बालकृष्ण भट्ट संपादक थे

  1. प्रमुख पत्र
  2. बालकृष्ण भट्ट
  3. Balkrishan Bhatt Biography In Hindi
  4. Setu 🌉 सेतु: बालकृष्ण भट्ट की राष्ट्रीय चेतना
  5. बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (Balkrishna Bhatt Ka Jeevan Parichay) » Hindikeguru


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प्रमुख पत्र

प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ और सम्पादक Question 1: पत्रिकाओं से संबंधित सही कथन है- A. धर्मयुग पत्रिका साप्ताहिक है। B. चाँद पत्रिका प्रयाग से प्रकाशित होती थी। C. मतवाला पत्रिका के संपादक शिवपूजन सहाय है। D. विश्वमित्र पत्रिका मासिक थी। E. प्रताप पत्रिका सेठ गोविंद दास द्वारा संपादित हुई थी। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए: पत्रिकाओं से संबंधित सही कथन है- • A. धर्मयुग पत्रिका साप्ताहिक है। • B. चाँद पत्रिका प्रयाग से प्रकाशित होती थी। • C. मतवाला पत्रिका के संपादक शिवपूजन सहाय है। Key Points सही है- • D. विश्वमित्र पत्रिका दैनिक थी, इसके संपादक मूलचंद्र अग्रवाल थे। यह 1916 में कानपुर, दिल्ली , कलकत्ता और बंबई से प्रकाशित होती थी। • E. प्रताप पत्रिका गणेशशंकर द्वारा संपादित हुई थी, यह साप्ताहिक है और इसका सम्पादन 1913 में कानपुर से हुआ था। हिन्दी का पहला दैनिक समाचार-पत्र समाचार सुधावर्षण है। Key Points समाचार सुधावर्षण- • संपादक- श्यामसुंदर सेन • प्रकाशन वर्ष-1854 ई. • यह कलकत्ता से प्रकाशित होता था। Important Points बनारस अखबार- • संपादक-राजा शिवप्रसाद सिंह • प्रकाशन -1845 ई. • यह हिन्दी भाषी क्षेत्र में हिन्दी भाषा का प्रथम अखबार था। • यह साप्ताहिक था व बनारस से प्रकाशित होता था। • इसकी भाषा हिन्दी-उर्दू थी। Additional Information भारतेन्दु युगीन पत्रिकाएं- पत्रिका वर्ष संपादक स्थान कविवचन सुधा 1868ई. भारतेन्दु हरिश्चंद्र बनारस सदादर्श 1874ई. लाला श्रीनिवास दास काशी हिन्दी प्रदीप 1877ई. बालकृष्ण भट्ट प्रयाग ब्राह्मण 1883ई. प्रताप नारायण मिश्र कानपुर पीयूष प्रवाह 1884ई. अंबिकादत्त व्यास काशी ‘चकमक’ पत्रिका भोपाल से प्रकाशित होती है। अन्य विकल्प असंगत है। अत...

बालकृष्ण भट्ट

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 1.1 कार्यक्षेत्र • 2 रचनाएं • 3 भाषा • 4 वर्ण्य विषय • 5 शैली • 6 साहित्य सेवा और स्थान • 7 बाहरी कड़ियाँ • 8 सन्दर्भ जीवन परिचय [ ] पंडित बालकृष्ण भट्ट के पिता का नाम पं॰ वेणी प्रसाद था। स्कूल में दसवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद भट्ट जी ने घर पर ही उनका जन्म कार्यक्षेत्र [ ] भट्ट जी एक अच्छे और सफल पत्रकार भी थे। हिन्दी प्रचार के लिए उन्होंने संवत्‌ 1933 में प्रयाग में हिन्दीवर्द्धिनी नामक सभा की स्थापना की। उसकी ओर से एक हिन्दी मासिक पत्र का प्रकाशन भी किया, जिसका नाम था "हिन्दी प्रदीप"। वह बत्तीस वर्ष तक इसके संपादक रहे और इसे नियमित रूप से भली-भाँति चलाते रहे। हिन्दी प्रदीप के अतिरिक्त बालकृष्ण भट्ट जी ने दो-तीन अन्य पत्रिकाओं का संपादन भी किया। भट्ट जी भारतेन्दु युग के प्रतिष्ठित निबंधकार थे। डॉक्टर वार्ष्णेय पंडित बालकृष्ण भट्ट को हिंदी का सर्वप्रथम निबंध–लेखक स्वीकार करते हैं। रचनाएं [ ] भट्ट जी ने निबन्ध, उपन्यास और नाटक लिखे हैं। • निबन्ध संग्रह: • साहित्य सुमन • भट्ट निबंधमाला • निबन्ध • • चंद्रोदय • संसार महानाट्यशाला • प्रेम के बाग का सैलानी • माता का स्नेह • आंसू • लक्ष्मी • कालचक्र का चक्कर • शब्द की आकर्षण शक्ति • साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है • प्रतिभा • माधुर्य • साहित्य का सभ्यता से घनिष्ठ संबंध है • आशा • आत्मगौरव • रुचि • भिक्षावृत्ति • मेला ठेला • आकाश पिप्पल • बोध • एक अनोखा स्वप्न • स्त्रियां और उनकी शिक्षा। • हमारे नये सुशिक्षितों में परिवर्तन । • बातचीत उपन्यास • • नूतन ब्रह्मचारी • • रहस्यकथा • मौलिक नाटक: • दमयन्ती स्वयंवर • बाल-विवाह • चन्द्रसेन अनुवाद: • • • • भाषा [ ] भाषा की दृष्टि से अपने समय के लेखकों...

Balkrishan Bhatt Biography In Hindi

बालकृष्ण भट्ट जीवन परिचय, परिवार, कैरियर, भाषा शैली (Balkrishan Bhatt Biography In Hindi, Family, Career, Language in Hindi) पंडित बालकृष्ण भट्ट भारतेंदु युग के सफल उपन्यासकार, नाटककार, पत्रकार और निबंधकार थे। इन्होंने उपन्यास, नाटक और निबंध की रचना करके हिंदी भाषा को एक समर्थ शैली प्रदान की है इसलिए हिंदी गद्य साहित्य के निर्माताओं में इनका स्थान उच्च माना जाता है ये आज की गद्य प्रधान कविता के जनक माने जाते है। भट्ट ने 32 साल तक हिंदी प्रदीप का संपादन किया था, वर्ष 1877 में इन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रेरणा से हिन्दी वर्धिनी सभा की स्थापना की थी। इनके छापे लेखों के कारण अंग्रेज़ नौकरशाही इनसे काफी नाराज हुए थे जिसके लिए इन्हें बहुत सी धमकियां भी मिली थी। अंग्रेज़ नौकरशाही के द्वारा मिली चेतावनियों के कारण इन्हें आखिरी में मजबूरन अपनी पत्रिका का चरित्र राजनीति से साहित्यिक करना पड़ा। अत्यधिक व्यस्त होने के बाद भी इन्होंने कई पुस्तकें लिखी और इन्हें अंग्रेजी, हिंदी, फारसी, संस्कृत ,बांग्ला आदि भाषाओं का बहुत ही अच्छा ज्ञान था। आज के अपने इस लेख में हम आपके साथ भारतेंदु युग के लेखक पंडित बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (Balkrishna Bhatt Biography in Hindi) और उनसे जुड़ी हर एक जानकारी को विस्तार से सांझा करेंगे और उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें भी आपको बताएंगे। Table of Contents • • • • • • • • • • • एक नजर में संक्षिप्त परिचय: वास्तविक नाम पंडित बालकृष्ण भट्ट जन्मतिथि 3 जून, 1844 जन्म स्थान इलाहाबाद लोकनाथ पिता का नाम पंडित वेणी प्रसाद वैवाहिक स्थिति विवाहित कर्म क्षेत्र हिन्दी साहित्य भाषा संस्कृत हिंदी अंग्रेजी फारसी और बंगला काल भारतेंदु युग नागरिकता भारतीय प्रसिद्धि उपन्या...

Setu 🌉 सेतु: बालकृष्ण भट्ट की राष्ट्रीय चेतना

बालकृष्ण भट्ट भारतेंदु मंडल के प्रतिनिधि रचनाकार थे। भारतेंदु युग के निबंधकारों में उनका स्थान सर्वोपरि है। नाटक, उपन्यास, निबंध, पुस्तक-समीक्षा, पत्रकारिता इन सभी क्षेत्रों में उनका योगदान सराहनीय है। हिंदी भाषा की प्रचार-प्रसार के लिए वे‘हिंदी प्रदीप’ नामक मासिक पत्र निकलते थे। इस पत्र में सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, नैतिक आदि विषयों पर नाटक, निबंध, उपन्यास, कहानी आदि छपती थी। भट्ट जी ने हिंदी प्रदीप के अतिरिक्त कुछ अन्य पत्र-पत्रिकाओं का भी संपादन किया है। इन्हें आधुनिक काल में गद्य प्रधान कविता का जनक कहा जाता है। भट्ट जी के समय का भारतवर्ष घोर अंधकार में डूबा था। उस समय बालविवाह, सह-भोजन का विरोध, धर्मान्धता, नये विचारों की निंदा, परिवर्तन विमुखता, राजनैतिक क्रियाशीलता का विरोध, जाति-पाँति, छुआछूत आदि का बोलबाला था। आत्मगौरव और कौमियत का अभाव था। मध्यवर्ग का उदय हो चुका था पर उनमें विकास की गति धीमी थी। भट्ट जी की रचनाओं में इन सभी समस्याओं पर कहीं सहज भाव से तो कहीं व्यंग्यात्मक तरीके के प्रकाश डाला गया है। (3 जून 1844 - 20 जुलाई 1914) भट्ट जी की राष्ट्रीयता उनके द्वारा संपादित पत्रिका‘हिंदी प्रदीप’ के माध्यम से प्रकट होती है। अनेक प्रकार की कठिनाई झेलते हुए भी वे इस पत्र का संपादन लगातार तैंतीस वर्ष तक करते रहें। उन्होंने इस पत्र में स्व-लिखित लगभग 300 निबंधों को प्रकाशित किया था। उनके निबंधों की विषयवस्तु और शैली दोनों में वैविध्य मिलता है। विषयवस्तु की दृष्टि से उनका निबंध समकालीन समय की सभी कुरीतियों पर चोट करता है। ब्राह्मण और संस्कृत के विद्वान होते हुए भी वे हिन्दू धर्म की सभी रूढ़ियों का विरोध करते थे। इस सन्दर्भ में बच्चन सिंह का कथन है– “इसमें ...

बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (Balkrishna Bhatt Ka Jeevan Parichay) » Hindikeguru

आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (Balkrishna Bhatt ka jeevan parichay) को पढ़ने जा रहे हैं। इन्होंने अपने जीवन में पत्र संपादक के साथ-साथ उपन्यास, नाटक और कई निबंधों की रचना कर हिंदी साहित्य की उन्नति एवं प्रचार प्रसार में काफी योगदान है। तो चलिए बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (Balkrishna Bhatt ka jeevan parichay) को देखें- बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (Balkrishna Bhatt Biography) 4 बालकृष्ण भट्ट की भाषा शैली बालकृष्ण भट्ट का जन्म 3 जून 1844 ई. में प्रयाग में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित वेणी प्रसाद था। बालकृष्ण भट्ट के पूर्वज मालवा के रहने वाले थे, किंतु बाद में वे बेतवा नदी के तट पर बसे हुए जाटकारी नामक ग्राम में रहने लगे थे। पंडित वेणी प्रसाद के पिता पंडित बिहारी लाल जटकारी से प्रयाग आ गये और वही बस गये। यहीं पर बालकृष्ण भट्ट का जन्म हुआ। बालकृष्ण भट्ट के आरंभिक शिक्षा संस्कृत में हुई। बाद में उन्हें अंग्रेजी शिक्षा के लिए प्रयाग के मिशन स्कूल में दाखिला कराया गया। यहां उन्होंने दसवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की। मिशन स्कूल छोड़ने के बाद वे जमुना मिशन स्कूल में संस्कृत के शिक्षक नियुक्त हो गए। स्वतंत्र प्रकृति और धर्म के प्रति निष्ठावान होने के कारण वहां वे अधिक दिन तक कार्य नहीं कर सके और वहां से सेवा मुक्त हो गए। कुछ समय तक उन्होंने व्यापार भी किया, किंतु उसमें भी उन्हीं सफलता नहीं मिली। अंत में उन्हें हिंदी की सेवा में पूर्णतः जुट जाने का अवसर मिला। वे तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में निबंधादि प्रकाशनार्थ भेजने लगे। इनके प्रकाशन से उन्हें ख्याति मिली। 1877 में ‘हिंदी प्रदीप’ नामक मासिक पत्र के संपादक हुए। संपादन के ...