रश्न हिंदी मेंNCERT सॉल्यूशंस से गुजरना होगा। इस पृष्ठ पर दिए गए समाधानों के माध्यम से जाने से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि समस्याओं का दृष्टिकोण और समाधान कैसे किया जाए। UP Board Solutions for Class 12 साहित्यिक हिन्दी गद्य-साहित्य का विकास बहविकल्पीय प्रश्न यदि आप 12 वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं और अपने स्कूली जीवन की अंतिम परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आप सभी को शुभकामनाएँ। आपको इसकी बुरी तरह आवश्यकता होगी। आखिरकार, यह परीक्षा आपके जीवन में निर्धारण कारक की भूमिका निभाने वाली है। एक तरफ, यह परीक्षा आपके लिए पढ़ाई की सही स्ट्रीम चुनने में आसान बनाएगी जो आपके लिए एकदम सही होगी। दूसरी ओर, कक्षा 12 का परिणाम यह दर्शाता है कि आप स्कूल में अपने शुरुआती दिनों से भी कितने सुसंगत छात्र थे। इसलिए, ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे आप बोर्डों की तैयारी के दौरान आराम करने के बारे में सोच सकें। आपको यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त मील जाना होगा ...

बाबू गुलाबराय की आत्मकथा है? » Babu Gulabrai Ki Atmakatha Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आधुनिक काल के निबंध लिखो और आलोचकों में गुलाब राय का स्थान बहुत ऊंचा है उन्होंने आलोचना और निबंध दोनों में क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और मिलता का परिचय दिया है उनकी दार्शनिक रचनाएं उनके गंभीर अध्ययन और चिंतन का परिणाम है aadhunik kaal ke nibandh likho aur aalochakon mein gulab rai ka sthan BA hut uncha hai unhone aalochana aur nibandh dono mein kshetra mein apni pratibha aur milta ka parichay diya hai unki darshnik rachnaye unke gambhir adhyayan aur chintan ka parinam hai आधुनिक काल के निबंध लिखो और आलोचकों में गुलाब राय का स्थान बहुत ऊंचा है उन्होंने आलोचना और

Mere Mansik Upadaan

बाबू गुलाबराय का हिन्दी साहित्य जगत् में निबंधकार और समीक्षक के रूप में एक विशिष्ट स्थान है। बाबूजी ने साहित्यशास्त्र के सैद्धांतिक निबंधों के अतिरिक्त विचारात्मक, व्यवहारिक और ललित-निबंध भी लिखे हैं। बाबूजी ने साहित्यशास्त्र के सैद्धांतिक निबंधों के अतिरिक्त विचारात्मक, व्यावहारिक और ललित-निबंध भी लिखे हैं। बाबूजी साहित्य और दर्शन के विद्वान थे, अतः उनके निबंधों में दार्शनिक दृष्टि और निर्मल ज्ञान की अभिव्यक्ति मिलती है। बाबूजी ने जटिल-से-जटिल विषय को अपनी सरल, सर्वग्राह्य व सुबोध भाषा-शैली में बना दिया है। हिंदी में आचार्य रामचंद शुक्ल के पश्चात् बाबूजी ऐसे निबंधकार हैं जिनकी रचनाएँ आधुनिक युग में और अब भी प्रचार में हैं। उनका व्यक्तित्व उनके निबंधों में परिलक्षित होता है। बाबूजी के दो निबंध-संग्रह’ मेरे मानसिक उपादान’ जिसमें नैतिक और जीवन मीमांसा संबंधी, वैयक्तिक, राजनीतिक और यात्रा संबंधी निबंध है। इन सभी निबंधों में जीवन और जगत से प्राप्त उनकी अपनी अनुभूतियाँ हैं। बाबूजी ने अपने निबंधों के विषय में लिखा है—‘‘सज्जन और सज्जनता में मेरे जीवन संबंधी आदर्श हैं। यद्यपि मैं स्वयं उन आदर्शों का पालन करने में असमर्थ रहा हूँ, तथापि यदि दूसरे सज्जन उसका पालन कर सकें तो मुझे प्रसन्नता होगी। मेरे जीवन आदर्श धर्म, अर्थ, काम के समन्वय से प्रभावित हैं। मेरे ये निबंध—विशेष कर यह निबंध, जो घरेलू लड़ाई-झगड़ों से संबंधित हैं—उन लोगों के लिए हैं, जिनके घर में मिट्टी के चूल्हे हैं। वे अपने पारस्परिक प्रेम सद्भाव में वृद्धि कर उन्हें स्वर्णरंजित बना सकते हैं। कुछ निजी वैयक्तिक संबंध भी हैं। यद्यपि मेरे सभी निबंधों में थोड़ा-बहुत वैयक्तिक पुट रहता है, तथापि इनमें विषय और शैली दोनों में ही व्...

Dignified India: हिंदी साहित्य में आत्मकथा

जब कोई व्यक्ति अपने जीवन की घटनाओं का विवरण स्वयं लिखता है तो उसे आत्मकथा कहते हैं। वस्तुतः जब व्यक्ति राजनीति , साहित्य , विज्ञान , सामाजिक कार्य आदि में विशेष महत्व अर्जित करता है तब वह कलात्मक , साहित्यिक ढंग से अपनी जीवनी स्वयं लिखता है , जिसे आत्मकथा कहते हैं। लेखक अपने जीवन में घटित घटनाओं का क्रमिक ढंग से वर्णन कर , उन्हें सजीवता प्रदान करता है। डॉ. धीरेन्द्र वर्मा के शब्दों में –“ आत्मकथा लेखक के अपने जीवन से सम्बद्ध वर्णन है , आत्मकथा के द्वारा अपने जीवन का सिंहावलोकन और एक व्यापक पृष्ठभूमि में अपने जीवन का महत्व दिखलाया जाना संभव है। साहित्य की इस विधा में लेखक वर्णनात्मक शैली में अपने जीवन का एक ऐसा क्रमिक ब्यौरा प्रस्तुत करता है जिससे कि न केवल उसके जीवन को संजीवनी प्रदान करने वाली मूल शक्ति का पता चलता है अपितु उसका अंतर्बाह्य व्यक्तित्व भी साकार हो उठता है। ” आत्मकथा लेखक के अतीत का लेखा-जोखा भर ही नहीं है , यह तो परिवेश विशेष में जिए गए क्षणों का पुनःसृजन है , इस कारण इसकी गणना सर्जनात्मक साहित्य के अंतर्गत की जाती है। चूँकि आत्मकथा में व्यक्ति अपने लम्बे जीवन-अनुभवों का निचोड़ प्रस्तुत करता है , अतः तत्कालीन समाज और परिवेश जीवंत हो उठता है। प्राचीन साहित्य में आत्मकथा की परम्परा भले ही नहीं रही हो लेकिन ऐसा नहीं है कि कथाकारों ने आत्म वचन को नहीं अपनाया हो। हर्षचरित का वह आरम्भिक हिस्सा है, जिसमें रचयिता बाणभट्ट ने अपमान, वंचना और हताशा में भरे अपने बचपन, विद्यार्थी जीवन और शुरूआती युवावस्था की चर्चा की है। इसी तरह कुछ और नाम भी आते हैं जिनमें बिलहण (विक्रमांकदेव चरित), दण्डी (दशकुमारचरित) आदि प्रमुख हैं। हिंदी साहित्य में आत्मकथा लेखन के तीन निश्चित चरण हैं...

आत्मकथा

विषय सूची • 1 पहली आत्मकथा • 2 आत्मकथा की विकास-यात्रा • 2.1 प्राचीन साहित्य में आत्मकथा • 2.1.1 प्रथम चरण (1600-1875) • 2.1.2 द्वितीय चरण (1876-1946) • 2.1.3 तृतीय चरण (1947- अब तक) • 2.2 अस्मितावादी आत्मकथाएँ • 3 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ • 5 संबंधित लेख पहली आत्मकथा अर्द्धकथानक में दो प्रकार के ऐतिहासिक उल्लेख मिलते हैं- एक वे जिनका सम्बन्ध कवि के जन्मकाल के पूर्व से है और दूसरे वे जिनका सम्बंध उसके जीवनकाल से है। पहले प्रकार के उल्लेखों की एतिहासिकता पर कदाचित हमें विचार करने की आवश्यकता नहीं। दूसरे प्रकार के उल्लेखों को इतिहास की कसौटी पर इतिहासकारों और पाठालोचन के विशेषज्ञों ने परखा है, और कई ऐतिहासिक घटनाओं की प्रामाणिकता पाने पर डॉ. माता प्रसाद गुप्त ने ‘भूमिका’ में ‘अर्द्धकथा’ की ऐतिहासिकता भलीभाँति प्रमाणित है जैसी निश्चित टिप्पणी दी है। एक असफल व्यापारी की कथा के रूप में कृति ने व्यापारी वर्ग को जिन यातनाओं, संकटों और असुविधाओं को झेलना पड़ा उन परिस्थितियों का व्यापक रूप में चित्रण किया है। डॉ माताप्रसाद गुप्त ने ‘अर्द्धकथा’ का महत्त्व एक अन्य दृष्टि में और भी अधिक पाया है- ‘‘वह मध्यकालीन आत्मकथा की विकास-यात्रा प्राचीनकाल से साहित्यिक परम्परा में आत्मकथा की अनुपस्थिति के सांस्कृतिक कारण हैं। दर्शन में वास्तविक महत्ता आत्मा की रही है। जहाँ मनुष्य के अस्तित्व को ही नश्वर माना जाता हो वहां स्वतंत्रता को महत्त्व नहीं मिलना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है। चूँकि आत्मा ही वास्तविक है और सारे मनुष्यों में समान है, इसलिए दार्शनिकों का तर्क है कि सभी मनुष्य अन्ततः एक है। वैयक्तिक्ता, आत्मवत्ता या फिर विश्ष्टिता का बोध— इनको एक-दूसरे के पर्याय के रूप में ‘माया...